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  • 2 days ago
"मीठे बच्चे- यह मुरली तुम्हें अज्ञानता के अंधकार से निकाल ज्ञान के प्रकाश में ले जाने के लिए है। इसे सुनो, समझो और अपने जीवन में धारण करो!" – शिव बाबा

यह सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि परमात्मा के श्रीमुख से निकला अमृत है, जो आत्मा को शक्तिशाली बनाता है। मुरली वह मार्गदर्शक है जो हमें पुराने संस्कारों से मुक्त कर नई सतयुगी दुनिया का अधिकारी बनाती है। यह हमें सच्ची शांति, अटल सुख और निर्विकारी जीवन की ओर ले जाती है।
✨ मुरली सुनें, मनन करें और इसे अपने जीवन में धारण करें! ✨
🌸 ओम शांति! 🌸

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Transcript
00:00मुरली अमरित की धारा है धारा जो देती दुखों से किनारा
00:11ओम शान्ती
00:26आईए सुनते हैं
00:2816 जून 2025 दिन सोमवार की साकार मुरली
00:32शिव बाबा कहते हैं
00:35मीठे बच्चे सदा खुशी में रहो कि हमें कोई देहधारी नहीं पढ़ाते
00:40अशरीरी बाप शरीर में प्रवेशकर खास हमें पढ़ाने आये हैं
00:46प्रश्न
00:46तुम बच्चों को ग्यान का तीसरा नेतर क्यूं मिला है?
00:51उत्तर
00:51हमें ज्यान का तीसरा नेतर मिला है अपने शान्ती धाम और सुख धाम को देखने के लिए
00:57इन आखों से जो पुरानी दुनिया मित्र संबंधी आदी दिखाई देते हैं
01:02उनसे बुद्धी निकाल देनी है
01:04बाप आये हैं किचडे से निकाल फूल बनाने
01:08तो ऐसे बाप का फिर रिगार्ड भी रखना है
01:11ओम शान्ती
01:14शिव भगवान उवाच बच्चों प्रती
01:17शिव भगवान को सच्चा बाबा तो जरूर कहेंगे
01:21क्योंकि रचाईता है न
01:22अभी तुम बच्चे ही हो जिनको भगवान पढ़ाते हैं
01:26भगवान भगवती बनाने के लिए
01:29यह तो हर एक अच्छी रीती जानते हैं
01:32ऐसा कोई स्टूडेंट होता नहीं
01:34जो अपने टीचर को, पढ़ाई को और उनकी रिजल्ट को न जानता हो
01:38जिनको भगवान पढ़ाते हैं
01:40उनको कितनी खुशी होनी चाहिए
01:42यह खुशी स्थाई क्यों नहीं रहती
01:44तुम जानते हो
01:46हमको कोई देहदारी मनुष्य नहीं पढ़ाते हैं
01:49अशरीरी बाप शरीर में प्रवेश कर खास
01:52तुम बच्चों को पढ़ाने आये हैं
01:54यह किसको भी मालुम नहीं
01:56कि भगवान आकर पढ़ाते हैं
01:58तुम जानते हो हम भगवान के बच्चे हैं, वे हमको पढ़ाते हैं, वही ज्यान के सागर है
02:04शिव बाबा के सम्मुख तुम बैठे हो, आत्मा और परमात्मा अभी ही मिलते हैं, यह भूलो मत
02:11परन्तु माया ऐसी है जो भूला देती है, नहीं तो वे नशा रहना चाहिए न, भगवान हमको पढ़ाते हैं, उनको याद करते रहना चाहिए
02:21परन्तु यहां तो ऐसे ऐसे हैं जो बिलकुल ही भूल जाते हैं
02:25कुछ भी नहीं जानते
02:26भगवान खुद कहते हैं कि बहुत बच्चे ही है भूल जाते हैं
02:31नहीं तो वह खुशी रहनी चाहिए न
02:33हम भगवान के बच्चे हैं वह हमको पढ़ा रहे हैं
02:37माया ऐसी प्रबल है जो बिलकुल ही भुला देती है।
02:40इन आखों से यह जो पुरानी दुनिया मित्र संबंधियादी देखते हो उनमें बुद्धी चली जाती है।
02:46अभी तुम बच्चों को बाप तीसरा नेतर देते हैं।
02:50तुम शान्ती धाम सुख धाम को याद करो। यह दुख धाम चीची दुनिया।
02:55तुम जानते हो भारत स्वर्ग था अभी नरक है।
03:00बाप आकर फिर फूल बनाते हैं। वहां तुमको 21 जन्मों के लिए सुख मिलता है।
03:05इसके लिए ही तुम पढ़ रहे हो। परंतु पूरा नहीं पढ़ने कारण यहां के धन दौलत आदी में ही बुद्धी लटक पढ़ती है।
03:25भल यहां बैठे हैं तो भी पुरानी दुनिया से बुध्धी तूटती नहीं है
03:29अभी बाबा आया हुआ है गुल-गुल पवित्र बनाने के लिए
03:34तुम मुख्य पवित्रता के लिए ही कहते हो
03:36बाबा हमको पवित्र बनाकर पवित्र दुनिया में ले जाते हैं
03:41तो ऐसे बाप का कितना रिगार रखना चाहिए, ऐसे बाबा पर तो कुर्बान जाएं, जो परमधाम से आकर हम बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
03:50बच्चों पर कितनी महनत करते हैं, एकदम किचडे से निकालते हैं, अभी तुम फूल बन रहे हो, जानते हो कल्प कल्प हम ऐसे फूल देवता बनते हैं, मनुष्यों से देवता की ये करत नालागी वार, अभी हमको बाप पढ़ा रहे हैं, हम यहां मनुष्यों से देवता ब
04:20लिया है, तुमने ही बहुत सुख देखे, फिर 84 जनम लेते लेते सीड़ी नीचे उतरते हो, यह है ही छी छी दुनिया, कितने मनुश्य दुखी हैं, कितने तो भूक मरते रहते हैं, कुछ भी सुख नहीं है, भल कितना भी धनवान है, तो भी यह अल्प काल का सुख काग वि�
04:50समझते हो, हम ही देवता थे, फिर पुनर्जनम लेते लेते वैश्याल्य में आकर पड़े हैं, अभी तुमको फिर शिवाल्य में ले जाते हैं, शिव बाबा स्वर की स्थापना कर रहे हैं, तुमको पढ़ाई पढ़ा रहे हैं, तो अच्छी रिती पढ़ना चाहिए न, �
05:20मैं परमात्मा ग्यान का सागर हूँ
05:23पढ़ाई सोर्स ओफ इनकम होती है
05:26पढ़कर जब बैरिस्टर डॉक्टर आधी बनते हैं
05:29लाखो कमाते हैं
05:31एक-एक डॉक्टर मास में लाख रुपया कमाते हैं
05:35खाने की भी फुर्सत नहीं रहती
05:37तुम भी अभी पढ़ रहे हो
05:39तुम क्या बनते हो विश्व का मालिक
05:41तो इस पढ़ाई का नशा होना चाहिए न
05:44तुम बच्चों में बातचीत करने की कितनी रॉयल्टी होनी चाहिए
05:48तुम रॉयल बनते हो न
05:49राजाओं की चलन देखो कैसी होती है
05:52बाबा तो अनुभवी है न
05:54राजाओं को नजराना देते हैं
05:57कभी ऐसे हात में लेंगे नहीं
05:59अगर लेना होगा तो इशारा करेंगे
06:01सेक्रेट्री को जा कर दो
06:03बहुत रॉयल होते हैं
06:05बुद्धी में ये ख्याल रहता है
06:07इन से लेते हैं
06:08तो इनको वापिस भी देना है
06:10नहीं तो लेंगे नहीं
06:12कोई राजा प्रजा से बिलकुल लेते नहीं है
06:14कोई तो बहुत लूटते हैं
06:17राजाओं में भी फर्क होता है
06:19अभी तुम सत्यूगी दोहरा सिर्थाज राजाय बनते हो
06:22डबल ताज के लिए पवित्रता जरूर चाहिए
06:25इस विकारी दुनिया को छोड़ना है
06:28तुम बच्चों ने विकारों को छोड़ा है
06:30विकारी कोई आकर बैठ न सके
06:32अगर बिगर बताये आकर बैठ जाते हैं
06:35तो अपना ही नुकसान करते हैं
06:37कोई चलाकी करते हैं
06:52बाब कितना श्रिंगारते हैं, उच ते उच भगवान पढ़ाते हैं, तो कितना खुशी से पढ़ना चाहिए, ऐसी पढ़ाई तो कोई सौभाग्य शारी पढ़ते हैं, और फिर सर्टिफिकेट भी लेना है, बाबा कहेंगे तुम पढ़ते कहां हो, बुद्धी भटकती रहत
07:22ब्रदर फादर को, और जो ब्रदर्ज अच्छी रीती पढ़ते पढ़ाते हैं, यही धंदा करते हैं, ब्रदर श्नी में बहुतों को पढ़ाते हैं आगे चल जितना दुख बढ़ता जाएगा, उतना मनुष्यों को वेराग्य आएगा, फिर पढ़ने लग पढ़ेंगे, �
07:52जहां शरीर भी सुन्दर मिलेगा, पुरिशार्थ कर पढ़ाने वाले से भी उच जाना चाहिए, ऐसे भी हैं, पढ़ाने वाले से पढ़ने वाले की अवस्था बहुत अच्छी रहती है, बाप तो हर एक को जानते हैं न, तुम बच्चे भी जान सकते हो, अपने अंदर को
08:22अच्छा खा लेगी, गज को ग्रहा ने खाया, ये अभी की बात है न, अच्छे अच्छे बच्चों को भी माया रूपी ग्रहा एकदम हप कर लेता है, अपने को छोड़ा नहीं सकते हैं, खुद भी समझते हैं, हम माया के थपड़ से छूटने चाहते हैं, परन्तु माया �
08:52जट कह देंगे युद के मैदान में आये हो तो लड़ो, तुम माया खूप पचाड़ेगी, तुम बहुत उंच पत पा सकते हो, भगवान पढ़ाते हैं, कम बात है क्या, अभी तुम्हारी चड़ती कला होती है, नंबर वार पुरुशार्थ अनुसार, हर एक बच्चे को �
09:22उनको पढ़ाई में अटक अर्थात रुकावट दालते हैं, तो कहेगा हम ये लाख भी क्या करेंगे, हमको तो बेहत के बाप से विश्व की बादशाही लेनी है, ये लाख करोड तो सब भसमी भूत हो जाने वाले है, किन की दबी रहेगी धूल में, किन की जलाए आग, सा
09:52राज्य को खलास कराए, तुमको रामराज्य का मालिक बनाते हैं, तुमको तो अंदर में अथा खुशी होनी चाहिए, गाया हुआ है, अतींद्रिय सुख पूछना हो तो बच्चों से पूछो, तुम प्रदर्शनी में अपना सुख बताते हो न, हम भारत को स्वर्ग बना
10:22रवेश हो जाती है, तुम विश्व के मालिक बनते हो, अंदर में बहुत खुशी रहनी चाहिए, तुम कहते हो बाबा, हम आपसे स्वर्ग का वर्षा लेने आये हैं, सत्य नारायन की कथा सुनकर हम नर से नारायन, नारी से लक्ष्मी बनेंगे, तुम सब हाथ उठाते हो,
10:52अच्छी रीती ठहर गए, कोई फिर भगंती हो गए, अच्छे-अच्छे को माया खा गई, अजगर ने खाकर सारा हप कर लिया, अब बाब कहते हैं, हे आत्माए, बहुत प्यार से समझाते हैं, मैं पतित दुनिया को आकर, पावन दुनिया बनाता हूं, अब पतित दुनि
11:22आधा कल्प बाद, जब इन्हों की वो पवित्रता उड़ जाती है, तो रावन राज में सब विकारी और पुजारी बन जाते हैं।
11:30तो अब बाब बच्चों को समझाते हैं, कोई गफलत नहीं करो, भूल न जाओ, अच्छी रेती पढ़ो, रोज क्लास अटेंड नहीं कर सकते हो, तो भी बाबा सब प्रबंद दे सकते हैं, साथ रोज का कोर्स लो, जो मुरली को सहच समझ सको।
11:46कहां भी जाओ, सिर्फ दो अक्षर याद करो, ये है महा मंत्र, अपने को आत्मा समझ बाब को याद करो, कोई भी विकर्म वपाप कर्म देह अभिमान में आने से ही होता है, विकर्मों से बचने के लिए बुद्धी की प्रीत एक बाब से ही लगानी है, कोई देहधारी से �
12:16नाटक पूरा होता है, अभी हमारे 84 जन्म पूरे हुए, ये पुरानी आत्मा पुराना शरीर है, अब तमो प्रधान से सतो प्रधान बनना है, फिर शरीर भी सतो प्रधान मिल जाएगा, आत्मा को सतो प्रधान बनाना है, यही तात लगी रहे, बाप सिर्फ कहते हैं, मामे
12:46सब को स्कॉलर्शिप तो नहीं मिलेगी, फिर भी पुर्शार्थ तो बहुत करते हैं ना।
13:16कोई समय ऐसे-ऐसे स्वपन आएंगे, ना मन न चित ऐसे-ऐसे घुटके आएंगे, ये सब माया है।
13:23हम माया को जीतते हैं, आधा कल्प के लिए दुश्मन से राज्ज लेते हैं, हमको कोई परवाह नहीं।
13:30बहादुर कभी चूचा नहीं करते, लडाई में खुशी से जाते हैं।
13:36तुम तो यहां बड़े आराम से बाप से वर्सा लेते हो, ये छीछी शरीर छोड़ना है।
13:43अब जाते हैं स्वीट साइलेंस होम।
13:46बाप कहते हैं, मैं आया हूँ तुमको ले चलने।
13:50मुझे याद करो तो पावन बनेंगे।
13:53इंप्योर हात्मा जा न सके। ये हैं नई बातें।
13:58अच्छा, मीठे मीठे सिकी लधे बच्चों प्रती, माता पिता बाप दादा का याद प्यार और गुड मॉनिंग।
14:06रुहानी बाप की रुहानी बच्चों को नमस्ते।
14:09नमस्ते, हम रुहानी बच्चों की रुहानी माता पिता बाप दादा को, याद प्यार, गुड मॉनिंग और नमस्ते.
14:18धारणा के लिए मुख्य सार
14:20विकर्मों से बचने के लिए बुद्धी की प्रीत एक बाप से लगानी है, इस सड़ी हुई देह का अभिमान छोड़ देना है.
14:29हम वॉरियर्ज हैं, इस स्मृती से माया रूपी दुश्मन पर विजय त्राप्त करनी है, उसकी परवाह नहीं करनी है, माया गुप्त रूप में बहुत प्रवेश करती है, इसलिए उसे परखना और संभलना है.
14:44वर्दान
14:45मनसा, वाचा और कर्मणा की पवित्रता ने संपूर्ण मार्क्स लेने वाले नंबर वन आग्याकारी भव.
14:54मनसा पवित्रता अर्थात संकल्प में भी अपवित्रता के संसकार इमर्ज ना हो.
14:59सदा आत्मिक स्वरूप अर्थात भाई-भाई की स्रेष्ट स्मृती रहे, वाचा में सदा सत्यता और मधुर्ता हो, कर्मणा में सदा नम्रता, संतुष्टता और हर्शित मुखता हो.
15:12इसी आधार पर नमबर मिलते हैं और ऐसे संपूर्ण पवित्र आग्याकारी बच्चों का बाप भी गुडगान करते हैं.
15:21वही अपने हर कर्म से बाप के कर्तवे को सिध्ध करने वाले समी प्रत्न हैं.
15:26स्लोगन
15:27संबंध, संपर्क और स्थिती में लाइट बनो, दिन चर्या में नहीं.
15:35अव्यक्त इशारे
15:36आत्मिक स्थिती में रहने का अभ्यास करो, अंतरमुखी बनो.
15:41अंतरमुखी आत्माए कैसी भी परिस्थिती हो, चाहे अच्छी हो, चाहे हिलाने वाली हो, लेकिन हर समय, हर सरकम्स्टांस के अंदर अपने को एडजस्ट कर लेती हैं.
15:52अकेले हों या संगठन में हों, दोनों में एडजस्ट होना ये है ब्राम्हन जीवन.
15:57ओम शांती.

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