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00:00ज्यादा तर लोग बदलाव का बस दिखावा गरते हैं, उन्हें कोई बदलाव नहीं चाहिए, उन्हें पास फ्लर्टिंग होती है, कमिट्मेंट नहीं होता
00:06बहाना बनाना असान है, कि हमने शुरुआत तो करी थी जिम जाने की, कोई भी और नई सार्थक शुरुआत पढ़ने की, किसी भी तरीके से जंदगी को बहतर करने की, हमने शुरुआत तो करी थी, पर कुछ हुआ नहीं, बहतर होना कोई मजाग की बात नहीं होती, दर्द भी
00:36है तो अपने आपको थपा होगा और फिर देखो अपना तीज है अब प्रेडाम सर मैं अपना सवाल दो सिनेरियों से
00:48समझाती हूँ जैसे पहली बार जब जिम में किया जिम गई तो दो हंटे महनत करके आई तो ऐसा लगा कि अब तो गौर खार लेती हूं क्योंकि
00:57अब कुछ खाऊंगी तो पसीने भाने वाली महनत कर लिया तो जब डिसिप्लिन की बात कर रहे तो वही चीज होती है कभी करते हूं तो आप तो इतनी महनत कर लिए उसका
01:18अब ऐसा करते हैं कि अब छोड़ देते हैं अपने आपको खाली छोड़ देते हैं पर कभी बार ऐसी महनत की होती है कि ऐसा लगता है कि नहीं अब पकड़ के रखो जैसे एक्जाम है अब ऐसा लगता है कि मतलब दूई घंटे तो बचे हैं हो सकता है कि नहीं सो पाएंगे
01:48बार दिखावे के लिए जाना है
01:50बल्कि वहाँ जाकर
01:52करके कम से कम
01:54साल दो साल लगाके
01:56शरीर बना के आना है
01:57तो एक बात होती है
01:59दो लोग मानलो जिन जा रहे हैं
02:02एक का ये है कि
02:03मैं जा रहा हूं साथ
02:04एक temporary high के लिए
02:07दो चार
02:10दिन
02:11की बात है, मन बहलाव है
02:13अभी मौसम कुछ ऐसा आया है
02:16कि सब जिम जा रहे हैं तो मैं भी चला जाता हूँ
02:18दोस्तों के साथ
02:20मिंबर्शिप ले ली है, मैं भी चला जाता हूँ
02:23एक ये इनसान होता है
02:24और दूसरा होता है
02:26जो इस उद्देश ऐसे जाता है
02:28कि कम से कम साल दो साल
02:30तो मैं इसमें कमिटेड रहूँगा, निविष्ट रहूँगा
02:32और यहां अब आया हूँ
02:35तो शरीर को
02:37बदल के ही बाहर निकलूँगा
02:39अब ये नहीं हो सकता कि शुरुवात कर दी
02:42और दो साल बात भी जैसे थे पहले वैसे ही है
02:44इन दोनों के रवईयों में बहुत अंतर होगा
02:49जो पहला वैक्ति है
02:51जो बस यूही टहलने के लिए जम पहुँच गया है
02:55वो कहेगा आज देखो बढ़िया है कैलोरी जला दिया है
02:58एक हजार
02:59तो अब कम से कम 500 कैलोरी में एक्स्ट्रा खा सकता हूँ
03:04जो दूसरा वैक्ति है
03:08वो कहेगा आज जो खा रहा हूँ
03:10ये कल फिर जलानी पड़ेंगी
03:12क्योंकि उसके पास
03:14एक आगे का और बड़ा लक्ष है
03:18वो बस यहीं टहलने के लिवान ही पहुँच गया था
03:22तो जीवन में आप कोई भी नई शुरुआत करते हो
03:27वो कितनी आगे तक जाएगी
03:29वो इसी पर निर्भर करता है
03:31कि आपने लक्ष ऐसा बनाया है
03:37कि जैसे फ्लर्ट कर रहे हो नई शुरुआत से
03:39यह लक्ष ऐसा बनाया है
03:42कि आपने किसी उचाई को अपना कमिट्मेंट दे दिया है
03:45उचाईयों के साथ फ्लर्ट नहीं करते
03:51उचाईयों के साथ फ्लर्ट करना फिर वैसे ही हो जाता
03:55जैसे वो मिथ अफ सिसिफस
03:56अलबेर कामू का है उसमें कहानी है
04:01सिसिफस की
04:03सिसिफस को उन्होंने प्रतीक
04:06बनाया है पूरी मानवता की
04:08हालत का
04:08कि वो
04:10अपना पत्थर चढ़ाया करता है रोज सुबह
04:13रोज प्रती दिन
04:15पहाड पे
04:16और साउस धहले वो पत्थर फिर नीचे आ जाता है
04:19तो ये वेक्ति होता है जो
04:23कहीं पहुँचने वाला नहीं है
04:26ये थोड़ा आगे बड़ेगा थोड़ा पीछे आएगा
04:27इसे अपनी जगह नहीं छोड़नी है
04:31ये अभी
04:35हाल ही के पिछली ही शताबदी के
04:38फ्रेंच तार्शनिक थे
04:40कामू
04:43अस्तित्तोवादी
04:45जो कामू का पत्थर अपनी जगह कहां छोड़ता है
04:48वो सुबह जहां था
04:51शाम को उपर पहुँचता है और रात आते आते
04:54वो फिर वापस आ जाता है
04:56तो एक तो ये लोग होते हैं जिन्हें
04:57इधर उधर बस थोड़ा सा मन पहलाओ के लिए भटकना है
05:00लेकिन रहना उन्हें अपनी जगह पे है
05:02उन्हें अपनी मूल इस्थिति में
05:06कोई परवरतन नहीं चाहिए
05:07तो वो पत्थर थोड़ा उपर जाएगा फिर वापस आ जाएगा
05:10जो हालत पहले थी वोई हालत फिर हो जानी है
05:12तो एक तो ये लोग है
05:13इन्हें वस दिखावा करना
05:15इन्हें वस खुद कोई धोखा देना है
05:17कि सहाब हम जिन्दिगी में कोई बदलाव ला रहे है
05:19ये चाहते ही नहीं कि जिन्दिगी में कोई बदलाव आए
05:21ये जहां बैठ गए हैं वहीं जम गए है
05:23इसी को तमसा कहते हैं
05:25स्तमोगुन कि गलत जगे बैठ गये है और गलती जगे जम भी गए हो ना सिर्फ गलत जगे बैठ गये पहली गलती यह करी कि बैठ गये हैIES कि जहां बैठ घर बनालिया चमि गए वही
05:38ठीक है तो अब ये थोड़ा पूती दर दर करेंगे भी तो भी वही जो गलत जगे उस पर वापस आ जाएंगे
05:44इन्हें बदलाओ चाहिए ही नहीं तो बदलाओ आभी रहा होता है तो खुद उस बदलाओ को इनलिफाई कर देते हैं
05:50एक हजार कैलोरी जलाई तो साथ सो अतिरिक्त खाई और अब साथ सो जब खा लोगे तो अगले दिन बहुत ज्यादा एक्सरसाइज भी नहीं कर पाऊगे तो दूसरे दिन जाके सिर्फ चार सो जलाओगे
06:01जब इतना खा के जाओगे जिम में तो क्या करोगे तुम ट्रेडमिल पे और कौन से वेट्स करोगे कुछ नहीं होगा
06:08तो दूसरे दिन सिर्फ चार सो जलाओगे और फिर आके खाओगे कितना
06:13साथ सो
06:16दो दिन में कुल मिलागे कितनी जलाई
06:20पहले दिन हजार दूसरे दिन
06:22400-1400 और खा कितना लिया
06:251400
06:26मिथफ सिसिफस
06:28वो पत्थर वहीं का वहीं है कुछ नहीं हुआ
06:30समय और खराब कर लिया
06:33समझ में आरी बात है
06:36ज्यादा तर लोग बदलाओ का बस दिखावा करते हैं
06:38उन्हें कोई बदलाओ नहीं चाहिए
06:39उन्हें पास flirting होती है
06:41commitment नहीं होता
06:42मैं किस commitment की बात कर रहा हूँ
06:44मैं गहारा हूँ मुझे वैसा नहीं रहना जैसा मैं हूँ
06:47क्योंकि मैं जैसा हूँ
06:48ऐसा होना मेरी तकदीर, मेरी नियत, मेरा अंत नहीं हो सकता
06:51ऐसा कीड़े जैसा होने और जीने के लिए थोड़ी पैदा हो सकता है कोई
06:56मैं किसी हालत में अपनी हालत को पसंद नहीं करता
07:00तो मुझे तो बदलना है
07:01मुझे सिर्फ यहीं नहीं करना कि
07:04जैसे गाये खूटे से बंधी हुई है
07:07और खूटे के इर्दगिर्दी चक्कर काटे ले रही है
07:09और उसको लग रहा है बदलाव आ गया बदलाव आ गया
07:11देखो मैं पहले उतर दिशा खड़ी थी अब पश्चिम दिशा खड़ी हूँ
07:14कहीं भी खड़ी है बंधी तो खूटे से ही है
07:16और दूसरा एक व्यक्ति होता है
07:20जो सचमुच बदलाव चाहता है
07:23उसे कॉस्मेटिक चेंज नहीं चाहिए
07:26उसे संतुष्टी ही नहीं होती है
07:28खुद को धोखा दे करके
07:30गयता है नहीं जिन्दगी बदलनी चाहिए साहब
07:33ये मैं क्या कर रहा हूँ
07:37किसको ब्योकूफ बना रहा हूँ
07:38खुद कोई ब्योकूफ
07:39इन दोनों लोगों के बरतावों में
07:44आपको बहुत फर्क मिलेगा
07:45एक जो अपनी जगह छोड़ना नहीं चाहता
07:49इसलिए बस अपनी जगह के इर्दगिर्दी
07:51ऐसे ही थोड़ा मटरगश्ती कर रहा है
07:53और दूसरा जो इसलिए चल रहा है
07:55क्योंकि उसे सचमुच बदलना है
07:57बहतर होना है
07:58बहतर होना कोई
08:01मजाग की बात नहीं होती
08:03बहतर होने का मतलब भी होता है
08:06अश्रम, अनुशासन, कष्ट जहिलने की
08:09सहर्ष तैयारी
08:10दर्द भी हो रहा हो तो उसमें
08:15मुस्कुरा गए
08:16तब बदलाव आता है
08:17नहीं तो वही है अपना
08:20बोला तो तमोगोड़ तमसा
08:21पड़े हो हैं बिस्तर पे
08:22खुद गंधा रहे हैं, बिस्तर भी गंधा रहे हैं
08:25इसों को देखा नहीं है क्या
08:39वहां आप दो साल पांच साल
08:41जितने भी समय के लिए हो उसका आप ऐसा उपयोग
08:43कर सकते हो कि आपका पूरा विक्तित तो बदल जाए
08:45पर अगर आप
08:46बहुत धोखेबास आत्मी हो आपको खुद कोई धोखा
08:49देना है तो आप क्या करते हो आप कुछ नहीं
08:50आप किसी तरीके से बस औसत
08:52तरीके के नंबर ले आ लेते हो
08:54और सारे टाइम बस विस्तर खराब करते हो
08:57ऐसो कि कमरे में खुश हो तो कमरा गंधा रहा होता था
09:00क्योंकि वो कमरे में हर समय होते थे
09:03इतना बड़ा क्या पस है पता नहीं कहा कहा जाके
09:07क्या-क्या सीख सकते हो, कर सकते हो, पर ये आदमी
09:0924 में से 18 घंटे
09:11अपने कमरे में ही पाया जाता था
09:13तो कमरा इसका पूरा महकरा होता था
09:15इसी की गंध से
09:16इसे कुछ नहीं करना
09:20इसे कहीं भी पहुँचा दो
09:23इसे नहीं बदलना
09:24इसे नहीं बदलना
09:29यह नर्क में हो, आप इसे स्वर्ग में डाल दो, आप आओगे नर्क अपने साथ लेकर गया, इसे नहीं बदलना
09:38आप इसको नर्क से निकाल सकते हो, आप इसके भीतर से नर्क को नहीं निकाल सकते
09:44इसे नहीं बदलना
09:49कमरे के बगल में बड़ा भारी जिम दे दो
09:58उसको नहीं जाना
10:00उसको नहीं जाएगा
10:01कमरे के नीचे दे दो
10:03उसे नहीं जाना
10:05उसे महकना है
10:08उसे सोना है
10:13पश्वियोनी
10:26मैंने देखा
10:27बंदे का नाम था पशुपती
10:30माब आपने बड़े लाड़ से रखा होगा
10:32उसी गल्फ्रेंड उसको बोल रही है
10:35माई पशु
10:35कुछ तो इसने सच्ची बात बोली
10:40पहचान ही गई है
10:42वो पशु ही है
10:45पशुपती कूल नहीं लगता
10:51तो धोके दे उसके मूँ से सही निकल गई है
10:53पशु ही है उसको वहीं पर
10:55कीचड में ही सड़ना है नहीं तो ऐसी गल्फ्रेंड पकड़ी होती
10:57समझवें आ रही है बात
11:07बहाना बनाना असान है कि हमने शुरुआत तो करी थी
11:12जिम जाने की या कोई भी और नई सार्थक शुरुआत पढ़ने की
11:15किसी भी तरीके से जंदगी को बहतर करने की
11:18हमने शुरुआत तो करी थी
11:19पर कुछ हुआ नहीं
11:21कुछ इसलिए नहीं हुआ क्योंकि तुम कुछ चाहते ही नहीं थे कि हो
11:24क्यों जूड बोलते हो कि तुम प्रयास कर रहे थे पर हुआ नहीं
11:31तुमारा सारा प्रयास स्वयम के ही विरुद्धेक दिखावा था
11:34आत्म प्रवंचना थी
11:36खुद को दिया हुआ धोखा था
11:51नियत थी कि कुछ बदले
11:57और इस तरह के बहुत घूम रहे हैं
12:01सच्ची बात
12:04उचे लोगों की बात
12:07दार्शनिकों की बात
12:10चाहे मैं कामों को बोलूं और चाहे अध्यात्म में कृष्ण को बोलूं
12:13इनकी बात लूजर्स के लिए नहीं होती
12:15लूजर्स समझ रहे हो
12:19जिन्हें खुद को जीतना ही नहीं है मैं उसको लूजर्स बोलता हूँ
12:23जो खुद से हारा हुआ है मैं उसको लूजर्स बोलता हूँ
12:27जो अपनी ही जिन्दगी से परास्त है मैं उसको लूजर्स बोलता हूँ
12:34यह loser है इन्हें कुछ नहीं करना इन्हें दिखावा करना है
12:37इनको धक्का भी दो कि तुम कुछ कर लो कुछ सीख लो यह तो भी ना करें
12:47इनके सामने coach लाके खड़ा कर दो कि लो भाई यह coach है यह तुम्हें
12:58कुछ सिखाएगा मानलो बैडमिंटन तीन दिन बाद coach मिला क्या हुआ बैडमिंटन भूल गया हूँ
13:03यहाँ वो जलवाए
13:12हम नहीं बदलेंगे क्योंकि हम क्या है पसू
13:24हम पसू है हम नहीं बदलेंगे पसू कभी बदलता है
13:29कुत्ते को देखा कि वो बैठके नॉवल पढ़ रहा है
13:39भैस को देखा जिमिंग कर रही है
13:43क्या कर रही है कि बैली टोन कर रही हूँ
13:48भैस ने एब्स मार दी
13:51कभी देखा ऐसा वो नहीं करेगी क्योंकि वो भैस है
13:56हम मेंते दातर लोग ऐसे ही होते है
13:58पसू माने जो बंधा हुआ हो
14:00पाश से जो बंधा है उसे पसू बोलते है
14:03जो खुद से बंधा हुआ है वही पसू है
14:06जो खुद को नहीं हरा सकता वही पसू है
14:09उसकी हस्ती उसका अहम ही उसका पाश है उसी खूटे से वो बन्धा हुआ है
14:16ऐसो की समस्या यह नहीं है कि यह खुद नहीं बदलेंगे
14:20ऐसो की समस्या यह है कि दूसरे भी नहीं बदलना चाहें
14:23तो ये दूसरे का वक्त और खराब कर देंगे
14:26बदलेंगे किसी हालत में नहीं
14:28अपनी नियत टटोलना बहुत जरूरी होता है
14:36इससे पहले कि शिकायत करो कि
14:39जिन्दगी में तरक्की नहीं हुई ये नहीं हुआ
14:42किस्मत ठीक नहीं थी
14:45वक्त ने साथ नहीं दिया
14:47अपने आप से पूछा करो कि
14:49नियत भी थी सुधरने की, बदलने की, बढ़ने की
14:52इवांदारी से, कडाई से
14:54जूटे जवाब नहीं सुईकार
14:57चाहते भी थे
15:01कोई बोले मिला नहीं जिन्दगी में
15:05उससे पूछो मिला नहीं या चाहा नहीं
15:08यह जो आपकी चाहत है न, इससे बड़ी ताकत दुनिया में नहीं होती
15:16पूरी दुनिया एक तरफ, ब्रहमांड पूरा एक तरफ, प्रक्रति का पूरा प्रपंच एक तरफ
15:25और बहतर होने की आपकी चाहत एक तरफ
15:30शास्त्री भाशा में उसको कहते हैं मुक्त की चाहत, मुक्षा
15:34मुक्षा ऐसी चीज है जो प्रक्रति के सारे पाशों को काट देती है
15:39आपकी चाहत में वो दम है कि माया भी उसके आगे घुटने टेक देती है
15:45आप चाहो तो सही
15:46और नहीं चाहो तो बहाने तो बहुत
15:52दिल को बहलाने को गालिब ये ख्याल अच्छा है
15:59हमारे पास तो ख्याल ही ख्याल होते हैं दिल को बहलाने को
16:03मुझे कोई नहीं मिलता है जिसको मैं पूछूँ
16:06कि ये नालायकी क्योंकि जो आज तू ने की
16:09तू बोले जानते बूचते कि क्योंकि मैं तो हूई नालायक
16:12सब के पास कोई न कोई दिल को बहलाने को खयाल होता है
16:15कुछ न कुछ तर्क लिख देते है
16:17जानना चाहते हो कि आपका असली चहरा कैसा है
16:22आपका तेज से भरा हुआ चेहरा कैसा है
16:28तो अपने आपको तपाओ
16:30और फिर देखो अपना तेज
16:32जब आप खुद के खिलाफ संघर्ष में होते हो
16:46उस वक्त आपका जो चेहरा होता है
16:48चेहरे पे खून दोड़ाया है लाल हो गया चेहरा बिलकुल
16:54और पसीना है
16:55उस चेहरे को बोलते हैं खुबसूरती
16:58खुबसूरती इसमें थोड़ी है विस्तर पे पड़े हुए है
17:02कभी देखा है नाली किनारे सूरों को लोटते हुए
17:06अभी आजकल जाड़ा है तो धूप लेते हैं वो भी
17:09उसमें थोड़ी कोई खुबसूरती है
17:15खुबसूरती है जब आप
17:18दांत भीच के कहते हो
17:21खुद को हरा दूँगी
17:23आरी बात समुझ में
17:27तू लूजर मत बनो
17:30खुद को हराओ
17:48मावारत के युद्ध में
17:49एक एक आप में से कई लोग सूने को हो रहे हो तो
17:53मैंने का वो लेक कर दूँ
17:54एक युद्धा का आता है
17:57तो वो इतना व्रद्ध था
18:07कि उसकी पलकें ही उपर टिकी नहीं रह पाती थी
18:11इतना बुढ़ा हो गया था
18:15पर वो लड़ने आया था पूरी जान लेके
18:17आप तो
18:20तै करते हो कि सोना है
18:23उस बिचारे की तो पलकें गिर जाती थी
18:24उसके यहां पर कुछ समस्या हो गई होगी
18:27या जान नहीं बची होगी पलकों में
18:29तो उसने पता है क्या करा
18:31उसने यहां छेदा और यहां छेदा और पलक ऐसे बांध दी
18:35और यहाँ छेदा और यहाँ छेदा पलक बांध दी
18:37और वो जो लड़ा है, जो लड़ा है
18:39महाभारत का जो पूरा निशकर्ष है
18:48वो आप क्या सोच रहे हो कि बस कौरवो पंडवों से निकला है नहीं
18:52उसमें भुरिशवा, साथ्य की इन लोगों का बड़ा योगदान था
18:56तो ऐसे भी होते हैं कि पलक गिर रही है तो यहाँ पर छेद करके यहाँ बांध दूँगा
19:07अब गिर के दिखा
19:08यह होती है एक जवान आदमी की ललकार
19:14खुद को हरा के दिखाऊंगा
19:21नहीं तो खुद से ही शर्मसार रहा हो, सर जुका जुका रहेगा
19:26तो मैं ही पता है लजाए हुए हो, सर ऐसे थोड़ी जुका रखा है
19:29जिन्दगी के आगे बेइज़द हो
19:32जादा तर लोगों की यही हालत है न बेइज़द क्यों है? क्योंकि पता है कि
19:37जो हार हुई है
19:39वो अपनी ही वज़े से हुई है
19:41इससे बड़ी बेज़िती नहीं हो सकती
19:42दुश्मन बहुत ताकतवर था
19:45वो चणके बैठ गया
19:46उसने गला काट दिया आपका वो एक बात होती है
19:49और एक बात होती है कि हारे क्यों
19:51काई दुश्मन जब चढ़ा आ रहा था तो हम सो रहे इसलिए हारे
19:55वाजिद अली शाह की जिंदगी से आता है
20:01अंग्रेज घुसाए थे
20:02इनको कपड़े जूते पहलाने वाला और तैयार करने वाला
20:07यो दुखेले कोई नहीं था तो ये इंतजार करते रहे हार हो गई
20:09बोले अपने हाथों कैसे हम जूते पहन ले
20:13बुलाओ कनीज को बुलाओ
20:17कनीजें होती है थी भाई
20:19अब ये बेजज़ती की हार है हम ज्यादा तर लोग अपनी ही नजरों में बहुत बेज़ज़त हैं हो अगर हो तो एक तरीका बता देता हूँ हार जीत की बात नहीं है लड़के दिखाओ
20:36खुद से लड़ो उसके बाद पाओगे कि भीतर न एक गरिमा पैदा हुई है डिग्निटी
20:44और जो डिग्निटी होती है ये सेल्फ एस्टीम से बहुत आगे की बात है सेल्फ एस्टीम तो जूटी चीज होती है
20:51जब आप अपने आपको यूही जताना चाहते हो कि आप भी किसी हैसियत के हो तो आप जूट मूटी कुछ करते हो कपड़े डाल लिये कुछ और कर लिया उची उची बाते करने लग गए प्रिटेंस ओफ सेल्फ एस्टीम और डिग्निटी दूसरी बात होती है डिग्निट
21:21डरता नहीं फिर आदमें आदमी कहता है जब हम खुद से नहीं डरे तो तुमसे क्या डरें जब हम खुद से नहीं हारे तो तुमसे क्या हारेंगे एक बड़ी सहज आश्वस्ति आजाती है चेहरे पर
21:46a calm assuredness
21:50एकदम ऐसे
21:53कोई पूछता है
21:57क्यों तुम्हें इतना विश्वास है
21:59कि तुम दुनिया से हारोगे नहीं
22:02तो जवाब देता है
22:03क्योंकि हम खुद से नहीं हारे
22:06जो खुद से नहीं हारता है
22:10वो फिर किसी से नहीं हारता
22:11जब भी हरना
22:18कभी किसी को दोश मत देना
22:20आपको किसी दूसरे ने नहीं हराया है
22:25आप खुद से हरे हो
22:26और ये बहुत शर्म की और बेज़ती की बात है
22:29मन के मते न चालिये
22:37मन के मते अने
22:41जो मन पर असवार है
22:49सो साधू कोई एक रिसाधो
22:55सो साधू कोई एक
23:01मन के बहुतक रंग है
23:07छिन छिन बदले सोई
23:13मन के बहुतक रंग है
23:19छिन छिन बदले सोई
23:24एक रंग में जो रहे
23:30ऐसा बिरला को इरसाधो
23:36ऐसा बिरला को
23:40जाहा प्रेम ताहा नेम नहीं
23:48ताहा न बुति वैवार
23:54प्रेम ताहा नेम नहीं
24:00ताहा न बुति वैवार
24:06प्रेम मगन जब मन भया
24:12कौन गिने थित्थिवार
24:16रे साधो
24:18कौन गिने थित्थिवार
24:22कौन गद्भा
24:30ईया
24:36बुति वैवार
24:38प्रेम
24:43कौनzahl
24:45ताह भी
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