"मीठे बच्चे- यह मुरली तुम्हें अज्ञानता के अंधकार से निकाल ज्ञान के प्रकाश में ले जाने के लिए है। इसे सुनो, समझो और अपने जीवन में धारण करो!" – शिव बाबा
यह सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि परमात्मा के श्रीमुख से निकला अमृत है, जो आत्मा को शक्तिशाली बनाता है। मुरली वह मार्गदर्शक है जो हमें पुराने संस्कारों से मुक्त कर नई सतयुगी दुनिया का अधिकारी बनाती है। यह हमें सच्ची शांति, अटल सुख और निर्विकारी जीवन की ओर ले जाती है। ✨ मुरली सुनें, मनन करें और इसे अपने जीवन में धारण करें! ✨ 🌸 ओम शांति! 🌸
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आज की मुरली ओम शांति मुरली ओम शांति की मुरली आज का मुरली ओम शांति मुरली आज की ओम शांति आज की मुरली आज की मुरली मधुबन
00:00मुरली अम्रित की धारा है धारा जो देती दुखों से किनारा
00:11ओम शान्ती आए सुनते हैं
00:29नौ मई दो हजार पचीस दिन शुक्रवार की साकार मुरली
00:33शिव बाबा कहते हैं मिठे बच्चे तुम्हें नशा रहना चाहिए
00:39कि जिस शिव की सभी पूजा करते हैं वह अभी हमारा बाब बना है
00:44हम उनके सम्मुक बैठे हैं
00:47प्रश्न
00:48मनुष्य भगवान से क्षमा क्यों मांगते हैं
00:51क्या उन्हें क्षमा मिलती हैं
00:54उत्तर
00:54मनुष्य समझते हैं
00:56हमने जो पाप कर्म किये हैं
00:58उसकी सजा भगवान धर्मराज से दिलाएंगे
01:01इसलिए क्षमा मांगते हैं
01:03लेकिन उन्हें अपने कर्मों की सजा, कर्म भोग के रूप में भोगनी ही पड़ती, भगवान उन्हें कोई दवाई नहीं देता, गर्व जिल में भी सजाएं भोगनी है, साक्षातकार होता है कि तुमने यह यह किया है, इश्वर यह डारेक्शन पर नहीं चले हो, इसलिए �
01:33उच, सभी मनुष्यों से भी, सभी आत्माओं से भी उच, सब में आत्मा ही है ना, शरीर तो पाट बजाने के लिए मिला है, अभी तुम देखते हो सन्यासियों आदी के शरीर का भी कितना मान होता है, अपने गुरुओं आदी की कितनी महिमा करते है, यह बेहत का बाप तो
02:03हे भगवान किशमा करना, अब भगवान क्या करेंगे? यहाग गऊर्मेनट तो जेल में डालेगी, वो धर्मराज गरब जेल में दंड देते है, भोगना भी भोगनी पड़ती है, जिसको कर्म भूग कहा जाता है. अभी तुम जानते हो कर्म भूग कौन भोगते है, क्या हो
02:33को क्यों कहते हैं क्योंकि भगवान के साथ फिर धर्मराज भी है बुरा काम करने से जरूर भोगना पड़ता है गर्ब जेल में सजा भी मिलती है साक्षात कर सब होते है बिगर साक्षात कर सजा नहीं मिलती गर्ब जेल में तो कोई दवायादी नहीं है वहां सजा भोगनी प�
03:03और सभी की तो शरीर देखने में आते हैं, यहाँ शिव बाबा को तो अपना हाथ पाउँ आदी है नहीं, फूल आदी भी कोन लेंगे, इनके हाथ से ही लेना होगा, अगर चाहें तो, परंतु कोई से भी लेते नहीं, जैसे वह शंकराचारे कहते हैं, हमको कोई छुए नहीं
03:33परंतु मुझे तो शरीर है नहीं, आत्मा को कोई छुएगा कैसे, कहते हैं हम पतितों से फूल कैसे लेवे, कोई हाथ भी नहीं लगा सकते, पतितों को छुने भी न दे, आज बाबा कहते, कल फिर जाकर नरक्वासी बनते हैं, ऐसे को तो देखें भी नहीं, बाब कहते हैं
04:03को जानते थोड़े ही है
04:04कि यह गीता का भगवान है
04:07और यहां आकर ज्ञान देते है
04:09गीता में श्री कृष्ण का नाम डाल दिया है
04:12श्री कृष्ण ने ज्ञान दिया
04:14बाकि शिव क्या करते होंगे
04:16तो मनुष्य समझते हैं
04:18वह आते ही नहीं
04:19अरे, पतित पावन शरी कृष्ण को थोड़े ही कहेंगे, पतित पावन तो मुझे कहते है न, तुम्हारे में भी कोई थोड़े है, जो इतना रिगार्ड रख सकते है, रहते कितना साधारण है, समझाते भी है, मैं इन साधुओं आदि सब का बाप हूँ, जो भी शंकराचार
04:49करते है, अभी वह यहां, सम्मुक बैठे है, परंतु सभी समझते थोड़े ही है, कि हम किस के सामने बैठे है, आत्माएं जन्म जन्मानतर से देह अभिमान पर हिरी हुई है, इसलिए बाप को याद नहीं कर सकती, देह को ही देखते है, देही अभिमानी हों, तो उस बाप क
05:19पुरे देही अभिमानी बनने वाले ही पास होंगे, बाकी सब में जरा-जरा देह अभिमान रहेगा, बाप तो है गुप्त, उनको कुछ भी दे नहीं सकते, बच्चियां शिव के मंदिर में भी जाकर समझा सकती है, कुमारियों ने ही शिव बाबा का परिचे दिया है, हैं
05:49जैसे उस पढ़ाई का भी शौक होता है न, वह है जिस्मानी यह है रूहानी, जिस्मानी पढ़ाई पढ़ेंगे, यह ड्रिलादी सिखेंगे, मिलेगा कुछ भी नहीं, समझो, अभी किसको बच्चा जन्मता है, तो धूमधाम से उनकी छठी आदी मनाते हैं, परंतु वह �
06:19कर गया होगा, उसी अनुसार छोटे पन में ही शिव बाबा को याद करता होगा, यह तो मंत्र है न, छोटे बच्चों को सिखलाएंगे, वह बिंदु आदी तो कुछ समझेगा नहीं, सिर्फ शिव बाबा शिव बाबा कहते रहेंगे, शिव बाबा को याद करो, तो स्वर
06:49यह राजधनी स्थापन हो रही है, अब मनुष्य शिव की पूजा करते हैं, परंतु जानते थोड़े ही हैं, जैसे छोटा बच्चा शिव शिव कहते हैं, समझते नहीं, यहाँ भी पूजा करते हैं, परंतु पहचान कुछ भी है नहीं, तो उनको बतलाना चाहिए, तुम
07:19राजयोग पड़ा रहे हैं, यह सिर्फ तुम जानते हो, सो भी भूल जाते हो, भगवानु आज, मैं तुमको राजयोग सिखाता हूँ, किसने कहा, भगवानु आज, काम महाशत्रु है, इस पर जीत पहनो, पुरानी दुनिया का सन्यास करो, वह है शंकराचारिय, यह है श
07:49नहीं रहती है, जहाँ जहाँ शिव के मंदिर हैं, वहाँ तुम बच्चे बहुत अच्छी सेवा कर सकते हो, शिव के मंदिरों में जाओ, माताओं का जाना अच्छा है, कन्याएं जाएं तो उससे अच्छा है, अभी तो हमको बाबा से राज्य भग्य लेना है, बाप हमको
08:19जिसकी तुम पूजा करते हो, वह हमको पढ़ा कर सत्युक का मालिक बनाते हैं।
08:49जो पवित्र बनते हैं, उनके गुरु बन सकते हैं। ऐसे बहुत कमपैनियन भी होते हैं, विकार के लिए शादी नहीं करते हैं।
08:57तो तुम बच्चे ऐसी ऐसी सर्विस कर सकते हो, अंदर में शौक होना चाहिए।
09:03हम बाबा के सपूद बच्चे बन क्यों न जाकर सर्विस करेंगे। पुरानी दुनिया का विनाश सामने खड़ा है।
09:10अब शिव बाबा कहते हैं, श्री कृष्न तो हो न सके। वह तो एक ही बार सत्यूग में होगा।
09:16दूसरे जन्म में वही फीचर्स वही नाम थोड़े ही होगा। चौरासी जन्म में चौरासी फीचर्स। श्री कृष्न यह ज्यान किसको सिखला न सके। वह श्री कृष्न कैसे यहां आएंगे।
09:28अभी तुम इन बातों को समझते हो। आधा कल्प अच्छे जन्म होते हैं, फिर रावन राज्य शुरू होता है।
09:36मनुष्य हूबहू जैसे जानवर मिसल बन जाते हैं, एक दो में लड़ते जगरते रहते हैं, तो रावन का जन्म हुआ न, बाकी चौरासी लाख जन्म तो है नहीं, इतनी वैराइटी है, जन्म थोड़े ही इतने लेते हैं, तो यह बाब बैट समझाते हैं, वह है उंचते
10:06पास दासदासी बनेंगे? बाब तो समझाते हैं, पढ़ते नहीं हो, तो जाकर सत्यूग में दासदासियं बनेंगे, जो कुछ भी सर्विस नहीं करते, खाया पिया और सोया वह क्या बनेंगे? बुद्धी में आता तो है ना क्या बनेंगे? हम तो महाराजा बनेंगे, हमार
10:36तब बाबा कहते हैं, ऐसे मत समझो, ये ब्रह्मा कहते हैं, हमेशा शिव बाबा के लिए समझो, शिव बाबा का तो रिगार्ड रखना है न, उनके साथ फिर धर्मराज भी है, नहीं तो धर्मराज के डंडे भी बहुत खाएंगे, कुमारियों को तो बहुत होश्यार होना च
11:06स्लोगन बनाओ, बहादुर
11:08शेरनिया बनो, बेहत
11:10का बाप मिला है, फिर क्या परवा
11:12गौवर्मेंट धर्म को ही
11:14नहीं मानती है, तो वो फिर मनुष्य
11:16से देवता बनने कैसे आएंगे
11:17वो कहते हैं
11:20हम कोई भी धर्म को नहीं मानते
11:22सबको हम एक समझते हैं
11:24फिर लड़ते जगड़ते क्यों है
11:26जूट तो जूट सच की रत्ती
11:28भी नहीं है, पहले-पहले
11:31इश्वर सर्वव्यापी से ही
11:32जूट शुरू होती है, हिंदू
11:35धर्म तो कोई है नहीं
11:36क्रिश्चन का अपना धर्म चला आता है
11:38वह अपने को बदलते नहीं है
11:41यह एक ही धर्म है
11:43जो अपने धर्म को बदल
11:45हिंदू कह देते है
11:46और फिर नाम कैसे कैसे रखते
11:48श्री श्री फलाने
11:50अभी श्री अर्थाच श्रेष्ट हैं कहां
11:53श्री मत भी किसी की नहीं
11:55ये तो उन्हों की आइरन एजेड मत है। उनको श्रीमत कैसे कह सकते है। अभी तुम कुमारियां खड़ी हो जाओ तो कोई को भी समझा सकती हो। परन्तु योग युक्त अच्छी होश्यार बच्चियां चाहिए।
12:07अच्छा मीठे मीठे सिकील धे बच्चों प्रती मात पिता बाप दादा का याद प्यार और गुड़ मौर्निंग रूहनी बाप की रूहनी बच्चो को नमस्ते।
12:32बाप का और पढ़ाई का रिगार्ड रखना है, देही अभिमानी बनने का पूरा पूरा पूरा पुरुशार्थ करना है, बाप की शिक्षाओं को धारण कर सपूत बच्चा बनना है.
12:52वर्दान, सेवा करते उपराम स्थिती में रहने वाले योग युक्त, युक्ती युक्त सेवाधारी भव।
13:22अन्मुक्त हूँ ऐसी प्रैक्टिस करू, अति के समय अंत की स्टेज करमातीत अवस्था का अभ्यास करू, जैसे बीच बीच में संकल्पों की ट्रैफिक को कंट्रोल करते हो, ऐसे अति के समय अंत की स्टेज का अनुभव करू, तब अंत के समय पास्विद ओनर बन सकीगे
13:52पवित्रता ब्राह्मन जीवन के विशेश जन्म की विशेशता है।