00:00उद दिसरों से अलगता, कभी किसी से बहस ना करता, कभी किसी बात में दखल ना देता, बस खामोश से अपना काम करता
00:09सान्य कोशोरों में अपाक की खामोशी अजीब लिखती थी, मगर वक्त के साथ इसे महसूस हुआ
00:14कि ये खामोशी एक दुख से बरी हुई है, एक दिन स्टाफ रूम में दोनों तनहा थे, सान्य ने हिमत करके पूछ लिए अपाक साथ, आप हमेशे इतना खामोश क्यों रहते हैं
00:25अपग ने हलकी सी मुस्कुराहिट के साथ जवाब दिया, जब आप अपने जिन्देगी के सब कुछ को देते हैं, तो बोलने के रहे कुछ बाकी नहीं रहता, ये जवाब सान्य के दिल को चो गया
00:36आएसाएसा दोनों के दर्मियान खामोशी में एक खास तालुक जनम लेने लगा, बगिर कुछ कहे, दोने एक दुसरे के महसूस करने लगे, वो खामोश दो आए, वो चोटी से मुस्कुराहिट, वो एक नज़र सब कुछ कह जाते थे, पिर एक नपाक निसाने से कहा, मिरे
01:06आ रही है, साने ने एक गांकों में नम्यागी, उसने अपाक कहा, ताम कर कहा, कभी कभी जो तूटते हैं, वही दुसरे को जोलना सीखते हैं, मैं तुम्हे जिन्दगी दुबारा जीने कहा, वसला देना चाहती हूँ, कुछ महीनों बाद दोनों का निकासादगी से हुआ,
01:36नहीं होता, कुछ जख्म लबजों से नहीं, सिर्फ खामोशी साथ से बरती है, और सची महबत वही है, जो लबजों की मुताजना हो, ड्रामा सीरल के हवाले से अपने राए की जहार लाजमी के मन करें, साथ में हमरा यटूब का चीनल सब्सक्राइब का न मत बुलिए, ते