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नई दिल्ली: यूनाइटेड किंगडम ने शुक्रवार को ऐतिहासिक कदम उठाया. सांसदों ने एक विधेयक को मंजूरी दे दी, जो गंभीर रूप से बीमार वयस्कों को इच्छा मृत्यु का विकल्प चुनने का अधिकार देता है. इस घटना ने भारत में भी उस बहस को फिर से छेड़ दिया है, जिसमें जीवन के अंतिम पलों में सहायता प्राप्त सम्मानजनक इच्छा मृत्यु का विकल्प कानूनी और नैतिकता के घेरे में है. इच्छामृत्यु तीन प्रकार हैं - सक्रिय, निष्क्रिय और सहायता प्राप्त इच्छामृत्यु. भारत में सिर्फ निष्क्रिय इच्छामृत्यु ही कानूनी है, वो भी कोर्ट की इजाजत से सख्त दिशा-निर्देशों के तहत.

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में भारत में निष्क्रिय इच्छामृत्यु को वैध बनाया. इसमें 'लिविंग विल' की इजाजत दी गई, लेकिन केवल बहु-स्तरीय चिकित्सा समीक्षा और कोर्ट की निगरानी के तहत. सक्रिय और सहायता प्राप्त इच्छामृत्यु भारत में अवैध हैं. इसकी शुरुआत नीदरलैंड में हुई और फिर बेल्जियम में. फिर ये दूसरे देशों में भी चला गया. यूके में इसपर काफी विवाद हुआ, लेकिन आखिरकार वहां भी ये सफल हो गया. 

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