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00:00अभी हाल ही मैं देखने को मिल रहा है कि कुछ महिलाएं हैं जो अपनी स्वतंत्रतगा इस्तुमाल करके पुर्शों को मांशिक रूप से कानूनी तरीके घोज कर एमोशनल ब्लेकमेल करके उनको प्रताड़ित कर रही हैं
00:14आजाद सचमुष हो नहीं गई है वो ऐसी नहीं हो गई है कि उसने अतीत को पूरा ही त्याग दिया हो लेकिन साथ ही साथ उसके मन में दुनिया के प्रति पुरुषों के प्रति नफरत बैठ गई है एक जहर बैठ गया है तो फेमिनिजम पढ़ा भी ना हो पर एक चलन है अ�
00:44आजेशन कैसे नहीं जुकेगा सेक्सी बॉडी दिखाओंगी जुकेगा यह शरीर नहीं है यह थियार है मुआफजा दो मुआफजा दो यह करना है इसमें कोई गरिमा है जो काम इसलायक नहीं है कि एक अच्छा इंसान उसे करे कोई महिला वो काम करेगी तो उपाम अच्�
01:14जब आप पैदा नहीं थी मैं उसे पहले से मत्य प्रदेश का हूँ अचारी जी मेरा सवाल अभी हाल ही मैं देखने को मिल रहा है कि कुछ महिलाएं हैं जो अपनी स्वतंत्रता का इस्तुमाल करके पुर्शों को मांशिक रूप से सामाजिक रूप से और कानूनी तरीके खो�
01:44तिमकार्ड के उनको प्रताड़ित कर रही है इसमें मेरा सवाल यह है कि क्या यह वाकाई मैं कोई स्वतंत्र महिला या फिर यह वी तरीके से अंद्विस्वास्त स्री एप एक ढमेत इस्त्रीbildung में और एक
02:01मुक्त, ब्रहमित, इस्त्री में क्या वास्तविक अंतर होते हैं, मैं वो आप से जानना चाहते हूँ
02:09हुँ बढ़ी है, बढ़ी है, और अच्छा है कि एक महिला ने प्रश्न किया पुरुष ने नहीं किया
02:15क्योंकि पुरुषों में यह अभी बड़ा फैशन है कि यह आधुनिक महिलाएं बिगड़ गई हैं और तमाम तरीके से यह पुरुषों का शोशन कर रही है
02:28देखिए जो आधुनिक लड़की है न महिला उसकी एक अजीब सी स्थिति हो गई है
02:45जो पुरानी इस्त्री रही है उसको कभी यह बोध ही नहीं था कि उसको जो पारंपरिक जिंदगी दी जा रही है
02:56वो दमन की है, संकीनता की है, उसकी संभावनाओं, वो बाधित करती है, उसको पता ही नहीं था, उसको लगता था यही जिन्दगी है, ऐसे जीना होता है, और वो उसी में अपना संतुष्ट रह जाती थी,
03:12जैसे दादियां पुरानी, उनको यह थोड़ी रहता था, कि अरे घर की चार दिवारी में हम पड़े रह गए, हमने कभी कुछ किया नहीं, उनको यह विचार, यह कलपना, यह संभावना भी नहीं उठती थी, कि कुछ किया जा भी सकता है, तो वो अपना घर में है, और जो भ
03:42है, कैसे अंदोलन रहे हैं, यह सब भी हो जानती ही नहीं थी, उनको कुछ नहीं, तो उनका अपना काम ठीक चलता था, अब जो आधुनिक महिला है, वो जान गई है, वो पढ़ी लिखी है, और उसको पता चल गया है, कि भारत का इतिहास क्या है, दुनिया का इतिहास क्या ह
04:12यही उसके दिवाएक में आता है, क्योंकि जो किताबें भी हम पढ़ते हैं, वो कोई बहुत आध्यात्मिक लोगों ने लिखी नहीं है, माली जै आप समाज शासरी कोई किताब पढ़ रहे हो, इतिहास की पढ़ रहे हो, वो हो सकता है कि उस शेत्र के विद्वानों ने लि
04:42दाइकोटमी आपको दिखाई जाती है, महिला है और महिला का पुरुष ने इतिहास में सदा से ऐसे दमन करा, ऐसे शोशन करा है, तो जो मॉडर्ल लड़की होती है, उसके मन में ये कहानी, ये narrative बैठ जाता है, कि मेरा तो exploitation ही हुआ है, और patriarchy जिम्मेदार है, और मेरा तो exploitation
05:12वो हमें किताबों में मिलती नहीं है, तो अभी जो मॉडर्ल लड़की होती, उसके हालत ये होती है, कि एक तरफ तो वो अभी पुरानी विवस्था से जुड़ी हुई है, वो बहुत आजाद सचमुष हो नहीं गई है, वो ऐसी नहीं हो गई है, कि उसने अतीत को पूरा ही
05:42पर वो आली चाहिए जो अब सुईधा जनक है, वो आली चाहिए जिसमें उसका भी स्वार्थ जुड़ा हुआ है, तो वो सब उसको चाहिए है भी, लेकिन साथ ही साथ उसके मन में दुनिया के प्रति, पुरुशों के प्रति, एक नफरत बैठ गई, एक जहर बैठ गया है
06:12कि पुराने समय में जिस तरीके से महिला का शोषण करा है पुरिशने कहीं मेरा भी न हो जाए, और वो इसकदर ड़री रहती है कि जहां शोषण नहीं भी हो रहा, वहां उसको लगता है कि हो रहा है, और डर के साथ आक्रामक था चलती है, तो वो आक्रामक हो जाती है, वो �
06:42क्योंकि वो हर चीज को अब बस
06:45exploiter, exploited dichotomy के framework में ही देखती है
06:50वो अब अपनी नजरों में एक जबरदस्त victim बन चुकी है
06:57और जब आप victim अपने आपको घोशित कर देते हो न
06:59तो आपको हर तरह की हिंसा करने का हक मिल जाता है
07:03आप कहते हो मेरे साथ अतीत में बहुत बुरा किया है पुरुषों ने
07:06तो अब अगर मैंने पलट के पुरुषों का कुछ बुरा कर दिया तो कुछ गलत थोड़ी किया
07:10अतीत में मेरे साथ पुरुषों ने बहुत बुरा किया है पूरे समाज ने बहुत बुरा किया है
07:17तो अब मैं अगर पलट करके हिंसा कर देती हूं तो मैंने गलत क्या किया हिसाभी तो बराबर करा है
07:21यह स्थिति हो गई है
07:24अब यहां तक तो हमें हमारी शिक्षा ने बता दिया कि अतीत में पुरुशावी रहा है
07:30और इस तरही एक तरह से बंधा कर रही और यह सारी बाते बता दी
07:33लेकिन यह नहीं बताया कि इसके आगे अब होना क्या चाहिए
07:39यह हमारी शिक्षा नहीं बताया इतना बता के छोड़ दिया कि देखो
07:42इस्टोरिकल पुजीशन ओफ विमें अक्रॉस देवर्ड है इस इस इन दिस इतना बता के छोड़ दिया किसी को इतना बता के छोड़ दोगे
07:53तो उसके मन में हिंसा नफरत डर जहर यह सब तो आएगा ही आएगा ना तो यह उसके भीतर आ गया है
08:00पुरुष उसको अब कोई भी पुरुष हो वो उसे अब शत्रु की तरह ही लगता है यह जो भी है यह है तो मेल ना तो यह गलती होगा
08:11यह गलती होगा और कोई पुरुष ऐसा भी हो
08:19जिसके सामने सर जुकाया भी जा सकता वो उसके सामने भी नहीं जुकाईगी क्यूंकि उसके लिए हर पुरुष अब एक प्रतिद्वन्दी है शत्रू है
08:30एक तरह की क्लास कंफिलिक्ट पैदा कर दिये
08:32और मेल है ना
08:35मेल है तो अच्छा नहीं हो सकता
08:39मेल है तो अच्छा नहीं हो सकता गलबड़ी होगा
08:42यह होता है अधूरा ग्यान इसके आगे की जो बात है वो बता ही नहीं गई आगे की बात यह है
08:50कि पुरुष ने तुमको देह बना बना करके बंधक बना दिया
08:56पुरुष ने तुमको बंधक बनाया इस्त्री की देह कहकर करके
09:03तो मुक्ति ये है कि तुम अब देह बनकर न जियो
09:10पर वो पहले भी एक इस्त्री थी जो की पुरुष की दासी थी
09:22और उससे पलट करके उससे विपरीज जाकर कि अब हिसाब बराबर करने के लिए
09:28वो अभी भी रहना एक स्त्री ही चाहती है पर पुरुष की स्वामिनी बनकर
09:32क्याती ऐसे हिसाब बराबर हो जाएगा पहले तुमने हमें दबाया अब हम जिस भी तरीके से होगा
09:39तुम्हारी बराबरी कर रहे है इक्वैलिटी की बात होती है ने फेमिनिसम में क्याते है अब हम बराबरी कर रहे है तो अब हम तुम्हें भी दबा सकते हैं
09:45पर दोनों ही हालत में पहले हो चाहे अब हो
09:49identified तो मैं अपने gender से ही रहूँगी और अपनी body से ही रहूँगी
09:54यह है हालत
09:56तो अगर आप identified अभी भी अपनी body से हो तो वास्ताव में कुछ बदला है नहीं
10:01आपने बस यह करा है कि exploited का रोल छोड़ करके अब आप कह रहे हो कि मौका मिलेगा तो हम भी
10:09exploit कर लेंगे आपने रोल बदला है center नहीं बदला अपना
10:15बात आ रही है समझ में और जो अपने आपको victim कह लेता है न वह जानबूज करके अपने भीतर की
10:28समवेदन शीलता मारने लग जाता है वो कहता है कि मैं अभी तक victim रहा हूँ
10:33चोशित रहा हूँ तो अब आगे तो मुझे मारना पीटना है तो भीतर से फिर कठोर हो जाता है
10:42कठोर और कठोर होना कोई अच्छी बात नहीं है इसलिए नहीं कहा रहा हूँ कि
10:47इस तरी को नाजो को मल मुलायम होना चाहिए किसी के लिए भी भीतर से कठोर होना अच्छी बात नहीं है
10:52हालत ये हो गई है कि जो बहुत सारी है जो अपने आपको जिनों ने बहुत हो सकता है फेमिनिजम पढ़ा भी नहों
11:02पर एक चलन है अपने आपको रेडिकल फेमिनिस्ट बोलने का वो ऐसी हो गई है कि पुरुष कहीं पड़े हो उनका खून बैरा हो तो उनको बचाने भी ना जाएं
11:10इसने ना जाने कितनी औरतों का इतिहास में खून भाया है अभी सड़क पर पढ़ा है दुरगटना हो गई है मरने दो इसको पुरुष है ना
11:23ये भी तुम क्या बन कर सोच रही हो इस्तरी की देह बन कर ही सोच रही हो इनसान तो पहले तुमको किसी ने नहीं बनने दिया आप तुम खुद को इनसान नहीं बनने दे रही जबकि वास्तविक मुक्ति है कि देह स्तरी की हो पुरुष की हो तुम बन इनसान जाओ ये वा
11:53तुम कहतो बराबरी का मतलब यह है कि मैं भी आकरामक हो जाओंगी, बरबर हो जाओंगी, हिंसक हो जाओंगी, पुरुषों ने विश्योध लड़े हैं, मैं भी विश्योध लड़ूंगी, यह कौन सी बराबरी है?
12:03विवाह में आम तोर पर ऐसा चला है कि पुरुषों ने स्तिरियों को मारा है
12:14दहेज हत्याएं हम जानते हैं
12:19तो अब यह होने लग गया है कि
12:23मैं ऐसा उसके उपर
12:28मानसिक दबाव बना दूँगी कि वो लटक भी जा लटक भी गया तो
12:33तुमने भी तो नजाने कितनी लटकियों को दहेज के लिए जला कर मारा था न
12:42तो थोड़ा सा तुम पर भी पलटकर वापस आना चाहिए यह कैसा विचार
12:49आधुनिकता आपको मुक्ति नहीं देगी
12:58अगर आप महिला हैं तो आपसे कह रहा हूं कि सिर्फ आधुनिक
13:02आप व्यवहार करने लग जाएं आधुनिक कपड़े पहनने लग जाएं भाषा शैली यह सब आपकी आधुनिक हो जाएं तो उससे आप आधुनिक नहीं हो जाते
13:12modernity की जो शास्त्री परिभाशा है वो भी है freedom of thought से संबंधित
13:20freedom के इंदरी यह बात है जो भीतर से मुक्त हुआ बस वही modern है अगर आप अपने आपको modern बोलना चाहती हैं
13:31तो आपको अध्यात्मिक होना पड़ेगा जो अध्यात्मिक है सिर्फ वही modern है यह कैसी बात अध्यात्मिक लोग तो पीछे वाले होते हैं न बाबाजी की लुंगी टाइप
13:44उन्हें तो यही देखा है अध्यात्मिक माने वह जो आज से 1000 साल पहले के कपड़े बहन के चले और आज की सबसे modern महंगी गाडी में
13:55लेकिन कपड़े होने चाहिए 1000 साल पहले के तभी तो वह अध्यात्मिक कहलाता है
14:01नहीं
14:04आधुनिक अधुना से आता है अधुना माने अभी जो तथियों में जीता है वो आधुनिक है जो सत्य का सम्मान करता है वो आधुनिक है
14:22जो अतीत का कुड़ा नहीं ढोरा वो आधुनिक है जो मुर्खता से मुक्त है चाहे वो मुर्खता परंपरा की हो चाहे शरीर की हो जो मुक्त है वो आधुनिक है
14:38पुरुष बेवकूफी करते रहे हैं वही बेवकूफियां आप भी दहराएं तो आप आधुनिक नहीं हो गई
14:50पुरुष रिष्टों में शोशक रहे हैं कठोर रहे हैं आप भी रिष्टों में शोशक हो जाएं कठोर हो जाएं तो आप आधुनिक नहीं हो गई
15:08पुरुष चालाकी करकर के और कलाईयां उमेठ उमेठ के दहेज वसूलते रहे हैं
15:20आप भी किसी की कलाई मरोड की एलिमनी वसूलें तो आप आधुनिक नहीं हो गई
15:24बात समझ में आ रही है ये टिट फॉर टैट वाला मामला आपको आधुनिक नहीं बना देगा
15:38पहले इस तरी के शरीर की कमजोरी का इस्तिमाल करके पुरुष कहता था कि क्योंकि तब बहुत ज़्यादा
15:53एनरजी का कोई सोर्स होता नहीं था तो मस्कुलर एनरजी बड़ी बात होती थी मस्कुलर एनरजी पुरुष के पास ज़्यादा है
16:00तो इस तरी को कह सकता था कि तुम ये छोटे मोटे काम करो, बड़े काम खेत के हैं, वो मैं करता हूँ
16:05तुम घर कैसा फाइफाई करो, खाना ना बनाओ, ये छोटी एनर्जी के काम है, बड़ी एनर्जी का काम है, हल चलाना वो मैं करूँगा
16:12तो इस तरी के शरीर का इस्तेमाल करके पुरुश उसको दबा लेता था, उस पर च्छा जाता था
16:27अब आधुनिक्ता के नाम पर आप अपने शरीर को हतियार की तरह इस्तेमाल करो, वेपनाईज करो
16:35क्योंकि वासना के तल पर पुरुशों को ज़्यादा आसानी से उत्तेजित किया जा सकता है, इस्तेरियों की तुलना में
16:45तो कहो जिस शरीर की कमजोरी का तुने फाइदा उठाया है, मैं उसी शरीर का इस्तेमाल करके सेक्शूल तरीके से तुझको दबा दूँगी, तो यह आधुनिक्ता नहीं हो गई
16:58और यह आधुनिक्ता के नाम पर खूब चल रहा है, सेक्शूलिटी का वेपनाईजेशन, शरीर को हतियार की तरह इस्तेमाल करो, जुकेगा, बंदा जुकेगा, कैसे नहीं जुकेगा, सेक्सी बॉड़ी दिखाऊंगी जुकेगा, और फिर मैं जो चाहूंगी करेगा, मु
17:28अधियार है, और यही पहले मेरी कमजोरी थी, लाइबिलिटी थी, अब यही मेरा वेपन है, यह आधुनिक्ता नहीं है, यह तो जो पुराना ही काम चल रहा था, वही चल रहा है, बस शिक्का पलट दिया आपने, पर शिक्का वही आदिम पुरातन पाश्विक शिक्का ही �
17:58आप गीता पढ़ती हो
18:05आप खुद भी मुक्त जीओ और दूसरे को भी मुक्त दो
18:09यह आधो निखता है
18:10ना किसी से डरेंगे ना किसी को डराएंगे
18:16ना किसी से दबते हैं ना किसी को दबाएंगे
18:19यह आधो निखता है
18:20हाँ
18:24प्रेम है अगर
18:28और सच्चाई है अगर
18:30तो जरूरत पड़ी तो
18:31जान भी दे देंगे
18:33लेकिन डर के नहीं
18:35दब के नहीं
18:37जितना परंपरा से
18:44कोई इस्तरी करती आई है
18:46दूसरे के लिए
18:47हम उससे ज्यादा भी कर सकते हैं
18:49अधोने कोने का ये मतलब नहीं
18:52ये किसी दूसरे के लिए कुछ नहीं करना
18:53जितना आश्तक होता आया है
18:55ये तो छोड़ो कि उसकी बराबरी करेंगे
18:57हम उससे ज्यादा भी कर सकते हैं किसी दूसरे के लिए
18:59लेकिन सिर्फ
19:00बोध में करेंगे प्रेम में करेंगे
19:03किसी ऐसे
19:05उद्देश्य के लिए करेंगे
19:07जो इस लायक है कि उसके सामने
19:10सर जुका सको
19:10सेवा करना
19:19कोई हीन बात नहीं होती है
19:21पर सेवा करने में और दासता करने में
19:25अंतर होता है
19:26पुछ मैं आरी ये बात
19:30मुक्ति का मतलब
19:35अपने हिसाब से
19:37अपने स्वार्थ के लिए
19:38किसी आधुनिक विचारधारा का
19:42या प्राचीन गरंथ का अर्थ कर लेना नहीं होता
19:45मुझसे आकर कुछ बोलते हैं
19:51बोलते हैं देखिए
19:52बाकी सब बढ़ियां है बहुत अच्छा है
19:54मैं चात्र हूँ आपका गीता में
19:57लेकिन मेरी पतनी जी जिनने मैं नहीं जोडा था
20:01वो बाहर का काम तो कभी कुछ करती ही नहीं थी पूरी जिंदगी
20:07कभी जिन्दगी में उन्होंने बाहर कुछ करा नहीं और कुछ हट तक मैं भी जिम्मेदार हूँ
20:12मैंने भी ना उनको और पढ़ाया ना प्रेरित करा कि तुम जाओ बाहर नौकरी वेरा करो
20:16तो बाहर नौकरी करना
20:18तो कभी है यह नहीं समिकरण में
20:22हाँ घर का काम वो कुछ कर लिया करती थी तो अब वो घर का काम भी नहीं करती यह उन्होंने गीता का अर्थ समझा है
20:32यह उन्होंने गीता का अर्थ समझा है कि बाहर का भी कुछ नहीं करेंगे और घर का भी कुछ नहीं करेंगे
20:40यह तो मेरे मत्थे मत डाल देना
20:52मैं तो संघर्षव में उतरने के लिए बोलता हूँ न, मैं सीमाओ, कुछ चुनौती देने के लिए बोलता हूँ, मैं कहता हूँ, निकलो संघर्ष करो, या मैं कहता हूँ कि और ज्यादा अराम करो,
21:07और जिन्हें जंदगी में अच्छा होना होता है, वो भले ही जान भी जाएं, कि तत्थ है कि कोई किसी दूसरे ने हमारा नुकसान करा है, पर वो बहुत दिनों तक दूसरे को दोश देते नहीं बैठे रहते,
21:22वो कहते हटाओ अब जो हुआ से हुआ, मुझे तो अपनी जंदगी जीनी है, मुझे देखना है कि मैं आगे कैसे बढ़ूं, वो यहीं नहीं कहते रहेंगे कि पति देओ, तुम्हारी हो जैसे मैं पढ़ लिख नहीं पाई, 18 की थी तभी तुम मुझे उठा लाए, और 19 की
21:52होंगी अब, नहीं, ठीक है एक सीमा तक पता होना चाहिए कि जो काम हुआ उसका कारण क्या है, किसी का दोश पता भी चल जाए, तो हो गया पता चल गया, अब आगे तो अपनी जंदगी जीनी है न, पति देओ नहीं पढ़ाया तो खुद पढ़िये, जीता का संदेश सं�
22:22पिता ने नौकरी नहीं करवाई, तो अब बाहर निकलिये, करिये, और नौकरी से मेरा अर्थ मातर ये नहीं होता कि पैसा खुद कवाने लगो, हालां कि वो भी ज़रूरी है, नौकरी से मेरा अर्थ होता है, जीवन को कुछ तो तुम अच्छा उदेश ये दो, फालतू कि
22:52जिन्दगी से भागिये मत दूसरे पर दोश डाल डाल करके, ये दिम्मेदार है, ये दिम्मेदार है, और हो सकता है आप जूट ना बोल रही हो, बिलकुल हो सकता है कि आपके पती दिम्मेदार हो, पिता दिम्मेदार हो, भाई दिम्मेदार हो, परंपरा दिम्मेदार हो,
23:22आप अपनी जिंदगी अपने हाथों में लीजिए।
23:26परिपक्क को होने के नाते अपनी जिम्मेदारी समझाल लिए।
23:29पहचानिए।
23:40आम तौर पर दूसरे पर दोश लगाया भी जाता है मुआवजे की मांग पे।
23:44किसी को बहुत बोले ना कि तुम जिम्मेदार तुम में जिम्मेदार उसको ऐसे सुनो मुआवजा दो मुआवजा दो
23:50भीतरी भीतर यह जो मांग आ जाती है मुआवजा उगाहने की इस मांग को छोड़िये
24:08गरिमा आत्मसम्मान बहुत बड़ी चीज होते हैं
24:11मुआवजे की जिन्दगी जीयोगे तो आत्मसम्मान खो बैठोगे
24:18बुरा लग रहा है
24:23यही है पुरुष है ना
24:31आज इसके असली रंग सामने आई गया है
24:37आज आचारे जी नहीं एक पुरुष बोल रहा है
24:47भेड की खाल में भेडिया आई गया सामने और वो भी एक ब्राह्मन पुरुष
24:54तुम्ही लोगों की बनाई मनुवादी विवस्था थी जिसने इस्त्रियों का सदा दमन करा
25:07अरे क्या होई नहीं सकता कि ये मन में ना आए
25:11तो क्या करना है
25:18जिंदगी पर बस दूसरों पर इल्जाम डालते रहना है
25:22और कहना है तुमने मेरा बहुत बुरा कर आया है चलो
25:25मुआफजा दो मुआफजा दो ये ही करना है इसमें कोई गरिमा है
25:29ये आपको बहुत भीतर से खोखला बना देगी चीज़
25:36और भूलिये अगर नहीं
25:47स्ट्रॉंग होने का मतलब आक्रामक होना नहीं होता
25:51आपको निश्चित रूप से एक मजबूत मनुष्य होना है
25:55पर मजबूती इसमें नहीं है
25:57कि अरे बहुत तेज तर्रार है
26:00बचके चलना
26:03वालत जपकते रैप्टा मारती है
26:06ये कौन सी मजबूती है भाई?
26:17उतना ज़ादा तेज तर्रार बनने की कोशिश करता है
26:19मैडम ची भहुत मॉडर्न है
26:27क्या है वो फ्रेमिनिस्ट और गेरा है
26:29किसी की नहीं सुनती
26:31जो किसी की नहीं सुने वो कोई अच्छा आदमी है
26:35बोलो जो किसी की नहीं सुनता
26:39फिर हो गीता की भी कैसे सुनेगा
26:40आधुनिक्ता का मतलब यह नहीं
26:45किसी की नहीं सुनना
26:46आधुनिक्ता का मतलब है विवेक
26:47पता होना चाहिए किसकी सुननी है
26:49और किसकी नहीं सुननी है
26:51किसी ने मेरे साथ बुरा किया
26:59अगर मैं एक बहतर इंसान बनी हूँ
27:04तो मैं कहूंगी क्षमा, जा
27:09जा, मैं अपनी उर्जा
27:13इन ख्यालों में नहीं
27:16जला सकती की बदला कैसे लूँ
27:18और नहीं लगातार गलानी में जल सकती हूँ
27:24की देखो मेरे साथ
27:25कितना बुरा हुआ, कितना बुरा हुआ
27:27क्षमा, जाओ
27:28मुझे मेरी जिंदगी देखने दो
27:31मुझे आज जीने दो
27:32मुझे समझने दो
27:33मुझे आज क्या करना है
27:34मुझे हिसाब बराबर नहीं करना है
27:36मुझे एक नया हिसाब तयार करना है
27:42एक नया हिसाब तयार करिए
27:46आप लोगों की वजह से
27:51मुझे पर लांचन लगनी लगे है
27:53ते रहे हैं कि ये
27:57अब जो
27:59कई कई हजार
28:01ये सब महिलाएं आपके साथ
28:02आप नहीं बिगाड़ा है
28:04और ये अभी कल की ही बात है
28:07शाम को
28:08एका परिचित महिला थी उन्होंने आकर कहा
28:11बोली ये है वो है
28:12बहुत बहुत सुनती हूँ आपको ऐसा है
28:15फिर अपनी सोसाइटी के बताएं कि आज सुबह ही
28:17प्रसूती के समय एक महिला की मृत्ती हो गई
28:19बोली उसी वक्त मुझे याद आया जो आपने कहा था
28:22ये जो पूरा फंक्शन होता है बर्थ का
28:24ये क्यों जरूरी है कि इस तरीके शरीर के भीतर ही किंद्रित रहे
28:28जब इसमें इतना खतरा होता और इसमें इतने तरीके के शारीरिक बर्डन आ जाते है
28:36बोली मुझे उसा बयाद आ रहा था
28:37तो धन्यवाद अगरा दिया ये सब करा
28:40फिर बोलती है लेकिन एक बात बोलनी है
28:42का क्या बनीगए डाटा करीए
28:44जो डाटने लाइक होगा उसे डाट भी देंगे
28:49अब मैं सब को एक जैसा तो नहीं सोच सकता कि सब महिला है
28:52तो माने सब महिला कई जैसे होगा
28:55कोई कोई सब अलग अलग होते हैं जहां जरूरत होगी वहां कुछ बोल भी दूँगा
28:58अब आपने आज सवाल ऐसा पूछ लिया कि जरूरत आ गई तो बोल दिया
29:06अरे यार जो काम एक अच्छे इनसान को शोभा नहीं देता
29:15जो काम इसलायक नहीं है कि एक अच्छा इनसान उसे करे कोई महिला वो काम करेगी तो वो काम अच्छा हो जाएगा
29:24बोलो ना
29:32पर हम सोचते हैं कि कई बार ऐसा हो जाता है हम सोचते हैं कि मैं महिला हूँ तो मुझे कुछ खास अधिकार है
29:39ऐसे नहीं
29:45मैं इसा कर सकती हूँ
29:48और पुरुषों ने भी जिन्हों ने क्योंकि महिलाओं के अधिकारों के लिए ज्यादा संघर्ष पुरुषों नहीं करा है
29:58बेटी के लिए अक्सर मां से ज्यादा बाप करके दिखाता है
30:05जहां होता है कुछ जहां नहीं होता हूं तो कुछ नहीं होता
30:07पर माँ से ज्यादा कई बार बाप सोचता है कि बेटी को कैसे आगे बढ़ाए
30:13तो उसमें यह हो जाता है कई बार कि घर में बेटी है और बेटा है
30:19तो बाप बेटी का बहुत पक्ष लेना शुरू कर देता है
30:22वो तो इसलिए लेता है क्योंकि उसको पता होता है कि उसके लिए खतरे कितने बड़े बड़े हैं
30:27तो इस कारण वो बेटी को थोड़े ज्यादा लाड़ देता है
30:37पर बेटी या बिगड सकती है
30:39तो इसलिए नहीं है कि फिर वो
30:44रोल रिवर्सल कर ले कि पहले मुझे
30:52गुंडों ने परिशान कर रहा था तो अब मैं गुंडी बन जाऊंगी
30:56कुछ समझ में आ रही है ये बात
31:09भला इंसान बनिये स्त्री पुरुष पीछे छोड़िये
31:15हूं हूं हूं है
31:20अचरेशी प्राणाम सर मेरा ये कोश्चन इसी से रिलेटेड कि कठूरता डर और बदलाव ये तीनो जैसे
31:30एक साथ ही चलते हैं कि जब बदलाव की बात आती है तो महिलाए बहुत जल्दी बदलाव स्विकार कर लेती है पछपन सही अगर दीखा जाए तो बच्ची ही रहती है और अगर उसको भाई' की जिम्मेदारी या परिवार की जिम्मेदारी आती है वह अपना बच्पन च�
32:00जब बदलाव पुरुष को करना होता है तो वो इतनी कठोर उनकी मेंटलिटी क्यों रहती है कि वो कोई अच्छा अगर बदलाव है तो वो भी वो नहीं करना चाहते हैं कहीं कोई अच्छी रहा है अच्छा कुछ उन्हें करना है जीवन में तो वो नहीं करना चाहते हैं तो �
32:30जिन्रलाइज कर दिया लेकिन हाँ महिलाओं को जिस तरह के बदलाव सुईकार करने पड़ते हैं वो हम समझ पा रहे हैं
32:41वो हम समझ पा रहे हैं पुरुष भी बदलाव सुईकार करते हैं पर वो दूसरे तरह के बदलाव होते हैं
32:50उदारहन के लिए पुरुष देश बदलना स्विकार कर लेगा
32:52पुरुष कहेगा कि मैं जा रहा हूँ, मैं पंजाब हर्याना का था
32:56मैं जा रहा हूँ, मैं अब कैनेडा में रहूँगा क्य Kollegin
32:58वहाँ मेरे निलिए भेतर भबिश्य है, वह उच स्विकार कर लेता है
33:01पर ये बात कम से कम उसने अपने निर्णे से करी होती है भले ही उसका निर्णे उसकी अपनी कामना से आ रहा हो
33:10वो देश बदल लेता है वहां उसकी अपनी कामना होती है लड़की को बच्पन से ही पता होता है उसे घर बदलना पड़ेगा
33:18यह सबसे बड़ा बदलाव होता है जो उसकी जिन्दगी में आता है कि उसको उखाड करके अब उसके घर से उखाड के उसे दूसरी जगे पर फेंक दिया यह आता है
33:27तो यह जो बदलाव स्वीकार करने वाली बात है यह आवश्यक रूप से कोई अच्छी बात नहीं है
33:35कि लड़कियां बदलाव स्वीकार कर लेती है इसमें से आधी तो मरता क्या ना करता वाली बात है
33:41नहीं स्विकार करोगी तो क्या होगा तुम्हें कहा जा रहा है कि घर छोड़ दो विजाई हो गई जाओ उधर नहीं जाओगी तो मावा भी निकाल देंगे
33:48इसमें आपके पास विकल्प थोड़ी है कि मैं बदलाव नहीं स्विकार करना है
33:54बेटी है
33:56दो तीन बेटियां कर ली थी बेटे की चाहत में अब वो पैदा हुआ है तो वो राजकुमार है तो तीनों बेहने मिलके उसको पाले और जरा सी भी उसकी रोने की आवाज आ गई तो तीनों बेहने थपड़ खाएंगी
34:11अब यह तुम स्विकार नहीं करोगी तो क्या करोगी थपड़ खाओगी तो ऐसा नहीं है कि महिलाएं बड़े प्रेम से और बड़ी स्विक्षा से बदलाव स्विकार करती हैं मजबूरी में स्विकार करती हैं महिलाएं मजबूरी में स्विकार करती हैं पुरुष कामना म
34:41शायद वो बहतरी के लिए स्विकार करती हैं, बहतरी अपनी चाहने के लिए भीतर अपनी सत्ता होनी चाहिए ना तब मैं अपनी बहतरी चाहूंगी, उनके भीतर उनकी सत्ता उनकी एजनसी होती ही बड़ी अविकसित है, महिलाएं तो ज्यादा तर ऐसी ही होती हैं बसकि हमा
35:11पर पड़ गया, वहां से कुछ और हो गया, पती के हाँ चली गई, पती ने कहा कि नहीं मुझे विदेश मिल रहा है, तो विदेश भी चली गई, अपना क्या है, अपना क्या है, उसकी अपनी जिंदगी, अपनी हस्ती तो होती नहीं है, तो बदलाव स्विकार कर लेना, मैं �
35:41तो आप अभी दास ही बने हुए हो, और बेगर्स कांट बी चूजर्स, तो आपको बोला गया, आप यहां जाओ, यहां जाओ, यहां जाओ, जहां जाने को बोला गया, आप चले गए, और पुरुष अपनी कामनाओं का दास है, महिला अपनी परिस्थितियों की दास है, प
36:11तो कुछ बदल थोड़े ही रहा है, भीतर की जो गुलामी है, जो दासता है, वो तो वैसी की वैसी है, सारे बदलाव बाहर हो रहे हैं, सारे बदलाव बाहर हो रहे हैं, क्या भीतर क्या बदला है, तो यह आप जो कहने लड़कियां बदलाव सुगार कर लेती हैं, कोई बदल
36:41आज कहा गया नहीं रास्ता बदलो तुम उधर जाओ ठनी मार्केट वहाँ दे चीजें ले करके आओ
36:47चवनी का ठनी हो गया दाएं का बाय हो गया पर क्या सचमुच बदला कुछ
36:51क्या नहीं बदला मैं कल भी गुलाम थी मैं आज भी गुलाम हूँ तो कुछ नहीं बदला यही बात पुरुशों पर भी लागू होती है
37:00आज इस नौकरी में थे, कल उस नौकरी में जा रहे है
37:04घर की महिला बहुत नहीं जम रही तो बाहर भी कहीं कुछ कर रहे है
37:10ऐसा लग रहा है बाहर चीज़ें बदल रही है, शहर बदल रहा है, नौकरी बदल रही है
37:15ये वो 50 सीज़ें बदल रही है
37:17भीतर तो कुछ नहीं बदला न
37:18बाहर के बदलाव
37:21भ्रामक होते हैं
37:25बाहर ही बदलावों से यह नहीं समझना चाहिए
37:27कि कुछ बदल रहा है
37:28भीतर हमारे जो ठोस अहंकार
37:31बैठा होता है वो नहीं बदलता
37:33इस्तरी के मामलों में ज्यादा तर
37:35वो अहंकार मजबूरी का रूप ले लेता है
37:37I am a helpless victim
37:40और पुरुष के मामली में वो अहंकार
37:43ज्यादा तर
37:44एक कामना का रूप ले लेता है
37:47I am a desirous achiever
37:49I am a helpless victim
37:52I am a desirous achiever
37:54और इस के इंदर से
37:56वो अपनी स्थितियां बदलती पाती रहती है
37:58और वो पाता है उसकी भी बाहरी स्थितियां बदल रही है
38:00बाहर बाहर बदल रहा है
38:02भीतर जो कुछ है वो थोड़ी बदल रहा है
38:04तो महिलाएं अपने आपको इस बात का श्रेयतों कदापी न दें
38:09कि हम बहुत तेजी से बदलाव सुईकार कर लेते हैं
38:12आप सुईकार नहीं करते हो
38:13आप मजबूर हो
38:17और आप अपनी उस मजबूरी के खिलाफ कोई संघर्ष भी नहीं करते हो
38:21आप कहते हो हवाई मुझे जहां उड़ा कर ले जा रही है
38:26मैं तो उड़ गई
38:27हाँ
38:28कुछ साथ में सुईदाई मिल जाती है उड़ जाने से
38:32बदलाओ हमें चाहिये
38:44भीतरी और उस भीतरी बदलाओ
38:46कि आसपास फिर जो बाहरी बदलाओ बहुत अच्छे हैं
38:50पर बाहर बाहर चीजें बदल रही हैं
38:52बदल रहा है शहर बदल रहा है कपड़ बदल रहे हैं पर भीतर कुछ नहीं बदल रहा है तो सब बेकार है
39:04प्रणाम आचारे जी
39:07सबी बातों के प्रश्न
39:10सबी जवाब मोजूदी है
39:14बस
39:17अनन्त प्रेम है अपसे इसलिए कुछ लिखा है और
39:21सिर्फ
39:22दो तीन पंक्तियां हैं
39:24बुद्धी में ज्यान की चमकिली धार आपने दी
39:27लोकधर्म
39:28जिसके आज ज़्यादातर बाती हुई है
39:30लोकधर्म को काटने
39:32और इसे समारने की ताकत बेशुमार आपने दी
39:35निराश हो निर्मम बनो
39:37ताप रहित बस युद्ध हो युद्धस्व की यह शिक्षा आपने दी
39:41कहानियां और वेदों के पीछे चिपे प्रतीकों की सच्ची समझ आपने दी
39:47आत्मा को विवेक पुर्वक मुझ एहंकार ने स्वामी बनाया
39:52कि एसिक्षमता अपार आपने दी आपने कभी जी को सहब गहा है और मेरे लिए आप सहव है
40:11तधन्यवाल प्र कि मिलीब्र अचार्य जी आपको में सामने से देख वा Therapy हूँ अदो सपनी जैसा है
40:20के लिए समने जैसा है मैंने सोचा नहीं था कि मैं अपने जीवन में सामने से देख पाऊंगी protected मेरे मन में ठाकि मोस्का है दिल्ली आओंगी कुरी कोशिछ कर आपका बहुथ
40:31बहुत धन्यवाद और पूरी टीम का बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहूंगी जिन्हों ने ये कारेक्रम भोपाल में आयोजित किया और मेरी एक बहने जो सेडोल जिले से आई है पुरा सफर करके सिर्फ आपको सामने से सुनने के लिए सर मैं उसे भी मिलवाना चाहती हू
41:01तो मैं रूरल एरिया में काम करती हूं वहां के जितने भी बच्ची बच्चियां हैं सभी को मैं प्रेरित करती हूं कि वो कराटे प्रशिक्छनली और जितना भी हो सकता है सर गीता की भी मैं चर्चा करती हूं और जो भी कर रही हूं सर उसकी प्रेरिना शो शिर्फ और सिर
41:31बहुत बहुत धन्यवाद हम सब की तरफ से सायद सब को मौका ना मी ले सर लेकिन मैं सभी की तरफ से आपको तहे दिल से बहुत बढ़ा धन्यवाद पूरे टीम को देना चाहूंगी सर प्रणाम सर

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