पूरा वीडियो : सर, आपको हमारी खुशियों से क्या तकलीफ़ है? || आचार्य प्रशांत (2024)
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00:00मैं नकली खुशियों का दुश्मन हूँ, मैं चाहता हूँ आप तक असली खुशियां आएं, यहां तो लोगों को प्यास के पकोड़े खाके आनंद मिल जाता है, मूली के पराठे खाके कहा रहें आनंद आनंद दिन भर पाद रहें, और फिर कहा रहे हैं कि आचारे जी आप
00:30यहां जोड़के खड़े हो गए थे, बोले यही इक्षण है मेरे अहो भाग्यका, आईए, जो सही है वो करते हुए, जान चली जाए, अभिमन्यू की तरह, यह है आनंद, भगत सिंग राजगुरु खड़े हुए हैं, और जूल राय फंदा, और उनके चहरे पर शिकन तक