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  • 5/24/2025
"मीठे बच्चे- यह मुरली तुम्हें अज्ञानता के अंधकार से निकाल ज्ञान के प्रकाश में ले जाने के लिए है। इसे सुनो, समझो और अपने जीवन में धारण करो!" – शिव बाबा

यह सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि परमात्मा के श्रीमुख से निकला अमृत है, जो आत्मा को शक्तिशाली बनाता है। मुरली वह मार्गदर्शक है जो हमें पुराने संस्कारों से मुक्त कर नई सतयुगी दुनिया का अधिकारी बनाती है। यह हमें सच्ची शांति, अटल सुख और निर्विकारी जीवन की ओर ले जाती है।
✨ मुरली सुनें, मनन करें और इसे अपने जीवन में धारण करें! ✨
🌸 ओम शांति! 🌸

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Transcript
00:00मुरली अम्रित की धारा है धारा जो देती दुखों से किनारा
00:11ओम शान्ती आईए
00:27सुनते हैं 26 मई 2025 दिन सोमवार की साकार मुरली
00:33शिव बाबा कहते हैं मीठे बच्चे तुम्हें संग बहुत अच्छा करना है
00:38बुरे संग का रंग लगा तो गिर पड़ेंगे
00:41कुसंग बुद्धी को तुच्छ बना देता है
00:44प्रश्न अभी तुम बच्चों को कौन सी उचलानी चाहिए
00:48उत्तर तुम्हें उचलानी चाहिए कि गाउं गाउं में जाकर सर्विस करे
00:54तुम्हारे पास जो कुछ है वह सेवा आर्थ है
00:58बाब बच्चों को राय देते है
01:01बच्चे, इस पुरानी दुनिया से अपना पल्लव आजाद करो
01:06कोई चीज में ममत्व नहीं रखो, इनसे दिल नहीं लगाओ
01:10गीत, इस पाप की दुनिया से ओम शान्ती
01:16पाप आत्माओं की दुनिया और पुन्या आत्माओं की दुनिया नाम आत्माओं का ही रखा जाता है
01:22अभी यहाँ दुख है तब पुकारते हैं
01:25पुन्या आत्माओं की दुनिया में पुकारते नहीं कि कहां ले चलो
01:28तुम बच्चे समझते हो ये कोई पंडितवा सन्यासी शास्त्रवादी आदी नहीं सुनाते है ये खुद भी कहते हैं मैं ये ज्ञान नहीं जानता था
01:38रामायन आदिशास्त्र तो धेर पड़ते थे
01:40बाकी ये ज्ञान हम तुमको सुनाते है
01:43ये भी सुनते है
01:45अभी यह है पाप आत्माओं की दुनिया
01:48पुन्य आत्माओं के लिए सिर्फ कहेंगे
01:50कि ये होकर गए है
01:52बस पूजा करके आजाएंगे
01:55शिव की पुजा करके आएंगे
01:57तुम बच्चे अब किस की पुजा करेंगे
02:00तुम जानते हो उँचते उँच भगवान शिव है
02:03वह है ओबीडियंट बाप
02:05टीचर ओबीडियंट प्रिसेप्टर
02:08साथ ले जाने की गैरेंटी
02:10और कोई गुरू आदी कर न सके
02:12सो भी वह कोई सब को थोड़े ही ले जाएंगे
02:15अभी तुम सम्मुक बैठे हो
02:17यहां से अपने घर में जाने से भी तुम भूल जाएंगे
02:21यहां सम्मुक सुनने से मज़ा आएगा
02:24बाप घड़ी-घड़ी कहते हैं
02:27बच्चे अच्छी रीती पड़ो
02:29इसमें गफलत नहीं करो
02:31कुसंग में नहीं फंसो
02:33नहीं तो और ही तुच्छ बुद्धी हो जाएंगे
02:36बच्चे जानते हैं हम क्या थे
02:39क्या पाप किये
02:40अब हम यह देवता बनते हैं
02:43यह पुरानी दुनिया खत्म होनी है
02:45फिर यहां मकान आदी की क्या परवाह रखनी है
02:48इस दुनिया का जो कुछ है
02:50वह भूलना है
02:52नहीं तो रुकावट डालेंगे
02:54इसमें दिल लगता नहीं
02:56हम नई दुनिया में
02:58अपने हीरे जवारातों के महल जाकर बनाएंगे
03:01यहां के पैसे आदी कोई चीज अच्छी लगती होगी
03:05तो शरीर छोड़ते समय उसमें मोह चला जाएगा
03:08हमारा हमारा करेंगे तो
03:10वह पिछाडी में सामने आ जाएगा
03:13यह तो सब यहां खत्म हो जाने है
03:15हम अपनी राजधनी में आ जाएंगे
03:17इससे क्या दिल लगानी है
03:19वहां बहुत सुख रहता है
03:21नाम ही है स्वर्ग
03:23अभी हम चले अपने वतन
03:25यह तो रावन का वतन है
03:27हमारा नहीं
03:29इनसे छूटने का पुरुशार्थ करना है
03:31पुरानी दुनिया से पल्लव आजध कराते हैं
03:35इसलिए बाप कहते हैं
03:36कोई चीज में ममत्व नहीं रखो
03:38पेट कोई जास्ती नहीं मांगता
03:40फाल्तू चीजों पर खर्चा बहुत होता है
03:43तुम बच्चों को सर्विस करने के लिए उच्छलानी चाहिए
03:46कई बच्चे हैं
03:48जिनको गाउं गाउं में सर्विस करने का शौक है
03:51बाकि जिसको सर्विस का शौक नहीं
03:53उन्हें क्या काम के कहेंगे
03:55जैसे बाप वैसे बच्चों को बनना चाहिए
03:58बाप का ही परिचे देना है
04:00बाप को याद करो और बाप से वरसा लो
04:04बच्चों को शौक होता हम बाबा की सर्विस पर जाते है
04:07तो बाप भी हिम्मत बढ़ाते है
04:10बाप आये हैं सर्विस पर
04:12सर्विस के लिए सब कुछ है
04:14ये तो बाप का परिचे सब को देना है
04:17बाप एक ही है
04:19भारत में आया था
04:21भारत में देवताओं का राज्य था
04:23कल की बात है लक्षमी नाराएन का राज्य था
04:26फिर राम सीता का
04:28फिर वाम मार्ग में गिरे
04:29रावन राज्य शुरू हुआ
04:32सीड़ी नीचे उतरे
04:33अब फिर चड़ती कला
04:35सेकेंड की बात है
04:36एक होता है रियल लव
04:38दूसरा होता है आर्टिफिशल लव
04:41रियल लव बाप से तब हो जब अपने को आत्मा समझे
04:45अब तुम बच्चों का इस दुनिया में आर्टिफिशल लव है
04:49ये तो खत्म होनी है
04:51सर्विस करने वाले कभी भूखे नहीं मर सकते
04:54तो सर्विस का बच्चों को शौक रखना चाहिए
04:57तुमारी इश्वरिये मिशन बड़ी सहज है
04:59कोई समझते नहीं कि धर्म कैसे स्थापन होता है
05:03क्राइस्ट आया
05:04क्रिश्चिन धर्म स्थापन किया
05:06धर्म बढ़ता गया
05:08उसकी मत पर चलते चलते गिरते आये
05:11अब तुम बच्चों को देही अभिमानी बनना है
05:14आधा कल्प रावन राज्य में हम बाप को भूल गए
05:17अब बाप ने आकर सुजाक किया है
05:20बाबा कहते ड्रामा अनुसर तुमको गिरना ही था
05:24तुम्हारा भी दोश नहीं
05:27रावन राज्य में दुनिया की ऐसी हालत हो जाती है
05:30बाप कहते हैं
05:32अब मैं आया हूँ पढ़ाने
05:33तुम फिर से अपनी राजाई लो
05:36मैं और कोई तकलीफ नहीं देता हूँ
05:38एक तो बाजार की छीछी गंदी चीजे नखाओ
05:41और मा में कम याद करो
05:43अभी तुम बच्चे जानते हो
05:45यह ड्रामा का चक्र है
05:46जो फिर रिपीट होगा
05:48तुमारी बुद्धि में ड्रामा के आदी
05:51मध्य, अंत का ग्यान है
05:53तुम कोई को भी समझा सकते हो
05:55पहले तो बाप की याद रहनी चाहिए
05:58सर्विस के लिए
05:59आपस में मिलकर साथी बना लेना चाहिए
06:02माताओं को भी निकलना चाहिए
06:04इसमें डरने की कोई बात नहीं है
06:07चित्र, आदी, सब तुमको मिलेंगे
06:10तुमारी सर्विस जास्ती होगी
06:13कहेंगे आप चले जाते हो
06:15फिर हमको कौन सिखाएंगे
06:16बोलो, हम सर्विस करने के लिए तैयार है
06:20मकान आदी का प्रबंध करो
06:23बहुतो के कल्यान अर्थ निमित बन जाएंगे
06:27बाबा सर्विस का उमंग दिलाते है
06:30बच्चों में हिम्मत है
06:32तो सर्विस भी बढ़ती है
06:33ये कोई मेला नहीं है
06:35जो 10 से 15 दिन मेला चला फिर कलास
06:38ये मेला तो चलता ही रहता है
06:40यहां आत्माओं और परमात्मा का मिलन होता है
06:43जिसको ही सच्चा मेला कहा जाता है
06:46वो तो अभी चल ही रहा है
06:48मेला बन तब होगा जब सर्विस पूरी होगी
06:51ड्रामा अनुसर बच्चों को सर्विस का बड़ा शौक चाहिए
06:55जो बेहद के बाप में नौलेज है
06:57वह बच्चों की बुद्धि में है
07:00उच्चते उच्च बाप से हम कितना उच्च बनते आये हैं
07:05ऐसे ऐसे अपने से बातें करनी है
07:07आपस में सेमिनार करना है
07:09बाबा से राय कर सर्विस में लग जओ
07:12कोई मदद की दरकार हो तो बाबा दुलहेलाल बैठा है
07:15ये सब ड्रामा में नूद है
07:18फिक्र की कोई बात नहीं
07:20नहीं तो स्थापना कैसे होगी
07:21दूसरी बात ये भी है जो करेगा वह पाएगा
07:25अभी तुम बच्चे पत्थर बुद्धी से हीरे जैसा बनते हो
07:28बाब ज्यान से इतना सीधा करते
07:30माया फिर नाक से पकड़ कर
07:32पीठ दिला देती है
07:34तुम बच्चों को संग बड़ा अच्छा करना चाहिए
07:37बुरे संग का रंग लगने से गिर पड़ेंगे
07:39बाबा बाइसकोप अर्थत सिनेमा आदी देखने की मना करते हैं
07:44जिसको बाइसकोप की आदत पड़ी
07:46वह पतिद बनने बिगर रह नहीं सकेंगे
07:48यहां हर एक की एक्टिविटी डर्टी है
07:52नाम ही है वैश्यालय
07:54बाप शिवालय स्थापन कर रहे है
07:57वैश्यालय को पूरी आग लगनी है
08:00कुम्भकरन जैसे आसुरी नीन्द में सोए पड़े है
08:03तुम समझते हो कि हम शिवालय में जा रहे है
08:06पहले हम भी बंदर सद्रश थे
08:09इस पर रामायन में भी कहानी है
08:12अभी तुम बाप के मददगार बने हो
08:15तुम अपनी शक्ती से राज्य स्थापन कर रहे हो
08:18फिर यह रावन राज्य खलास हो जाना है
08:21तुम बच्चों को अनेक प्रकार की युक्तियां बताते रहते हैं
08:26किसको दान नहीं करेंगे तो फल भी कैसे मिलेगा
08:29पहले पहले दस पंदरह को रास्ता बता कर
08:32फिर बाद में भोजन खाना चाहिए
08:34पहले शुब काम करके आओ
08:36इसमें ही तुम्हारा कल्यान है
08:38कोई भी देहधारी को याद नहीं करो
08:40यह तो पतित दुनिया है
08:42पतित पावन एक बाप को याद करो
08:45तो पावन दुनिया के मालिक बन जाएंगे
08:48अंतमती सोगती हो जाएगी
08:51तो किसी न किसी को संदेश सुना कर
08:53फिर आए भोजन खाना चाहिए
08:55तुम सब को यही बताते रहो
08:57कि बाप को याद करने से
08:59इतना उंच बन जाएंगे
09:00अच्छा
09:03मीठे मीठे
09:04सिकीलधे बच्चो प्रतिमात पिता
09:07बाप दादा का याद प्यार
09:08और गुड मॉर्निंग
09:10रूहनी बाप की रूहनी बच्चो को नमस्ते
09:13हम रूहनी बच्चो की
09:15रूहनी मात पिता बाप दादा को
09:16याद प्यार गुड मॉर्निंग
09:18और नमस्ते
09:19रात्री क्लास
09:2117 मार्च 1968
09:23कभी भी कोई भाशन आदी करना हो तो आपस में मिलकर दो-चार बारी रिहर्सल करो
09:29पॉइंट्स, एडिशन, करेक्शन कर तैयार करो तो फिर रिफाइन भाशन करेंगे
09:35मूल एक बात पर गिता के भगवान पर ही तुमने विजय पाई तो फिर सभी बातों में विजय हो जाएगी
09:41इसके लिए कानफरेंस तो होगी ना
09:43समझते रहेंगे जाड की वृद्धी तो जरूर होनी है
09:47माया के तूफान तो सभी को लगते है
09:50अकसर करके लिखते हैं बाबा हमने काम की चमाट आई
09:54इसको कहा जाता है कि कमाई चट
09:56क्रोधादी किया तो कहेंगे कुछ घटा पड़ा
10:00इसके लिए समझाना पड़ता है
10:02काम पर जीत पहन जगत जीत बनते है
10:05काम से हारे हार होती है
10:07काम से हारने वाले की कमाई चट हो जाती है
10:11दंड पढ़ जाता है
10:13मंजिल बहुत बड़ी है
10:15इसलिए बड़ी खबरदारी रखनी पढ़ती है
10:17तुम बच्चे जानते हो
10:195000 वर्ष पहले भी हमको बादिशाही मिली थी
10:23अभी फिर से दैवी राजधानी स्थापन हो रही है
10:26इस पढ़ाई से हम उस राजधानी में जाते हैं
10:29सारा मदार है पढ़ाई पर
10:31पढ़ाई और धारणा से ही बाप समान बनेंगे
10:34रजिस्टर भी चाहिए ना
10:36जो मालूम पड़े कितनों को आप समान बनाया
10:38जितना जास्ती धारणा करेंगे उतना ही मीठा बनेंगे
10:42बहुत लवली बच्चे चाहिए
10:44तुम बच्चों के लिए ही वह दिन आया आज
10:47जिसके लिए मनुष्य बहुत कोशिश करते हैं
10:50कि मुक्ती में जावें
10:51बाप सभी को इकठा ही मुक्ती जीवन मुक्ती देते है
10:54जो देवता बनने का पुरुशार्थ करते हैं
10:58वही जीवन मुक्ती में आएंगे
10:59बाकी सभी मुक्ती में जाएंगे
11:02हिसाब accurate नहीं निकाल सकते
11:04कोई तो रहेंगे भी
11:06विनाश का साक्षात कार करेंगे
11:09यह सुहावना समय भी देखेंगे, हर बात में पुरुशार्थ करना होता है.
11:15ऐसे भी नहीं याद में बैठिंगे, तो काम हो जाएगा, मकान मिल जाएगा?
11:21नहीं, वह तो ड्रामा में जो है, वही होता है, आश नहीं रכनी चाहिए, पुरुशार्थ करना होता है,
11:29बाकी होता तो वही है जो ड्रामा में नून्ध है
11:32आगे चल तुमारी वृत्ती भी भाई-भाई की हो जाएगी
11:36जितना पुरुशार्थ करेंगे उतना वह वृत्ती रहेगी
11:40हम अशरीरी आये थे
11:4284 जन्म का चक्र पूरा किया
11:45अब बाप कहते हैं कर्मातीत अवस्था में जाना है
11:49तुमको वास्तव में किसी से भी शास्त्रों आदी पर विवात करने की दरकार नहीं है
11:54मूल बात है ही याद की और स्रिष्टी के आदी मध्य अंध को समझना है
12:00चक्रवर्ती राजा बनना है
12:02इस चक्र को ही सिर्फ समझना है
12:04इनका ही गायन है सेकंड में जीवन मुक्ती
12:08तुम बच्चों को वंडर लगता होगा
12:10आधा कल्प भक्ती चलती है
12:12ग्यान रिंचक नहीं
12:15ग्यान है ही बाप के पास
12:16बाप द्वारा ही जानना है
12:18यह बाप कितना अनकॉमन है
12:21इसलिए कोटों में कोव निकलते है
12:23वह टीचर्स ऐसे थोड़े ही कहेंगे
12:26यह तो कहते हैं मैं ही बाप टीचर गुरु हूँ
12:29तो मनुष्य सुनकर वंडर खाएंगे
12:32भारत को मदर कंट्री कहते हैं
12:34क्योंकि अंबा का नाम बहुत बाला है
12:36अंबा के मेले भी बहुत लगते है
12:38अंबा मीठा अक्षर है
12:40छोटे बच्चे भी मा को प्यार करते हैं ना
12:42क्योंकि मा खिलाती पिलाती संभालती है
12:45अब अंबा का बाबा भी चाहिए ना
12:47यह तो बच्ची है अडॉप्टेड
12:49इनका पती तो है नहीं
12:51यह नई बात है ना
12:53प्रजापिता ब्रह्मा जरूर अडॉप्ट करते होंगे
12:55यह सभी बातें बाप ही आकर
12:58तुम बच्चों को समझाते है
12:59कितना मेला लगता है पुजा होती है
13:02क्योंकि तुम बच्चे सर्विस करते हो
13:04मम्मा ने जितने को पढ़ाया होगा
13:06उतना और कोई पढ़ा न सके
13:08मम्मा का नाम अचार बहुत है
13:11मेला भी बहुत लगता है
13:13अभी तुम बच्चे जानते हो
13:15बाप नहीं आकर रच्चना के
13:17आदिम अध्यांत का सारा राज
13:19तुम बच्चों को समझाया है
13:20तुमको बाप के घर का भी मालूम पढ़ा है
13:24बाप से ही लव है
13:25घर से भी लव है
13:27ये ग्यान तुमको अभी मिलता है
13:30इस पढ़ाय से कितनी कमाई होती है
13:33तो खुशी होनी चाहिए ना
13:35और तुम हो बिल्कुल साधारण
13:37दुनिया को पता नहीं है
13:38बाप आकर ये नौलेज सुनाते है
13:41बाप ही आकर सभी नई नई बातें
13:44बच्चों को सुनाते है
13:45नई दुनिया बनती है बेहत की पढ़ाई से
13:48पुरानी दुनिया से वैराग्य आ जाता है
13:51तुम बच्चों के अंदर में ग्यान की खुशी रहती है
13:54बाप को और घर को याद करना है
13:57घर तो सभी को जाना ही है
13:59बाप तो सभी को कहेंगे न बच्चो
14:01हम तुमको मुक्ती जीवन मुक्ती का वर्सा देने आया हूं
14:05फिर भूल क्यों जाते हो
14:07मैं तुम्हारा बेहत का बाप हूं
14:09राजयोक सिखलाने आया हूं
14:11तो क्या तुम श्रिमत पर नहीं चलेंगे?
14:14फिर तो बहुत घाटा पड़ जाएगा.
14:16ये है बेहत का घाटा.
14:18बाप का हाथ छोड़ा,
14:19तो कमाई में घाटा पड़ जाएगा.
14:22अच्छा?
14:23गुड नाइट.
14:25ओम शान्ती.
14:27वर्दान.
14:28त्रिकाल दर्शी स्टेज द्वारा
14:30व्यर्थ का खाता समाप्त करने वाले
14:32सदा सफलता मूर्तभव.
14:35त्रिकाल दर्शी स्टेज पर स्थित होना
14:37अर्थात हर संकल्ब
14:39बोल वा कर्म करने के पहले चेक करना
14:42कि यह व्यर्थ है यह समर्थ है.
14:44व्यर्थ एक सेकंड में पदमों का नुकसान करता है
14:48समर्थ एक सेकंड में पदमों की कमाई करता है
14:51सेकंड का व्यर्थ भी कमाई में बहुत घटा डाल देता है
14:55जिससे की हुई कमाई भी छिप जाती है
14:58इसलिए एक काल दर्शी हो कर्म करने के बज़ाए
15:01त्रिकाल दर्शी स्थिती पर स्थित होकर करो
15:04तो व्यर्थ समाप्त हो जाएगा
15:06और सदा सफलता मुर्थ बन जाएंगे
15:08स्लोगन
15:10मान शान और साधनों का त्याग ही महान त्याग है
15:14अव्यक्त इशारे
15:16रुहानी रॉयल्टी और प्यॉरिटी की परसनलिटी धारन करो
15:20जैसे देह और देही दोनों अलग-अलग दो वस्तुएं है
15:25लेकिन अग्यान वश्ट दोनों को मिला दिया है
15:27मेरे को मैं समझ लिया है
15:30और इसी गलती के कारण इतनी परेशानी, तुख और अशान्ती प्राप्त की है
15:36ऐसे ही यह अपवित्रता और विस्मृती के संस्कार
15:40जो ब्रामन पन के नहीं शूद्र पन के है
15:43इनको भी मेरा समझने से माया के वश हो जाते हो
15:47और फिर परेशान होते हो
15:49ओम शान्ती
15:52संगम की बेला है सुहानी
15:57संगम की बेला है सुहानी
16:02ये समय है बड़ा वरदानी
16:05संगम की बेला है सुहानी
16:09ये समय है बड़ा वरदानी

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