मौसी के घर क्यों जाते हैं? Jai jagannath Rath Yatra 2025
क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान अपनी मौसी के घर क्यों जाते हैं? इस वीडियो में जानिए गुंडिचा मंदिर से जुड़ी वो पौराणिक कथा जो हमें सिखाती है रिश्तों का महत्व और भक्ति की गहराई। देखिए भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की सबसे भावुक यात्रा की पूरी कहानी।
📌 English: Have you ever wondered why Lord Jagannath visits His aunt's house during the Rath Yatra? In this video, discover the emotional and mythological story behind the Gundicha Temple, and learn about the deep connection of devotion and family. Watch the heartfelt journey of Lord Jagannath, Balabhadra, and Subhadra.
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00:00स्वागत है, आज हम एक बहुत ही दिल्चस्प, बहुत ही अनोखी परंपरा पर बात करने वाले हैं, पूरी ओडिशा की विश्व प्रसिद जगनात रत्यात्रा
00:10हाँ, नमस्कार, और हम खास तोर पे देख रहे हैं इसकी एक बहुत ही अनूठे पहलू को
00:16बिल्कुल, हमारे पास जो जानकारी है वो जगनात रत्यात्रा मौसी के घर एक दिव्य यात्रा नाम के स्रोथ से है, ये यात्रा हर साल होती है आशार मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया को
00:28यानी जून जुलाई के आसपास जब चान्द बढ़ रहा होता है उसके दूसरे दिन
00:33भगवान जगनात, उनके बड़े भाई बलराम जी और बहन सुभदरा जी वो अपने भव्य रथों पर निकलता है
00:40और लाखों लोग जुटते हैं
00:41लेकिन सबसे दिल्चस्प बात जैसा की स्रोथ बताता है वो ये कि वो जा कहा रहे हैं
00:47सही, वो अपने मुख्य मंदर से निकल कर जाते हैं गुंडिचा मंदर
00:51जिससे माना जाता है उनकी मौसी गुंडिचा देवी का घर
00:55हाँ, ये बात तो वाकई सुनने में बहुत, मतलब अनोखी लगती है
01:00भगवान अपनी मौसी के घर जा रहे हैं
01:02इसके पीछे कोई कहानी है, स्रोथ क्या कहता है
01:06हाँ, स्रोथ बताता है कि इसकी जड़े एक बहुत ही कह सकते मानवी इसी इच्छा में है
01:12हुआ यूँ कि एक बार देवी सुभद्रा ने अपने भाईयों से कहा
01:17मतलब भगवान कृष्ण जो जगनात रूप में है और बलराम जी से
01:21कि उन्हें नगर देखना है, शहर घूमना है
01:25और दोनों भाई वो तुरंत मान गए
01:27फिर तीनों अपने अपने रथों पर सवार होकर निकल पड़े
01:31तो ये एक तरह का शहर भ्रमड था जो बाद में परामपरा बन गया
01:35कह सकते हैं पर इसमें एक बहुत एहम मोड़ा आया
01:38घूमते घूमते वो पहुँचे अपनी मौसी गुंडिचा देवी के घर
01:42और मौसी ने तो जाहिर है अपने भांजे भांजी का बहुत सने से बहुत उत्साह से स्वागत किया
01:49श्रोत में जिक्र भी है कि उन्होंने खास तोर पर कई तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाए
01:54जैसे?
01:55कुछ बताया है जैसे उडिसा की खास मिठाई पीठा है और रस गुल्ले भी और भगवान इस अपने पन से इस महमान नवाजी से इतने खुश हुए
02:05कि उन्होंने इसे एक वार्षिक परंपराई बना दिया तबी से हर साल वो रत यात्रा के दौरान गुंडिचा मंदिर जाते हैं
02:12कमाल है मतलब भगवान ने पारिवारिक्स ने को रिष्टों को इतनी एहमियत दी कि उसे अपनी एक मुख्य वार्षिक यात्रा का हिसा बना लिया तो फिर वहां क्या होता है मतलब कितने दिन रुखते हैं
02:24हाँ यही इसे और खास बनाता है भगवान जगनात भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ गुंडिचा मंदिर में पूरे साथ दिनों तक रहते हैं विश्राम करते हैं
02:35साथ दिन?
02:36जी हाँ साथ दिन और ये समय भक्तों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं माना जाता है कि इन दिनों में गुंडिचा मंदिर में दर्शन करना बहुत ज्यादा पूर्णे देता है कुछ कथाओं में तो इसे भगवान का जन्मस्थान भी कहते हैं
02:50अच्छा, साथ दिन मौसी के घर फिर वापसी वापसी कैसे होती है?
02:55साथ दिन पूरे होने के बाद फिर वापसी की यात्रा शुरू होती है उसे बहुडा यात्रा कहते हैं
03:01बहुडा यात्रा?
03:02हाँ, और उसी भव्यता, उसी उत्साह के साथ, देवता अपने रथो पर सवार होकर वापिस श्री मंदिर, यानि अपने मुख्य घर लोटते हैं, तो श्रोत इसे सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बलकि रिष्टों की, स्वागत की, विदाई की, एक बहुत खुबसूरत
03:32कि कैसे ईश्वर की लीलाओं में भी मानविय भावनाय, मानविय रिष्टे सबसे उपर है, भगवान का अपनी मौसी के घर जाना, वहां इतना प्यार पाना, और फिर उस अनुभव को एक स्थाई परंपरा बना देना, ये परिवार के रिष्टों, बड़ों का आदर और �
04:02अपने वाली पारिवारिक घटना, वह एक इतनी बड़ी धार्मिक परंपरा का केंदर बन गई, कहीं न कहीं ये हमें अपनी जड़ों से, अपने रिष्टों से जुड़े रहने की प्रेना देती है, बिलकुल सही कहा, ये परंपरा हमें याद दिलाती है, कि चाहे हम किसी �
04:32थोड़े पीछे छूट जाते हैं, श्रोथ हमें ये दिखाता है कि सदियों पुरानी परंपराएं आज भी कितनी प्रासंगिक हैं, कितनी जरूरी हैं, तो ये सिर्फ एक धार्मिक यात्रा ही नहीं है, बलकि इसमें जीवन जीने का एक गहरा संदेश भी छिपा है, निश्
05:02पूरे समुदाय की एक साथ मिलकर अपनी जड़ों के और लोटने की यात्रा भी है, एक जुडाव महसूस करने की यात्रा