00:00इसको आप बोलते हैं आज तक G is equal to 9.8 meter per second square
00:03climate change इसको भी बदल देगा
00:05कैसे बदल देगा पता करो
00:07आपका दिल धड़कता है न
00:08तो वो एक खास rate से धड़कता है
00:11एरिद्मिया होता है
00:13दिल की एक rhythm होती है
00:14वो rhythm disrupt हो जाएगी
00:16आपका दिल धड़कता है
00:18तो आपकी नसों में उतनाई blood pressure रहे
00:21जो atmospheric pressure को counterbalance कर सके
00:23atmospheric pressure कम है
00:25blood pressure ज़्यादा है तो क्या होगा
00:26नस फट जाएगी
00:27और अगर आपकी नसों में blood pressure एकदम कम हो जाओ
00:31और atmospheric pressure बहुत है तो क्या होगा
00:33खून बहना बंद हो जाएगा
00:34कियोंकि नसे, जैसे आपने पाइब दबा दी हो, और इट्मॉस्फेरिक प्रेशर किस ऐस पर डिप्पिंट करता है?
00:39अरे gravity पर बाबा, gravity के कारण ही तो atmospheric pressure है, gravity ना हो तो यह जितनी गैसे हैं जिसको आप बातावरन बोलते हो, यह सब space में भाग जाएगी, climate change से atmospheric pressure बदलेगा, atmospheric pressure बदल गया तो तुमारे दिल धड़केगा, पर हम ऐसा नाटक कर रहे हैं, जैसे बस कुछ नहीं थोड़े, temperature ही तो
01:09आप अपने शरीर को इतना ही बहर बहर से देखते हो, जो सबसे delicate vessels होती है शरीर में, वो कहां होती है, वो यहां होती है, और उन्हीं के कारण इंसान जानवरों से अलग है, और उसका एक कारण यह है कि हम खड़े होके चलते हैं, जानवर का दिल और उसका सर एक ही तल पर हो