"मीठे बच्चे- यह मुरली तुम्हें अज्ञानता के अंधकार से निकाल ज्ञान के प्रकाश में ले जाने के लिए है। इसे सुनो, समझो और अपने जीवन में धारण करो!" – शिव बाबा
यह सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि परमात्मा के श्रीमुख से निकला अमृत है, जो आत्मा को शक्तिशाली बनाता है। मुरली वह मार्गदर्शक है जो हमें पुराने संस्कारों से मुक्त कर नई सतयुगी दुनिया का अधिकारी बनाती है। यह हमें सच्ची शांति, अटल सुख और निर्विकारी जीवन की ओर ले जाती है। ✨ मुरली सुनें, मनन करें और इसे अपने जीवन में धारण करें! ✨ 🌸 ओम शांति! 🌸
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आज की मुरली ओम शांति मुरली ओम शांति की मुरली आज का मुरली ओम शांति मुरली आज की ओम शांति आज की मुरली आज की मुरली मधुबन
00:00मुरली अम्रित की धारा है धारा जो देती दुखों से किनारा
00:11ओम शान्ती
00:26आईए सुनते हैं
00:56वैसे बच्चों के भी तीन रूप देख हर्शित हो रहे हैं
01:00अपने तीनों ही रूप जानते हो ना
01:03इस समय सभी बच्चे ब्राम्मन रूप में हैं
01:06और ब्राम्मनों की लास्ट स्टेज
01:09ब्राह्मन सो फरिष्टा है फिर फरिष्टा सो देवता हो
01:13सबसे विशेश वर्तमान ब्राह्मन जीवन है
01:16ब्राह्मन जीवन अमूल्य है
01:19ब्राह्मन जीवन की विशेश्टा है प्योरिटी
01:22प्योरिटी ही ब्राह्मन जीवन की रियालिटी है
01:25purity ही भरामन जीवन की personality है
01:28purity ही सुक्षान्ति की जननी है
01:31जितनी purity होगी उतनी सुक और शान्ति जीवन में natural और nature होगी
01:38और pure आत्माओं का लक्ष है
01:40भरलामन सो देवता नहीं
01:42लेकिन पहले फरिश्टा बनने का है
01:45फरिश्टा सो देवता है
01:47तो ब्रामन सो फरिष्टा, फरिष्टा सो देवता, यह तीन रूप बाप दादा सभी बच्चों का देख रहे है, आप सभी को अपने तीन रूप सामने आ गए, आ गए, ब्रामन तो बन गए, अभी लक्षे है फरिष्टा बनने का, यही लक्षे है ना, फरिष्टा बनना ही
02:17और पुराने संसकार से कोई नाता नहीं, फरिष्टा, अर्थात सिर्फ समस्या के समय डबल लाइट नहीं, लेकिन सदा मनसावाचा, संबंध संपर्क में डबल लाइट, हलका, हलकी चीज अच्छी लगती है वा बोज वाली चीज अच्छी लगती है, क्या अच्छा लगता ह
02:47सर्व का प्यारा और न्यारा हो, सिर्फ प्यारा नहीं, जितना प्यारा उतना ही न्यारा हो, फरिष्टा की निशानी है वह सर्व का प्रिय होगा, जो भी देखेंगे, जो भी मिलेंगे, जो भी संबंध में आएंगे, संपर्क में आएंगे, वह अनुभव करेंगे कि यह म
03:17अपने पन का अनुभव हो, क्योंकि हलका होगा ना, तो हलका पन सब का प्रिये बना देता है।
03:23सारा ब्राम्मन परिवार अनुभव करे कि यह मेरा है।
03:27भारीपन नहीं हो क्योंकि फरिष्टे का आर्थ ही है डबल लाइट।
03:32फरिष्टा अर्थात, संकल्प, बोल, कर्म, संबंध, संपर्क में बेहद हो, हद नहीं हो, सब अपने है और मैं सबका हूँ, जहाँ ज्यादा अपना पन होता है ना, वहाँ हलका पन होता है, संसकार में भी हलका पन, तो चेक करो कितना परसंट फरिष्टा स्टेज तक पहु
04:02कि अब समय को देखते हुए जो अपने को महारती समझते हैं, उन्हों की स्टेज तो 95% होनी चाहिए, होनी चाहिए ना, किसी ने कहा 98% हो जाएंगे, मुबारक है, मुक में गुलाब जामुन खालो, क्योंकि देख तो रहे हो, जानते भी हो, कि हो जाना ही है, हो जाएंगे �
04:32अब यह भाशा परिवर्तन करो, जो भी संकल्प करो, चेक करो कितनी परसंट निश्चय और सफलता पूर्वक है, अभी चेक करने की स्पीड दीवर करो, पहले चेक करो, फिर कर्म में आओ, ऐसे नहीं, जो भी संकल्प आया, जो भी बोल में आया, जो भी संबन संपर्क में
05:02गंटे के बाद चेकिंग नहीं चलेगी
05:04पहले चेकिंग फिर कदम
05:06क्योंकि आज कल के
05:08विवियाईपी जो है
05:09वो तो एक जन्म के है
05:11वो भी थोड़े समय के लिए है
05:13और आप तो सृष्टी ड्रामा के ब्राम्मन सो
05:16फरिष्टे कितने भी वी वी लगा दो
05:18इतने हो
05:19इतने भी वी वी
05:21लगा दो इतने हो
05:23देखो आप अपने आगे भी वी वी
05:27लगाते जाओ
05:28आपने अपने चितर तो देखे है ना
05:31जो पूजे जा रहे हैं वो देखे है ना
05:32चलो मंदिर नहीं देखे फोटो तो देखे है
05:35अभी भी उन्हों की कितनी वैल्यू है
05:37कितने बड़े-बड़े मंदिर बनाते हैं
05:40और आपका चित्र जो है
05:41वह तो तीन फुट में आ जाता है
05:44तो कितना आपकी वैल्यू है
05:46जड़ चित्र की भी वैल्यू है
05:48वैल्यू है ना
05:50आपके चित्र का दर्शन करने के लिए कितनी Q लगती है
05:54और चेतन्य में कितने VVIP हो
05:57तो कदम उठाने के पहले चेक करो
05:59करने के बाद चेक किया
06:01वह कदम तो गया
06:03वह कदम फिर आपके हाथ में नहीं आएगा
06:05अग्यानकाल में भी कहते हैं
06:08सोच समझ कर काम करो
06:09काम करके सोचो नहीं, पहले सोचो फिर करो
06:13तो अपने स्वमान की सीट पर रहो
06:15जितना पोजीशन में रहते तो अपोजीशन नहीं हो सकती
06:19माया की अपोजीशन तब होती है जब पोजीशन में नहीं रहते हो
06:23तो अभी बाप दादा का question है
06:25सबका लक्षे तो है संपूर्ण बनने का
06:28संपन बनने का
06:30लक्षे है या थोड़ा-थोड़ा बनने का है
06:32लक्षे है
06:34सबका लक्षे है तो हाथ उठाओ
06:37संपूर्ण बनना है
06:39अच्छा
06:41कब तक
06:43आप लोगों से question करते हो न
06:46students से भी teachers question करती है न
06:49आपका क्या लक्षे है
06:51तो आज बाप दादा विशेश टीचर से पूछते है
06:54तीस वर्ष वाले बैठे है न
06:57तो तीस वर्ष वालों को कल ही आपस में बैट कर
07:00प्रोग्राम बनाना चाहिए
07:01मीटिंग तो बहुत करते हो
07:03बाप दादा देखते हैं
07:05मीटिंग सीटिंग, मीटिंग सीटिंग
07:07लेकिन अब ऐसी मीटिंग करो
07:09कि कब तक संपन्न बनेंगे
07:11और सब फंक्षन मनाते हो
07:13डेट फिक्स करते हो
07:15फलाना प्रोग्राम फलानी डेट
07:17इसकी डेट नहीं है
07:19जितने साल चाहिए उतने बताओ
07:22क्यों?
07:23बाप दादा क्यों कहते हैं?
07:25क्योंकि बाप से प्रकृती पूछती है
07:27कि कब तक विनाश करें?
07:29तो बाप दादा क्या जवाब दे?
07:32बाप दादा बच्चों से ही
07:33पूछेंगे ना कब तक?
07:35आज की विशेश टॉपिक है कब तक?
07:39डबल फारेनर्स बेटे हैं ना?
07:40तो डबल पूरुशार्थ होगा ना?
07:43कमाल करो
07:44फारेनर्स एक्जामपल बनो
07:46बस ब्राह्मन परिवार के आगे
07:48विश्व के आगे संपन्न और संपूर्ण
07:51सर्व शक्तियां
07:53सर्व गुण से संपन्न
07:55अर्थात संपूर्ण
07:56सर्व हो
07:58मन्सा, वाचा, संबंध संपर्क चार ही में
08:02चार में से अगर एक में भी कमजोर रह गए
08:05तो संपन्न नहीं कहेंगे
08:07चार बातें याद है ना?
08:10मन्सा, वाचा, संबंध संपर्क में करमा गया
08:14चार ही बातों में
08:16ऐसे नहीं मनसा वाचा में तो हम ठीक है
08:18संबन संपर्क में थोड़ा है
08:20सुनाया ना जिसके सामने भी जाए
08:23चाहे जिसके भी संपर्क में जाए
08:25वहाँ अनुभव करे कि यह मेरा है
08:27मेरे के उपर हुज्जत होती है ना
08:30दूसरे के उपर इतना हलकापन नहीं होता है, थोड़ा भारी होता है, लेकिन अपने के उपर हलकापन होता है
08:37तो सबसे हलके, ऐसे नहीं, सिर्फ अपने जोन में हलके, अपने सेंटर में हलके, नहीं
08:45अगर जोन में हलके या सेंटर में हलके
08:48तो विश्व राजन कैसे बनेंगे
08:50न विश्व कल्यानकारी बन सकते है
08:52न विश्व राजन बन सकते है
08:55राजन का अर्थ ये नहीं है कि तक्त पर बैठे
08:58राजधानी में रॉयल फैमिली में भी राज्य अधिकार है
09:01राज्य का
09:02तो क्या करेंगे
09:04कब तक के प्रश्न का उत्तर देंगे न
09:06मीटिंग करेंगे
09:08मीटिंग करके फाइनल करना
09:10ठीक है
09:11अच्छा
09:12सभी ठीक है
09:14उमंग आता है कि करना ही है
09:16होना ही है
09:18बाब दादा उमंग उल्लास दिलाता है
09:21माया देखती है उमंग उल्लास में है
09:23तो कुछ न कुछ कर लेती है
09:25क्योंकि उसका भी अभी अंतिम काल नजदीक है न
09:28तो वह अपने अस्त्र शस्त्र जो भी है
09:31वह यूस करती है और ऐसी पालना करती है
09:35जो समझ नहीं सकते है कि
09:37यह माया की पालना है
09:38माया की मत है या बाप की मत है
09:41उसमें मिक्स कर देते है
09:43ये फरिष्टेपन में या पुरुशार्थ में विशेश चोर रुकावट होती है
09:48उसके दो शब्द ही है जो कॉमन शब्द है
09:51मुश्किल भी नहीं है और सभी अनेग बार यूज भी करते है
09:55वह क्या है?
09:57मैं और मेरा
09:59बाप दादा ने बहुत सहज विधी पहले भी बताई है
10:02इस मैं और मेरे को परिवर्टन करने की
10:05याद है?
10:07देखो जिस समय आप मैं शब्द बोलते हो न
10:10उस समय सामने आए कि मैं हूँ ही आत्मा
10:13मैं शब्द बोलो और सामने आत्मा रूप को लाओ
10:17मैं शब्द ऐसे नहीं बोलो
10:19मैं आत्मा ये नैचुरल स्मृति में लाओ
10:22मैं शब्द के पीछे आत्मा लगा दो
10:26मैं आत्मा
10:27जब मेरा शब्द बोलते हो तो पहले कहो मेरा बाबा
10:31मेरा रूमाल, मेरी साड़ी, मेरा यह
10:34लेकिन पहले मेरा बाबा
10:37मेरा शब्द बुला बाबा सामने आया
10:40मैं शब्द बुला आत्मा सामने आई
10:42यह नेचर और नेचरल बनाओ
10:43सहज है ना या मुश्किल है
10:45जानते ही हो मैं आत्मा हूँ
10:48सिर्फ उस समय मानते नहीं हो
10:50जानना 100% है
10:51मानना परसेंटेज में है
10:53जब body conscious natural हो गया
10:56याद करना पड़ता है क्या कि मैं body अर्थात शरीर हूँ
11:01natural याद है ना
11:02तो मैं शब्द मुक के पहले तो संकल्प में आता है ना
11:06तो संकल्प में भी मैं शब्द आवे
11:08तो फौरण आत्मा सोरूप सामने आए
11:11यह अभ्यास करना सहज नहीं है
11:13सिर्फ मैं शब्द नहीं बोलना
11:16आत्मा साथ में बोलना पक्का हो जाएगा
11:18जैसे शरीर का नाम पक्का है ना
11:21दूसरे को भी कोई बुलाएगा
11:23तो आप ऐसे ऐसे करेंगे
11:25तो मैं आत्मा हूँ
11:26आत्मा का संसार बाब दादा
11:29आत्मा का संसकार ब्राह्मन सो फरिष्टा, फरिष्टा सो देवता
11:34तो क्या करेंगे?
11:36यह मन की ड्रिल करना
11:37आजकल डॉक्टर्स भी कहते हैं
11:39ड्रिल करो, ड्रिल करो, एक्सरसाइस करो
11:42तो यह एक्सरसाइस करो
11:44मैं आत्मा, मेरा बाबा
11:46क्योंकि समय की गती को
11:48ड्रामा नुसार स्लो करना पड़ता है
11:50होना चाहिए
11:52creator को तीवर
11:53creation को नहीं
11:55लेकिन अभी के प्रमान समय तेज जा रहा है
11:57प्रकृती ever ready है
12:00सिर्फ order के लिए रुकी हुई है
12:02ड्रामा का समय ही
12:03order करेगा न
12:05स्थापना वाले अगर ever ready नहीं होंगे
12:08तो विनाश के बाद क्या प्रले होगी
12:10होनी है प्रले
12:11कि विनाश के बाद स्थापना होनी ही है
12:14तो स्थापना के
12:16निमित बने हुए अभी समय
12:18प्रमान ever ready होने चाहिए
12:20बाप डादा यही देखने चाहते है
12:22जैसे ब्रह्मा बाप
12:24अरजुन बनाना
12:25एक्जाम्पल बना
12:26ऐसे ब्रह्मा बाप को
12:28फॉलू करने वाले कोन बनते है
12:30स्वयम को भी देखो
12:33समय को भी देखो
12:34बाप डादा ने पहले भी कहा
12:37कि वर्तमान समय
12:38आप सभी ब्रामन सो फरिष्टे
12:41आत्माव को निमित भाव
12:43और निर्मान भाव
12:44इन दोनों शब्दों को
12:46अंडरलाइन करना है
12:48इसमें बोडी कॉंशियस का मैपन
12:50खत्म हो जाएगा
12:51मेरा पन भी खत्म हो जाएगा
12:54निमित हूं और निर्मान स्वभाव
12:56जितना निर्मान होते हैं न
12:58उतना मान मिलता है
13:00क्योंकि जो निर्मान होता है वह सबका प्यारा बन जाता है
13:04और जब प्यारा बन जाता है तो मान तो अटोमेटिकली मिलेगा
13:08तो निमित और निर्मान भाव और भावना शुब भावना
13:13भाव और भावना दो चीजे होती है
13:15तो निमित और निर्मान भाव और भावना हर एक के प्रती शुब भावना, शुब कामना
13:22कैसा भी हो आपका निमित निर्मान भाव और शुब भावना वायू मंडल ऐसा बनाएगी जो सामने वाला भी वायब्रेशन से बदल जाएगा
13:30कई बच्चे रुहरियान करते हैं न तो कहते हैं हमने एक मास से शुब भावना रखी, वो बदलता ही नहीं है, फिर ठक जाते हैं, दिलशिकस्त हो जाते हैं
13:42अभी उस बिचारे की जो वृत्ती है या द्रिष्टी है वह है ही पत्थर जैसी, उसमें थोड़ा तो टाइम लगेगा न?
13:51अच्छा मानों वह नहीं बदलता है, तो आप अपने को तो ठीक रखो ना? आप तो अपनी पोजिशन में रहो न? आप क्यों दिलशिकस्त हो जाते हो? दिलशिकस्त नहीं हो
14:04अच्छा, वह नहीं बदला तो मैं तो उसके साथ बदल न जाऊं
14:09अगर आप दिल शिकस्त हो गए तो वह पाउरफुल हुआ जो उसने आपको बदल लिया
14:15आप अपने स्वमान की सीट क्यों छोड़ते हो
14:18वेस्ट थॉट्स भी नहीं उटना चाहिए, क्यों?
14:22क्यों कहा? और वेस्ट थॉट्स का दर्वाजा खुला
14:25वह दर्वाजा बंद बहुत मुश्किल होता है
14:29इसलिए क्यों नहीं सोचो, मर्सिफुल होकर वाइब्रेशन देते रहो
14:33आप अपनी सीट छोड़कर क्यों दिल शिकस्त हो जाते हो?
14:37याद रखा न, पोजिशन से नीचे नहीं आओ
14:41फिर बहुत उपोजिशन हो जाती है
14:44व्यक्ति व्यक्ति में उपोजिशन हो जाती है
14:47स्वभाव संसकार में उपोजिशन हो जाती है
14:50विचारों में उपोजिशन हो जाती है
14:53इसलिए पोजिशन में रहो
14:55तो कल क्या करेंगे
14:57याद है
14:58बाप दादा का प्यार है ना
15:01तो बाप दादा समझते हैं
15:02सब ब्रह्मा बाप समान बन जाये
15:04क्या बाप के आगे
15:06ओपोजिशन नहीं आई
15:07ब्रह्मा बाप के आगे ओपोजिशन नहीं हुई
15:10माया की भी हुई
15:11आत्माओ की भी हुई, प्रकृति की भी हुई
15:14लेकिन ब्रह्माब आपने पोजिशन छोड़ी
15:17नहीं छोड़ी न, तबी फरिष्टा बना न
15:21तो अभी अपने को तो फरिष्टा समझ कर चलो, मैं फरिष्टा हूँ
15:24लेकिन एक दो को भी फरिष्टा रूप में देखो
15:41अच्छा, अभी एक मिनट ऐसा पावर्फुल सर्व शक्तियों संपन्न विश्व की आत्माओं को किरणे दो, जो चारों और आपके शक्तियों का वाइब्रेशन विश्व में फैल जाए।
16:11लाइट बन सेवा और पुरुशार्थ करने वाले फरिश्व आत्माओं को, सदा अपनी पोजिशन की सीट पर सेट हो ओपोजिशन को समाप्त करने वाले मास्टर सर्व शक्तिवान बच्चों को, संगम युक का प्रत्यक्षफल, अनुभव करने वाले बाप के समीप, बच्�
16:41सेवा में सफलता का आधार है शुबचिंतक वृत्ति, क्योंकि आपकी यह वृत्ति आत्माओं की ग्रहन शक्ति वजिज्यासा को बढ़ाती है, इससे वानी की सेवा सहे सफल हो जाती है, और स्वा के प्रती स्वचिंतन करने वाली स्वचिंतक आत्मा, सदा माया प्रूफ,
17:11जीवन में लाओ, तब प्रत्यक्षता का समय समी पाए, स्लोगन, अपने संकल्पों को भी अरपन कर दो, तो सर्व कमजोरिया स्वतह दूर हो जाएंगी, अव्यक्त इशारे, आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास करो, अंतर मुखी बनो, परमात्मा प्यार का अनुभव
17:41सदा अंतर मुक्ता की गुफा में रहो, तो पुरानी दुनिया के वातावरण से परे होते जाएंगे, वातावरण के प्रभाव में नहीं आएंगे, ओम शांती