ओडिशा के पुरी में रेत कलाकार पद्मश्री सुदर्शन पटनायक ने विश्व बाघ दिवस के अवसर पर पुरी तट पर एक रेत की मूर्ति की बनाई. इस मूर्ति के जरिए बाघों के संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया की ओर से इसमें पहल की गई. इस रेत कला का विषय है 'भारत धारियों के साथ आगे बढ़ता है'. सुदर्शन पटनायक ने कहा, 'बाघों ने पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में बहुत योगदान दिया है. इस रेत कला में मनुष्यों को बाघों की रक्षा करने का संदेश दिया गया है. इस रेत कला में 50 छोटे और एक बड़ा बाघ दिखाया गया है. रेत कला की ऊँचाई 20 फीट है. बाघ न केवल शक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण का रक्षक भी है और यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के रक्षक के रूप में कार्य करता है. इस रेत कला में 10 टन रेत का उपयोग किया गया.