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00:00प्राण उर्जा होती है तो खाना पॉष्टिक रहता है तो तमाम तरक दिये जाते हैं कि खाना जो है घर की ग्रेणिया ही बनाए ये कौन लोग हैं बिल्कुल ही जमीन की भाशा में जिनको बोले नल्ले
00:16उसके बाद वहाँ पर सिलने का करक्रम शुरू हुआ
00:20कि ये इन दो विभाबों का अध्भुत संगम मैंने पहली बार देखा जर्जी गिरी और बावर्ची गिरी एक साथ उसुई धागा लेकर के सब्जी सिल रही थी
00:33क्यों अगर उसकी जिन्दगी का उद्देश ही यही था कि वह बैठ करके खाना बनाएगी तिन भर फुल टाइम यही है छे गंटे आठ गंटे पूरे दिन खाना ही का चलना है तो यतने फुल टाइम जोब ही हो गई
00:45क्या बोलते हैं उसको बिटर गाउट
00:48हाव टू
00:50स्टिच अठकेला करेला
00:55नमस्ति अचाय जी
01:04अचाय जी मेरा प्रश्ण ग्रेणियों के बारे में है
01:09आम घर में कहा जाता है कि ग्रेणी अगर खाना बनाए तो वो अच्छा होता है
01:17तमाम कारण है मुख्यता ऐसे बोलते हैं कि वो बनाती है तो प्रेम से बनाती है
01:23और प्रेम से बना खाना उसमें मेमरी और वो खाएंगे तो सेहत अच्छी रहती है परबरिश अच्छी होती है
01:29क्या प्राण उर्जा होती है तो तमाम तर्क दिये जाते हैं कि खाना जो है घर की ग्रेंडियां यह बनाएं ने खाना
01:50कौन बनाई यह बात की बात है कि पहला मुद्धा तो यह है कि खाना जिंदगे में इतनी बड़ी चीज होनी क्यों चाहिए
01:57चाहे महिला बनाए चाहे पुरुष बनाए ये इतनी बड़ी चीज क्यासे हो गई खाना
02:03उसमें जो लिंग अलहारित भेदभाव अगेरा का मुद्दा है वो बाद में आता है
02:12सबसे पहले ये कि कोई भी व्यक्ति खाने को इतना क्यों महत्तो दे रहा है
02:17कि उसके लिए रसोई में इतने सारे घंटे अनिवार्य हो जाते हैं
02:22यह तो आप बहुत अच्छे जानती हैं कि जो सबसे ज्यादा पॉष्टिक खाना होता है वो वो होता है जिसको बनाने में सबसे कम समय लगता है
02:32सबसे पॉश्टिक खाना वो होता है
02:38जो सबसे कम समय में बनाया गया होता है
02:40मैं मैगी की बात नहीं कर रहा हूँ
02:41यह पता है न?
02:48है न?
02:50यह भी नहीं कहा रहा हूँ कि सिर्फ फल काटके खालो
02:52साधारन खाना
02:56वो बहुत समय नहीं लेता है
02:57आपने कई तरह की सबजें ले ली है उसमें आपको कई तरह के मिनरल्स मिल जाएंगे
03:05जितने भी आपके वाइटल इंग्रेडियंट्स होते हैं सब उसमें मौझूद होंगे
03:08उनको आप ले रहे हैं उनको सौटे कर लिया उनको आप खा रहे हैं
03:11में तो बहुत समय नहीं लगता है
03:14तो पहली बात तो ये है कि
03:16जिन्दगी में खाना
03:17खाना भी नहीं खाना समस्या खाना नहीं है
03:20समस्या है लजीज खाना
03:22खाना नहीं समस्या है
03:25और
03:28बहुत ज्यादा चटपटे
03:30खाने की जाइकेदार खाने की
03:32स्वादिश्ट खानी की
03:35मांग
03:36आप पाएंगे
03:37थोड़ा परक्ष देखिएगा अपने अनुभाव से
03:40मेरी बात पर रिकिन करने की जरूरत नहीं है
03:41आप पाएंगे कि उन लोगों में ही होती है
03:44जिनके पास जीवन में कोई
03:46और आनंद होता नहीं
03:49जब जीवन में कोई आप अच्छा लक्ष नहीं बनाएंगे
03:54आपके पास कुछ ऐसा होगा नहीं जिसके लिए
03:56खुल कर जिया जा सके
03:58जिसके लिए डूब कर जिया जा सके
04:01जिसकी खातेर आप सब कुछ भुला दे
04:04तो जीवन में फिर कोई जुआए भी नहीं होता है, कोई आनंद भी नहीं होता है, मनहूस सी जिंदगी है, एकदम रूटीन आप कोई जॉब कर रहे हैं, और पिछले 20 साल से आप वही काम कर रहे हैं, वही आपकी प्रोफाइल है, कलम घिस रहे हैं, थोड़ी बहुत घूस ख
04:34उसकी भरपाई हम जबान के स्वाधसे करना चाहते हैं, यही वो लोग होंगे जो और ज़्यादा चटपटा मागेंगे, यह चटपटा कुछ लाओ ना, ताकि कुछ तो तेजना, कुछ थ्रिल, कुछ आए जिंदगी में,
04:50जीवन में कोई रोमांच नहीं, कोई संघर्च नहीं, कोई खतरा तो उठा नहीं रहें, जब जीवन में कोई रोमांच होता है न, तो रोमांच ही,
05:04करा देता बहु अपरे बहु अब वो तो है नहीं, तो फिर कहरें, मसाला और मिर्च डालो न, ताकि कुछ तो लगे भीतर की, आग है, जिनके जिंदगी में असली आग होती है, वो मिर्च वाली आग नहीं मानते फिर, कि मिर्च वाली आग दे दो, फिर फ्लश से उसको ब�
05:34जिंदगी में स्वाद है क्या, नहीं है, वो फिर सो तरह के मसाले, और ये लंबी लंबी रेशिपीज, छे छे घंटे चल रही है, कई तो ऐसी दो दो दिन चलती है, फलानी चीज भिगों करके, दो दिन तक रख दीजिए, उसे मैं खा रहा हूं या वो मुझे खा रहा है,
06:04तो देश्चे होगा, वो ये कारनामा अंजाम दे कैसे पाएंगे, कि फलानी चीज भिगों करके, दो दिन तक रख दीजिए, उसके बाद, जब वो गोल्डन ब्राउन होने लगे, और उसमें से, छोटे-छोटे अंकुर फूटने लगे,
06:23साढ़े तीन मिले मीटर के, तो अब उसको ले करके, मेरे लिए ये बड़े हैरत की बात रहती है, रेसिपी पढ़ना ये लंबी, और उसमें अभी विधी की बात नहीं कर रहा हूं, मैं इंग्रेडियेंट्स की बात कर रहा हूं, वो ऐसी ऐसी चीजे वहां लिखी होती है,
06:53और वहां जो जो लिखा रहता है, मैं कहता हूं, ये देखू, ये प्रमाण है कि एलियन्स हैं, क्योंकि इस तरह है कि चीजें मेरी प्रत्वी पर तो मुझे लगता नहीं कि होती हैं, ये कौन लोग हैं, बिलकुल ही जमीन की भाशा में जिनको बोलें, नले,
07:19जिनके बाद इतना समय है कि ये बना रहे है, मैंने देखा, वो करेला ले करके, पहले करेले का पेट फड़ा, फिर उसमें नजाने क्या भरा, और जो भरा वो बनाने में भी चार घंटा लगाया था,
07:41उसके बाद, वहां पर सिलने का कारिकरम शुरू हुआ,
07:46ये इन दो विभाबों का अद्भुत संगम मैंने पहली बार देखा,
07:55दरजी गिरी और बावर्ची गिरी, एक साथ,
08:01उस सुई धागा ले करके सबजी सिल रही थी, क्यों, तुहां पस कुछ नहीं जिंदगी में करने को,
08:09विज्ञान, कला, साहित, राजनी, ती, खेल, कुछ नहीं है, धर्शन, समाच शास्त्र, मनो, विज्ञान, कुछ भी नहीं है तुहारे पास,
08:19तुम ये करोगे, करेला सिलने के लिए पैदा हुए हो, करेला भी रोर आओगा अपनी मौत को, जिसे पोस्ट मार्टम के बाद सिला जाता है,
08:36क्यों, क्यों करना है ये,
08:38इतनी लंबी चौड़ी, इतनी टाइम इंटेंसिव रेसिपीज चाहिए क्यों,
08:49अरे बंदर क्या जाने अधरक का सुआद,
08:53हमसे पूछो,
08:57खाने में लजज़त,
09:01रहा बावर्ची के हाथ का हुनर,
09:05हम नहीं जानते ये हुनर, ना हमें जानना है,
09:08और ये काम करने के लिए अगर किसी इंसान की जिन्दगी लग रही है,
09:13तब तो हमें बिल्कुल नहीं जानना है,
09:16क्योंकि हम नहीं समझते कि इंसान इसलिए पैदा हुआ है,
09:18क्यों करेला से ले,
09:21चार तरह की दाले मिलाओ,
09:23और उनके उपर चावल की एक तह बिछाओ,
09:30उसके उपर आधे भुने हुए आलू रखो एक तह,
09:36और उसके उपर दो दिन भुवया हुआ राजमा बिछाओ,
09:40उसके उपर कुछ और इसको छई घंटे तक,
09:52अरे मेरे जिनदगी के छई घंटे की कीमत है कि नई है,
09:57मैं इस्तरी हुँ पुरुश हुँ और बाद में बात आती है,
09:59मैं इन्सान हुँ, मेरे जिनदगी के 6 घंटे ये करने के लिए हैं,
10:10और अभी मैंने ये तो इसमें कहा ही नहीं कि ज्यादा तर जो ये लंबी लंबी रेसिपीज होती हैं इनमें जानवरों का मास शामिल होता है
10:18हमने इन ही रेसिपीज की खातिर पिछले 50 साल में ही दुनिया की 75% वाइड लाइफ साफ कर दिये
10:31आप जितना अनुमान भी नहीं लगा सकते उतने जानवर रोज काटे जाते हैं उनकी संख्या अरब में है अरब करोडों में नहीं है अरब में है जितने जानवर रोज मारे जाते हैं इन्हीं रेसिपीज की खातिर
10:46अरबों में है
10:49तुछ चिकन नहीं खाता, तुझे नहीं लगता कुछ मिस कर रहा है लाइफ में?
11:01लाइफ is a very vast spectrum, my friend.
11:07चिकन से लाइफ नहीं बनती है, तुझे लाइफ पता ही नहीं है, इसलिए तु लाइफ में चिकन घुशेड रहा है.
11:15जिन्दगी क्या होती है, और जिन्दगी कैसे जी जाती है, और जिन्दगी के खत्रे किस दिलेरी से उठाये जाते हैं, एक बार तुझे शीख ले तो ये चिकन बाजी छोड़ देगा.
11:26यहाँ पर बहुत चोर शराबा हो जाता है, डिस्टरबेंस हो जाता है, तो किताब पूरी करने के लिए, अब तो हो गई पूरी.
11:40मैं वहाँ जा करके कैफे में बैठ जाता हूँ, उन्हों को पता है, बिल्कुल चार कॉर्नर से हैं वहाँ पर, कोई एक जो कॉर्नर सीट होती है, वो मुझे तुरन दे देते हैं, उसके बाद वो मुझे इतना भी छेड़ने नहीं आते हैं कि पूछें, मेरे सामने वो मेन्
12:10क्यों समय लगा हूँ, मुझे नहीं उसमें एक्स्परिमेंटेशन करना और बुलूँगा, थोड़ी सी हींग, वे हींग बाजी करने को पैदा हुए थे, हींग और स्वाद समय का गुलाम नहीं होता है, कि आप बहुत समय लगाओगे तभी स्वाद आएगा
12:40मैंने खुद भी बनाया है और मैं बहुतों को जानता हूँ, बहुत अच्छा पोशक, न्यूट्रीशियस और साथी साथ स्वादिश्ट खाना बहुत जल्दी भी बन जाता है, बस उसमें आप अपनी हवस मत घुसेडिये, कि 50 तरे का दिखना चाहिए, 56 भोग की थाली होन
13:10और क्या बोल रही थी, आप क्या आ जाता है, उसमें प्यार आ जाता है, प्राण आ जाता है, प्राण कैसे आ जाता है, बाबा जी लोग बताता है, प्राण बरबाद जरूर होते हैं वो करने में, इतना ही अगर प्राण उठता है तो बाबा जी अपना पूरा करियर यही कर
13:40मास्टर शेफ, श्री श्री आ एक हदार आठ, शेफ महराज, सद शेफ, बन जाओ, यही बन जाओ न, खाने को ही लेके तुमने इतना बवाल काट रखा है, तो यही बन जाओ,
14:02किते सस्ता पढ़ता है घर का खाना, पढ़े लिखे हो की नहीं हो, जो किचन में हो रहा है न, वो भी एक मैनुफेक्टरिंग प्रोसेस है, ठीक, रॉब मेटियरल आता है, उसकी प्रोसेसिंग होती है, एक आउटपूट निकलता है, और यह बहुत सधारण सी बात होती है एक
14:32तो घर का खाना कभी भी सस्ता नहीं पढ़ सकता, सस्ता हमेशा वहाँ पढ़ेगा जहां बहुत बड़ी तादाद में बनाया जाएगा, यह कैसी बात कर रहा है, यह जारे कुछ नहीं जानता है, घर का पढ़ता है सस्ता, घर का सस्ता सिर्फ इसलिए पढ़ता है, क्योंकि
15:02जैसे ही तुम उसमें लेबर की कॉस्स जोड़ो कि तुम्हें पता चलेगा हो कितना ज्यादा महंगा है और मैं सिर्फ लेबर कहा रहा हूं भी यह नहीं कहा रहा कि प्रॉफिट भी जोड़ो
15:11सब कुछ जोड़ो तो पता चलेगा कि यह जो रसोई है यह बहुत वेस्टफुल जगह है सच मुछ
15:19तुम्हें बहुत अगर लज़त वाला ही खाना खाना है तो बाहर खाओ
15:26और घर पे बनना है तो सीधा खाना बने और जिसको खाना है वो अपने लिए बना ले
15:34जब यह पता होगा अपने लिए बनाना है तो ऐसे ही 15-20 मिनट वाली रेसिपी लोगे बनाओगे खाओगे खुशो के चल दोगे आगे
15:40यह अगर एक आदमी बना रहा है मानलो 3-4 लोगे परिवार के लिए तो आज एक ने बना है कल कोई और बना दे
15:47और यह बहुत बड़ा मुद्दा नहीं होगा क्योंकि बनाने में समय बहुत कम लगेगा अगर आप वो लजीज जायकेदार लंबी चौड़ी रेसिपीज नहीं बना रहे हो तो
15:54मुझे लगता पश्चम तरक्की कर पाया और भारत पीछे रह गया इसमें कुछ योगदान इस बात का भी है कि जो इंडियन मेन्यू है वो वेस्टरन मेन्यू से कहीं ज्यादा लंबा चौड़ा आया
16:13भारत के लोग पश्चम जाते हों कहते हैं कि ये इतना सादा फीका खाना खा करके ये पश्चम के लोग जी कैसे लेते हैं और पश्चम वाले भारत आते हैं तो देख के अहरान हो
16:29यह सब है क्या पेट में आई इंजन चलेगा मेरे अगे बाहर से जो आया भारतार पहली बार खाले यहां का खाना खासकर स्क्रीट फूड उसका बीमार होना तैह होता है
16:47और भारत वाले बाहर जाते हैं तो कहते हैं आलू मांगा था तो टिक्की की जगए मैश्ट पोटेटो ले आया वो आलू के नाम पर मैश्ट पोटेटो ही खाते हैं और मैश्ट पोटेटो बिलकुल भी नुकसान नहीं करता
17:02हां तुम पोटेटो को फ्राई करोगे और उसमें 100 तरीके का वो लगाओगे जाल लगाओगे और उसकी सिलाई करोगे
17:09और उसमें 18 तरह के मसाले डालोगे तो तो फिर नुकसान करे गई
17:14अभी भी भारत तना अमीर नहीं हुआ है कि लोग बहुत ज्यादा बाहर खाते हूं
17:22इटिंग आउट हमारे हाँ अभी बहुत ज्यादा नहीं है
17:24उसके बाद भी भारत ज्यादा तर रोगों में दुनिया की राजधानी है
17:32आप हमारी रेसिपीज अच्छी नहीं है बाई मान लो कि नहीं तो हाट अटैक दुनिया में इससे खज्यादा प्रतिव101 orada है।
17:47कि हमारे खाने में में कॉलिस्टेलल भरा हुआ है हमारा जो पूराद खाना है वो कार्ब सेंट्रिक है
17:54हमाई ले खाने का मतलब ही होता है रोटी भात और रोटी और भात दोनों क्या है
17:59मजदूरी के लिए ठीक है
18:05पर जो आपको तमाम तरह के न्यूट्रीशन चाहिए वह आपको उससे नहीं मिल जाएंगे
18:12अब उसके लिए आपको बहुत सारी तरह की सब्जी लेकर उनको चॉप करा मिक्स करा उनको अब
18:22है डापिटी दुनिया में सबसे अधा कहा होता है क्योंकि कुछ मीठा हो जाए जान नहीं लोग उसकी मारी दो ऐसे ही गोली मार दो क्यों बोल रहों मीठा हो जाए
18:31कि मैं गया मैंने का मैं ब्लैक टी में गा रहा हूं शक्कर अलग से लाना वह ठीक है वह शक्कर अलग से भी ले आया
18:40पाई मेरे इसमें उसको समझ में नहीं आया उसको लम इतनी ज्यादा लेता हूं कि मैं कहा रहा हूं शक्कर अलग से भी ले आना वह ब्लैक टी का बिल्कुल शर्वत बना के लाया और अलग से और कठोरी में लखके ले आया
18:59और यह जो लंबी चौड़ी रेसेपीज हैं यह भी आप इसी लिए अफोर्ड कर पाए हो पर्मपरागत रूप से क्योंकि घर में एक फ्री लेबरर खड़ी हुई है नहीं तो आप यह नहीं करते
19:22वही लड़के जो हॉस्टल में रहते हैं और मस्त या तो अपनी ही डॉम की पैंट्री में कुछ करके खा लिया या मैस में जो बना था उस तो खा लिया जब उनकी शादी आधी हो जाती है और अरेंज्ट मेरे जोई है और हाउस वाइफ ले आए है तो वही सबसे आगे रह
19:52कि कुछ बन रहा हो मेरा तो बन रहा है कि मैं बन गई यह बना डाला तुमने मुझे
20:11कि पहले हम इस बात पर खुश हो लेते थी कम से कम चीनी हमसे कम कदके होते हैं उचाई
20:17तीस साल में चीनी भी हमसे लंबे हो गए और मैं कहीं पढ़ रहा था वो उसको विरिफाई करना बाकी है कि हिंदुस्तान में पुरुशों की लंबाई कुछ सेंटिमीटर कम हो गई है पिछले तीन दशक में यह हैं हमारी लंबी चौड़ी रेसिपीज और वो सब माल जो ह
20:47एक सेक्योर जीवन जीना है जिसमें और कोई थ्रिल, एडवेंचर, प्लेजर, जॉय है नहीं तो हम उसको कॉम्पेंसेट करना चाहते हैं इस सेंसूल प्लेजर से और उससे कॉम्पेंसेशन नहीं होता एक्स्ट्रा डैमेज होती है
21:01पीन तरह की सबजी के ओ दो तरह की डाल के ओ एक दिन में एक चीज ना अगले दिन कुछ और बना लो
21:10सलाद रखो बहुत सारी
21:13खाने
21:15में एक तेहाई तो सलाद होनी चाहिए
21:18उसमें डाइवरसिटी रखो बहुत सारी
21:20उसमें समय भी नहीं लगता है
21:21एक दिन एक डिश बनेगी न
21:23हर दिन पांच डिश कियों बन रही है
21:26और उसके बाद फिर खीर भी आती है
21:31और खीर है और उसमें तमाम तरह के मेवे नहीं डले है
21:35तो वो क्या प्राण और प्यार नहीं है
21:40उसमें उरुजा नहीं है
21:41वैसे ये जितने भी इस तरह के बावा जी के
21:47उपदेश होते हैं
21:50वो ग्रहनियों के लिए ही क्यों होते हैं
21:51हलवाईयों के लिए क्यों नहीं
21:52मनुष्य के जीवन
22:04की एक तो विर्थता ऐसे दिखती है
22:07कि मैं जी रहा हूं
22:09खाने के लिए
22:10और दूसरी उसकी कुरूरता
22:15और विभतसता ऐसे दिखती है
22:17कि मैं जी रही हूं बनाने के लिए
22:18पताने नहीं इन दोनों में से ज़्याधा बर्बाद कौन है
22:23एक जो जी रहा है आने के लिए, और एक जो जी रही है बनाने के लिए
22:29खाधरन लगियोंस बनाने में, मटर, चना, स्प्राउटस बनाने में, कितना समय लगता है
22:40और बहुत आसानी से उनको जाहिकेदार भी बनाया जा सकता है, कितना समय लगता है
22:45पर आप ये करने लग जाएं तो आपके घर वाले नराज हो जाएंगे
22:48चने कई तरीके के आते हैं, मटर भी कई तरीके के आते हैं
22:58सिहद भी बहुत अच्छी रहेगी
23:04और फ्रिज कोई शैतान की कबर नहीं होता
23:19कि नहीं हमारे यहाँ तो बिलकुल ताजा बना हुआ ही खाते हैं, फ्रिज का माल नहीं
23:27जो चीज विज्ञान के दाएरे में आती है, उसके जवाब विज्ञान से ही लो
23:34भाबा जी से नहीं कि प्राण उल्जा कम हो जाएगी, फलानी चीज कम हो जाएगी
23:39जाकि किसी डाइटीशियन से, न्यूट्रिशनिस्ट से पूछो
23:46कि कौन कौन से फूड आईटम सें, जिनको फ्रिज में रखने से नुकसान हो जाता है, मतलब उनकी न्यूट्रिशनल वैल्यू कम हो जाती है
23:54और कौन से IFA items हैं जिनको फ्रिज में रखो
23:57तो भी उनकी nutritional value यथावत रहती है
24:01और जो चीजे फ्रिज में रखने पर खराब नहीं होती हैं
24:04उनको ज्यादा बना करके फ्रिज में रखो
24:06क्यों नहीं रखोगे
24:07क्यों अपना समय खराब करना है
24:09यह सवाल बड़ा सवाल है
24:14क्योंकि जब हम कहते हैं
24:15जिन्दगी को एक अच्छा उच्छा उद्देश दो
24:19एक एक अपने पल का हिसाब रखो
24:22तो विशेशकर महिलाओं के पल का क्या हिसाब रखे
24:25उनके पल का तो यही हिसाब है
24:28ब्रिक्फस्ट
24:31लंच डिनर और यह तो सिर्फ तीन समय का है
24:34प्रेश्ट फूड तीन समय का
24:36लंबा चोड़ा मेन्यू
24:37और उसमें भी अगर घर में अलग-अलग तरह के लोग हो
24:40तो उनके लिए भी फिर
24:41अलग-अलग रिक्वार्मेंट्स के हिसाब से बनता है
24:43कोई बच्चा है उसके लिए कुछ अलग तरह का बनेगा
24:49किसी का स्वाद दूसरी तरह का उसके अलग तरह का बनेगा
24:52कोई बुढ़ा है या बीमार है तो उसके अलग तरह का बनेगा
24:55यह क्या है
24:57दुनिया की कोई प्रजाती है
25:00जो अपने भोजन पर इतना समय लगाती हो अपने पर भी नहीं दूसरों के
25:06आगे से कोई यह सब बताए ना कि खाने में तो तुम अपना प्यार परोस्ती हो और यह सब
25:14बोल हमें भी तुम्हारा प्यार चाहिए मैं भी प्रितम प्यार की प्यासी हूं
25:20और तेरे हाथों में भी बहुत प्राण है आज मुझे तेरा प्राण चूसना है चल बना जब इतनी हवस है लजीज ही खाना खाने की लंबी चोड़ी रसिपी ही चबाने की तो खुद बनाओ न नहीं तो साधा पौश्टिक खाना घर में बना दो उतना पर्याप्त है समय ब�
25:50मुझे लगता है जीने का बड़ा अच्छा तरीक का यह होता है ऐसे जी हो जैसे अभी भी हॉस्टल में हो
25:57यह अकेले रह रहे हो अपने एक कमरे में
26:07मैं यह नहीं कहा रहा संबंध नहीं होने चाहिए मैं यह नहीं कहा रहा परिवार नहीं होने चाहिए
26:16और उस जीने में न एक एक स्वास थे था, एक भोलापन था, एक इनोसेंस थी,
26:26आपकी पात बहुत कुछ फाता था करने को, आपकी शाम इसलिए नहीं हुती थी कि listening खेलने का समय आगया, आप बार जाके खेल रहे हो, खेल रहे हो, खेल रहे हो, बूख लग जाती थी,
26:45कि ऐसा थोड़ी था कि कोई आपके लिए आपकी मन पसंद रेसेपी तैयार कर रहा है
26:52जो मिल गया खा लेते थे पता भी नहीं होता था अज क्या मिलेगा और कोई हमारे स्वाद अनुसार हो ऐसा भी नहीं होता था
27:01पर जिन्दगी में करने को इतने अच्छे और उंचे काम थे प्यारे काम थे
27:06ये बैठ के शिकायत भी कौन करें कि मैंसका खाना अच्छा नहीं है जो मिला खालो और जल्दी से जा करके अब दूसरा काम करते हैं
27:14फिर रात में चलेंगे साड़े ग्यारा वाली मूवी देखेंगे
27:17अब साड़े ग्यारा वाली मूवी देखनी है वो लगी हुई है किचन में राइता फैला हुआ है साफ करने में रूमैंस भी सारा खराब कर दिया तुमने
27:27उससे दिन रात खाने ही बनवाओगे तो रोमैंस भी कब होगा
27:31और रायते की तरह गंधा भी रही है
27:36यह तुम ने करा है
27:39तो चो दही
27:42फिर इतना ही अगर शौक है कि लजीजी खाना खाना है
27:50तो किसी ऐसी को ब्याहो
27:53जो इन ही चीजों में डिगरी लेके आई हो
27:57इसलिए कि
27:59अगर तुम उससे सब खाना ही खाना बनवा रहे हो
28:03यही करवा रहे हो तो बाकी उसकी जो भी
28:05एजुकेशनल प्रोफेशनल कॉलिफिकेशन है
28:07उसको तो तुमने आग लगा दी ना
28:10अगर उसकी जिंदगी का उद्देश ही यही था
28:15कि वो बैठ करके खाना बनाएगी दिन भर
28:17फुल टाइम यही है छे गंटे आठ गंटे पूरे दिन
28:19खाना ही का चलना है
28:20तो यतने फुल टाइम जॉब ही हो गई ना
28:23तो फिर इसी क्वालिफिकेशन वाली किसी को लेके आते
28:26अब लेके आये हो किसी को
28:28जिसने एकनॉमिक्स में मास्टर्स कर रखा है
28:31और वो करेला सेल रही है
28:33यह कौन सा कोर्स था एकनॉमिक्स में
28:41क्या बोलते हैं उसको बिटर गाउड
28:47हाव टू
28:48टिच
28:51अठकेला करेला
28:54हाँ
29:08बुर्ण हाँ
29:12हाँ
29:16कि अजय हाँ
29:18वहां

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