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  • 3/26/2025
चेन्नई. तमिलनाडु में मौसम में बदलाव हो चुका है। मंगलवार को मौसम शुष्क होने के बजाय तपिश वाला रहा। आने वाले दिनों में यह गर्मी और बढऩी है। चेन्नई स्थित क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (आरएमसी) ने मंगलवार से तमिलनाडु के कई हिस्सों में दिन के तापमान में धीरे-धीरे वृद्धि होने का अनुमान लगाया है। आंतरिक जिलों में विशेष रूप से अधिक गर्मी पडऩे की संभावना है क्योंकि छोटे मौसम प्रणालियों का प्रभाव कम हो जाता है और शुष्क स्थिति तीव्र हो जाती है। निचले क्षोभमंडल में हल्की से मध्यम पूर्वी और उत्तर-पूर्वी हवाएं तापमान में वृद्धि का कारण बन रही हैं। आरएमसी ने चेतावनी दी है कि दिन के समय उच्च तापमान, उच्च आद्र्रता और रात के तापमान में सामान्य से 2 से 3 डिग्री अधिक वृद्धि के कारण 28 मार्च तक कई स्थानों पर असहज मौसम की स्थिति हो सकती है।

अभी राहत के आसार नही

मंगलवार को दिन के तापमान में मामूली बढ़त दर्ज की गई। सुबह और शाम की हवा में हल्की ठंड घुली रही, लेकिन दोपहर में गर्माहट महसूस की गई। मौसम विभाग का कहना है कि मंगलवार को चेन्नई का तापमान 35.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है, जबकि न्यूनतम तापमान 25.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं वेलूर में 37.6 और मदुरै में 37.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
इन जिलों में और सिर चढ़ेगी गर्मी
चेन्नई, कांचीपुरम, चेंगलपेट और तिरुवल्लूर सहित उत्तरी तटीय जिलों में अधिकतम तापमान में 2 से 3 डिग्री की वृद्धि दर्ज होने की उम्मीद है। मौसम विज्ञानी इस शुरुआती गर्मी का कारण ला नीना प्रभाव को मानते हैं, जिसके कारण पूर्वोत्तर मानसून की वापसी में देरी हुई और सर्दी कमजोर हुई। बादलों के न बनने और समुद्र में नमी के स्तर में गिरावट के कारण तटीय और आंतरिक क्षेत्रों में गर्मी का रुख़ और बढ़ गया है।
तापमान 38-39 डिग्री सेल्सियस
विशेषज्ञों का अनुमान है कि पिछले वर्षों की तरह दिन का तापमान 38-39 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा। फरवरी में करुर, ईरोड और सेलम जैसे कई आंतरिक जिलों में तापमान में वृद्धि देखी गई थी। आने वाले दिनों में कुछ आंतरिक क्षेत्रों में तापमान सामान्य से 1 से 2 डिग्री अधिक हो सकता है। जैसे-जैसे मौसम प्रणाली कमजोर होती जाएगी, राज्य भर में गर्मी का प्रकोप बढऩे की उम्मीद है।
सबसे गर्म साल था 2024
आईएमडी ने हाल ही में पुष्टि की थी कि 2024 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष था। साथ ही महासागरों का गर्म होना और समुद्र का जलस्तर बढऩा तेज हो रहा है। इसके अलावा, इसने पाया कि ग्लेशियरों के पीछे हटने और बर्फ पिघलने से दीर्घकालिक परिवर्तनों का खतरा है। तेजी से बढ़ते उष्णकटिबंधीय चक्रवात, विनाशकारी वर्षा, तूफान, बाढ़, घातक सूखा और जंगल की आग जैसी चरम मौसम की घटनाएं भी हो सकती हैं।

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