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  • 2 days ago
"मीठे बच्चे- यह मुरली तुम्हें अज्ञानता के अंधकार से निकाल ज्ञान के प्रकाश में ले जाने के लिए है। इसे सुनो, समझो और अपने जीवन में धारण करो!" – शिव बाबा

यह सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि परमात्मा के श्रीमुख से निकला अमृत है, जो आत्मा को शक्तिशाली बनाता है। मुरली वह मार्गदर्शक है जो हमें पुराने संस्कारों से मुक्त कर नई सतयुगी दुनिया का अधिकारी बनाती है। यह हमें सच्ची शांति, अटल सुख और निर्विकारी जीवन की ओर ले जाती है।
✨ मुरली सुनें, मनन करें और इसे अपने जीवन में धारण करें! ✨
🌸 ओम शांति! 🌸

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Transcript
00:00मुरली अमरित की धारा है धारा जो देती दुखों से किनारा
00:11ओम शान्ती आईए सुनते हैं
00:3012 जून 2025 दिन ब्रहस्पतिवार की साकार मुरली
00:34शिव बाबा कहते हैं
00:37मीठे बच्चे तुम्हें अभी ज्यान की दृष्टी मिली है इसलिए तुम्हारा भटकना बंध हुआ
00:43तुम शान्ती धाम सुख धाम को याद करते हो
00:47प्रश्ण
00:48देवताओं में कौन सी ताकत है और वो ताकत किस विशेष्टा के कारण है
00:54उत्तर
00:55देवताओं में सारे विश्व पर राज्य करने की ताकत है
00:59वो ताकत विशेश एकमत की विशेश्ता की कारण है
01:03वहाँ एकमत होने के कारण वजीर आदी रखने की दरकार नहीं
01:08देवताओं ने संगम पर बाप से ऐसी श्रीमत ली हुई है
01:11जो 21 जन्म राज्य करते हैं
01:14वहाँ एक राजा की एक दैवी फैमिली होती
01:17दूसरी मत होती नहीं
01:19गीत
01:20नयन हीन को राह दिखाओ प्रभू
01:24ओम शांती
01:26बच्चों को नयन मिले हैं
01:28पहले नयन नहीं थे
01:30कौन से नयन?
01:32ज्यान के नयन नहीं थे
01:33अग्यान के नयन तो थे
01:35बच्चे जानते हैं ग्यान सागर एक ही बाप है
01:39और कोई में ये रुहानी ज्यान है नहीं
01:42जिस ज्यान से सद्गती हो
01:43अर्थात शान्ती धाम सुख धाम जाना हो
01:46अभी तुम बच्चों को दृष्टी मिली है
01:49कैसे सुखधाम बदल कर फिर माया का राज्यवा दुखधाम बनता है
01:53पुकारने लगते हैं कि नयन हीन को रह बताओ
01:57भक्ति मार्ग के यग्य दान पुन्ने आधी से कोई रह नहीं मिलती है
02:02शांती धाम सुखधाम जाने की
02:04हर एक को अपना पाट बजाना ही है
02:07बाट कहते हैं मुझे भी पाट मिला हुआ है
02:11भक्ति मार्ग में पुकारते हैं मुक्ती जीवन मुक्ती की रह बताओ
02:15उसके लिए कितने यग्य तप दान पुन्ने आधी करते हैं कितना भटकते हैं
02:20शांती धाम सुखधाम में भटकना होता ही नहीं है
02:24ये भी तुम जानते हो
02:25वो तो सिर्फ शास्त्रों की पढ़ाई और जिस्मानी पढ़ाई को ही जानते हैं
02:30इस रुहानी बाप को तो बिल्कुल जानते ही नहीं है
02:32रुहानी बाप ग्यान तब आकर देते हैं जबकि सर्व की सद्गती होती है
02:37पुरानी दुनिया बदलनी होती है
02:40मनुष्य से देवता बनते हैं
02:43फिर सारी स्रिष्टी पर एक ही राज्य होता है देवी देवताओं का
02:46जिसको ही स्वर्ग कहते हैं
02:49ये भी भारतवासी जानते हैं
02:51आदी सनातन देवी देवता धर्म भारत में ही था
02:54उस समय कोई और धर्म नहीं था
02:56तुम बच्चों के लिए अभी है संगम युग
02:59बाकी सब हैं कल युग में
03:01तुम पुरुशोत्तम संगम युग पर बैठे हो
03:04जो जो बाप को याद करते हैं
03:06बाप की श्रीमत पर चलते हैं
03:08वो संगम युग पर हैं
03:09बाकी कल्युग में हैं, अभी कोई sovereignty kingdom तो है नहीं, अनेक मतों से राज्य चलता है, सत्युग में तो एक महराजा की ही मत चलती है, वजीर होते नहीं, इतनी ताकत रहती है, फिर जब पतित बनते हैं तो वजीर आधी रखते हैं क्यूंकि वो ताकत नहीं रहती, अभी तो है ही
03:39अभी ये है तुम्हारा इश्वरिय परिवार, बाप कहते हैं अपने को आत्मा समझ बाप की याद में रहते हो, तो तुम इश्वरिय परिवार के हो, अगर देह अभिमान में आकर भूल जाते हो, तो आसुरी परिवार के हो, एक सेकिंड में इश्वरिय संप्रदाय के और
04:09प्रणतु यहां तो बिगर काम भी याद नहीं कर सकते हैं, भूल जाते हैं, यही मेहनत है, भक्ती में ऐसे थोड़े ही कहा जाता कि सारा दिन भक्ती करो, उसमें टाइम होता है सवेरे, शाम, वरात को, फिर मंतरादी जो मिलते हैं, वो बुद्धी में रहते हैं,
04:39अनेक अनेक शास्त्र हैं, वो भक्ती मार्ग में पढ़ते हैं, तुमको तो कोई पुस्तक आदी नहीं पढ़ना है, ना बनाना है, यह मुडली छपाते भी हैं रिफ्रेस होने के लिए, बाकी कोई भी किताब आदी नहीं रहेंगी, यह सब खतम हो जानी है, ज्यान तो है ही ए
05:09पता नहीं है कि ज्यान क्या है, विज्यान क्या है, अभी तुम ज्यान और विज्यान को जानते हो, योग से होती है हेल्थ, जिसको विज्यान कहा जाता है, और ये है ज्यान, जिसमें वर्ल्ड की हिस्ट्री जोगरफी समझाई जाती है, वर्ल्ड की हिस्ट्री जोगरफी क
05:39थे, कैसे राजधानी मिली थी, ये बाते और कोई की बुद्धी में नहीं आती, बाप ही नॉलेजबल है, ये स्रिष्टी का चक्र कैसे फिरता है, बाप ही समझाते हैं, बने-बनाए ड्रामा को ना जानने के कारण मनुष्य कह देते हैं, फलाना निर्वान गया या जोटी-�
06:09है, कितना बड़ा ड्रामा है, सब में आत्मा है, उस आत्मा में अविनाशी पार्ट भरा हुआ है, इनको कहा जाता है बनी-बनाई, अब ड्रामा कहते हैं, तो जरूर उनका टाइम भी चाहिए, बाप समझाते हैं, ये ड्रामा पांच हजार वर्ष का है, भक्तिमार्क के श
06:39रोशनी में थे, वो लोग समझते हैं कल्योग में तो अजुन 40,000 वर्ष हैं, उन्हों को ये पता नहीं पड़ता कि भगवान आया है, इस पुरानी दुनिया का मौत सामने खड़ा है, सब अग्यान नींद में सोय पड़े हैं, जब लड़ाई देखते हैं, तो कहते हैं ये
07:09यहां ही राजाय स्थापन की, गीता में तो प्रलय दिखा दी है, दिखाते हैं और सब मर गए, बाकी पांच पांडव बचे, वो भी पहाडों पर जाकर गल मरे, राज योग से क्या हुआ, कुछ भी पता नहीं है, बाप हर एक बात समझाते रहते हैं, वो है हद की बात, ह�
07:39कर एडॉप्ट करते हैं, कहते हैं मैं इनमें प्रवेश कर बच्चों को नौलेज सुनाता हूँ, इन द्वारा बच्चों को रचता हूँ, बाप भी है, फैमिली भी है, ये बातें बड़ी गुहिये हैं, बहुत गंभीर बाते हैं, मुश्किल कोई की बुद्धी में बैठ
08:09जिन है, एक के फीचर्ज दूसरे से ना मिले, हर एक आत्मा के जन जनमांतर के अपने फीचर्ज हैं, अपनी एक्ट ड्रामा में नून्धी हुई है, इसलिए इनको बना-बनाया ड्रामा कहा जाता है, अभी बेहत का बाप कहते हैं, मुझे याद करो तो विकर्म विनाश हो
08:39हैं, माया घड़ी-घड़ी याद को तोड़ेगी, संकल्प, विकल्प ऐसे-ऐसे आएंगे जो एकदम माथा खराब कर देंगे, तुम मेहनत करो, बाप ने समझाया है इन लक्ष्मी नारायन की करमिंद्रिया वश कैसे हुई, ये संपूर्ण निर्विकारी थे, ये शिक्�
09:09रावण क्या चीज है? ये कोई भी नहीं जानते हैं, ड्रामा अनुसार ये भी नून्ध है, ड्रामा के आदी मध्य अंत को नहीं जानते हैं, इसलिए ही नेती-नेती करते आएं हैं, अभी तुम स्वर्ग वासी बनने के लिए पुरुशार्थ कर रहे हो, ये लक्ष्मी ना
09:39जैसे आठ घंटे सरकारी नौकरी होती है न, अभी तुम बेहद की सरकार के मददगार हो, तुमको कम से कम आठ घंटा पुरुशार्थ कर याद में रहना है, ये अवस्था तुम्हारी ऐसी पक्की हो जाएगी कि कोई की भी याद नहीं आएगी, बाप की याद में ही शरी
10:0916108 की माला भी होती है, एक बड़े बॉक्स में पड़ी रहती है, आठ की माला है, 108 की भी है, अंत में फिर 16108 की भी बनती है, तुम बच्चों नहीं बाप से राजयोग सीख सारे विश्व को स्वर्ग बनाया है, इसलिए तुमको पूजा जाता है, तुम ही पूजे थे, �
10:39पहले नंबर में है रुद्र माला, जिसमें शिव भी है, रुंड माला में शिव कहां से आए, वो है विश्णु की माला, इन बातों को भी कोई समझते थोड़े ही है, अभी तुम कहते हो हम शिव बाबा के गले का हार जाय बनते हैं, ब्राम्भनों की माला नहीं बन सकती है
11:09अभी हम इस पुराने शरीर को छोड़ स्वर्गवासी बनेंगे, सारा भारत स्वर्गवासी बनेगा, इन पटिकुलर भारत ही स्वर्ग था, 5000 वर्ष की बात है, लाखों वर्ष की बात हो नहीं सकती, देवताओं को ही 5000 वर्ष हुए, स्वर्ग को मनुष्य भूल गए हैं,
11:39पुरानी चीजे काम क्या आएंगी, कितना खरीद करते हैं, पुरानी चीज की बहुत वैल्यू करते हैं, सबसे वैल्यूबल है शिव बाबा, कितने शिवलिंग बनाते हैं, आत्मा इतनी छोटी बिंदी है, ये किसको भी समझ में नहीं आता, अती सूक्ष मरूप है, बाप ही
12:09कोई सहज राजोग सिखा कैसे सकते, ये सब भक्ती मार के लिए बैट बनाया है, अभी बच्चे जानते हैं, बाप द्वारा ब्रामिन, देवता, छत्रिय, तीन धरम स्थापन हो रहे हैं, भविश्य नई दुनिया के लिए, वो पढ़ाई जो तुम पढ़ते हो, वो है इस
12:39पच्चों को सब राज समझाते हैं, ये भी बाबा जानते हैं, तुम सारा दिन इस याद में रह नहीं सकेंगे, इंपॉसिबल है, इसलिए चाट रखो, देखो हम कहां तक याद में रह सकते हैं, दे का अभिमान होगा तो याद कैसी रह सकेगी, पापों का बोजह सिर पर �
13:09बैज तो सदा लगा रहे, लिटरिचर भी हो, कोई भी अच्छा आदमी हो तो उनको देना चाहिए, अच्छा आदमी कभी मुफ्त में लेंगे नहीं, बोलें इसका क्या पैसा है, बोलो ये गरीमों को तो मुफ्त में दिया जाता है, बाकी जो जितना दे, रॉयल्टी होनी
13:39बोलो हम अपना तन, मन, धन भारत की सेवा में खर्च करते हैं, अच्छा, मीठे मीठे सिकल दे बच्चों प्रती मात, पिता, बाप, दादा का याद प्यार और गुड मॉनिंग, रुहानी बाप की रुहानी बच्चों को नमस्ते, हम रुहानी बच्चों की रुहानी मात,
14:09इस बेहद की सरकार को मदद करने के लिए कम से कम आठ घंटा याद में रहने का पुरुशार्थ करना है, याद में जो माया विग्ण डालती है उससे घबराना नहीं है, दो, इस पुरुशोतम संगम युग पर ईश्वरे संप्रदाय का बन, ईश्वर की मत पर चलना है, कर
14:39देही भव
15:09से न्यारा हो जाता है, स्लोगन
15:12साधना बीज है और साधन उसका विस्तार है, विस्तार में साधना को छिपा नहीं देना, अव्यक्त इशारे
15:22आत्मिक स्थिती में रहने का भ्यास करो, अंतरमुखी बनो
15:26अंतरमुखी की निशानी सदा सागर के तले में खोए हुए गंभीर मूर्थ
15:32चहरे द्वारा आत्मिक स्थिती के चिन्ह दिखाई देंगे
15:36एक और मनन चिन्तन करने वाला चहरा और फिर रमनीक अर्थात मुस्कुराता हुआ चहरा
15:42दोनों ही लक्षण सूरत से प्रत्यक्ष होंगे
15:44अंतरमुखी सदा हर्शित मुख दिखाई देंगे
15:47क्योंकि माया का सामना करना समाप्त हो जाएगा
15:51ओम शान्ती
16:06संकम की बेला है सुहानी ये समय है बड़ा वर्दानी

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