शंख केवल एक वाद्य यंत्र नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और विजय का प्रतीक है। भगवान विष्णु ने इसे धारण किया, जिससे यह शक्ति, शुद्धता और शुभता का प्रतीक बना। शंखनाद से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता का संचार होता है। इसे बजाने से वातावरण में दिव्य तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती हैं।
🔱 जहाँ शंखनाद गूंजता है, वहाँ कल्याण और विजय निश्चित होती है! 🔱
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00:00भगवान विश्णु का यह शंख पौँच जन्य कहलाता है। जब भी धर्म की रक्षा के लिए युद्ध हुआ, इस शंख की ध्वनी से अधर्मियों में भय उत्पन्न हुआ और धर्म के रक्षक प्रेरित हुए। भगवान विश्णु का यह शंख समुद्र मंथन के दौ
00:30आज भी हर शुब कारे और पूजा में शंख बजाया जाता है। इसकी ध्वनी से नकारात्मक उर्जा दूर होती है और वातावरर में शुद्धता एवं दिव्यता आती है। शंख केवल एक वाद्धी अंत्र नहीं बलकि इश्वरिय उर्जा का प्रतीक है जो हमें धर्म