जब शिव बने नीलकंठ: हलाहल विष की कथा" ।"समुद्र मंथन पार्ट 1
Disclaimer यह कहानी धार्मिक और पोराणिक मान्यताओं पर आधारित है मन्नु टीवी ऑफिशल इसकी पुष्टि नहीं करता है
डिस्क्रिप्शन: "समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष प्रकट हुआ, तो उसकी घातक शक्ति से तीनों लोकों का विनाश निश्चित हो गया। देवता और असुर भयभीत होकर भगवान शिव की शरण में पहुंचे। महादेव ने अपनी करुणा और साहस का परिचय देते हुए विष को अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे 'नीलकंठ' कहलाए। यह कहानी भगवान शिव के त्याग, बलिदान और समर्पण की है, जो हमें सिखाती है कि महान आत्माएं अपने बलिदान से संसार की रक्षा करती हैं। इस पौराणिक कथा को सुनें और महादेव की महिमा को जानें।"
00:00समद्र मन्थन के दौरान सबसे पहले प्रकट हुआ अलाहल विश। यह विश। इतना घातक था कि इससे तीनों लोकों का विनाश हो सकता था। विश के प्रभाव से देवता और असुर दोनों घबरा गए। सभी ने समाधान के लिए भगवान शिव की शरण ली। भगवा
00:30इस घटना ने हमें सिखाया कि जब संसार संकट में हूँ तो महान आत्मा एं अपने त्याग और बलिदान से उसे बचाती है।