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  • 2 days ago
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00:00तुम्हारा सक बिल्कुल ठीक था
00:11ये दवाईयां से पागल बनाने के लिए दी जा रही है
00:15और इनकी इतनी खतरनाक इस ट्रेंट है
00:18कि अगर शेर की जगा कोई और होता तो शायद अब तक मर चुका होता
00:22इसका बीबी हाई होता है लेकिन तो कुछ से में नॉर्मल हो जाता है इसका क्या मतलर में अपका ड्युटी टाइम तो खतम नी हो चुका अब भूल गई थी ना आज पूरा दिन बेन अब थाजी के पेशन के साथ ती तो बिल्कुल ही सहन से निकल गया मेरे स्टें मैं वापस
00:52में आज़ता है राम से बंदा सिंदा हो तब ही जिम में जरूरी है मर जाहे तो इसके और भी वाकत उसके सामने में अश्याती है जमीन बेशने कैसे निबशने भई हमारा नाम है मारी शान है मारे रूब है यह तकलीफ ख़तम लिम सकती क्या कुछ भी होने में वक्त लगता
01:22तो जो प्रीस खतम वोड़ी है ना
01:28इस रवह तो दखता है कि मलिक
01:31इमसे जमीन चीनी देंगे वावी
01:35और अबबाजी के खाब दूरे रह जाएंगे
01:37तुमारे रिपोर्टस आगई है मैनेजर चेक करवाई थी
01:41हाँ?
01:42तुमें बहुत खतरना केमिकल्स दिये जा रहे मैडिसन के नाम पर
01:46इनसान को मारते तो नहीं है लेकिन इसका ब्रेन डैमिज कर देते है
01:49या जबूरते इस पुराने फसाद में पढ़ने की
01:53फसाद में ही है
01:54एक जद्धी पुष्टी चीज है जो बरसों से हमारे पास चली आ रहे है
01:59और मेरे शोहर ने मेरे नाम किये
02:03तो मैं भी तो थाबित करो ना कि मैं समानत को रखने के एहल हूं
02:07यह ना ओना कि दुनिया कहे कि
02:09रईस शाह जमान के मत्ते ही और बेटे के बिमार होते ही
02:12होते ही उनका माल फी सबीलिल्लह बटने लगा
02:18चाची आपको पाकस्तान आना ही होगा
02:20मैं आपके बगए शेर को वहां से बाहर नहीं निकाल सकती
02:28पाकस्तान
02:31पाकस्तान आना पड़े
02:36देखने को तुमसे मिलने को करता है
02:40ये बेचैनी बेता भी मेरी समझ से बाहर है
02:44अब तुम्हारे बारे में सोचता हूँ तुम दिल की डड़का नित्यस हो जाती है
02:48मुझे साफ साफ सुना ही देती है
02:52तुम्हें तो इस बात की भी खबर नहीं कि मैं
02:56तुम्हारे लिए कितना बेकरार
03:10मैं सब तो दिल की यही असरत है दूआ
03:16कि तुम्हें से मिलके तुम्हें अपना बनाना है
03:18तुम्हें तुम्हें यही फीलिंग्स कभी पता नहीं होगा
03:24अगर वो कहते हैं ना कि अगर नियत अच्ची हो तो मकसद हासिल हो जाता है
03:34मैं तुम्हारा इंतिसार करूंगा
03:39मैं तुम्हें तुम्हें
04:09लगता तुम्हें
04:33हुआ
04:37तानी क्या सोच रहे हूंगे मेरे बारे में
04:52क्या करतीया मैंने अपनी साथ
04:54हर निगा में शक
04:57हर निगा में चुबन
05:02एले विवर्जी ज्रामर सीरियली के आगाज में आप देखेंगे
05:05बासित एक मतमूल मगर हसास नौजवान
05:07जो अपने वालिद के कारूबार से दूर रहकर
05:10खुद कुछ बनाना चाहता है
05:11सारा एक मतवस्थ गराने के बाहिमत लड़की
05:15जो अपने खुआबों और खानदान के दरमयान तबाजन रिखती है
05:18सारा एक कालेज में सकालर्शीप पर पढ़नी वाली तारबा है
05:22जो अपने बाप के चोटे कारूबार में हाथ हटाती है
05:26और साथ साथ अपने खुआबों को पूरा करने के लिए अन तक मेहनत करती है
05:32बासित जो एक दोलत मन खंदान से तालुक रखता है इसी कालेज में दाखिल होता है
05:38मगर वो चाहता है कि लोग उसे इसके बाप के नाम से नहीं इसके अपने काम से पहचाने
05:44दोने की पहले मुलाकात एक डिबिट मुकाबले में होता है
05:48और वो एक दूसरे के मुखालिब होते हैं
05:52सारा सचाई की तरफ दारी करती है
05:54जब कि बासित मौका परस्ती का दिपा करता है
05:57वीवर्ज, इन दूरे के तालुक के शरुवाद किस तरह होती है
06:02तो बासु मुबाहिसे के बात एक एसा लमहा आता है
06:06जब बासित सारा के एक परिशानी में मदद करता है
06:08और वहाँ से दोनों का रिश्टा एक अजीब खामोशी में जुडने लगता है
06:13बासित सारा के खुद्धारी से मतासिर होता है
06:15जबके सारा को बासित की चुप हुए नर्मी और खलूस चू जाता है
06:19बासित के वालिद मुर्शद इंडस्ट्रीस के मालिक सारा को निच तपके के लड़की समझ करें के रिष्टे के खिलाब होते है
06:27सारा का बाई क्यों लगता है कि बासित जिसे लोग सिर्फ दिल लगी करते है
06:32और वो अपने बेहन के हिपाज़त के लिए सकत रवी इख्यार करता है
06:35बासित को कमनी संबालने के लिए वापस जाना पड़ता है
06:39और वो सारा से वादा करता है कि जब सब कुछ टीक हो जाएगा वो लोट आएगा
06:44दो साल गुदर जाने के बाद सारा अब एक खुद मुखतार टीचर और राइटर बन चुकी है
06:51मगर वो अब भी रोज बासित की दी हुई खाली डायरी को देखती है
06:56जिसने जाते वक्त दीती ये कहकर इसमें हर वो बात लिकना जो तुम मुझसे कहना चाहूं
07:02मैं लोटकर पढ़ूंगा
07:04एक रोज सारा लाइबरीरी में लेक्चर दे रही होती है
07:08और दर्वाजे पर एक शख्क्रा होता है बासित
07:11वो हाथ में वही डायरी तामे कहता है
07:14मैं हर लब्स पढ़ने आया हो
07:16और अब वो अपनी बात लिकने आया हो
07:19दोनों के आँकों मैं आस वा होते है
07:21मगर लबो पर खामोश वादे पूरे होने की तसली
07:24तो वीवर्ज मरकेजी पगाम
07:27मुहबत सिर्फ लब्सों से नहीं
07:29खामोश वादों से नहीं बाए जाती है
07:31सच्चाई और खुदारी के भी तनहां नहीं रहती
07:33वक्त अगर इहसास से बरा हो
07:37तो पासला भी रिष्टा वन जाता है
07:39रामस सिर्फ के हवाले से अपने राए के ज़हार लाजमी करें
07:43साथ में हमारा योटूब का चीनल
07:44सब्सक्राइब करना मत बूलिए
07:46तेंक्स पर वाचिंग
07:47लाहाफेज
07:48रामस सिर्यली के आगाज में आप देखेंगे
07:51बासीत एक मतमूल मगर हसास नौजवान
07:53जो अपने वालिद के कारूबार से दूर रहकर
07:56खुद कुछ बनाना चाहता है
07:58सारा एक मतवस्थ गराने के बाहिमत लड़की
08:02जो अपने खुआबों और खुआबों के दर्मयान तबाजन रुखती है
08:05सारा एक कालेज में स्कालर शीप पर प्ढ़नी वाली तार्बा है
08:09जो अपने बाप के चोटी कारूबार में हाथ हटाती है
08:12और साथ साथ अपने खुआबों को पूरा करने के लिए अन तक मेहनत करती है
08:18बासित जो एक दोलत मन खंदान से तालुक रखता है इसी कालज में दाखिल होता है
08:24मगर वो चाहता है कि लोग उसे इसके बाप के नाम से नहीं उसके अपने काम से पहचाने
08:30दोने की पहले मुलाकाँ एक डिबिट मकाबले में होता है और वो एक दुसरे के मुखालिप होते है
08:37सारा सचाई की तरब दारी करती है जब कब बासित मोगा परस्ती का दिपा करता है
08:44वीवर्ज इन दोने के तालुक के शुरुआत किस तरह होती है
08:49तो बासो मुबाहिसे के बात एक एसालम हा आता है जब बासित सारा के एक परिशानी में मदल करता है
08:55और वहाँ से दोनों का रिश्टा एक अजीब खामोशी में जुडने लगता है
08:59باسید سارے کے خودداری سے متاثر ہوتا ہے
09:02جبکہ سارہ کو باسید کی چپ ہوئی نرمی اور خلوص چو جاتا ہے
09:06باسید کے والد مرشد انڈسٹریز کے مالک
09:09سارہ کو نچ تبکے کی لڑکی سمجھ کر
09:12ان کے رشتے کے خلاف ہوتے ہیں
09:13سارہ کا بھائی کیوں لگتا ہے
09:16کہ باسید جیسے لوگ صرف دل لگی کرتے ہیں
09:18اور وہ اپنے بہن کی حفاظت کے لئے
09:20سخت رویہ اختیار کرتا ہے
09:22باسید کو کمنی سنبھالنے کے لئے
09:24वापस जाना पड़ता है
09:25और वो सारा से वादा करता है
09:27कि जब सब कुछ टीक हो जाएगा
09:29वो लोट आएगा
09:30दो साल गुदर जाने के बाद
09:33सारा अब एक खुद मुखतार
09:35टीचर और राइटर बन चुकी है
09:38मगर वो अब भी
09:39रोज बासित की दी हुई
09:41खाली डायरी को देखती है
09:42जिसने जाते वक्त दीती
09:44ये कहकर इसमें हर वो बात लिकना
09:47जो तुम मुझ से कहना चाहूँ
09:48मैं लोट कर पढ़ूंगा
09:50एक रोज सारा लाइबरीरी में
09:53लेक्चर दे रही होती है
09:54और दर्वाजे पर एक शखस कड़ा होता है
09:57बासित
09:57वो हाथ में वही डायरी तामे कहता है
10:00मैं हर लब्स पढ़ने आया हो
10:02और अब वो अपनी बात लिकने आया हो
10:05दोनों के आँकों में आस वहते हैं
10:07मगर लब्स पर खामोश वादे पूरे होने की तसली
10:11तो वीवर्स मरकेजी पगाम
10:13महबत सिर्फ लब्स वादों से नहीं खामोश वादों से नहीं बाए जाती है
10:17सचाई और खुदारी के भी तनहां नहीं रहती
10:20वक्त अगर इहसास से बरा हो
10:23तो पासला भी रिष्टा बन जाता है
10:25रामस सिर्यल के हवाले से अपने राएक इज़ार लाज़मी करें
10:43चाहता है सारा एक मतवस्थ गराने के बाहिमत लड़की
10:48जो अपने खुआबों और खुदान के दर्मयान तबाजन रखती है
10:51सारा एक कालेज में स्कालर्शी पर पढ़नी वाली तालबा है
10:55जो अपने बाप के चोटे कारुबार में हाथ हटाती है
10:58और साथ साथ अपने खुआबों को पूरा करने के लिए अन तक मेहनत करती है
11:05बासित जो एक दोलत मन खंदान से तालुक रखता है
11:09इसी कालेज में दाखिल होता है
11:10मगर वो चाहता है कि लोग उसे इसके बाप के नाम से नहीं
11:15उसके अपने काम से बेचाने
11:16दोने की पहले मुलाकात एक डिबिट मुकाबले में होता है
11:21और वो एक दूसे के मुखालिब होते है
11:24सारा सचाई की तरफ दारी करती है
11:26जब कबासित मौका परस्ती का दिपा करता है
11:30वीवर्स इन दोने के तालुक के शुरुआत किस तरह होती है
11:35तो बासो मुबाहिसे के बात एक एसालम हा आता है
11:38जब बासित सारा के एक परेशानी में मदल करता है
11:41और वहाँ से दोनों का रिष्टा एक अजीब खामोशी में जुडने लगता है
11:45बासित सारा के खुदारी से मतासिर होता है
11:48जबके सारा को बासित की चुप हुई नर्मी और खलूस चू जाता है
11:52बासित के वालिद मुर्शद इंडस्ट्रीस के मालिक
11:55सारा को निच तबके के लड़की समझ कर इनके रिश्टे के खिलाब होते है
12:00सारा का बाई क्यों लगता है कि बासित जिसे लोग सिर्फ दिल लगी करते है
12:04और वो अपने बेहन की हिपाज़त के लिए सखत रवी इख्यार करता है
12:08बासित को कमनी संबालने के लिए वापस जाना पड़ता है
12:11और वो सारा से वादा करता है कि जब सब कुछ टीक हो जाएगा वो लोट आएगा
12:17दो साल गुदर जाने के बाद सारा अब एक खुद मुखतार टीचर और राइटर बन चुकी है
12:24मगर वो अब भी रोज बासित की दी हुई खाली डायरी को देखती है
12:28जिसने जाते वक्त दीती ये कहकर इसमें हर वो बात लिकना जो तुम मुझ से कहना चाहो
12:35मैं लोट कर पढ़ूंगा
12:36एक रोज सारा लाइबरीरी में लेक्चर दे रही होती है
12:41और दर्वाजे पर एक शख्छ कड़ा होता है बासित
12:44वो हाथ में वही डायरी तामे कहता है
12:47मैं हर लब्स पढ़ने आया हो और अब वो अपनी बात लिकने आया हो
12:51दोनों के आँखों में आसुआ होते है
12:53मगर लब्स पर खामोश वादे पूरे होने की तसली
12:57तो वीवर्ज मरकेजी पेगाम महबत सिर्फ लब्सों से नहीं
13:01खामोश वादों से नहीं बाए जाती है
13:03सचाई और खुद्दारी के भी तनहां नहीं रहती
13:06वो वक्त अगर इहसास से बरा हो
13:09तो पासला भी रिश्टा बन जाता है
13:11रामसिल के होले से अपने राए के ज़ार लाजमी कमाने करें
13:15साथ में हमारा योटूब का चीनल सबस्क्राइब करना मत बूलिए
13:18तेंक्स पर वाचिंग अलाहाफ़ज
13:20पहले वीवर्जी ज़्रामसिल के आगाज में आप देखेंगे
13:23बासित एक मतमूल मगर हसास नौजवान
13:26जो अपने वालिद के कारूबार से दूर रह कर खुद कुछ बनाना चाहता है
13:30सारा एक मतवस्थ गराने के बाहिमत लड़की
13:34जो अपने खुआबों और खनादान के दरमयान तबाजन रिखती है
13:37सारा एक कालज में सकालर्शीप पर पढ़नी वाली तालबा है
13:41जो अपने बाप के चोटे कारूबार में हाथ हटाती है
13:45और साथ साथ अपने खुआबों को पूरा करने के लिए अन तक मेहनत करती है
13:51बासित जो एक दौलत मन खनादान से तालुक रखता है
13:55इसी कालज में दाखिल होता है
13:57मगर वो चाहता है कि लोग उसे इसके बाप के नाम से नहीं इसके अपने काम से पहचाने
14:03दोने की पहले मुलाकात एक डिबिट मुकाबले में होता है
14:07और वो एक दूसे के मुखालिप होते है
14:10सारा सचाई की तरफ दारी करती है
14:13जबकर बासित मौका परस्ती का दिपा करता है
14:16वीवर्ज इन दूरे के तालुक के शुरुआत किस तरह होती है
14:21तो बासु मुबाहिसे के बात एक एसालम हा आता है
14:25जब बासित सारा के एक परिशानी में मद्द करता है
14:27और वहाँ से दोनों का रिश्टा एक अजीब खामोशी में जुडने लगता है
14:32बासित सारा के खुदारी से मतासिर होता है
14:34जबके सारा को बासित की चुप हुए नर्मी और खलूस चूजाता है
14:38बासित के वालिद मुर्शद इंडस्ट्रिस के मालिक
14:41सारा को निच तबके की लड़की समझ करें के रिश्टे के खलाब होते है
14:46सारा का बाई क्यों लगता है कि बासित जैसे लोग सिर्फ दिल लगी करते है
14:50और वो अपने बेहन की हिपाज़त के लिए सخت रवी खियार करता है
14:54बासित को कमनी संबालने के लिए वापस जाना पड़ता है
14:58और वो सारा से वादा करता है कि जब सब कुछ टीक हो जाएगा
15:01वो लोट आएगा
15:03दो साल गुदर जाने के बाद
15:05सारा अब एक खुद मुखतार टीचर और राइटर बन चुकी है
15:10मगर वो अब भी रोज बासित की दी हुई खाली डायरी को देखती है
15:15जिसने जाते वक्त दीती
15:17ये कहकर इसमें हर वो बात लिखना जो तुम मुझ से कहना चाहो
15:21मैं लोट कर पढ़ूंगा
15:23एक रोज सारा लाइबरीरी में लेक्चर दे रही होती है
15:27और दर्वाजे पर एक शखस कड़ा होता है बासित
15:30वो हाथ में वही डायरी तामे कहता है
15:33मैं हर लब्स पढ़ने आया हो
15:35और अब वो अपनी बात लिखने आया हो
15:38दोनों के आंकों मैं आसुआ होते है
15:40मगर लबों पर खामोश वादे पूरे होने की तसली
15:43तो वीवर्ज मरकेजी पेगाम
15:46मुहबत सिर्फ लब्सों से नहीं
15:47खामोश वादों से नहीं बाए जाती है
15:49सच्चाई और खुदारी के भी तनहां
15:52नहीं रहती
15:52वक्त अगर इहसास से बरा हो
15:55तो पासला भी रिश्टा बन जाता है
15:58रामस सिल के हवाले
15:59से अपने राए के ज़़ार लाजबी करें
16:01साथ में हमारा योटूब का चीनल
16:03सब्सक्राइब करना मत बूलिए
16:05तेंक्स पर वाचिंग
16:06लाहाफिज
16:29हाथ हटाती है
16:31और साथ साथ अपने खवाबों
16:34को पूरा करने के लिए
16:36अन तक मेहनत करती है
16:37बासी जो एक दोलत मन
16:40खंदान से तालुक रखता है
16:41इसी कालज में दाखिल होता है
16:43मगर वो चाहता है कि लोग
16:45उसे इसके बाब के नाम से
16:47नहीं उसके अपने काम से बहचाने
16:49दोने की पहले मुलाकात
16:51एक डिबिट मुकाबले में होता है
16:53और वो एक दूसरे के
16:55मुखालिब होते है
16:56सारा सचाई की तरफ दारी करती है
16:59जब कब बासीत मौ का परस्ती
17:01का दिपा करता है
17:02वीवर्स इन दोने के
17:05तालुक के शुरुआत किस तरह होती है
17:07तो बासो मौ बाहिसे के बात
17:10एक एसालम हा आता है
17:11जब बासीत सारा के एक परिशाने में मदद करता है
17:13और वहां से दोनों का रिश्टा
17:16एक अजीब खामोशी में जुडने लगता है
17:18बासीत सारा के खुदारी से
17:20मतासिर होता है
17:21जबके सारा को बासीत की चुप हुए नरमी और खलूस चूजाता है
17:24बासीत के वालिद मुर्शद एंडस्ट्रीस के मालिक
17:28सारा को निच्च तपके के लड़की
17:30समझ करिंके रिश्टे के खिलाब होते है
17:32सारा का बाई क्यों लगता है
17:34कि बासित जिसे लोग सिर्फ दिल लगी करते है
17:37और वो अपने बेहन की हिपाज़त के लिए सखत रवी एक्तियार करता है
17:40बासित को कमनी संबालने के लिए वापस जाना पड़ता है
17:44और वो सारा से वादा करता है
17:46कि जब सब कुछ टीक हो जाएगा
17:48वो लोट आएगा
17:49दो साल गुदर जाने के बाद
17:52सारा अब एक खुद मुखतार टीचर और राइटर बन चुकी है
17:56मगर वो अब भी रोज बासित की दी हुई खाली डायरी को देखती है
18:01जिसने जाते वक्त दीती
18:03ये कहकर इसमें हर वो बात लिकना जो तुम मुझ से कहना चाहो
18:07मैं लोट कर पढ़ूंगा
18:09एक रोज सारा लाइबरीरी में लेक्चर दे रही होती है
18:13और दरवाजे पर एक शख्छ कड़ा होता है बासित
18:16वो हाथ में वही डायरी तामे कहता है
18:19में हर लब्स पढ़ने आया हो
18:21और अब वो अपनी बात लिकने आया हो
18:24दोनों के आँगों में आसवा होते है
18:26मगर लब उपर खामोश वादे पूरे होने की तसली
18:29तो वीवर्ज मरकेजी पगाम मुहबत सिर्फ लब्सों से नहीं
18:34खामोश वादू से नहीं बाए जाती है
18:36सचाई और खुद्दारी कभी तनहां नहीं रहती
18:38वक्त अगर इहसास से बरा हो
18:42तो पासला भी रिष्टा बन जाता है
18:44रामस सिल के हुआले से अपने राएक इज़ार लाजमी करें
18:48साथ में हमारा येटूब का चीनल
18:49सबस्क्राइब करना मत बूलिए
18:51तेंक्स पर वाचिंग अलाहाफिज
18:53रेले वी वर्जी ड्रामस सिरियली के आगाज में आप देखेंगे
18:56बासीत एक मतमूल मगर हसास नौजवान
18:59जो अपने वालिद के कारूबार से दूर रहकर
19:01खुद कुछ बनाना चाहता है
19:03सारा एक मतवस्थ गराने के बाहिमत लर्की
19:07जो अपने खुआबों और खुआबों के दर्मयान तबाजन रखती है
19:10सारा एक कालेज में सकालरशी पर पढ़नी वाली तालबा है
19:14जो अपने बाप के चोटे कारूबार में हाथ हटाती है
19:17और साथ साथ अपने खुआबों को पूरा करने के लिए अन तक मेहनत करती है
19:23बासित जो एक दोलत मन खंदान से तालुक रखता है
19:27इसी कालेज में दाखिल होता है
19:29मगर वो चाहता है कि लोग उसे इसके बाप के नाम से नहीं
19:34उसके अपने काम से पहचाने
19:35दोने की पहले मुलाकात एक डिबिट मुकाबले में होता है
19:39और वो एक दूसरे के मुखालिप होते है
19:42सारा सचाई की तरफ दारी करती है
19:45जब कब बासित मौका परस्ती का दिपा करता है
19:49वीवर्स इन दोने के तालुक के शुरुआत किस तरह होती है
19:54तो बासो मोबाहिसे के बात एक एक एसालम हा आता है
19:57जब बासित सारा की प्रिशानी में मदद करता है
20:00और वहसे दोनों का रिश्टा एक अजीब खामोशी में जूने लगता है
20:04बासित सारा के खुदारी से मतासिर होता है
20:07जबके सारा को बासित की चुप हुए नर्मी और खलोज चू जाता है
20:11बासित के वलिद मुर्षद इंडुस्ट्रिस के मालिक सारा को निच्च तपके के लड़की समझ कर इंके रिश्टे के खिलाब होते है
20:18सारा का बाई क्यों लगता है कि बासित जिसे लोग सिर्फ दिल लगी करते है
20:23और वो अपने बेहन की हिपाज़त के लिए सखत रवी एक्तियार करता है
20:27बासित को कमनी संबालने के लिए वापस जाना पड़ता है
20:30और वो सारा से वादा करता है कि जब सब कुछ टीक हो जाएगा वो लोट आएगा
20:35दो साल गुदर जाने के बाद सारा अब एक खुद मुखतार टीचर और राइटर बन चुकी है
20:43मगर वो अब भी रोज बासित की दी हुई खाली डायरी को देखती है
20:47जिसने जाते वक्त दीती ये कहकर इसमें हर वो बात लिकना जो तुम मुझ से कहना चाहो
20:53मैं लोट कर पढ़ूंगा
20:55एक रोज सारा लाइबरेरी में लेक्चर दे रही होती है
20:59और दर्वाजे पर एक शख्छ कड़ा होता है बासित
21:02वो हाथ में वही डायरी तामे कहता है
21:05मैं हर लब्स पढ़ने आया हो
21:07और अब वो अपनी बात लिकने आया हो
21:10दुनों के आँखों में आस वा होते है
21:12मगर लब्स पर खामोश वादे पूरे होने की तसली
21:16तो वीवर्स मरकेजी पेगाम
21:18महबत सिर्फ लब्स वादों से नहीं खामोश वादों से नहीं बाए जाती है
21:22सचाई और खुदारी के भी तनहां नहीं रहती
21:25वो वक्त अगर इहसास से बरा हो
21:28तो पासला भी रिश्टा बन जाता है
21:30रामस सिर्फ के हवाले से अपने राए के ज़ार लाज़मी करें
21:34साथ में हमारा योटूब का चीनल सब्सक्राइब करना मत बूलिए
21:37तेंक्स पर वाचिंग अलाहाफ़ज
21:39पहले वीवर्स इस डामस सिर्यली के आगाज में आप देखेंगे
21:42बासित एक मतमूल मगर हसास नौजवान
21:45जो अपने वालिद के कारूबार से दूर रह कर खुद कुछ बनाना चाहता है
21:49सारा एक मतवस्थ गराने के बाहिमत लड़की
21:53जो अपने खुआबों और खानदान के दर्मयान तबाजन रिखती है
21:56सारा एक कालेज में सकालर्शी पर पढ़नी वाली तार्बा है
22:00जो अपने बाप के चोटे कारूबार में हाथ हटाती है
22:03और साथ साथ अपने खुआबों को पूरा करने के लिए अन तक मेहनत करती है
22:10बासित जो एक दौलत मन खंदान से तालुक रखता है
22:14इसी कालेज में दाखिल होता है
22:15मगर वो चाहता है कि लोग उसे इसके बाप के नाम से नहीं इसके अपने काम से बेचाने
22:21दोने की पहले मुलाकात एक डिबिट मुकाबले में होता है
22:26और वो एक दूसरे के मुखालिप होते है
22:29सारा सचाई की तरफ दारी करती है
22:31जबकर बासित मौका परस्ती का दिपा करता है
22:35विवर्ज इन दूरे के तालुक के शुरुआत किस तरह होती है
22:40तो बासु मुबाहिसे के बात एक एसालम हा आता है
22:43जब बासित सारा के एक परिशानी में मदद करता है
22:46और वहाँ से दोनों का रिश्टा एक अजीब खामोशी में जुडने लगता है
22:50बासित सारा के खुदारी से मतासिर होता है
22:53जबके सारा को बासित की चुप हुए नर्मी और खलूस चू जाता है
22:57बासित के वालिद मुर्शद इंडस्ट्रिस के मालिक
23:00सारा को निच तबके के लड़की समझ कर इनके रिश्टे के खलाब होते है
23:05सारा का बाई क्यों लगता है कि बासित जैसे लोग सिर्फ दिल लगी करते है
23:09और वो अपने बेहन के हिपाज़त के लिए सخت रवी इखियार करता है
23:13बासित को कमनी संबालने के लिए वापस जाना पड़ता है
23:16और वो सारा से वादा करता है कि जब सब कुछ टीक हो जाएगा
23:20वो लोट आएगा
23:22दो साल गुदर जाने के बाद
23:24सारा अब एक खुद मुखतार टीचर और राइटर बन चुकी है
23:29मगर वो अब भी रोज बासित की दी हुई खाली डायरी को देखती है
23:33जिसने जाते वक्त दीती
23:36ये कहकर इसमें हर वो बात लिकना जो तुम मुझ से कहना चाहो
23:40मैं लोट कर पढ़ूंगा
23:42एक रोज सारा लाइबरीरी में लेक्चर दे रही होती है
23:46और दर्वाजे पर एक शखस कड़ा होता है बासित
23:49वो हाथ में वही डायरी तामे कहता है
23:52मैं हर लबस पढ़ने आया हो
23:53और अब वो अपनी बात लिकने आया हो
23:56दुनों के आँखों में आस हो होते है
23:58मगर लब उपर खामोश वादे पूरे होने की तसली
24:02तो वीवर्ज मरकेजी पेगाम
24:05महबत सिर्फ लबसों से नहीं
24:06खामोश वादों से नहीं बाए जाती है
24:08सचाई और खुदारी के भी तनहां
24:10नहीं रहती
24:11वो वक्त अगर इहसास से बरा हो
24:14तो पासला भी रिश्टा बन जाता है
24:16रामस सिल के हवाले
24:18से अपने राए के ज़ार लाजमी कमण करें
24:20साथ में हमारा योटूब का चीनल
24:22सबस्क्राइब करना मत बूलिए
24:23तेंक्स पर वाचिंग
24:24लाहाफिज
24:48हाथ हटाती है
24:50और साथ साथ अपने खवाबों
24:53को पूरा करने के लिए अन तक मेहनत करती है
24:56बासी जो एक दोलत मन खंदान से तालुक रखता है
25:00इसी कालज में दाखिल होता है
25:02मगर वो चाहता है कि लोग
25:04उसे इसके बाप के नाम से नहीं
25:06इसके अपने काम से पहचाने
25:08दोने की पहले मुलाकाथ
25:09एक डिबिट मुकाबले में होता है
25:12और वो एक दूसे के मुखालिब होते है
25:15सारा सचाई की तरफ दारी करती है
25:18जब कबासीत मौका परस्ती का दिपा करता है
25:21विवर्ज इन दोने के तालुक के शुरुआत किस तरह होती है
25:26तो बासो मौबाहिसे के बात एक एसालम हा आता है
25:30जब बासीत सारा के एक परिशानी में मद्द करता है
25:32और वहाँ से दोनों का रिश्टा एक अजीब खामोशी में जुडने लगता है
25:37बासीत सारा के खुदारी से मतासिर होता है
25:39जबके सारा को बासीत की चुप हुई नर्मी और खलूस चूजाता है
25:43बासीत के वालिद मुर्शद इंडस्ट्रीस के मालिक
25:46सारा को निच तबके के लड़की समझ करें के रिश्टे के खिलाब होते है
25:51सारा का बाई क्यों लगता है कि बासिट जेसे लोग सिर्व दिल लगी करते है
25:56और उपने बहन की हपाज़त के लिए सखत रवी एख्यार करता है
25:59बासिट को कमनी संबालने के लिए वापस जाना परता है
26:03और वो सारा से वादा करता है कि जब सब कुछ टीक हो जाएगा वो लोट आएगा
26:08दो साल गुदर जाने के बाद सारा अब एक खुद मुखतार टीचर और राइटर बन चुकी है
26:15मगर वो अब भी रोज बासित की दी हुई खाली डायरी को देखती है
26:20जिसने जाते वक्त दीती ये कहकर इसमें हर वो बात लिकना जो तुम मुझ से कहना चाहूं
26:26मैं लोट कर पढ़ूंगा
26:28एक रोज सारा लाइबरियरी में लेक्चर दे रही होती है और दर्वाजे पर एक शख्स कड़ा होता है बासित
26:35वो हाथ में वही डायरी तामे कहता है मैं हर लब्स पढ़ने आया हो और अब वो अपनी बात लिकने आया हो
26:43दुनों के आँखों में आसुआ होते हैं मगर लब्स पर खामोश वादे पूरे होने की तसली
26:48तो वीवर्ज मरकेजी पेगाम महबत सिर्फ लब्स वादों से नहीं खामोश वादों से नहीं बाए जाती है
26:54सच्चाई और खुद्दारी के भी तनहां नहीं रहती
26:57वक्त अगर इहसास से बरा हो तो पासला भी रिश्टा बन जाता है
27:03रामसिल के हुआले से अपने राए के ज़ार लाजमी करें
27:06साथ में हमारा योटूब का चीनल सबस्क्राइब करना मत बूलिए
27:10तेंक्स पर वाचिंग अलाहाफ़ज
27:11रेले वी वर्जी ज्रामसिल के आगाज में आप देखेंगे
27:15बासित एक मतमूल मगर हसास नौजवान
27:17जो अपने वालिद के कारूबार से दूर रह कर खुद कुछ बनाना चाहता है
27:21सारा एक मतवस्थ गराने के बाहिमत लड़की
27:25जो अपने खुआबों और खानदान के दरमयान तबाजन रिखती है
27:28सारा एक कालेज में सकालर्शीप पर पढ़नी वाली तारबा है
27:32जो अपने बाप के चोटे कारूबार में हाथ हटाती है
27:36और साथ साथ अपने खुआबों को पूरा करने के लिए अन तक मेहनत करती है
27:42बासित जो एक दौलत मन खंदान से तालुक रखता है
27:46इसी कालेज में दाखिल होता है
27:48मगर वो चाहता है कि लोग उसे इसके बाप के नाम से नहीं उसके अपने काम से पहचाने
27:54दोने की पहले मुलाकात एक डिबिट मुकाबले में होता है
27:58और वो एक दूसरे के मुखालिप होते है
28:01सारा सचाई की तरफ दारी करती है
28:04जबकर बासित मौका परस्ती का दिपा करता है
28:07विवर्ज इन दूरे के तालुक के शुरुआत किस तरह होती है
28:12तो बासु मुबाहिसे के बात एक एसालम हा आता है
28:16जब बासित सारा के एक परिशानी में मद्द करता है
28:19और वहाँ से दोनों का रिश्टा एक अजीब खामोशी में जुडने लगता है
28:23बासित सारा के खुदारी से मतासिर होता है
28:26जबके सारा को बासित की चुप हुए नर्मी और खलूस चू जाता है
28:29बासित के वालिद मुर्शद इंडस्ट्रिस के मालिक
28:33सारा को निच तबके की लड़की समझ करें के रिश्टे के खलाब होते है
28:37सारा का बाई क्यों लगता है कि बासित जिसे लोग सिर्फ दिल लगी करते है
28:42और वो अपने बेहन के हिपाज़त के लिए सخت रवी एक्तियार करता है
28:45बासित को कमनी संबालने के लिए वापस जाना पड़ता है
28:49और वो सारा से वादा करता है कि जब सब कुछ टीक हो जाएगा
28:53वो लोट आएगा
28:54दो साल गुदर जाने के बाद
28:57सारा अब एक खुद मुखतार टीचर और राइटर बन चुकी है
29:01मगर वो अब भी रोज बासित की दी हुई खाली डायरी को देखती है
29:06जिसने जाते वक्त दीती
29:08ये कहकर इसमें हर वो बात लिखना जो तुम मुझ से कहना चाहूं
29:12मैं लोट कर पढ़ूंगा
29:14एक रोज सारा लाइबरिरी में लेक्चर दे रही होती है
29:18और दर्वाजे पर एक शेखस कड़ा होता है बासित
29:21वो हाथ में वही डायरी तामे कहता है
29:24मैं हर लब्स पढ़ने आया हो
29:26और अब वो अपनी बात लिखने आया हो
29:29दोनों के आँकों में आस वा होते है
29:31मगर लब्स पर खामोश वादे पूरे होने की तसली
29:34तो वीवर्ज मरकेजी पेगाम
29:37मुहबत सिर्फ लब्सों से नहीं
29:39खामोश वादों से नहीं बाए जाती है
29:41सच्चाई और खुद्दारी के भी तनहां
29:43नहीं रहती
29:44वक्त अगर इहसास से बरा हो
29:47तो पासला भी रिष्टा बन जाता है
29:49रामस सिल के हवाले
29:51से अपने राए के ज़़ार लाज़ में करें
29:53साथ में हमरा योटूब का चीनल
29:54सब्सक्राइब करना मत बूलिए
29:56तेंक्स पर वाचिंग
29:57लाहाफ़ज
30:21हाथ हटाती है
30:22और साथ साथ अपने खवाबों
30:25को पूरा करने के लिए
30:27अन तक मेहनत करती है
30:28बहसी जो एक दोलत मन
30:31खंदान से तालुक रखता है
30:32इसी कालज में दाखिल होता है
30:34मगर वो चाहता है कि लोग
30:36उसे इसके बाब के नाम से
30:38नहीं इसके अपने काम से पहचाने
30:40दोने की पहले मुलाकात
30:42एक डिबिट मुकाबले में होता है
30:44और वो एक दूसरे के मुखालिब होते है
30:47सारा सचाई की तरफ दारी करती है
30:50जब कब बासित मौका परस्ती का दिपा करता है
30:54वीवर्स
30:55इन दोने के तालुक के शरुआत किस तरह होती है
30:59तो बास उमौ बाहिसे के बात एक एसा लम हा आता है
31:02जब बासित सारा के एक परिशानी में मद्द करता है
31:05और वहाँ से दोनों का रिश्टा एक अजीब खामोशी में जुडने लगता है
31:09बासित सारा के खुदारी से मतासिर होता है
31:12जबके सारा को बासित की चुप हुए नर्मी और खलूस चू जाता है
31:16बासित के वालिद मुर्शद इंडस्ट्रिस के मालिक
31:19सारा को निच तबके के लड़की समझ कर इनके रिश्टे के खिलाब होते है
31:23सारा का बाई क्यों लगता है कि बासित जिसे लोग सिर्फ दिल लगी करते है
31:28और वो अपने बेहन की हिपाज़त के लिए सखत रवी एक्तियार करता है
31:32बासित को कमनी संबालने के लिए वापस जाना पड़ता है
31:35और वो सारा से वादा करता है कि जब सब कुछ टीक हो जाएगा वो लोट आएगा
31:40दो साल गुदर जाने के बाद सारा अब एक खुद मुखतार टीचर और राइटर बन चुकी है
31:48मगर वो अब भी रोज बासित की दी हुई खाली डायरी को देखती है
31:52जिसने जाते वक्त दीती ये कहकर इसमें हर वो बात लिकना जो तुम मुझ से कहना चाहो
31:58मैं लोट कर पढ़ूंगा
32:01एक रोज सारा लाइबरेरी में लेक्चर दे रही होती है
32:04और दर्वाजे पर एक शख्छ कड़ा होता है बासित
32:07वो हाथ में वही डायरी तामे कहता है
32:10मैं हर लब्स पढ़ने आया हो
32:12और अब वो अपनी बात लिकने आया हो
32:15दोनों के आँकों में आस वा होते है
32:17मगर लब्स पर खामोश वादे पूरे होने की तसली
32:21तो वीवर्स मरकेजी पेगाम
32:23महबत सिर्फ लब्स वादों से नहीं खामोश वादों से नहीं बाए जाती है
32:27सचाई और खुद्दारी के भी तनहां नहीं रहती
32:30वो वक्त अगर इहसास से बरा हो
32:33तो पासला भी रिश्टा बन जाता है
32:35रामस सिर्फ के हवाले से अपने राए के ज़ार लाजमी कमेंट करें
32:39साथ में हमारा योटूब का चीनल सब्सक्राइब करना मत बूलिए
32:42तेंक्स पर वाचिंग अलाहाफ़ज
32:44पहले वीवर्स इस डामस सिर्यली के आगाज में आप देखेंगे
32:47बासित एक मतमूल मगर हसास नौजवान
32:50जो अपने वालिद के कारूबार से दूर रह कर खुद कुछ बनाना चाहता है
32:54सारा एक मतवस्थ गराने के बाहिमत लड़की
32:58जो अपने खुआबों और खानदान के दरमयान तबाजन रिखती है
33:01सारा एक कालेज में सकालर्शीप पर पढ़नी वाली तालबा है
33:05जो अपने बाप के चोटे कारूबार में हाथ हटाती है
33:08और साथ साथ अपने खुआबों को पूरा करने के लिए अन तक मेहनत करती है
33:15बासित जो एक दौलत मन खंदान से तालुक रखता है
33:19इसी कालेज में दाखिल होता है
33:20मगर वो चाहता है कि लोग उसे इसके बाप के नाम से नहीं इसके अपने काम से बेचाने
33:26दोने की पहले मुलाकात एक डिबिट मुकाबले में होता है
33:31और वो एक दूसरे के मुखालिप होते है
33:34सारा सचाई की तरफ दारी करती है
33:36जबकर बासित मौका परस्ती का दिपा करता है
33:40विवर्ज इन दूरे के तालुक के शुरुआत किस तरह होती है
33:45तो बासु मुबाहिसे के बात एक एसालम हा आता है
33:48जब बासित सारा के एक परिशानी में मद्द करता है
33:51और वहाँ से दोनों का रिष्टा एक अजीब खामोशी में जुडने लगता है
33:55बासित सारा के खुदारी से मतासिर होता है
33:58जबके सारा को बासित की चुप हुए नर्मी और खलूस चू जाता है
34:02बासित के वालिद मुर्शद इंडस्ट्रिस के मालिक
34:05सारा को निच तबके के लड़की समझ कर इनके रिष्टे के खलाब होते है
34:10सारा का बाई क्यों लगता है कि बासित जैसे लोग सिर्फ दिल लगी करते है
34:14और वो अपने बेहन के हिपाज़त के लिए सخت रवी इखियार करता है
34:18बासित को कमनी संबालने के लिए वापस जाना पड़ता है
34:21और वो सारा से वादा करता है कि जब सब कुछ टीक हो जाएगा
34:25वो लोट आएगा
34:27दो साल गुजर जाने के बाद
34:29सारा अब एक खुद मुखतार टीचर और राइटर बन चुकी है
34:34मगर वो अब भी रोज बासित की दी हुई खाली डायरी को देखती है
34:38जिसने जाते वक्त दीती
34:41ये कहकर इसमें हर वो बात लिखना जो तुम मुझ से कहना चाहो
34:45मैं लोट कर पढ़ूंगा
34:47एक रोज सारा लाइबरी में लेक्चर दे रही होती है
34:51और दर्वाजे पर एक शेखस कड़ा होता है बासित
34:54वो हाथ में वही डायरी तामे कहता है
34:57मैं हर लब्स पढ़ने आया हो
34:58और अब वो अपनी बात लिखने आया हो
35:01दोनों के आँकों मैंस हो होते है
35:03मगर लब्स पर खामोश वादे पूरे होने की तसली
35:07तो वीवर्ज मरकेजी पेगाम
35:10महबत सिर्फ लब्स वादों से नहीं
35:11खामोश वादों से नहीं बाए जाती है
35:13सच्चाई और खुदारी के भी तनहां
35:15नहीं रहती
35:16वक्त अगर इहसास से बरा हो
35:19तो पासला भी रिश्टा वन जाता है
35:21रामस सिल के हवाले
35:23से अपने राए के ज़़ार लाजबी करें
35:25साथ में हमारा यूटूब का चीनल
35:27सबस्क्राइब करना मत बूलिए
35:28तेंक्स पर वाचिंग
35:29लाहाफिज
35:53हाथ हटाती है
35:55और साथ साथ अपने खवाबों
35:58को पूरा करने के लिए
36:00अन तक मेहनत करती है
36:01बासी जो एक दोलत मन
36:03खंदान से तालुक रखता है
36:05इसी कालज में दाखिल होता है
36:07मगर वो चाहता है कि लोग
36:09उसे इसके बाब के नाम से
36:11नहीं इसके अपने काम से पहचाने
36:13दोने की पहले मुलाकात
36:14एक डिबिट मुकाबले में होता है
36:17और वो एक दूसरे के
36:19मुखालिप होते है
36:20सारा सचाई की तरफ दारी करती है
36:23जब कब बासीत मौ का
36:25परस्ती का दिपा करता है
36:26वीवर्स इन दोने के
36:29तालुक के शुरुआत किस तरह होती है
36:31तो बास उमू बाहिसे के बात
36:33एक एसालम हा आता है
36:35जब बासीत सारा के एक परिशाने में मद्द करता है
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36:39एक अजीब खामोशी में जुडने लगता है
36:42बासीत सारा के खुदारी से
36:44जबके सारा को बासीत के चुप हुई नर्मी और खलूस चूजाता य
36:48बासीत के वालिद मुर्शद INDUSTRIेस के मालिक
36:51सारा को निच तप्के की लड़की समज़ के रिछिते के खलाब होते है
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37:04बासित को कमनी संबालने के लिए वापस जाना पड़ता है
37:08और वो सारा से वादा करता है कि जब सब कुछ टीक हो जाएगा
37:11वो लोट आएगा
37:13दो साल गुदर जाने के बाद
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37:20मगर वो अब भी रोज बासित की दी हुई खाली डायरी को देखती है
37:25जिसने जाते वक्त दीती
37:27ये कहकर इसमें हर वो बात लिखना जो तुम मुझ से कहना चाहो
37:31मैं लोट कर पढ़ोंगा
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37:48दुनों के आंकों मैं आस हो होते है
37:50मगर लबो पर खामोश

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