Skip to playerSkip to main contentSkip to footer
  • 5/18/2025

Category

📚
Learning
Transcript
00:00यह बिल्कुल आजकल बहुत समल करके रहना है आज अप्षेतिर्तिया तुम्हें जगे जगे हलुआ पूरी सब बटते मिलेगा होस में सत्संग अगर याद हो तो याद है सत्संग बहुत कुछ बटेगा लेकिन तुमको क्या लेना है राधानाम या ठंडाई या हलुआ दे�
00:30ले और चीनी मंगा करके बाट देना दूसरों को हम तो सत्संग सुन करके आए जी अक्षरतिया आज उपवास करेंगे आज पानी भी दूसरी के द्वारा नहीं दिया पियेंगे
00:40सब रास्ते वो बताएं वो बचने के भी रास्ते बताएं आज है अक्षरतिया आज करो उपवास एक टाइम सामके भोग लगा करके सिरी जी का रूखा सुखा घर में पा लेना बार पानी भी मत पीना मौन खुब नाम जब करो वो इससे आज के दिन कहा जाता है दान पुन न
01:10दान करूँगा सर्वी भवन्त शुके ना सर्वी संथ निरामया सर्वी भद्रान पश्यंत माकसचे दुखْबार English planning ने के लिए उसका फल दान करूइव ये सत्संगियों का ये होता है ठीक है उपवास
01:27सर्वत
01:28हंडाई
01:30हलुआ
01:31आओ आओ
01:33तुम क्या कहोगे
01:35रादेश चाओ
01:36प्रडाम क्या
01:38चल दिया
01:38वो देते भी है
01:39और वो बचाते भी है
01:41आपको ऐसे चलना है
01:42हमारे प्रभू का तो सब कुछ है
01:44लेकिन आपको कैसे चलना है
01:45भगवान का आज जितना नाम जब करोगे
01:48कई गुना बढ़कर लाँ मिलेगा
01:50अक्षै आज माना जाता है
01:52जितना दूसरों को شुप पहुँचाोगे
01:54उतना ही वो आपका कई गुना बढ़कर
01:57जिसे दान कहा जाता है
01:58जिसे पुर्णी कहा जाता है
02:00सबसे बड़ा दान किसी कहते हैं
02:02सबसे बड़ा दान जिसके आगे कोई दान नहीं हो
02:05नाम दान
02:06इससे बड़ा कोई त्रिभुवन में दान नहीं
02:08खुब कीर्टन जोर जोर से चाँ
02:10परिक्रमा मार्ग में चल ले हो कीर्टन करते हुए
02:12हजारों के कानों में पड़ा बहुत बड़ा दान हो या नाम जब करके दूसरे को इससे बड़ा कोई दान नहीं है और सब दानों का कोई खास हमारे दिमाग में महात तो नहीं है
02:21भगवान की लीला का दूसरों को श्रवन कराने को कहा गया है
02:29भूरिता जनाओ सबसे बड़े दानी जो भगवत चरित्र गाम सुनाते भगवत ध्यान में लगाते हैं
02:37इस्टम दत्तम तपो जत्तम ब्रत्तम यचात्मनह प्रियं
02:43दारान सुतान ग्रिहान प्राणान यत परस्मई निवेधनम
02:48जो यग्य है दान है तपस्या है थवा जप है सदाचार पालन है
02:55इस्ट्री पुत्र गर मकान जो भी आपके पास प्राण धन जो भी है
02:59सब का सब भगवान के चरणों में समर्पित कर दे इसका फल होता है भगवत प्राण यग्यदांता पत्वाजब सदाचार पालन इस्ट्री पुत्र घर अपना जीवन प्राण सब कुछ भगवान के चरणों में समर्पित कर दे
03:15इसका मतलब क्या होता है इसका मतलब होता है नात सकल संपदा तुम्हारी मैं सेवक समेथ घर भी तुम्हारा पत्री भी तुम्हारी पुत्र सब कुछ तुम्हारा लेकिन उशे आपके इवल भगवत भाव में रखिए हे प्रभु मैंने सब कुछ आपको समर्पित कर दिया औ
03:45सांत पुरुषों ने सचीदानंद सरूप भगवान चरीक्रष्यों का साक्षात कार कर लिया है अपने ह्रदेश्वर के रूप में ऐसे संतों का संग
03:54और समस्त प्राणियों पर सेवा करे
03:58समस्त प्राणियों में विसेश कर मनुस्यों की
04:02मनुस्यों में विसेश कर परोपकारी सज्जनों की
04:05और सज्जनों में भगवत प्रेमी मात्माओं की यदि सेवा मिले जाए
04:10तो निश्चित भगवत प्राप्ती हो जाए
04:12आज भगवान को चंदन अर्पित किया जाता है
04:15प्रिया लाल को आज चंदन चर्चित किया जाता है
04:18अक्षरत तिया को
04:19तो सबसे बड़ी सीतलता प्रदान करने वाली होती भजन बरती
04:23हमारी तो आंतरिक बात यही कि
04:26खुब आज भजन करो उसका दान करो
04:28तो उसका कई गुना फलकर आपको लाग मिलेगा
04:32पूरे विश्व को दान करो
04:34जितना आज भजन करो इसके बाद को
04:36हे प्रभू पूरे विश्व सुरूप में आप हो
04:39आप को ये भजन देते हैं
04:41सब का मंगलो, सब निरोगो, सब सुक्यो
04:44वो जाएगा और कई गुना बढ़ करके
04:46पूरे विश्व का सुक्रित लेकर आपके पास आएगा
04:48इसलिए भगवत प्राप्ति होती उन संतों को
04:51जो अपने लिए भजन न करके
04:53जगत के लिए भजन करते हैं
04:54पर इसके लिए हिम्मत चाहिए
04:56वो जो बहुत बढ़े सुक्रित वान
05:08बहुत बढ़े कृपा पात्र हो जाएगे
05:10परस्परानु कथनम पावनम भगवध्यशह
05:14मिथोरतिर मियस्तुष्टिल निवरतिर मिथ आत्मनह
05:19जब कभी बारता करो तो बैठकर प्रभू की चर्चाही करो
05:25परस्परानु कथनम पावनम भगवध्यसा
05:28भगवध्यस के बीच में हमारी जबान रहे
05:31इधर उधर अनकुलता प्रिटकुलता वाली बाते नहीं होनी चाहिए
05:35जब परस्पर चर्चाहू आज तो विसेश सावधान रहना
05:38किसी की निंदा मत कर देना नहीं
05:40अक्षय हो जाएगी
05:41उसका बहुत बड़ा पाप लगेगा
05:43आज मौन रहना
05:44खुब नाम जब करना
05:47दूसरे का पानी भी मत पीना
05:49अपनी मेहनत से जो एक बार
05:52उसको उधर में डाल लेना
05:53खुब भजन कर लेना ये असर आते हैं
05:56आपना तो रोज अक्षय च्रति आये
05:57आपनी तो रोज अक्षय है
05:59हर मिनट अक्षय है
06:00राधा अक्षय
06:02यह का जा? यह चक्षय होगा क्या
06:04हर समय अक्षय है
06:05लेकिन हम उनकी लेके हैं
06:07जो संसार मार्ग की कभी-कभी
06:09बरन्दा वनाए, कभी-कभी ऐसे
06:11पावंती थी पर वह पर शोबाग मिलता है
06:14किसी कमत खाना
06:15किसी का भी दौरामत पी ना
06:18कोई भी पदार्थ देने पर
06:20विहारी जुके मंदिर में
06:21राधावल्द जुके मंदिर में
06:22जो मिले हो खिनका ले लेना
06:24परिक्रमा लगाओ बिर्दावन की
06:26गिरिदाज जी की लगाओ जितनी तुम में सामर्थ हो, यमना किनारे बैटकर नाम जब करो, वानी जी का गायन करो, दुसरों की सेवा करो, मौन हो जाओ, एकांथ अपराद न बनने पाए, यही उठाते हैं जीवन को, यही लोकिक पौरलों की सब सिध्यां संपतियां प्रा�
06:56कैसे मिलेगी, भगवत चर्चा करो, शांती मिल जाएगी, इश्मरंता इश्मारयंतस्च, मिथवगोगा हरम हरिम, भक्त्या संजातया भक्त्या, विभथ्युत्पुल काम तनू, जो खुद भगवान का इश्मरं करता है, और दूसरों को इश्मरं कराता है, अपने लोगो
07:26इश्मरं करें, और दूसरों को इश्मरं करावें, तो प्रभू राश राश पापों का नास कर देते हैं, यह पाप्त दुख देते, इस प्रकार साधन भक्ति का अनुस्ठान करते हैं, इस शरीर पुलकित हो जाता है, पवित्र, तो क्वचेद रुदत्यं चुत चिंतया क
07:56भवन्ति तूष्निं परमेत्य निर्वरताह, जो दूसरों को भी भगवत इस्मरं कराता है, खुद भगवत इस्मरं करता है, अब एक ने कटाक्षप किया इस बात पर, कि आप एक जगा बोलते हैं, अपने भक्ति को छिपा के रखें, एक जगा कहते हैं, दूसरों को भी �
08:26महिमा प्रभुता छुपा के रखो, भगवान की महिमा प्रभुता को गाओ, छिपाने की बात क्या कहेगी, आपका जो भागवतिक सम्मंद है, उसमें जो आपको अनुभो हो रहा है, किरपा का, जो दुलार का, जो आपकी शाधनात्म कुन्नति का उसे छुपा लो, लेकिन
08:56रोका जाता है कि अपनी भक्ती को छिपा के रखो, क्या भक्ती का सुरूप, जो आपको दिव्यनुभो हो रहे हैं, उनको मत बोलो, आप ऐसा सावित मत करो, दूसरे को नाम जब करो, दूसरे को भगवतिक उन्नति चाहो, और भगवान का यस गाओ, तो आपकी अध्यात्म
09:26भगवान के चिंतन में ऐसे डूपता है कि अभी तक भगवान नहीं मिले, क्या करूं, कहां जाओं, किस से पूछू, मुझे कैसे भगवत प्रात्यों, अवो चिला-चिला करोने लगता है, वो देखता है परमेश्वर शाली भगवान, ये सुदा मैया चड़ी लेकर कह रह
09:56तुने मिटी खाई, भगवान डर रहे, ऐसी लिला-एंस पुरित होती, वो कभी खिल-खिला कर हसने लगता है, कभी भगवान के दर्शन के आनंद की उनुमत्तता में वो नाचता है, कभी लोकाति भाव में भगवान के सामने गीत गाता है, भगवान से बात करता है, इस प
10:26नाम प्रभु का रूप प्रवु की लीला प्रवु का धाम की मह Mom okay गान नहो विलकुल बच के रों कल्यूक की
10:33आंधी चल रही सची मानिए नाम को में ऑजिता ही ब्रहभबुद हुता है लाम जब से ही भगवत प्रेम होता है
10:41नाम जैसा कोई महांधन नहीं, नाम जैसा कोई मित्र नहीं, नाम जैसा कोई तीर्थ नहीं, नाम जैसा कोई अंगरक्षक नहीं, नाम जैसा कोई अंगरक्षक नहीं, नाम पहारू दिवस निसी, ध्यान तुम्हार कपाट, रात दिन नाम जब कर रहे हैं, तो नाम का पहरा को
11:11प्रतिग्रेंग किसी की कोई सेवा नहीं ऐसे उसरों पर खुब भजन करके अपने को बढ़ाया जाता है ऐसे उसरों में कई गुना लाब मिलता है भजन का भजन से बढ़कर कोई लाब नहीं हां जैसे हमें प्यास लगी बीरक्त है तो हम पालिक भी लेते हैं लेकिन देखते
11:41ने जल पिया वहां असपार देखा थोड़ा धोना पढ़ेजान सर्वत पिलाया जा रहा है उनको शाप कर दिया थोड़ी सेवा कर दिया चतुरता यही किसी का प्रतिग्रे दान नहीं लिया है वो कई जन्मों की स्मृति को प्राप्थ हो जाएगा जो यम का पालन करता है �
12:11ज्ञान उसको हो जाएगा, बुले हमें क्यों नहीं हो रहा है, तो आप इनी मित्रुटी है, देख लो इनको सुधार कर लो, ब्रह्मरिश्यों की वानी कभी मित्या नहीं होती, तो जितने सत्संगे जाना है, सबसे प्रार्थना है, आज खुब नाम जब करो, इसे रोज जब
12:41आप इसको हमी मना करेंगे, अब देखते हैं, लेने में हो या मना करने में हो, दो दिपार्टमेंट हैं, अगर ऐसे तो प्रशाद है महाराजी के, ले लेते हैं, तो ठीक है, तो ये क्या है, ये वानी का प्रशाद है, ये अम्रत प्रशाद है, ये प्रशाद अगर आप प
13:11आपका मस्त रहो ए सच्ची तुमसे हाथ जोड के कह रहे प्रभू के नाम प्रभू की लीला कता स्रवन प्रभू की सेवा के सिवा इधर उधर मत मन लगाना नहीं तो जीवन बरबाद हो जाएगा ये साप केवल नाटक है भीया परदे के बाहर कुछ है परदे के भीतर कुछ
13:41प्रभू करने वाले भगवान स्री हरी का नाम जब करो उनी के गुण कीरतन सुनो उनी का मंगर भूले हम धर्म ट्रांसफर कर रहे है हमारे धर्म से पता नहीं कहां का भोजन खालिया की बुद्धि भरष्ट हो गई गर्दम कटा ले अपने धर्म में उसे धर्मात्मा कहते
14:11करने लगे कि हम अमुक धर्मावलंडी हो गए हम अपने सनातन पद्धती को छोड़ दिया कभी जिन्दगी में ऐसे दर्दन कटवा दे धर्म का स्वरूप समझो तब भगवान प्रशन होते हैं अपने धर्म के लिए सर्वस्तों क्या जानते हैं हमारे सनातन धर्म आकास की
14:41अधर उदर धनंते घूम रहे हो सत्संग का जो स्रमण करते हैं उनको कभीन बातों पर बाहरे विश्वास नहीं करना चाहिए एक और पद्धती चली है पीछे से चली आ रहे हैं गुले अंबा जी को बली दे रहे हैं वह विचारा पसू कुछ जानता नहीं उसको फसा दिय
15:11कहते हो ना जगजननी तो बखरे की जननी नहीं है ऐसे साधारन अम्मा भी नहीं होती है पी जगदंबा कैसे हो जाएगी ए मूर खो अपने हाथ से काटा था अम्मा जी ने जब जड़ भरत जी को बली देने जा रहे थे ना तो स्वयम भद्रकाली प्रगठो कर अपने समस्
15:41सक्ति रूपे और संतिबाद वो देवी हैं वो अम्मा कैसे और बुद्धी ब्रस्टो रही लोगों बचो ऐसे लोगों से प्रशाद में अबक्षपदार्थ देते हैं कि अम्मा जी का प्रशाद है अम्मा जी का एक बात प्रशाद पाले तो बुद्धी सुद्ध हो जाए
16:11लेकिन तुमको क्या लेना है राधा नाम या ठंडाई या हलुआ देखवाद परिक्षा है तुमारी आओ लाओ तो यह चलेगा या आओ राधा राधा जरूरत है तो दस रुपे और निकाल के मारत दिया ले और चीनी मगा करके बाट देना दूसरों को तो सत्संग सुन करके
16:41बताएं और बचने के भी रास्ते बताएं आज है अक्षे तरतिया आज करो उपवास एक टाइम साम के भोग लगा करके सिरी जी का रूखा सूखा घर में पा लेना बाहर पानी भी मत पीना मौन खुब नाम जब करो वह इसे आज के दिन कहा जाता है दान को निकरे तो बह�
17:11उपवास करूंगा और समस्त प्राणियों के दुखों का नास करने के लिए उसका फल दान करूंगे सत्संगियों का यह होता है ठीक है उपवास शर्वत थंडाई हलुआ आव आओ तुम क्या को गें रादेश चाम प्रणाम किया चल दिया वो देते भी है और वो बचाते �
17:41हमारे प्रभू का तो सब कुछ है लेकिन आपको कैसे चलना है भगवान का जितना नाम जब करोगे कई गुना बढ़कर लाब मिलेगा अक्षय आज माना जाता है जितना दूसरों को शुप पहुंचाओगे उतना ही वह आपका कई गुना बढ़कर जिससे दान कहा जाता है
18:11नाम जब करके दूसरे को इससे बढ़कोई दान नहीं है और सब दानों का कोई खास हमारे दिमाग में महात तो नहीं है
18:20भगवान की लीला का दूसरों को श्रवन कराने को कहा गया है भूरिदा जनाओ सबसे बड़े दानी जो भगवन नाम की दितन सुनाते भगवत ध्यान में लगाते हैं
18:36भगवान के चर्णों में समर्पित कर दे इसका फ़ल होता भगवत प्राप्ति

Recommended