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  • 7/2/2025
जगन्नाथ जी का हाथ-पैर क्यों नहीं है? Jagannath idol without hands and legs! || Rath Yatra 2025


🔍 Ever wondered why Lord Jagannath's idol has no hands or legs and such large round eyes? This is not just a sculpture—it carries a divine secret. In this video, discover the mysterious story behind the incomplete idol of Lord Jagannath and the spiritual meaning it holds.

भगवान जगन्नाथ की मूर्ति जब कोई पहली बार देखता है, तो आश्चर्य में पड़ जाता है। न हाथ, न पैर, और बड़ी गोल आंखें... आखिर ऐसा क्यों? इस वीडियो में जानिए उस रहस्यपूर्ण कथा को जो इस अधूरी मूर्ति के पीछे छिपी है। यह केवल एक मूर्ति नहीं, बल्कि आस्था और भक्ति का प्रतीक है।

Watch the video till the end to feel the divine message of faith and surrender.
वीडियो को अंत तक जरूर देखें और जानें — क्यों भगवान अधूरे होकर भी पूर्ण हैं।

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भगवान जगन्नाथ की मूर्ति का रहस्य

जगन्नाथ मूर्ति के हाथ पैर क्यों नहीं होते

भगवान जगन्नाथ की अधूरी मूर्ति

उड़ीसा जगन्नाथ मंदिर मूर्ति रहस्य

श्रीकृष्ण का जगन्नाथ रूप


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Transcript
00:00नमस्कार, तो चलिए, आज सीधे विशे पर आते हैं
00:03हमारे पास भगवान जगनात की मूर्ती से जुड़े कुछ दस्तावेज हैं
00:08खास कर एक स्त्रोत है, जगनात अधुरी मूर्ती का रहस्य
00:12जी
00:12आज हम इसी पर थोड़ी विस्तार से बात करने वाले हैं
00:15समझने की कोशिश करेंगे कि भगवान जगनात की मूर्ती का ये जो इतना विशिष्ट रूप है
00:21थोड़ा मतलब असामान्य सा, वो क्यों है?
00:24हाँ, असामान्य तो है, एकदम अनोखा
00:27हम सबने शायद देखी होंगी तस्वीरें, बड़ी बड़ी गोल आँखें, बिना पलकों वाली
00:32और हात पेर जैसे अंग स्पष्ट नहीं दिखते, तो सवाल उठता है कि भई ऐसा क्यों? क्या ये सच में अधूरा है?
00:38बिल्कुल, ये सवाल एकदम स्वभाविक है
00:41और देखिए भगवान जगनात को भगवान विश्णु का, खासतोर पर श्री कृष्ण का ही स्वरूप माना जाता है
00:48हाँ, ये तो है
00:48और उनकी मूर्ती की यही पैचान है, वो विशाल, गोल, आखें, जैसे सब देख रही हों लगातार, और हात पेर का नहोना
00:57लेकिन जैसा आपने कहा, ये सिर्फ बाहरी रूप नहीं है, इसके पीछे गहरा अध्यात्मिक मतलब छुपा है, जैसा हमारे स्रोध बताते है
01:05श्रोध में एक पौरानिक कथा का जिकर है काफी, राजा इंद्रद्युम्न और भगवान विश्म कर्मा से जुड़ी हुई, लगता है कि इसी कहानी में सारा राज है, है न?
01:15अरे हाँ, बिलकुल, ये कथाई तो केंद्र में है इसके, देखे, संशेप में कहानी यूँ है, कि जब श्री कृष्ण ने अपनी देह त्यागी, तो उनका हृदय अगनी में भस्म नहीं हुआ, जी, वो एक दिव्य अवशेश की तरह रह गया, फिर उडिसा के राजा थे
01:45पर उनकी एक शर्ट थी, हाँ, हाँ, बिलकुल, वो आएक वृद्ध कारिगर बनकर और शर्ट ये रखी कि जब तक वो मूर्ती बना रहे हैं, उस कमरे का दरवाजा कोई नहीं खोलेगा, बिलकुल बंद रहेगा, अगर किसी ने जहांका या दरवाजा खोला, तो वो काम �
02:15अधीर हो गए वो? बस, और वही हुआ जिसका डर था, जैसे ही दरवाजा खोला, विश्व कर्मा अंतरध्यान हो गए, गायब, और मूर्ती वो अधूरी रह गई, बिना हात पैर के, सिर्फ धड़ और वो बड़ी-बड़ी आँखे, और मजे की बात ये है कि आज भी उसी
02:45सिर्फ एक घटना न रहकर एक गहरे प्रतीक में बदल जाती है, ये जो हमें अधूरा लगता है न, वो असल में भक्ती की पूर्णता का प्रतीक है, भक्ती की पूर्णता, ये थोड़ा समझाएंगे, जुन्ने के लिए बाहरी रूप या शारिरिक पूर्णता उतनी जर�
03:15उनका क्या मतलब है?
03:45ये एक जगह या रूप या काम में बंधे नहीं है, वो सीमाओं से परे हैं, सर्वव्यापी हैं, मतलब हर जगह है, हर कण में है, उन्हें कहीं आने जाने के लिए हाथ पैर की जरूरती नहीं?
03:56क्योंकि वो पहले से हर जगह हैं, तो को जोड़ें, तो मतलब ये निकलता है कि भगवान जगनात का ये खास वरूप हमें याद दिलाता है कि ईश्वर का अनुभव भौतिक सुंदरता या पूर्णता में नहीं है?
04:07सही. बलकि हमारे अपने विश्वास, हमारी भगती, हमारी अंदर की नजर में है. ये रूप तो जैसे हमारी भौतिक सीमाओं की सोच को ही चुनौती देता है. एकदम सही का आपने. ये स्वरूप एक तरह से दिखाता है कि जो भौतिक रूप से अपूर्ण है, उसी में द
04:37इश्वर का एसास करा सकती है. बिलकुल. तो अंत में ये चर्चा हमें एक गहरे सवाल के पास छोड़ जाती है, जिस पर शायद हम सभी सोच सकते हैं. जो पहली नजर में अधूरा लगे, वो इश्वर की सर्व व्यापकता और भक्ती की असीम शक्ती का इतना बड़ा प्र

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