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  • 5/27/2025
"मीठे बच्चे- यह मुरली तुम्हें अज्ञानता के अंधकार से निकाल ज्ञान के प्रकाश में ले जाने के लिए है। इसे सुनो, समझो और अपने जीवन में धारण करो!" – शिव बाबा

यह सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि परमात्मा के श्रीमुख से निकला अमृत है, जो आत्मा को शक्तिशाली बनाता है। मुरली वह मार्गदर्शक है जो हमें पुराने संस्कारों से मुक्त कर नई सतयुगी दुनिया का अधिकारी बनाती है। यह हमें सच्ची शांति, अटल सुख और निर्विकारी जीवन की ओर ले जाती है।
✨ मुरली सुनें, मनन करें और इसे अपने जीवन में धारण करें! ✨
🌸 ओम शांति! 🌸

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Transcript
00:00मुरली अमरित की धारा है धारा जो देती दुखों से किनारा
00:11ओम शान्ति
00:26आईए सुनते हैं
00:2928 मई दो हजार पचीस दिन बुधुवार की साकार मुरली
00:33शिव बाबा कहते हैं मीठे बच्चे
00:36अभी ड्रामा का चक्र पूरा होता है
00:39तुम्हें कशीर खंड बनकर नई दुनिया में आना है
00:42वहाँ सब कशीर खंड है यहाँ लून पानी है
00:46प्रश्न
00:47तुम त्रिनेत्री बच्चे किस नौलेज को जानकर त्रिकालदर्शी बन गए हो
00:52उत्तर
00:54तुम्हें अभी सारे वर्ल्ड की हिस्ट्री जोग्राफी की नौलेज मिली है
00:58सत्यूग से लेकर कल्यूग अंतत तक की हिस्ट्री जोग्राफी तुम जानते हो
01:04तुम्हें ग्यान का तीसरा नेत्र मिला
01:07कि आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है
01:10संसकार आत्मा में है
01:12अब बाप कहते हैं बच्चे
01:14नाम रूप से न्यारा बनो
01:16अपने को आत्मा अशरीरी समझो
01:19गीत
01:20धीरज धर्मनुवा
01:22ओम शान्ती
01:24कल्प कल्प बच्चों को कहा जाता है
01:27और बच्चे जानते हैं
01:29दिल होती है
01:30कि जल्दी सत्यूग हो जाए
01:32तो इस दुख से छूट जाए
01:34परन्तु ड्रामा बहुत धीरे-धीरे
01:36चलने वाला है
01:37बाप धीरज देते हैं बाकी थोड़े रोज हैं
01:41बड़ो-बड़ों द्वारा भी आवाज सुनते रहेंगे
01:43दुनिया बदलनी है
01:44जो भी बड़े-बड़े हैं
01:46पोप जैसे वह भी कहते हैं
01:48दुनिया बदलने वाली है
01:49अच्चा फिर पीस कैसे होगी
01:51इस समय सब लून पानी है
01:54अभी हम क्षिरखंड हो रहे हैं
01:56उस तरफ दिन प्रति दिन लून पानी होते जाते हैं
01:59आपस में लड़ जगड कर खत्म होने वाले हैं
02:02तैयारियां हो रही हैं
02:04ये ड्रामा का चक्र अब पूरा होता है
02:06पुरानी दुनिया पूरी होती है
02:09नई दुनिया की स्थापना हो रही है
02:11नई दुनिया सो पुरानी सो नई दुनिया फिर बनेगी
02:16इसको दुनिया का चक्र कहा जाता है जो फिरता रहता है
02:20ऐसे नहीं, लाखों वर्ष बाद पुरानी दुनिया नई होगी
02:24नहीं
02:26तुम बच्चे अच्छी रीती जान चुके हो, भक्ती बिलकुल ही अलग है, भक्ती का कनेक्शन रावन के साथ है, ग्यान का कनेक्शन राम के साथ है, यह तुम अभी समझ रहे हो, अभी बाप को बुलाते भी हैं, हे पतित पावन आओ, आकर नई दुनिया स्थापन करो, न�
02:56जाएंगे, फिर 84 जन्मों का चक्र लगाना है, स्वा आत्मा को दर्शन होता है, सृष्टी चक्र का, अर्थाद आत्मा को ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है, उसको कहा जाता है थिनेत्री, अभी तुम धिनेत्री हो, और सभी मनुष्यों को यह स्थूल नेत्र है, ज्ञान क
03:26अब बाप कहते हैं, नाम रूप से न्यारा बनो, अपने को अशरीरी समझो, देह नहीं समझो.
03:39यह भी जानते हो, हम आधा कल्प से परमात्मा को याद करते आये हैं. इसमें जब जास्ती दुख होता है, तब जास्ती याद करते हैं. अभी कितना दुख है? आगे इतना दुख नहीं था. जब से बाहर वाले आये हैं, तब से यह राजाएं लोग भी आपस में लड़े हैं
04:09में एक ही राजिता. ऐसे एक ही डाइनस्टी कोई की होती नहीं. क्रिश्चन में भी, देखो फूट है, वहां तो सारा विश्व एक के हाथ में रहता है. वह सिर्फ सत्यूग त्रेता में ही होता है. यह बेहद की हिस्ट्री जोग्राफी अभी तुम्हारी बुद्धी में ह
04:39बुद्धी में है उँच दे उँच हमारा बाप है. बापका शुक्रिया है, जिसने सारा ज्यान सुनाया है. एक आत्माओं का जाड़ है, दूसरा है मनुष्यो का जाड़. मनुष्यो के जाड़ में ऊपर में कौन है? ग्रेट ग्रेट ग्रेट फादर ब्रह्मा को ही कहें�
05:09पिर सूक्ष्म वतन का भी तुमको मालूम है, मनुष्य ही फरिष्टा बनते हैं, इसलिए सूक्ष्म वतन दिखाया है, तुम आत्माएं जाती हो, शरीर तो सूक्ष्म वतन में नहीं जाएगा, जाते कैसे हैं, उनको कहा जाता है तीसरा नेत्र, दिव्यत द्रिष्टी, अत्
05:39अभी तुम जानते हो, विनाश तो ड्रामा अनुसार होना ही है, आपस में लड़कर विनाश हो जाएंगे, बाकी शंकर क्या करते हैं, ये ड्रामा अनुसार नाम रख दिया है, तो समझाना पड़ता है, ब्रह्मा विष्णु शंकर तीन है, स्थापना के लिए ब्रह्मा को
06:09अनुसार के लिए ब्रह्मा के भी 84 जन्म पूरे हुए, तो विष्णु के भी पूरे हुए, शंकर तो जन्म मरन से न्यारा है, इसलिए शिव और शंकर को फिर मिला दिया है, वास्तों में शिव का तो बहुत पाठ है, पढ़ाते हैं, भगवान को कहा जाता है नौलेजफ�
06:39बाप को तो आना पड़ता है, बाप कहते बच्चे मेरे में सृष्टी चकर का ग्यान है, मेरे को यह पार्ट मिला हुआ है, इसलिए मुझे ही ग्यान सागर नौलेजफुल कहते हैं, नौलेजफ किसको कहा जाता है, वह तो जब मिले तब पता पड़े, मिला ही नहीं है तो �
07:09यह दंदा मैं नहीं करता हूँ, यह तो जैसा कर्म करते हैं, उसकी खुद ही सजा भोगते हैं, मैं किसको नहीं देता हूँ, न कोई प्रेड़ना से सजा दूँगा, मैं प्रेड़ना से करूं तो जैसे मैंने सजाती, कोई को कहना कि इनको मारो, यह भी दोश है, कहने वाला
07:39थोड़े ही दुख देता हूँ, अब तुम बच्चे बाप के सम्मुख बैठे हो तो कितनी खुशी होनी चाहिए, यहाँ डाइरेक्ट भासना आती है, बाबा हमको पढ़ाते हैं, इनको मेला कहा जाता है, सेंटर्स पर तुम जाते हो, वहाँ कोई आत्माओ, परमात्मा का मे
08:09हैं कि बाप आये, यह सबसे अच्छा मेला है, बाप आकर सब आत्माओं को रावन राज्ये से छुड़ा देते हैं, यह मेला अच्छा हुआ ना, जिससे मनुष्य पारस बुद्धी बनते हैं, उन मेलों पर तो मनुष्य मेले हो जाते हैं, पैसे बरबात करते रहते हैं, मि
08:39तुम ही जानते हो बाबा आया हुआ है, सब जान जाए तो पता नहीं कितनी भीड हो जाए, इतने मकान आदी रहने के लिए कहां से लाएंगे, पिछाडी में गाते हैं ना अहो प्रभू तेरी लीला, कौन सी लीला, सृष्टी के बदलने की लीला, यह है सबसे बड़ी लीला
09:09जब स्थापना पूरी होती है, तब फिर विनाश शुरू होता है, फिर पालना होगी, तो तुम बच्चों को यह खुशी रहती है, हम स्वदर्शन चक्रधारी ब्रामण हैं, फिर हम चक्रवर्ती राजा बनते हैं, यह कोई को पता नहीं, इन देवताओं का राज्य कहां �
09:39कहा जाता है, तो अब इस मेले में ड्रामा अनुसार तुम आए हो, यह ड्रामा में नूध है, धीरे धीरे विर्द्धी होती रहेगी, तुम्हारा जो कुछ पार्ट चल रहा है, फिर कल्प बाच चलेगा, यह चक्र फिरता रहता है, फिर रावन राज्य में आसुरी पालन
10:09यह भी दैवी गुण वाले मनुष्य न, बाकी इतनी भुजाएं आदी देदी हैं, विश्नु कौन है, यह कोई बता न सकी, महालक्ष्मी की भी पूजा करते हैं, जगत अंबा से कभी धन नहीं मांगते हैं, धन जास्ती मिल गया तो कहेंगे, लक्ष्मी की पूजा की इसल
10:39देखो, जग दंबा का कितना मिला लगता है, ब्रह्मा का इतना नहीं, ब्रह्मा को तो एक ही जगा बिठा दिया है, अज्मेर में बड़ा मंदिर है, देवियों के मंदिर बहुत हैं, क्योंकि इस समय तुमारी बहुत महिमा है, तुम भारत की सेवा करते हो, पूजा भी त�
11:09तुम्हारी में कितनी महिमा बढ़ाता हूं।
11:19भारत माता की जय कहते हैं न�
11:21भारत माता तो तुम हो न
11:23धरनी नहीं
11:24धरनी आधी जो अब तमो प्रधान है
11:27सत्यूग में सतो प्रधान हो जाती है
11:30इसलिए कहते है
11:31देवताओं के पैरपति दुनिया में नहीं आते
11:39बनना है श्रीमत पर चलते बाप को याद करते रहेंगे तो उंच पद पाएंगे ये खयाल रखना है याद करेंगे तो विकर्म विनाश होंगे श्रीमत मिलती रहती है सत्यूग में तो तुम्हारी आत्मा पवित्र कंचन हो जाती है तो शरीर भी कंचन मिलता है सोने में खा�
12:09कुछ भी नहीं है, पहले तुम विश्व के मालिक 24 कैरेट थे, अभी 9 कैरेट कहेंगे, ये बाप बच्चों से रूह रियान करते हैं, बच्चों को बैट बहलाते हैं, जो तुम सुनते सुनते चेंज हो जाते हो, मनुष्य से देवता बन जाते हो, वहाँ हीरे जवारातों के
12:39नहीं, अभी तुम प्रैक्टिकल में जाते हो, ये है आत्मा और परमात्मा का मेला, इनसे तुम उज्वल बनते हो, तुम बच्चे जब यहां आते हो, तो फ्री हो, घर बार धंदे आदी का कोई पुरना नहीं है, तो यहां तुमको याद की यात्रा में रहने का चांस अ�
13:09शिव बाबा की याद में आकर बैठो, और कोई याद ना आये, यहां तुमको मदद भी मिलेगी, सवेरे अर्था जल्दी सो जाओ, फिर सवेरे उठो, तीन से पांच बजे तक आकर बैठो, बाबा भी आ जाएंगे, बच्चे खुश होंगे, बाबा है योग सिखलाने वा
13:39यहां कुछ भी याद नहीं पड़ेगा, इसमें फाइदा बहुत है, बाबा राय देते हैं, यह बहुत अच्छा हो सकता है, अब देखें बच्चे उठ सकते हैं, कईयों को सवेरे उठने का अभ्यास है, तुम्हारा सन्यास है पांच विकारों का, और वैराग्य है सारी प
14:09हम रूहनी बच्चों की रूहनी मात पिता बाप दादा को याद प्यार, गुड मॉर्निंग और नमस्ते, धारणा के लिए मुख्य सार
14:18एक, अभी स्रिष्टी बदलने की लीला चल रही है, इसलिए स्वैम को बदलना है, कशीर खंड होकर रहना है
14:26दो, सवेरे उठकर एक बाप की याद में बैठना है, उस समय और कोई भी याद ना आए, पुरानी दुनिया से बेहत का वैरागी बन, पांच विकारों का सन्यास करना है
14:40वर्दान
14:42बेहत की स्थिती में स्थित रह, सेवा के लगाव से नियारे और प्यारे विश्व सेवाधारी भव, विश्व सेवाधारी अर्थत, बेहत की स्थिती में स्थित रहने वाले
14:54ऐसे सेवाधारी सेवा करते हुए भी न्यारे और सदा बाप के प्यारे रहते हैं
15:00सेवा के लगाव में नहीं आते क्योंकि सेवा का लगाव भी सोने की जंजीर है
15:05यह बंधन बेहत से हद में ले आता है
15:08इसलिए देह की स्मृति से, इश्वरिय संबंध से, सिवा के साधनों के लगाउ से न्यारे और बाप के प्यारे बनो, तो विश्व सिवाधारी का वरदान प्राप्त हो जाएगा और सदा सफलता मिलती रहेगी
15:20स्लोगन
15:22व्यर्थ संकल्पों को एक सेकंड में स्टॉप करने की रिहर्सल करो, तो शक्तिशाली बन जाएंगे
15:28अव्यक्त इशारे
15:30रूहानी रॉयल्टी और प्यूरिटी की परसनेलिटी धारन करो
15:34आप सबकी पहली प्रवर्ति है, अपनी देह की प्रवर्ति फिर है, देह के संबंध की प्रवर्ति
15:41तो पहली प्रवर्ति देह की हर करमेंद्रिय को पवित्र बनाना है
15:45जब तक देह की प्रवर्ति को पवित्र नहीं बनाया है
15:49तब तक देहे के संबंद की प्रवृत्ती चाहे हद की हो, चाहे बेहद की हो, उसको भी पवित्र नहीं बना सकेंगे
15:56तो पहले अपने आपसे पूछो कि अपने शरीर रुपी घर को अर्थात संकल्पों को, बुद्धी को, नयनों को और मुख को रुखानी अर्थात पवित्र बनाया है।
16:08ऐसी पवित्रा आत्माएं ही महान है।
16:12ओम शान्ती
16:26जंकम की बेला है सुहानी ये समय है बड़ा वरदानी

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