04:51अब रिच्छ से डाली और डाली से फूल तूट गया तो भागते पस्पक्षी सब ठंधा से बेकार हुए
05:09अवही गिर जाके साथ भोला भीला चार हुए यतना जोर से वरसा पड़े लगल आधी तुफान एक बैग हवा चले लगल
05:25कि देतने पस्पक्षी रलंग परशान हो करके सब लोग आपन आपन घोसला पकड़ लिए भोले ना थर मापार बतुए थंदक में फस गई लन तो मापार बती भोले ना से कहले इनके स्वामी जी अब ये थंदक से हम बचब नई हम जिन्दा ना रपाई ता हमरे बदे को�
05:55घंदग करने बढ़ारा हमरिया मतिन मोट राल कहे का मतलब कि मेहरारू का मेहरारा समझला हमर्या मतिन तनी मोट राल संजोग से मलेटरी में भरती हो
06:08अब जब में लेकली भरती होगल रियाज पानी कहले ते दम पतीलों प्रकास मतिन होगल
06:13अच छुटी से जब घरे आल बाँ अब फिर बेचारा जब ड्यूटी पर जाये लगल तो अक्सर आप लोगन देखत होगल
06:20कि अगर केहू के महरारू अगर नई नोचरी का बाती और जब वो आवेलनों कमाए फिर नोकरी पे जाये लए हन
06:27तो उनकर दुलहिन पहिलों आके दरवाजा किया पल्ला के यारे ख़री हो जई हन
06:30आया पनाचरा जब अंगुरी में लपेट के कहा हो अब तू चोल जबाना है चोली नई जबाब
06:37वोई तरह उजाये लगल बेचरा वोई गाउं के इठ्छे महरारू
06:40वो करे दुलहिनिया से पुछले करे हम सुना तरह लकर हवा फिर मलेटरी में जातवा
06:44बढ़ जा बढ़ जाओ करें मत पकड़ा लकर हवा जबा मलेटरी में जातवा तबू दू लहिनिया बतावे लगल कि नहीं ना जाये दे तो यहां इतर जबा राज कुमार यादो जी के तरसे
06:57एक जबा लकर हवा के नजादे मलेटरी में कैसे कहे
07:03कि अरे हमरे बला मुआ का पातर का मरा पल चनियाई में जाए दाही दे
07:23अरे हमरे बला मुआ का पातर का मरा पल चनियाई में जाए ना ही दे
07:33अरे भूक लगी भूरी चोखा खी यहीवे होटली यही में खाए ना ही दे
07:52होटली यही में खाए ना ही दे
07:56होटलीय में खाए ना ही दे
08:10होटलीय में खाए ना ही दे
08:15यह ग्यान प्रकाश दुपतिया सुनला मा पार्वती भोले � Vivsti कहली निका
08:21अरे बोली बचनिया सती महरनिया मकनिया में हा मके लगी है था
08:31ये कोल घार से आप माननी परधान जी के तरफ से पंदर रुपे कृसकार चनर असपर सुवार सिर्वात के परतिछाबा
08:50मापारबती भोले नासे कहली कि स्वामी हमरे बदे जल्दी कोई महला और मकान बनवादा वरना हमें ठंदक में बचना पाई
08:58भोले नाथ बना समंजसु परलन कि अखिर मकान बनवावल जरूरी बाग
09:03तब भोले नाथ एक उपाय कहिलन वो समब इश्करमा जी हर चीज बनवावले में बढ़ा बनवावले में निप्र रलन
09:11तब इश्करमा जी के बनवावलन है भोले ना तब बलवा करके एक महल बनवावलन समुद्र के किनारे
09:18अज समुद्र किनारे एक महल बनवावलन लेकिन जब इश्करमा जी बनावे लगलन हूं महल तब बनवावलन कैसन महले थे आत्तार जबात्तार जबाव है
09:26कि अरको धाउपर को धर हल्वया का दुका अरको धाउपर को धर हल्वया का दुका अ हाथ से लंडू छूटी गल हल्वई निया माराशान किरिया लेईला
09:47हर किरिया लेईला राजा या वहिल नगा हर सुन के बात गिर जाकर सिविडी मर में कर बिचा
10:10सागर के तीरे जाकर अर महलक करवे तैयार मनवामो है
10:18हर मनवामो है गिरिजाया लेईलार
10:23मनवामो है गिरिजाया लेईला लेईला
10:31गिरिजाजी के रह बदे विश्करमा भगवान समद किनारे बड़ा सुन्दर एक महल तैयार के लन
10:40जब महल तैयार होगे तैयार गिरिजाजी कहली कि ए महल में हम न रहब
10:46कहा है बोदे कहली कि न रहब
10:48बीना हवन कराए इसमें रहना है बेकार
10:54अरे रावर को बुलवा करके करवाने लगे उपचार मना मामो है
11:05अर मना मामो है गिर जाया हिल्बा
11:09आयर आयर बहार मामो है गिर जाया हिल्बा
11:30ए बखरी का ए महल के पहले हवन होगा कि चाई और जब हवन होई तब ये महल में हम प्रवेश करव इक गिर जाया जी के शर्त रखा गई लिन
11:43तब वखरी का वखरी महल का हवन करे बादे ब्रामन थुड़ाएं लगजन तो वह समझ सबसे अच्छा ब्रामन है रावन महराज मनल जात रहलन
11:52तरवर्ण महराज के बुलवा करके वह बखरी का हवन सुरुरु हो गल
11:55ये पर कितने गव्या सवाल करने कि वह बखरी का हवन कितना दिन तक है लल
12:00तो सुने पहला प्रमाण बाथ
12:08कि अब बारह दिन तक हुआ हवन
12:10जब हवन पुर्ण होई जाई
12:12अनधन देने चली दक्षिडा खुसो गिरिजा माई
12:1912 दिन तक रावण महराजों बखरी का हमन कैलन पूजा पाति त्याद कैलन
12:28अब 12 दिन के बाद जब बखरी का हमन पुर्ण रुपेन समाप्त हो जाता है
12:33दक्षिडा में ब्रावण जान करके मा गिरिजा सोना चान्दी लेकर एक ठाली में पहुचली दक्षिडा में देवबदे ब्रावण महराज रावण के
12:42तो वो समय भावा जो ने समय ठाली में लेकर के माता जी सोना चांदी चलनी दक्षिडा देवे बदे रामन महराज के
12:50वो समय थे तर्ज मिले ले तर्ज के माता वही लो गावली अकसरे आप लोग अने देखा तो बहा कि शादी भीयाव में
12:57बर्तिहा जब कहा जालन खिचरी खाये बदे ना खालन रुद्वा कहा जालन तक गाओं में जुनबा औरतन का गोल जुटकर के घर में बाईर के बर्तिहन पर गारी गावे लगी तो गारी गावाली गोल कही थे हो ले औरतन का पहली हो ले बुहियन का दूसरी हो ले जवनकीन
13:27पहले बुढ़िया आपन गारी बरती हैं पलाहा के सुरू कर यहन कईसे
13:57अलबता सा गटा के यह दसकता यहीं लारे मुरे लालबता सा गटा के
14:06अज पले जवन कि आपन सुरू कर दियान भाई साब हिंदी इंगली दुनों मिला के बरती हमान के नंगा लेके का
14:12कि अरे फालाने राम कब वही न कहती है क्या
14:17कि अरे फालाने राम कब वही न है
14:47प्रती हा क्या हाँ आओ माई डियर कम तूहियर ओपन लांग आशत दी तो समय लगेगा 24 मोति घलके
15:00तो या में पढान लिखता है कि मोई पहला लिखता है बरेक्ष दानी इंडीने चौरोंड वाँ दीलका सावारी कर्यले अना आपके श्क्रमे लागा का।
16:07लेकिन हम बतावतनिमा पारबती देवबती दक्षिरा रावन के पहुचलिन है
16:23तो ओसमें कब हावा कभी लिखलन का
16:26कि ठाली में लेकर के सुना चानी
16:29देने बदे जब गई भवानी
16:46अरे बोल पड़ा अरे बोल पड़ा रावन अभी मनिया हो तब बोल पड़ा
16:57सोना चादी देखता है रावन महराज गुस्सा गई लन
17:02कलन इस सोना चादी आप हमके दक्षिया में लले आओ थी देवबते
17:05अरे सोना कता हमार नगरिया बनलबा
17:08तो इस सोना चानी हम दक्षिडा में न ले भोले ना तो और यह खड़ा बातन
17:12जरा देखा है आप बिशित्र बात मिलल जो उन्हें बखरी कहा हमने रावन कहीं ले रहलन बारा दिन तक
17:18ओकरे दक्षिडा में माता जी अब सोना चादी लेके देवब गई ली तो इनिकार कर रहलन रावन महराज
17:22कि सोना चादी न ले तो वहां का भाव कभी देलन का कि अरे खड़ा होईगा रावन के समहन वा भोले बाबा हो
17:31हमाता गिरिजा देव चलनी दाना वा भोले बाबा हो
17:37तर रावन बोला सोना चादी हमना ले बाबा माता हो
17:43अस्की वजी बोलत को हाय गईला मांगा हूँ है जो भाता हूँ
17:48भोले ना तो एक दानी
17:51कलम रावन महराज को हा मत
17:53जवन इच्छाओ का दिल खोल करके दक्षिरा में हमसे मांगला हम दे दे
17:56रावन महराज कलनकी देबा न हाँ देई
17:59देबा न हाँ देई
18:01ऐसे करके तीन बचन भोले नास से बनवा लेला रावन महराज
18:05कमंगला का दक्षिडा में
18:07रावन कहा कि देदा उहा भवा नावा भोले बाबा हो
18:11अजवन बखरी में कैली हवा नावा भोले बाबा हो
18:16आपके वह बखरीया दक्षिडा में देदा जोने में 12 दिन तक हवन कही लिए भोले नात करा उर बन गाल इहा तब खरीया हम गिर जाके रहे खादिर बन वह बन कही लिए अवोई का हवन करा इमें दक्षिडा में मांगा था वन
18:30तस्सीव जी बोला यह रहावड ना घरावा कोई के देव भयो तर रहावड बोला वो करे बदले दूसर चीज न ले भयो भोले नात करलन वह खरीया हम दक्षिडा में नदेव तर रहावड का लाहं के अमAnnasya का पंडित समझ वह बन करा त। दूसर चीज दक्षिडा में ले
19:00रावर कहा कि देदा उह भवा नवा भोले बाबा हो अन्हाता दर्य कई देबा तुफानावा भोले बाबा हो
19:08भाई साथ रावर को अपने भक्ती परनाच था
19:28रावर का रावर दुनिया में शंकर भगवान का सबसे परंभगत था बाबु जी
19:32दस बार अपना गरगर काट काट करके भोले नाथ के चरण पर चला दिया था उससे अपने भक्ती परनाच था
19:38यह लिए ललकार दिया कि भोले नाथ आपसे बचर भढ़वा ले लें
19:41हमेरे अगर दक्षिरा में देना तो होई बखरी देदा
19:44अब भोले ना तो मजबूर हो गए रावन महराद के सामने
19:47कईलन का मजबूर होके देखन नई बात वाँ
19:50कि अरे जवन्य गिरिजा खाती रसिवजी घर अवाहो बनवले
19:57अरे मरी गईली होई के कुपीत पगलाए
20:02अरे होकर केला चार सिवजी रावन के समनावा
20:10भया दनावा मेद्यला उभावनवा चितलाए
20:14अरे आगे का यला सिवन बासी चल भईले
20:19अरे आगे का करानावा सुना हो मनलाए
20:23मजबूर होकर के भोले नाथ
20:29वह बखरी दक्षिया में रावन महाराज को दे दिये
20:31और दक्षिया में रावन महाराज को दे करके
20:34माता गिरिया के ले के वह ठंदक में आगे बढ़लन है
20:36प्रमान मिलता है पौरारिक बातों के अनुसार
20:39माया बन तक जाते जाते गिर्जा अपने प्राहर को त्याग देती हैं छोड़ देती हैं
21:00तो वही देवी के एक मुर्ती बन अस्थापना भाई
21:03तो वह अस्थान का नाम परगल मुंबा देवी
21:07तो वह अस्थान का नाम परगल मुंबा देवी के नाम से जग़म सहूर भाई
21:11अやर्द धकषिरा में जवन रावन भावन पांचुक लल कहले का
21:15कि अरे फिल वही भावन वाके रावन गूनक करिया
21:19अयरे दिया उपहार मम अमारी के बोला है
21:24आई अप दिया उपहार ममा मारिश के बोला आए जो न भोले नाथ के द्वारा बखरी हमन में डक्षिया में रामर पाचुका लखलन उब खरीया अपने मामा मारिश के दे लखलन अधीरे दीरे उब खरीया बड़ते बड़ते गाउं के रुप में हो गई अब बड़ते पर �
21:54तो मुंबा देवी के नाम पर वो शहर के नाम मुंबई पर गल लेकिन जब कलजुगाल तो नाम बदल गल का हो गल सुन्दाओ
22:00कियर मुंबा देवी वाली उन नगार मुंबई आप कलजुगावा में भैली सहार बंबई
22:09वही नाम मुंबई से बदल करके बंबई हो गल तो मुंबई से भैली शहर बंबई गई से हो
22:32अम मुंबा देवी भैली बंबा देवी वही से हो अरे कही कही देखा मैंने लिखा मुंबई
22:40अकल जुगवा में भैली शहर बंबई
22:44अम मुंबा देवी का नाम बदल करके बंबा देवी हो गल जैसे लखनव का नाम पहले लक्षमर पुरहल
22:51लक्षमरपुर से लाखनपुर लाखनपुर से लखनवती लखनवती से आज लखनव बन गलबा
22:56हमरे आजमगर के नाम पहले आजमगर ही कहल जात रहल
22:59बदल करके आजमगर हो गलबा बाबुजी आजमसा के नाम पर ही आजमगर सावल बा
23:03वो इसे नाम परिवर्तन हो गया ता कभी लिखलने के बात कि हमरे हिंदुस्ता नवा का यनुपमन नगरिया
23:11हमरे हिंदुस्ता नवा का यनुपमन नगरिया
23:15जहां वा सिनेमा बन गजबा हुनरिया
23:19कि अरे जहां वा सिनेमा बन गजबा हुनरिया
23:29अरे भोले ना तक गिरी जाताया करी हादाई कल जुगवा में भैली शहार भाई
23:36तो गुरू बिहारी बुर्गनेश गुरू बिहारी बुर्गनेश गुरू रामलाल मुर्बाका
23:56अब कथन कर चंदीका कभी बच्दीका बिघाप पता का
24:06अरे बचनीया बोली शंकर देशती अब बचनीया बोली शंकर से सती
24:13अरे यह दो कभी चंदी का रत हो कह जो गुनील, बचनीला बोली संकरत्य सत्मी