00:00गली के कोने पर एक छोटा सा दस्तरफवान बिचा था। सफेद चादरें असटेल के थाल और मिटी के गलास सब कुछ सादा मगर फास।
00:08दस्तरफवान के एक तरफ दस साला जनब बैठी थी जो हर आने वाले को मुस्कुरा कर कहती।
00:14आये, हेसीने नुन के नाम का शर्बत पीजिये, चावल खाईये। जनब की मुने नजर मानी थी कि अगर जनब से हत्याब हो गई तो हर साल महरम में इमाम हेसीने नुन के नाम पर नजर बंटीगी। और आज, जनब अपने हाथों से शर्बत भर कर लोगों को पिला रही थी�
00:44मुझे लगता है जैसे इमाम हेसीने नुन मुझे देख रहे हूं और दौा दे रहे हूं। लोग आते जाते, शर्बत पीते, चावल खाते और दौा देते। हेसीने नुन की ये छोटी खादिमा सलामत रहे। एक छोटा बच्चा आया जिसके पास प्लेट ना थी। जनब
01:14अखर में जब सब चला गया, जैनब ने ठके हाथं से बचा हुआ शर्बत उठाया, आस्मान की तरफ देखा और राहिस्ता से कहा। ये नजर आपके नाम या हेसीने नुन। पैगाम, इमाम हेसीने नुन के गम में इसु बहाना अबादत है। मगर हेसीने नुन की राह पर