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  • 7/5/2025
सोमवार व्रत क्यों रखते हैं? | शिवजी को प्रसन्न करने का रहस्य | Bhakti Podcast

क्या आपने कभी सोचा है कि सोमवार का व्रत क्यों रखा जाता है?
इस वीडियो में जानिए सोमवार व्रत की पौराणिक कथा, शिवजी से इसका संबंध, और इसका गहरा आध्यात्मिक रहस्य।
अगर आप भी शिव कृपा पाना चाहते हैं, तो यह वीडियो अंत तक ज़रूर देखें।
हर हर महादेव!

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हर हर महादेव!

English:
Have you ever wondered why devotees fast on Mondays?
In this podcast, discover the mythological story, spiritual connection, and divine secret behind the Monday fast dedicated to Lord Shiva.
Watch till the end to receive the blessings of Mahadev.
Har Har Mahadev!

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Har Har Mahadev!


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🔑 Keywords (कीवर्ड):

Hindi:
सोमवार व्रत, सोमवार व्रत कथा, शिव व्रत का रहस्य, सावन सोमवार, भगवान शिव का व्रत, सावन 2025, शिव पूजा विधि, शिव कृपा, भक्ति पॉडकास्ट, सोमवार का महत्व

English:
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Transcript
00:00नमस्कार, आज हम बात कर रहे हैं सोमवार वरत की
00:03बहुत सुना इसके बारे में, खास कर सावन में तो बहुत ही जादा
00:07पर ये सोमवार ही क्यों?
00:10मतलब भगवान शिव से इसका क्या है ऐसा खास कनेक्शन?
00:13हमारे पास सोमवार वरत, रहस्य और महत्य से जुड़े कुछ जरूरी अंश है
00:17तो चलिए इसी में थोड़ी गहराई से उतरते हैं, समझते हैं इसको
00:21जी हाँ, बिल्कुल, और ये स्रोत, देखिए सिर्फ उपर-उपर की बाते नहीं बताता है
00:25ये हमें पुराने कथाओं, माननेताओं के जरीए इस वरत के गहरे अर्थों तक ले जाता है
00:29तो देखते हैं कि ये महज एक परंपरा है, या इसके पीछे श्रद्धा और शायद अध्यात्मिक उन्नती की कोई गहरी वज़े भी है
00:37तो सबसे पहला सवाल जो दिमाग में आता है सोमवार ही क्यों?
00:41स्रोत में शिव पुराण और सकंध पुराण का जिक्र है
00:44वहां कहा गया है कि सोमवार चंदरमा का दिन है
00:47और शिव जी ने तो चंदरमा को अपने मस्तक पर इधारन किया हुआ है
00:51क्या यही सीधा कनेक्शन है?
00:53हाँ, यह एक मुख्य पौराने कनेक्शन तो है ही, जोतिशी अभी,
00:58पर बात जैसा आपने कहा, शायद इसमी गहरी है,
01:01स्रोत इशारा करता है कि चंद्रमा सिर्फ एक ग्रह नहीं है,
01:05वो हमारे मन का प्रतीक भी माना गया है,
01:07चंचल मन है ना, तो शिवजी का चंद्रमा को धारण करना,
01:11वो एक तरह से मन पर नियंत्रण का भी प्रतीक हुआ,
01:14अच्छा, हाँ, तो इसलिए सोमवार का व्रत,
01:17वो एक तरह से अपने मन को साधने का, उसे शिब की और केंद्रित करने का,
01:22एक सापताहिक अभ्यास जैसा बन जाता है,
01:25अच्छा, तो ये सिर्फ बाहरी कनेक्शन नहीं है,
01:30बलके आंतरिक साधना से भी जुड़ गया, मन को साधने की बात,
01:34स्रोत में कहानी का भी जिक्र है, एक विद्वा ब्रहमनी और उनके बेटे की,
01:38वो बड़े शिव भक्त थे, ऐसा कुछ,
01:40हाँ, हाँ, वो कहानी काफी प्रचलित है, उसमें यही है कि,
01:43उनकी भक्ती से प्रसन होकर शिव जी प्रकट होते हैं,
01:47और ब्रहमनी के आग्रह पर उसके बेटे को एक मतलब उत्तम भविष्च का वर्दान देते हैं,
01:52तो इसी कथा ने इस व्रत के साथ मनो कामना पूर्टी की जो माननेता है,
01:57उसे काफी मजबूत किया, खासकर जैसे विवाह या संतान समंधी इच्छाएं,
02:02तो यह दिखाता है कि कैसे व्यक्तिगत अनुभव और पौरानिक कथाएं,
02:07मिलकर किसी धार्मिक अभ्यास को बल देती हैं।
02:10लेकिन दिल्चस्प बात ये है कि स्रोत सिर्फ मनो कामना पूर्टी पर ही नहीं रुकता।
02:16ये साफ तोर पर कहता है कि व्रत का एक बड़ा उद्देश वो मन, वानी और कर्म की शुद्धी है।
02:25मतलब ये सिर्फ कुछ पाने के लिए नहीं है, बलकि खुद को बहतर बनाने की एक प्रक्रिया है।
02:30बिलकुल सेगा, यहां व्रत को एक तरह से आत्म सुधार और आध्यात्मिक उन्नती के साधन के तोर पर देखा जा रहा है।
02:36ये सैयम, शुरुद्धा और भक्ती का संगम है।
02:40सुरोत के अनुसार जो भक्त इस दिन व्रत रखकर शिव कता सुनते हैं, शिव उनके संकट हर लेते हैं।
02:46और ये संकट देखे सिर्फ बहारी नहीं, बलकि शायद आंत्रिक उथल पुथल, मन की अशान्ती वो भी हो सकती है।
02:52अच्छा।
02:53तो लक्ष असल में आत्मशुधी और शिव कृपा पाना है, जो शायद मोक्ष की ओर भी एक कदम हो।
02:58तो ये वरत सेफ मान्यताओं और कथाओं तक ही सीमित नहीं है, इसका एक प्राक्टिकल व्यावारिक पक्ष भी है।
03:06सुरोत इसके पालन के तरीके पर भी बताता है, है ना, विस्तार से।
03:10जी हाँ, बिल्कुल, इसमें सुभह जल्दी उठना, जिसे ब्रह्म मुहुर्थ कहते हैं, पतलब सूर्य दैसे पहले का शांत समय, उस समय स्नान करना, फिर शिवलिंग पर दूध, जल, बेल पत्र जैसी चीज़ें चड़ाना, ओम नमस्शिवाय मंतर का जाप करना, ये सब
03:40शाम को आरती करना, ये सात्विक भोजन क्या होता है, थोड़ा से इस पर बताएं, हाँ, सात्विक भोजन मतलब ऐसा भोजन जो शुद्ध हो, हलका हो, सुपाच्य हो, जो मन में शांती और एक आभरता लाए, न कि तामसिक या राजसिक गुण बढ़ाए, जैसे आलस या �
04:10चाओं की पूर्ती का माध्यम तो है ही, पर उसके साथ-साथ आत्मशुद्धी, सैयम और ईश्वर के करीब महसूस करने का भी एक रास्ता है, बिलकुल, और जाते-जाते एक सोचने वाली बादशाद हम छोड़ सकते हैं, सुरोथ हमें वरत की विधी और महतो तो बटाता ह
04:40पूरे जीवन के लिए प्रतीक एक रिमाइंडर बन सकता है, इस पर सोचना दिल्चस्प होगा,

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