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  • 6/1/2025
"मीठे बच्चे- यह मुरली तुम्हें अज्ञानता के अंधकार से निकाल ज्ञान के प्रकाश में ले जाने के लिए है। इसे सुनो, समझो और अपने जीवन में धारण करो!" – शिव बाबा

यह सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि परमात्मा के श्रीमुख से निकला अमृत है, जो आत्मा को शक्तिशाली बनाता है। मुरली वह मार्गदर्शक है जो हमें पुराने संस्कारों से मुक्त कर नई सतयुगी दुनिया का अधिकारी बनाती है। यह हमें सच्ची शांति, अटल सुख और निर्विकारी जीवन की ओर ले जाती है।
✨ मुरली सुनें, मनन करें और इसे अपने जीवन में धारण करें! ✨
🌸 ओम शांति! 🌸

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Transcript
00:00मुरली अम्रित की धारा है धारा जो देती दुखों से किनारा
00:11ओम शान्ती
00:26आईए सुनते हैं
00:29दो जून दो हजार पच्चीस दिन सोमवार की साकार मुरली
00:34शिव बाबा कहते हैं
00:37मीठे बच्चे
00:38याद में रहो तो दूर होते भी साथ में हो
00:41याद से साथ का भी अनुभव होता है और विकर्म भी विनाश होते हैं
00:47प्रश्न
00:48दूर देशी बाब बच्चो को दूरान देशी बनाने के लिए कौन सा ग्यान देते हैं
00:54उत्तर
00:55आत्मा कैसे चक्र में भिन्न भिन्न वर्णों में आती है
00:59इसका ग्यान दूरांदेशी बाप ही देते है
01:02तुम जानते हो अभी हम ब्रामन वर्ण के हैं
01:05इसके पहले जब ग्यान नहीं था तो शूद्र वर्ण के थे
01:08उसके पहले वैश वर्ण के थे
01:12दूरदेश में रहने वाला बाप आकर
01:14ये दूरांदेशी बनने का सारा ग्यान बच्चों को देते हैं
01:18गीत
01:18जो पिया के साथ है
01:20ओम शान्ती
01:23जो ग्यान सागर के साथ है
01:26उनके लिए ग्यान बर साथ है
01:27तुम बाप के साथ हो ना
01:29भल विलायत में हो वा कहां भी हो
01:32साथ हो
01:33याद तो रखते हो ना
01:35जो भी बच्चे याद में रहते हैं
01:37वो सदेव साथ में है
01:38याद में रहने से साथ रहते हैं
01:41और विकर्म विनाश होते हैं
01:43फिर शुरू होता है विकर्माजीत संबत
01:45फिर जब रावन राज्य होता है तब कहते हैं राजा विक्रम का संबत
01:51वह विकर्मा जीत वह विक्रमी
01:53अभी तुम विकर्मा जीत बन रहे हो फिर तुम विक्रमी बन जाएंगे
01:58इस समय सभी अति विकर्मी है
02:01किसको भी अपने धर्म का पता नहीं है
02:03आज बाबा एक छोटा सा प्रश्ण पूछते हैं
02:06सत्यूग में देवताइं यह जानते हैं
02:09कि हम आदि सनातन देवी देवता धर्म के हैं
02:13जैसे तुम समझते हो हम हिंदु धर्म के हैं
02:16कोई कहेंगे हम कृष्चिन धर्म के हैं
02:19वैसे वहाँ देवताएं अपने को देवी देवता धर्म का समझते हैं, विचार की बात है न, वहाँ दूसरा कोई धर्म तो है नहीं जो समझें कि हम फलाने धर्म के हैं, यहां बहुत धर्म हैं तो पहचान देने के लिए अलग-अलग नाम रखे हैं, वहाँ तो है ही एक धर
02:49कहा नहीं जा सकता
02:50पतित होने कारण
02:51अपने को देवता कह नहीं सकते
02:53पवित्र को ही देवता कहा जाता है
02:56वहाँ ऐसी कोई बात होती नहीं
02:59कोई से भेंट नहीं की जा सकती
03:01अभी तुम संगम्युक पर हो
03:03जानते हो अधिसनातन
03:05देवी देवता धर्म
03:06फिर से स्थापन हो रहा है
03:08वहां तो धर्म की बात ही नहीं है
03:11है ही एक धर्म?
03:14यह भी बच्चों को समझाया है
03:15यह जो कहते हैं
03:17महाप्रले होती है
03:18अर्थात कुछ भी नहीं रहता
03:20यह भी रॉंग हो जाता है
03:22बाप बैट समझाते हैं
03:25राइट क्या है?
03:26शास्त्रों में तो जल्मई दिखा दी है
03:28बाप समझाते हैं सिवाए भारत के बाकी जल्मई हो जाती है
03:32इतनी बड़ी सृष्टी क्या करेंगे
03:35एक भारत में ही देखो कितने गाउं है
03:38पहले जंगल होता है फिर उनसे वृद्धी होती जाती है
03:42वहां तो सिर्फ तुम आदी सनातन देवी देवता धर्म के ही रहते हो
03:46यह तुम ब्राह्मणों की बुद्धी में बाबा धर्णा करा रहे है
03:50अभी तुम जानते हो उंच्ते उंच शिव बाबा कौन है
03:53उनकी पूजा क्यों की जाती है
03:55अकादी के फूल क्यों चड़ाते हैं
03:58वह तो निराकार है ना
04:00कहते हैं नाम रूप से न्यारा है
04:02परन्तु नाम रूप से न्यारी कोई चीज तो होती नहीं
04:05तब क्या है जिसको फूल आदी चड़ाते हैं
04:08पहले पहले पूजा उनकी होती है
04:11मंदिर भी उनके बनते हैं क्योंकि भारत की और सारी दुनिया के बच्चों की सर्विस करते है
04:16मनुष्यों की ही सर्विस की जाती है ना
04:19इस समय तुम अपने को देवी देवता धर्म के नहीं कहला सकते
04:23तुमको पता भी नहीं था कि हम देवी देवता थे फिर अभी बन रहे हैं
04:29अभी बाप समझा रहे हैं तो समझाना चाहिए ये नौलेज सिवाए बाप के कोई दे न सके
04:35उनको ही कहते हैं ग्यान का सागर
04:38नौलेज फुल
04:39गाया हुआ है रच्ता और रच्ना को रिशी मुनियादी कोई भी नहीं जानते
04:45नेती नेती करते गए है जैसे छोटे बच्चे को नौलेज है क्या
04:50जैसे बड़े होते जाएंगे बुद्धी खुलती जाएगी
04:53बुद्धी में आता जाएगा विलायत कहां है यह कहां है
04:57तुम बच्चे भी पहले इस बेहत की नौलेज को कुछ भी नहीं जानते थे
05:02यह भी कहते है भल हम शास्त्र आदी पढ़ते थे
05:06परंतु समझते कुछ भी नहीं थे
05:08मनुष्य ही इस ड्रामा में एक्टर है न
05:11सारा खेल दो बातों पर बना हुआ है
05:14भारत की हार और भारत की जीत
05:18भारत में सतयूग आदी के समय पवित्र धर्म था
05:22इस समय है अपवित्र धर्म
05:24अपवित्रता के कारण अपने को देवता नहीं कह सकते हैं
05:28फिर भी श्री श्री नाम रखा देते हैं
05:31लेकिन श्री माना श्रेष्ट
05:33श्रेष्ट कहा ही जाता है पवित्र देवताओं को
05:36श्री मत भगवानु अज कहा जाता है न
05:38अब श्री कौन ठहरे?
05:41जो बाप के सम्मुक सुनकर श्री बनते हैं
05:44यह जिन्होंने अपने को श्री-श्री कहलाया है।
05:47बाप के कर्तव्य पर जो नाम पड़े हैं, वह भी अपने उपर रखा दिये हैं।
05:52यह सब हैं रेजगारी बाते हैं।
05:55फिर भी बाप कहते हैं, बच्चों, एक बाप को याद करते रहो।
06:00यही वशी करण मंत्र है। तुम रावन पर जीत पहन, जगत जीत बनते हो।
06:05घड़ी-घड़ी अपने को आत्मा समझो। यह शरीर तो यहां पांच तत्वों का बना हुआ है।
06:11बनता है, छूटता है, फिर बनता है। अब आत्मा तो अविनाशी है।
06:16अविनाशी आत्माओं को अब अविनाशी बाप पड़ा रहे हैं संगम युक पर। भल कितने भी विग्ण आदी पड़ते हैं। माया के तुफान आते हैं, तुम बाप की याद में रहो। तुम समझते हो हम ही सतो प्रधान थे, फिर तमो प्रधान बने हैं।
06:32तुम्हारे में भी नंबरवार जानते हैं। तुम बच्चों की बुद्धी में है, हमने ही पहले पहले भक्ती की है। जरूर जिसने पहले पहले भक्ती की है, उसने ही शीव का मंदिर बनाया। क्योंकि धनवान भी वह होते हैं ना। बड़े राजा को देख, और भी रा�
07:02जितना टाइम नहीं लगता है, जितना याद की यात्रा पर लगता है। पुकारते भी हैं बाबा आओ, आकर हमको पतित से पावन बनाओ। ऐसे नहीं कहते कि बाबा हमें विश्व का मालिक बनाओ। सब कहेंगे पतित से पावन बनाओ। पावन दुनिया कहा जाता है सत्य
07:32अरे, तुम खुद ही कहते हो ना, पतित तो सब है ना, तुम कहते भी हो हम पतित है, ये देवताएं पावन है, तो पतित को क्या कहेंगे, गायन है ना, अमरित छोड़ विश काहे को खाए, विश तो खराब है ना, बाप कहते हैं, ये विश तुमको आदी मध्य अंत दुख �
08:02शराब बिगर रहे न सके, लड़ाई का समय होता है, तो उनको शराब पिला कर नशा चढ़ाएं लड़ाई पर भेज देते हैं, नशा मिला बस, समझेंगे हमको ऐसा करना है, उन लोगों को मरने का डर नहीं रहता है, कहां भी बॉंब्स ले जाकर बॉंब सहित गिरते हैं,
08:32तुम समझते हो पांडव कौन है, कौरव कौन है, स्वरगवासी बनने के लिए पांडवों ने जीते जीत देह अभिमान से गलने का पुरुशार्त किया, तुम अभी यह पुरानी जुत्ती छोड़ने का पुरुशार्त करते हो, कहते हो न, पुरानी जुत्ती छोड़ नह
09:02बहुत रख दिये हैं, देवियों के भी ऐसे नाम रख देते हैं, इस समय तुम्हारी पूजा हो रही है, यह भी तुम बच्चे ही जानते हो जिसकी हम पूजा करते थे, वह हमको पड़ा रहे हैं, जिन लक्षमी नारायन के हम पूजारी थे, वह अभी हम खुद बन रहे हैं,
09:32बाप को ही याद करते रहो, जिनकी मुरली नहीं चलती है, तो यहां बैठे सिमरन करें, यहां कोई बंधन जंजट आदी है नहीं, घर में बाल बच्चों आदी का वातावरण देख, वह नशा गुम हो जाता है, यहां चित्र भी रखे हैं, किसको भी समझाना बहुत सहज ह
10:02कहते भी हो बाबा, यह है बिलकुल नई चीज़, यह एक ही समय है, जबकि तुम को अपने को आत्मा समझ एक बाप को याद करना है, पांच हजार वर्ष पहले भी सिख आया था, और कोई की ताकत नहीं जो ऐसे समझा सके, ग्यान सागर है ही एक बाप, दूसरा कोई हो न सक
10:32कितने विग्न पड़ते हैं, परंतु गाया हुआ है, सच की नाव हिलेगी, डूलेगी लेकिन डूबेगी नहीं, अब तुम बच्चे बाप के पास आते हो, तो तुमारी दिल में कितनी खुशी रहनी चाहिए, आगे यातरा पर जाते थे, तो दिल में क्या आता था, अभी
11:02किया है, वह है ब्रह्मा, बिरादरियां होती है ना, पहली पहली बिरादरी ब्रामनों की है, फिर देवताओं की बिरादरी हो जाती है, अभी दूरदेशी बाप बच्चों को दूरांदेशी बनाते है, तुम जानते हो आत्मा कैसे सारे चक्र में भिन्न भिन्न वर्णों म
11:32ग्रेट ग्रेट ग्रेट फादर, ग्रेट शूद्र, ग्रेट वैश्य, ग्रेट ख्षत्रिय, उनके पहले ग्रेट ब्राम्मन थे, अब यह बातें सिवाए बाप के और कोई समझा न सके, इनको कहा जाता है दूरांदेश का ज्यान, दूर देश में रहने वाला बाप आकर द�
12:02और वह है ज्यान का सागर, स्वर्ग का राजे भी उनको देना है, श्रीकृष्ण थोड़े ही देंगे, शिव बाबा ही देगा, श्रीकृष्ण को बाबा नहीं कहेंगे, बाप राजे देते हैं, बाप से ही वर्सा मिलता है, अभी हद के वर्से सब पूरे होते हैं, सत्यूग
12:3221 पीड़ी यानि पूरी आयू
12:35जब शरीर बुढ़ा होगा तब समय पर शरीर छोड़ेंगे
12:39जैसे सर पुरानी खाल छोड़ नई ले लेते है
12:43हमारा भी पार्ट बजाते बजाते ये चोला पुराना हो गया है
12:47तुम सच्चे सच्चे ब्राह्मन हो
12:50तुम्हे ही भ्रमरी कहा जाता है
12:53तुम कीडो को आप समान ब्राह्मन बनाती हो
12:56तुम्हे कहा जाता है कि कीडे को ले आकर बैठ भूभू करो
13:00भ्रमरी भी भूभू करती है
13:03फिर कोई को तो पंखा जाते हैं कोई मर जाते है
13:07मिसाल सब अभी के हैं
13:09तुम लाडले बच्चे हो, बच्चों को नूरे रत्न कहा जाता है, बाप कहते हैं नूरे रत्न, तुमको अपना बनाया है तो तुम भी हमारे हुए ना, ऐसे बाप को जितना याद करेंगे पाप कट जाएंगे, और कोई को भी याद करने से पाप नहीं कटेंगे.
13:28अच्छा, मीठे मीठे सिकिल दे बच्चों, प्रति मात पिता बाप दादा का याद प्यार और गुड मॉर्निंग, रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते, हम रूहानी बच्चों की रूहानी मात पिता बाप दादा को याद प्यार, गुड मॉर्निंग और नमस्
13:582. सच्चा ब्रामण बन कीडों पर ग्यान की भूभू कर उन्हें आप समान ब्रामण बनाना है
14:06वरदान
14:08अमरितवेले का महत्व जानकर खुले भंडार से अपनी जोली भरपूर करने वाले तकदीरवान भाव
14:15अमरितवेले वरदाता भाग्ये विधाता से जो तकदीर की रेखा खिंचवाने चाहो खिंचवा लो
14:22क्योंकि उस समय भोले भगवान के रूप में लवफुल है
14:26इसलिए मालिक बनो और अधिकार लो
14:28खजाने पर कोई भी तालाचा भी नहीं है
14:31उस समय सिर्फ माया के बहाने बाजी को छोड़ एक संकल्प करो
14:36कि जो भी हूँ जैसी भी हूँ आपकी हूँ
14:39मन बुद्धिबाप के हवाले कर तक्त नशीन बन जाओ
14:43तो बाप के सर्व खजाने अपने खजाने अनुभव होंगे
14:47स्लोगन सेवा में यदी स्वार्थ मिक्स है
14:51तो सफलता भी मिक्स हो जाएगी इसलिए निस्वार्थ सेवाधरी बनो
14:56अव्यक्त इशारे आत्मिक स्थिती में रहने का अभ्यास करो
15:01अंतर मुखी बनो
15:02ऐसा कोई भी ब्राम्मन नहीं होगा जो आत्म अभिमानी बनने का पुरुशार्थी नहो
15:08लेकिन निरंतर आत्म अभिमानी जिससे करमेंद्रियों के ऊपर संपूर्ण विजय हो जाए
15:14हर एक करमेंद्रिय सतो प्रधान स्वच्छ हो जाए
15:17देह के पुराने संसकार और संबंध से संपूर्ण मर जीवा हो जाए
15:22इसके लिए अंतर मुखी बनो
15:24इसी पुरुशार्थ से ही नमबर बनेंगे
15:27ओम शान्ती
15:41ये समय है बड़ा वरदानी
15:45संगम की बेला है सुहानी ये समय है बड़ा वर्दानी

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