00:27मेरी मा मेरा फखर थी, मेरी ताकत थी, मा चली गई मगर उसकी यादों की खोश्बू, आज भी मेरी रूह को महकाती है, जस हस्ती के बगएर जीना ना मुम्किन लगता था, आज मैं उसी के बगएर सांसे ले रहा हूँ, मा तू बहुत याद आती है, कबर की मिटी ने मेरी मा
00:57और अब उसकी यादें तबते सहरा की मानंद महसूस होती है,