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  • 3 days ago

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00:00समझ में आरही बात मीडिया ये मुद्दा क्यों नहीं उठाता क्योंकि आपसे मुद्दा मैं इसलिए उठा पा रहा हूँ क्योंकि सबसे पहले मैं climate activist नहीं हूँ
00:07मैं आपको गीता पढ़ाने आला शिक्षक हूँ
00:10मैंने आपको गीता नहीं पढ़ाई होती तो आप मेरी बाते सुन नहीं पाते
00:13उस दिन हर चैनल को हर अख़बार को मजबूर हो करके ये दिखाना पढ़ेगा प्राइम टाइम पर
00:22आज वो नहीं दिखाते क्योंकि आम आदमी को यह दिखाओ तो आम आदमी चैनल बदल देगा
00:27चैनल दिखाएगा तो चैनल बदल देगा नेता अगर ये बाते बताएगा तो नेता को बदल देगा
00:33कोई नेता भी कैसे बताए चुनाव आ रहे हैं किसी चुनावी घोषणा पत्र में आपने इन मुद्दों का उलेख सुना
00:38कि के विशय को इतना जोर से उठाते हैं और मुझे नहीं लगता कोई इस विशय पर इतनी गहराई से रितनी उचाई से बात करता है
00:55और क्लाइमेट चेंज का एक जखम मैं और मेरा परिवार भी एक जीरा है लेके
01:022013 में जो घटना घटी केदारनाथ में एक बस जाती है जिसमें की 30 यात्री गए और वापस कभी नहीं आए
01:15और उस घटना में मेरे माता पिता भी थे उसके बाद मीडिया ने काफी इस विशय को उठाया
01:25परियावन विदों ने भी बात की और सब जानकारों ने बात की कि पॉलिसी बनेगी क्लाइमेट चेंज एक ऐसा विशय है
01:35कि जिसपे बहुत काम होना चाहिए आज मेरे काल से 10 साल हो गए और घटनाय तो घटती जा रही है पॉलिसी भी बन रही है तो सर मेरा मेरा जो कोशन है चूक हम कहां कर रहे हैं सर
01:49देखिए कोई बहुत इसमें गहरी बात नहीं है चूक हम कर रहे हैं वरियता देने में और दो तरफा हम पर चोट पड़ रही है
02:19पहली यह कि आम आदमी के पास अपना कोई केंद्र नहीं होता उसको जो चीज बता दी जाती है महत्व पूर्ण है बार बार बार बताई जाती है वह उसी को महत्व देता है अगर उसके सामने कोई चीज बार बार महत्व पूर्ण कहकर लाई नहीं जाएगी तो महत्व दे
02:49कोई केंद्र नहीं है
02:51तो वो
02:53जिनको चुनता है बात
02:55सुनने के लिए वो लोग
02:57ही ऐसे होते हैं जो
02:59उसे सब उल्टी-पुल्टी और महत्वीन
03:02बाते तो बताते हैं
03:03काम की बात कभी बताते नहीं
03:05बात समझ रहे हैं
03:09चुकि मैं कच्छा आदमी हूं
03:11इसलिए मैं कान का भी कच्छा हूं
03:15कान का कच्छा किसको बोलते हैं
03:17जो सुन लिया वो मान लिया
03:19अपना
03:19कोई विवेक है ही नहीं
03:23अपना कोई विवेक नहीं है जो सुन लिया
03:24उसी को सोच लिया कि यही तो सच है
03:27तो चुकि मैं कच्छा आदमी हूं
03:29इसलिए पहली बात जो भी मैं सुन लेता हूँ
03:31और बार बार मुझे सुनाया जाता है
03:32मुझे लगता है ठीक होगा
03:33इसलिए तो इतने लोग कह रहे हैं
03:35भई इतने लोग कह रहे हैं
03:37तो ठीक ही होगा न
03:38आपने सुना ये आप कोई बात जा करके
03:40थोड़ी बुद्धिमानी की बोल दो तो जवाब क्या आता है
03:43अच्छा तो बाकी सब पागल है क्या
03:45तुम ही होशी आरो
03:47बाकी सब पागल है क्या
03:48ये इस बात का प्रमान है कि हमारे पास
03:50कोई आत्मिक केंद्र नहीं है
03:52हम बस दुनिया की और देखते रहते हैं
03:54आत्मिक माने अपना
03:55मैं विशुद्ध मैं
03:58वो हमारे पास है नहीं
04:00हम दुनिया की और देखते रहते हैं
04:02दुनिया जो कुछ कर रही है
04:03मुझसे प्रभावित हो जाते हैं
04:05और इसी बात का
04:06दूसरा पहलो ये है कि चूप कि हमारे पास
04:08कोई आत्मिक केंदर नहीं है
04:10कोई विवेक नहीं है हमारे पास
04:11तो हम जिन लोगों को चुनते हैं
04:14कि इन लोगों की बात सुननी है
04:15वो सब लोग
04:18अनिवारे तह
04:20ऐसे ही होते हैं
04:23जिनकी बात सुनी नहीं जानी चाहिए
04:25आप किस टीवी चैनल को सुन रहे हो
04:28आपने किसको अपना आधर्ष बना लिया है
04:32आप किसको संमान दे देते हो
04:35और पिर कान दे देते हो
04:36आओ अपनी बात सुनाओ हमको
04:38ये सबकोश अगर आपके विवेक केंदर से नहीं आ रहा
04:41तो आप पता नहीं किसकी और क्या बात सुनते रहोगे लगातार सुनते ही रहोगे
04:48वो आपको कभी वो बात बताएगा ही नहीं न जो वास्तविक है
04:52सारी भूल यहाँ पर हो रही है
04:55क्लाइमिट चीजन से सम्बंधेत सारी बाते सारे आकड़े सारुजनिक है
05:00वहां ऐसा कुछ भी नहीं है जो छुपा हुआ है
05:02और वहां ऐसा कुछ भी नहीं है जो इतना जटिल हो कि आपकी समझ में न आए
05:12हाँ जो climate science है वो अपने आप में जटिल होती है
05:16वो जटिल भी है और inexact भी होती है
05:19थोड़ा वो approximations पर भी चलती है
05:23लेकिन वैग्यानिक अपनी पूरी शोध को उसके नतीजों को आपके सामने बिलकुल सरल करके रख देते हैं और वो सब कुछ इंटरनेट पर उपलब्ध है और वो पेड रिपोर्ट्स भी नहीं है कि आप पैसा दो गए आपको तभी मिलेंगी
05:37आपको पैसा नहीं देना है बस ध्यान देना है समय देना है सब कुछ है वहाँ पर और उनमें इतनी कोई जटिलता भी नहीं है कि आप पढ़ो तो आपको समझ में नहीं आएगा
05:48हो सकता है रिपोर्ट लंबी हो पर शुरू में ही उसका एक्स्ट्रैक्ट या समरी उपलब्ध होती है उतना ही आप पढ़ लो तो आपको समझ में आ जाएगा
05:57दुनिया के जो अच्छे अख़बार हैं और कई जर्नल्स हैं से जो क्लाइमेट से संबंधित हैं ज्यादा
06:18वो चीज बार-बार लाई नहीं जाती और इतना विवेक हमें अपना आंतरिक है नहीं कि हम खुद वैसी कोई चीज खोज कर पढ़ें अगर हम समझते ही हैं कि इस समय ये कोई देखिए मुहावरा बाजी जुम्ला बाजी नहीं हैं हम सचमुच कह रहे हैं कि इस समय पूरी
06:48चीज दस मुदों को लेंगे जो श्समे मानौथा के सामने हैं तो क्लाइमिट चेंज के अलावा जो बाकी 9 है
06:55आप आओगे कि वो 9 के 9 भी उसी स्रोत से आ रहे हैं जिससे climate change आ रहा है
07:01तो अगर आप climate change का उपचार कर सको तो जो बाकी 9 हैं उनका भी उपचार होई जाना है लगभग
07:08लेकिन हम उसकी बात नहीं कर रहे हैं थोड़ा याद करिएगा कि आप जो भी TV चैनल और देखते हैं उसमें दिन भर में climate change से संबंधित कितनी बात होती है बताईए
07:19कितनी जोर से बोलिए जीरो मेरा सवाल यह नहीं है कि वो चैनल जीरो बात क्यों करता है climate change की मेरा सवाल यह है कि इसके बात भी आप वो चैनल देखते क्यों हो
07:31और मेरा एक और सवाल है
07:34climate change की बात न करके
07:37वो channel आपको जो कुछ भी दिखाता है
07:39आपको फिर समझ में नहीं आ रहा कि
07:41वो सब जो दिखाया जा रहा है कितना वड़ा जूट है
07:43तो भहिशकार न सिर्फ उस channel का होना चाहिए
07:48बलकि उस सामगरी उस विशय का भी होना चाहिए
07:51जो वो channel दिखा रहा है
07:52नहीं समझे
07:54कोई channel है जो climate change को छोड़के
07:57आपको कोई और मुद्दा दिखा रहा है
07:59सिर्फ channel का भहिशकार करें
08:01या उस मुद्दे का भी भहिशकार कर दें
08:03हमें उस मुद्दे ने जकड लिया है
08:09बुद्दा कुछ भी हो सकता है
08:10कोई मसालेदार चत पटा मुद्दा
08:12जो 1 महीने के लिए उठता है
08:13एक महीने बाद गेर जाता है
08:15कारण बस यह हमारे पास कोई आंत्रिक्ता नहीं है
08:22हमारे पास जैसे आत्मा नहीं है
08:25हम बस पीछे पीछे चलते हैं जो दिखाया जा रहा है वो देख रहे हैं
08:33बुद्धि के तल पर पता भी है कि सबसे जरूरी चीज क्या है
08:36लेकिन उसके बाद भी वो चीज अगर सामने नहीं आ रही है तो हम पे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है
08:42हम एकदम खड़े नहीं हो जाते उच्छल करके मैं पिछले तीन गंटे से यह चैनल देख रहा हूं और इसमें एक बार भी कुछ भी ऐसा नहीं आया है जिसका संबंध
08:49क्लाइमेट चैन्जे हो यह कैसे हो सकता है यह कैसे हो सकता है कि मैं कम से कम इस चैनल बदल तो दूँ और गर मुझ में थोड़ी भी प्रतभा है और थोड़ी इमानदारी है तो मैं सिर्फ बदलूंगा नहीं मैं वह सब कुछ करूंगा यह बात सामने लाने के लिए जो कर सकत
09:19जो बातें आप जानते हो कि असली हैं और सच्ची हैं वो भी कि आप वहां जाकर लिखते हो वह वहां पर बेधड़क आकर करके अपना प्रचार प्रपगेंड़ा करते रहते हैं बिलकुली गंदे स्तर का देखा है ना वो जो फॉरवर्ड आते हैं वाटसेप उनिवर्स्�
09:49तो गंदगी फैलाने में खूब आगे आगे हैं आप कितनी बार वो बात वहां सामने रख रहे हो जो सही और सच्ची है बोलिए और ये कोई ताज्जुब की बात नहीं क्योंकि जहां विवेक नहीं होता वहां डर जरूर होता है
10:12वहां डर जरूर होता है वही कारण जो हमें मजबूर करता है एक घटिया चैनल को देखते ही रहने पर ये जान जाने के बाद भी कि ये घटिया सामगरी ही परोस्ता हैं तब भी उसे देखते ही रहते हैं वही कारण हमें मजबूर करता है कि हम सही सामगरी वहां भी न डाल
10:42पर आप जो घरवाला WhatsApp ग्रूप है उस पर तो सही content डाल सकते हो ना
10:45पर जैसे आप उस channel के सामने मजबूर हो जाते हो वैसे ही आप घरवाले WhatsApp ग्रूप में भी मजबूर हो जाते हो
10:51वहाँ जी जा अफुफा अताई कुछ भी डालते हैं
10:57आज महा शिवराते हो और आप अच्छे दरीके से जानते हो कि शिव के नाम पर कितने पाखंड और कितने आडंबर चलते हैं जानते हैं आप अच्छे से जानते हैं
11:06और वह सब कुछ अभी WhatsApp ग्रूप में चल रहा होगा
11:10पर आप उनको तब भी नहीं बताओगे कि शिवत वास्तव में क्या है आप नहीं बताओगे अगर आप नहीं बताओगे तो फिर आपको अधिकार क्या शिकायत करने का कि दुनिया डूबी जा रहे हैं ये climate change में
11:19वो अपने एजेंडा तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं आपके पास भी एक सार्थक एजेंडा क्यों नहीं है एजेंडा अपने आप में तो कोई गलत शब्द नहीं होता
11:28एजेंडा का अर्थ है उद्देश
11:31उद्देश है अपने आप में कोई गंदा शब्द तो नहीं होता न
11:35और जिनका सचमुच गंदा है
11:39वो उसे तेजी से आगे बढ़ाते है
11:42और आप उनके माल के ग्रहक बने रहते हो
11:46देखे ही जा रहे हो टीवी
11:48और फिर समझिएगा
11:50सही की शर्थ पर आपको जो कुछ दिखाया जा रहा हो गलत ही तो होगा न
11:56सही को हटा करके आपको जो भी परोसा जा रहा हो गलत ही होगा न
11:59तो बात बस उस चैनल की नहीं है
12:02बात उस मुद्दे की भी है जो आपको दिखाया जा रहा है सही मुद्दे के विकल्प के तौर पर
12:09Climate Change इतनी बड़ी बात है कि ये मुद्दा आसानी से छुपाया नहीं जा सकता
12:19तो इसको छुपाने के लिए बड़ा श्रम करना पड़ता है
12:23बहुत ज्यादा जैसे कोई सड़ी चीज आपको परोसनी हो अपने महमानों को
12:33तो आपको क्या करना पड़ता है फिर
12:37कोई चीज हो सड़ गई है और फिर भी आपको उसकी सबजी बनानी है और परोसनी भी है
12:45तो आप क्या करते हो फिर
12:46पहले तो उसको mix करोगे और क्या करते हो
12:49बहुत सारा
12:51तेल मसाला उसमें डालते हो
12:52तो इसलिए इतना तेल मसाला आपको
12:54देखने को मिलता है मीडिया में
12:56क्योंकि वो जो चीज परोसी जा रही हो
12:59सड़ी हुई है
13:00वो बिना तेल मसाले के दी जाएगी तो आप कोगे ची बद्बू फिको
13:04तो वो बगार लगा करके तड़के के साथ आपको परोसी जाती है
13:10फिर आपको पता ही नहीं चलता कि यह जो इसमें से सुगंध हा रही है
13:15वो सबजी की है या मसाले की है
13:19आप सोचते हो वो वो वस्तु ही इतनी स्वादिश्ट है
13:24क्योंगी सुगंध आ रही है तो भीतर उसमें पौश्टिक्ता भी होगी
13:27वो सुगंध पौश्टिक्ता के कारण नहीं है
13:32वो सुगंध पौश्टिक्ता के अभाव को छुपाने के लिए
13:35यह हमें नहीं दिखाई पड़ता
13:40सब दिखाई पड़ जाए
13:44अगर हमारे पास
13:45हमारा अपना केंद्र हो
13:47हमारी अपनी आग
13:49उस अर्थ में
13:51क्लाइमेट चेंज का जवाब
13:53श्रीमत भगवत गीता है
13:53बहुत लोगों को ये बात
13:55बहुत अक्का कर देगी
13:58क्या बात कर रहे थे
13:59क्या बात कर रहे थे
14:00इसमें गीता कहां से आ गई
14:01क्योंकि गीता आपको
14:03समाज के और परिस्थितियों के
14:06डर से मुक्त करती है
14:08भीतर से वो मुक्त करती है
14:12वृत्ति से और बाहर से
14:14मुक्त करती है संस्कृति से
14:16और जब आप मुक्त हो जाते हो तब आप पर विवश्टा नहीं रह जाती कि चैनल आपको जो दिखा रहा हूँ आप देखो गई
14:24जब आप मुक्त हो जाते हो तो आपकी मजबूरी नहीं रह जाती
14:27कि मामी जी और मौसी जी जो कुछ भी डाल रहे हैं गुरूप पर
14:31आप वो पढ़ोगे ही और उसका आप कोई उत्तर नहीं दोगे
14:35भले ही आप जानते होगे जो डाला गया वो सरासर जूट है
14:38और जूट नहीं है तो महतोहीन तो है ही है
14:41आप नहीं लिखोगे कि यह जो बात है वो बिना महतो की यह आप क्यों डाल रही हो मोसी जी
14:45जो महत्यो की बात है वो ये रही, इसको पढ़ो
14:49ये तब हो पाता है
14:54जब आप कृष्ण के साथ होते हो
14:56कृष्ण आपको कहते हैं मैं हूँ न
14:58किसी और की चिंता क्यों करते हो
15:00और अगर दूसरों की चिंता करके
15:02तुमने मुझे गवा दिया पार्थ
15:04तो बचाया क्या तुमने
15:07ताथ समझ में आ रही है
15:13कोई आंकड़ा ऐसा नहीं है
15:18जो पब्लिक डोमेन में नहों
15:21सब जानते हैं
15:23280 PPM होना चाहिए
15:26कारवन डायोकसाइड वातावरण में
15:284500 PPM की तरफ बढ़ रहा है
15:30अब 280 और 400 बताओ
15:35बेटा कौन सा अकड़ा बढ़ा है
15:38450 या 280
15:39तब इसमें इतनी तो कोई भारी गड़ित है नहीं
15:43कि आपको पता नहीं है
15:44समझ ही रहे हो
15:46Parts per million भी जानते हो क्या होता है
15:48नहीं भी जानते है तो भी कोई फरक नहीं पड़ता
15:49इतना काफी है कि जितनी होनी चाहिए थी
15:52कारबन डायोकसाइड
15:52उससे डियोड़ी से ज्यादा हो चुकी है
15:55जितना असा तापमान होना चाहिए था
16:00उससे डेढ़ जिगरी से ज्यादा हो चुका है
16:032016-2023 इस प्रत्वी पर हुए सबसे गर्म वर्षों में थे आज तक के
16:12दुनिया में जो एक्स्ट्रीम वेदर इवेंट्स है
16:16उनकी फ्रिक्वेंसी उनकी आवरती तीन गुना हो चुकी है
16:21और पांच गुना होने की तरफ बढ़ रही है
16:24यह आंकड़े बहुत सीधे है लेकिन यह आंकड़े आप तक पहुँचाए नहीं जा रहे हम पैसो की बात करते है कितने ट्रिलियन डॉलर का असर पढ़ रहा है
16:39क्लाइमेट चेंज का जीडीपी पर वो बात आपको बताई नहीं जा रही है
16:44हेल्थ केर कॉस्ट कितनी है क्लाइमेट चेंज की वो बात आपको बताई नहीं जा रही है
16:50लेकिन हमें बताई नहीं जा रही तो क्या मनपढ़ है हमसे गूगल भी नहीं किया जाता
16:53बोलिए
17:02वार को ले लीजिए अभी दो बड़ी लडाईया चल रही है
17:08इन दोनों बड़ी लडाईयों से संबंदित बाकी सब बाते आपको हो सकता है बताई गई हो
17:12पर वार का एक पक्ष ये भी होता है कि वो जबरदस तरीके से
17:17कार्बन रिलीज करता है क्योंकि वहाँ सब क्या है
17:21जल रहा है
17:23और जहां कोई भी और्गैनिक मिटीरियल जलेगा वहाँ क्या रिलीज होगा
17:28कार्बन का अक्साइड रिलीज होगा
17:31पर ये बात कोई नहीं करेगा
17:35क्यों नहीं करेगा क्योंकि शुद्र स्वार्थ आड़े आते हैं
17:46और जैसे चैनल और मीडिया के शुद्र स्वार्थ आड़े आते हैं
17:50और जैसे अखबारों के स्वार्थ आड़े आते हैं
17:52वैसे हमारे पास भी तो स्वार्थ है
17:54हमारे पास देह के स्वार्थ हैं
17:56जबान के स्वार्थ है
17:57फॉसिल फ्यूल
18:02के बाद
18:04जो दूसरा सबसे बड़ा कारण है
18:06क्लाइमेट चेंज का वो है आहार
18:08आहार में क्या
18:12मासाहर
18:13मासाहर
18:15कोई भी ऐसा आहार
18:18जो जानवरों से संबंधित है
18:20एनिमल एक्रिकल्चर
18:21उसमें मासाहर ही नहीं आता
18:23दूद भी आता है
18:25और भूलियेगा नहीं
18:26कि दूद उद्योग और मास उद्योग में
18:29चोली दामन का साथ है
18:30बिलकुल साथ साथ चलते हैं ये
18:32भूलियेगा नहीं कि
18:37दूद
18:40तो गाह या भैस से आता है
18:43और जब जन्म
18:45देती है वो
18:46तो सिर्फ
18:48बच्छिया को वो जन्म नहीं देगी
18:52पढ़वा भी जन्म लेता है
18:55बच़डा भी जन्म लेता है
18:56और हम कभी सोचना नहीं चाहते
18:59कि उनका क्या होता होगा क्योंकि वो तो
19:01दिखाई देते नहीं उनका क्या होता है
19:02हम सोचना नहीं चाहते
19:05कि जितनी उम्र होती है गाय अभैस की
19:10उसकी बस आधी उम्र में ही वो दूद दे सकती है
19:13किसी भी अन्यमैमल कीता रही
19:17कि जितनी उम्र है उसकी आधी उम्र में ही वो गर्भधारन कर सकती
19:21उसके बाद वो ना गर्भर करेगी ना दूद देगी
19:23तो जब वो 6-7-8 वर्ष बीच जाते हैं जिनमें वो दूद दे सकती थी
19:29उसके बाद उसका क्या होता यह हम कभी पूछना नहीं चाहते
19:32हम पूछना ही नहीं चाहते क्योंकि हमें तो दूद वाली चाय पीनी है
19:38एकदम मन से निकाल देना चाहते हैं क्योंकि यह जो सच है यह हमारी सुविधा चीनता है
19:50चैनल भी कहता है कि मैं क्यों अपने दर्शकों की सुविधा चीनूं मेरी टी आरपी नीचे चली जाएगी
19:59तो समझ से असारी यह है कि इधर कुछ नहीं है आत्मिक चैनल को क्या दोश दे
20:08कलको चैनल वो सारी सच्चाईयां दिखाने लग जाए जो आपके लिए जाननी जरूरी है
20:13क्या आप वो चैनल देखोगे
20:15चैनल को भी कितना हम कुसूर दे सकते हैं
20:21एक आकड़ा खोजिएगा कहा है उदित एक आकड़ा मैं चाहता हूँ आप डिस्प्ले करें
20:32क्लाइमेट चेंज के लिए सबसे बड़ा जो उत्तरदाई पक्षव वो क्या है
20:39सबसे बड़ा कॉंट्रिब्यूटिंग फैक्टर
20:41वो आप ज़रा सबको दिखाईएगा मैं चाहता हूँ
20:45और आप लोग अपना मुबाइल होगा लेके आए
20:47मैं चाहता हूँ कि आप सब इस स्क्रीन की फोटो ले लें
20:51ये आपके दिल और दिमाग पर बात छप जानी चाहिए
20:53कोई चैनल दिखाए न दिखाए आप पूरी दुनिया को दिखाईए
20:56और ये जो स्क्रीन है आपको बताएगी कि क्यों ये बात आपके सामने नहीं लाई जाती
21:01आप से बोला जाता है
21:10क्लाइमेट चेंज रोकने के लिए
21:13घर में दो कार की जगए एक कार रखो
21:16कितने आप फर्क पढ़ना है उससे
21:18कितने टन कारबन डायोकसाइड ये जो आकड़े है ये टन्स ओफ कारबन डायोकसाइड है
21:24उपर लिखाई TCO2 per year
21:26प्रतिवर्ष कितने टन कारबन डायोकसाइड बचा लोगे अगर एक कार कम भी कर दी तो
21:30कितना है नंबर दो
21:33बोलो जल्दी
21:35और ये तो तब है जब कार कम कर दो
21:39आपको बार-बार बोलता है EV आ गया EV पर जाओ
21:45EV पर जाने से 2.4 से भी कम होगी बचत
21:49आप से कहा जाता है देखो
21:53फ्लाइट में कम चलो
21:55जहां पे भी हो सके संभव
21:58ट्रेन से चले जाओ
21:59बाइ रोड और बाइ रेल
22:01कितना बचा लोगे कितना बचा लोगे
22:04ये सारी बाते में फिर भी सुनने को मिल जाती है
22:08चैनल ट्राइमिट चेंज की मुद्धिय की चर्चा ही नहीं करते हैं
22:13अगर चर्चा करते भी हैं तो ये सब बाते होती है
22:15स्कूलों में भी ये सब बाते होती है
22:17कौन सी बातें
22:19नमबर एक को छोड़के
22:20नमबर दो से लेके नमबर दस तक की बातें
22:22सारी बातें कर दी जाएंगी
22:23listen kids
22:24we should recycle plastic
22:27पहला सवाल यह क्यों
22:29kid आया क्यों
22:30जिस kid को यह बात बतानी पड़ रही है
22:33वो जो पहली बात है
22:38कोई आपको कैसे बता दे
22:41क्योंकि हमारी तो संस्कृत ही ही है
22:43कि घर माने घोसला घोसला माने अंडे
22:45कोई कैसे बता दे कि
22:49एक से नहीं दो चाहिए तीन चाहिए पांच चाहिए
22:51आप ये नीचे के जितनी चीज़े लिखी है
22:53सब कर लो recycling recycling आप चारो तरफ पढ़ रहे होते हो
22:56वो कुछ भी नहीं है
22:57moral whitewashing है
22:58ताकि आप अपने आपको एक moral दिलासा दे सको
23:03कि मैं भी climate change के लिए कुछ करता हूँ
23:06मैं क्या करता हूँ
23:07मैं recycling करता हूँ
23:09इतना बड़ा बड़ा लिख देते हैं लोग
23:12everything here is recycled
23:13the answer is so what
23:15so what
23:17recycling can make only that much of difference
23:20क्या कर लोगी recycling करके
23:24इसलिए कोई नहीं बात करना चाहता
23:29climate change की
23:30क्योंकि हमारी संस्कृतिन में सिखा रखा है
23:32कि महिला का जीवन सार्था की तब ही है
23:34जब वो कम से कम दो चार बच्चे पैदा करते
23:36ये जो चीज है ना
23:41बच्चों की हवस ये है climate change
23:44इसलिए इसकी कोई बात नहीं करता
23:46और आप कुछ कर लो
23:49नीचे वाले काम आप कितने भी कर लो
23:50वो उपर वाला काम अगर नहीं कर रखा
23:52आप बोलो मेरे दो बच्चे हैं और मैं climate activist हूँ
23:54गो टो हेल
23:55क्या तुम्हारा climate activism
23:59कौन से climate activism वो
24:0658.6 multiplied by 2
24:08और तुम अब जाकर के पूरी दुनिया को सीख दे रहे हो
24:11कि ये नीचे वाली चीज़े कम कर दो
24:12ये नीचे वाला कम कर के क्या हो जाएगा
24:14जो हो ना था हो गया
24:16मैं ये बात बताता हूँ
24:22तो ऐसे ऐसे सूर्मायों बोलते हैं
24:24हिंदू की आबादी कम कर रहा है
24:25अब देश पे मुसलमान चा जाजाएंगे सारे
24:29भाई हिंदू मुसलमान की बात नहीं है
24:32प्रत्वी ये नहीं बचेगी
24:34जब है हाँ मनुष्य प्रजाती ही नहीं होगी
24:36तब कर लेना हिंदू मुसलमान
24:38green energy
24:49ये सब
24:50यह सब खूब सुनते हो कि नहीं मैं आपको बोल रहा हूँ वो सब पाखंड है वो जितनी बाते हैं आप climate change mitigation के नाम पर सुनते हो सब पाखंड है उनसे बस इतना अंतर पढ़ना है इतना
25:01इसको अच्छे तरीके से देख लीजिए
25:08यह भी जो बात वहां लिखी हुई है ना कि उपर का एक हिस्सा बना दिया हाई impact वास्तों में वो भी गलत है हमने हाई impact वाले एक शेत्र में fewer child और बाकी सारी चीज़े भी जोड़ दी है सब की सब हाई impact थोड़ी है
25:26जो उपर वाली चीज़ है वही है एक साधे सबसदे यहाँ भी है वो उपर वाला काम कर दो नीचे वाले काम होगी कोई जरूरत ही नहीं रहेगी
25:34wash clothes in cold water
25:42यह climate change mitigation चल रहा है
25:51और यह कह करके हम अपने आपको प्रमानित कर लेते हैं कि हम भी एक जागरुक नागरिक है है
26:01हम भी देखो climate change के प्रति sensitive हैं कैसे
26:06मेरे यहाँ जो काम करने वाली बाई आती है मैं उसको गरम पानी नहीं करने देती
26:11मैं तू ठंडे में धो
26:13तू ठंडे में धोएगी
26:21कि तरफ योगदान है वाश क्लोज इन कोल्ड वाटर
26:28जब भी पाखंड शब्द आता है तो वह आम तोर पर हम उन लोगों की तरफ लगाते हैं
26:34जो धार्मिक है न कोई कोई धार्मिक काम कर रहा है उसको बोल देंगे पाखंडी
26:39पाखंडी सबसे बड़ा पाखंडी आम संसारी होता है यह पाखंड
26:45किसी धार्मिक आदमी को देख लो तो बहुत आसान हो जाता है बोलने के लिए अरे वह देखो गीता पढ़ रहा है वह पाखंडी है
26:51अरे वो देखो वो सफेद वस्तर धारण करता है वो पाखंडी है
26:54अरे वो देखो वो शिखा धारण करता है या कुछ और करता है उसको पाखंडी बोल दोगे
27:00पता नहीं वो पाखंडी है कि नहीं हो सकता हो नहो
27:02लेकिन आम आदमी तो निश्चित रूप से पाखंडी है
27:05वो आदमी जो बोले
27:07कि मैं बाकी ये सब काम किया करता हूँ
27:10मैं हाइब्रिड चला रहा हूँ
27:12मेरे तीन बच्चे और मैं हाइब्रिड चला रहा हूँ
27:13तीनों बच्चों को hybrid में लेके जाता हूं कार में
27:16वो सबसे बड़ा पाखंडी है
27:17यही जो
27:26चार्ट है
27:28जो आप पाई चार्ट के रूप में दिखाते हों
27:30वो है आपके पास
27:31उसको भी लगा दीजएगा
27:34सब लोग उसकी भी फोटो ले ले
27:36और कोई नहीं कह रहा कि
27:42बच्चे होने नहीं चाहिए मुझे भी बहुत अच्छे लगते हैं बच्चे
27:45one fewer child
27:48क्या लिखा है वहाँ
27:49one fewer child
27:52एक है तो दूसरे की आवशकता नहीं है बाबा
27:54medical science बहुत तरक्की कर गया
27:56ज्यादा बच्चे तब चाहिए होते थे
27:58जब child mortality rate बहुत हाई था
28:00तब भरोसा नहीं होता था कि
28:02बच्चे रहेंगे नहीं रहेंगे क्या होगा
28:04ज्यादा बच्चे तब चाहिए होते थे
28:06जब आप खेत में काम करते थे
28:08और खेत बहुत बड़ा होता था
28:10आप कहते थे जितने हाथ होंगे
28:12उतनी उत्पादक्ता बढ़ेगी
28:14पहली बात तो आप आज
28:16खेत में काम नहीं करते दूसरी बात
28:18खेतों का
28:20आकार ही बहुत छोटा हो गया है अब
28:22और
28:24mechanized farming होती है अब तो
28:26यह है कि अगर किसी किसान के तीन बेटे
28:28हो गए तो खेत और छोटा
28:30हो जाएगा और खेत जितना छोटा होता जाता है
28:32productivity उतनी गिरती जाती है
28:34crop yields भी ज्यादा हो
28:38उसके लिए जरूरी है कि जो
28:40farm size है वो बड़ा हो
28:42यह बहुत
28:44बीते जमाने की बात है कि ज्यादा बच्चे
28:46चाहिए पहले ज्यादा बच्चों के
28:48पीछे एक तर्क था
28:49वैध तर्क था आज वो
28:52तर्क नहीं है सही
28:53पहले का तर्क आप समझ रहे हो क्या था
28:57बहुत पुराना तर्क
29:00क्या
29:00खेती करते हैं भाई जितने हाथ
29:03उतनी उत्पादकता
29:06आज पहली बात तो आप हाथ से करते हो
29:08क्या
29:08अमेरिका की एक प्रतिशत आबादी नहीं है जो खेती में लगी हुई है
29:12और वो पूरे देश को भी खिलाते हैं और निर्यात भी करते हैं
29:16भारत की आज भी 60 प्रतिशत आबादी खेती में ही लगी हुई है
29:23हमारे यहाँ पर जो होल्डिंग्स का जो खेत का साइज ही है वह बहुत छोटा है
29:30और बच्चे पैदा करके क्या करोगे वो खेत और बढ़ जाएगा
29:33पर परानी मानसिक्ता निकल नहीं रही है भीतर से ठीक वैसे
29:38जैसे शक्कर खाने की ललक भीतर से हमारे निकल नहीं रही है
29:42एक समय था जब हमारे पास food security नहीं थी
29:48अतीत में बहुत पीछे
29:49तब शरीर कोशिश करता था कि जिस दिन मिले उस दिन बहुत सारा खालो
29:55क्योंकि कल का भरोसा नहीं है
29:57और खास तोर पर carbohydrates खालो और sugars खालो
30:02क्योंकि आखरी समय में जिन्दा आपको वही रखेंगे
30:05protein की कमी हो गई तो चल जाओगे
30:08minerals की कमी हो गई चल जाओगे
30:09vitamins से भी चल जाओगे
30:10लेकिन अगर शरीर में energy ही नहीं बची
30:13तो नहीं चलोगे
30:14energy सबसे आदा किससे आती है
30:16तो इसलिए हमारी बहुत पुरानी
30:18जंगल की आदत थी कि जब
30:20मीठा कुछ मिल जाए तो बहुत सारा खालो
30:22जहां काब्स मिल रहे हो बहुत सारे खालो
30:26वो आदत हम आज तक नहीं छोड़ पा रहे
30:28क्योंकि हमारे शरीर के भीतर
30:29आज भी पुराना जंगल बैठा हुआ है
30:31वही बात है जो हमें आज भी
30:33ज्यादा बच्चे पैदा करने को मजबूर कर रही है
30:35कुछ शारीरिक, कुछ सामाजिक
30:38हम समझे नहीं पा रहे हैं
30:44कि अतीत में ज्यादा बच्चा पैदा करना एक तार्किक बात थी
30:47ठीक वैसे जैसे आज भी खरगोशों के लिए ये बिलकुल सही है
30:51और बिलकुल तार्किक है कि एक खरगोश कई बच्चे पैदा करे और लगतार पैदा करे
30:55खरगोश हैं हमारे 6 महीने के नहीं होते हैं
30:58वो बच्चे पैदा शुरू कर देते हैं करना
30:59और एक बार में खरगोश एक नहीं बच्चा पैदा करता है
31:02लिटर होता है पूरा
31:03कभी 2, कभी 4, कभी 6 बच्चे भी
31:06खरगोशों के
31:06और वो विवस्था प्रक्रतिनी बिल्कुल ठीक करी है
31:10बताओ क्यों
31:11क्योंकि खरगोश बड़ा एक निरुपा है
31:15असहाय जीव होता है
31:17कोई भी उसका नाश्ता कर लेता है
31:19तो प्रक्रतिनी विवस्था करी है
31:23कि तुम ज्यादा बच्चे पैदा करो
31:24और बार बार पैदा करो
31:25मुहावरा ही बन गया है
31:26ब्रीडिंग लाइक रैबिट्स
31:27ब्रीडिंग लाइक रैबिट्स
31:30रैबिट के लिए ज़रूरी है भाई
31:32शेर के लिए नहीं ज़रूरी है
31:34कि इतने बच्चे पैदा करें, न वो करता
31:36हाँ, रैबिट बहुत सारे पैदा करता है
31:40we are still breeding
31:43like rabbits
31:43वो रहा
31:45यह बीच वाला देखिए, यह बाकी
31:48सारे हैं काम जो आप करते रहते हो, यह बीच
31:50वाला काम है, यह बीच वाला काम
31:52छोड़के बाकी सारे काम चल रहे है
31:54और अगर आप बाकी सारे काम कर रहे हैं
32:00और बीच वाला कर अपराद का रंग है
32:21तीन शेणिया हो
32:22जो अपने आपको किसी उचे लक्ष में डुबो सकें, उन्हें कोई जरूरत नहीं है संतान की, बिल्कुल कोई जरूरत नहीं है, ये बात अपने मन से निकाल दीजे कि जीवन में कोई बड़ी कमी रह जाएगी, अगर आप जीवन में कोई सार्थक लक्ष लेकर चलने का दम �
32:52सारे कामों से हटा कर अपनी और खीचता है, बहुत उर्जा, बहुत समय लगती है, एक बच्चे को अगर आप सही लालन पूशंड देना चाहते हैं तो,
33:06मैं आपके साथ जो काम कर रहा हूँ, मुझे बताईए, मैं कर लेता, मेरे भी दो हैं, चुंगु मुंगु तो, मैं कर लेता, क्या?
33:18आचारी जी बैठे हुए थे, गीता पढ़ा रहे थे, एक तभी उछल के आया, पटाक से आगे बैठ गया, पापा!
33:22और टेबल पर बैठा हुआ है, और मैं आप लोगों से कह रहा हूँ, देखिए अब तो, ऐसा आपके घर में होता है, मेरे घर में भी होता है, फिर पढ़ लीजेगा गीता, फिर आ चुका मैं आपके काम,
33:46तो जो पाते हो कि वो जान गए हैं कि जिंदगी कैसे जीनी होने तो कुई ज़रूरत ही नहीं है,
33:57जो दंपते हैं जनें लग रहा है कि अब भ्याह करा है, बच्चा होना चाहिए, एक संतान परेय। थोनी चाहिए,
34:04एक संतान पर्याप थोनी चाहिए
34:07और एकदम आप किसी ऐसे परिवेश से आते हो
34:14कि पूरे कुनबे में
34:21और अपनी पूरी परंपरा में सब पीडियों में
34:25औसतन 6.2 संताने पैदा हुई है
34:28हर जोडे के दौरा
34:31बोले कि आप क्या बोल रहे हैं
34:34हमारे पिता जी तो 9 भाई बहन थे
34:35हमारी माता जी 11.7 तानों में आठवी थी
34:40आप क्या बोल रहे हैं
34:44कुछ लोग बोलते हैं कि साब हमारा धर्म मजभ ऐसा है
34:50कि हमें कहा जाता है कि बच्चे मत रोकना
34:54बच्चे सीदह उपर से आते हैं
34:56कुछ लोग कहते हैं हम ऐसे शेत्रों से आते हैं
35:00ग्रामीन शेत्र है
35:01जहां पर सबके ज़्यादा उलादे होती है
35:04तो हमसे भी कहा जाता है कि बच्चे ज़्यादा करना
35:06उनको मैं कह रहा हूँ
35:07अगर इतनी मजबूरी है तो दो कर लो याद
35:09बहुत बहुत
35:11दिल पे पत्थर रखके कह रहा हूँ
35:14कि इतनी मजबूरी है तो दो कर लो
35:19लेकिन जो भी है तुमारा
35:23राम, भगवान, खुदा, गौड, ईशुर, अल्ला
35:26मैं उसकी दुहाई देके कह रहा हूँ
35:28दो से तीसरे पर मत चले जाओ
35:30और दो भी बहुत ज्यादा है
35:36फ्रत्थवी के पास अभी गुंजाईश नहीं है
35:38दो बच्चे भी जहलने की
35:39एक, एक
35:41पर भीतर अगर इतना ज्यादा भाव है
35:49मात्रत्तों का
35:50इतनी ज्यादा अगर paternal या motherly instincts हैं
35:57तो देखभाल करो ना
36:01प्रक्रत की करो, पर्यावरण की करो, पशुवों की करो
36:03इतने अनाथ बच्चे हैं उनकी करो
36:05इतने व्रद्ध हैं उनकी करो
36:07इतने बहके हुए लोग हैं उनकी करो
36:09इस समय तो प्रत्वी पर ऐसा कुछ भी नहीं है
36:12जो देखभाल और सहायता न मांग रहा हो
36:15तो आप कहें कि
36:16but what about my instincts to nurture, to nourish
36:22apply your instincts in a wider way
36:27नदी क्या ये बोलती है
36:33कि मेरा पानी तो सिर्फ मैं ही पीऊंगी
36:36नदी का क्या काम है
36:38अगर आपके पास है तो पूरी दुनिया को दीजिए
36:40और बिना भेदभाव के दीजिए
36:42नदी किसी को मना करती है तो तुझे नहीं दूंगी
36:45व्रिक्ष कभी बोलता है
36:48कि भाई ये मैं हूँ ये मेरे फल है
36:52ये तो मेरे ही आसपास के लोग खाएंगे
36:54जो आके खाना चाहे सबका स्वागत है
36:56इनसान क्या पशुपक्षियों का भी स्वागत है
36:58तोता आकर के फल खा रहा है
37:00व्रिक्ष कभी तोते को मना करता है
37:02आपको अगर देने की ललक है
37:06तो पूरी दुनिया आप से मांग रही है
37:09कि हाँ आओ हमें सहायता दो हमें प्रकाश दो
37:12हमारी मदद करो
37:14ये क्या तरीका है कि मैं अपने ही शरीर से बच्चा प्च्चा प्रोंगा
37:17तभी कुछ बात बनेगी
37:19और कैसे प्रत्वी जेलेगी
37:20भाई हम 800 करोड लोग हैं प्रत्वी पर
37:222040-2050 तक हम 1100 करोड हो जाएंगे
37:27प्रत्वी कैसे जेलेगी
37:28800 ही नहीं जेल सकती
37:301100 करोड कैसे जेलेगी
37:32आपको मालूम है हम जितना कंजम्शन अभी ही करते हैं
37:35उसके लिए भी कई प्रत्वियां चाहिए
37:37और जितना हम करना चाह रहे हैं
37:39उसके लिए 15 प्रत्वियां चाहिए
37:41जो हमारे अर्मान है
37:45हम सब के पास अर्मान है न जीवन में
37:47भाई प्रोग्रस करने का
37:49भाई लाइफ में तरक्की मांगने का
37:53आपके अर्मान अगर सार्थक हो गए
37:55तो पंदरा प्रत्वियां चाहिए आपके अर्मान पूरा करने के लिए
37:58हर आदमी जो कुछ चाहरा है लाइफ में
38:01उतर ने लाइफ में ड्रीम्स होने का
38:03fight for your dreams करके दिखाने का
38:07ये जो आपकी ड्रीम्स हैं
38:10अगर आपने सच मुछ करके दिखा दी तो राम बचाए कुछ नहीं बचेगा फिर
38:14प्रत्वी भी बच इसलिए बची हुई है क्योंकि आपके जो सपने हैं वो साकार नहीं होते
38:20यहां जो स्कूटी पर चल रहा है वो कह रहा है मुझे एट वीलर चाहिए
38:25जिसके घर में दो फ्रिज है वो कह रहा है मुझे वो उतना कुतब मीनार जितना फ्रिज चाहिए
38:32वो भी चार करोगे क्या खुद बैठोगे उसमें मकबरा बनाओगे उसमें अपना क्या करोगे
38:39और यह तो सब कंजम्शन की चीज़े मैं जिनकी बात कर रहा हूँ सबसे बड़ा हमारा जो अर्मान होता है वो तो इस बीच वाली चीज़ को लेकर होता है
38:56मेरी बगिया में फूल कब खेलेगा
38:57ना ना मेरी बगिया नहीं होता इतना तो फिर भी आपकी पीड़ी समझदार हो रही है बिटिया तेरी बगिया में फूल कब खेलेगा
39:10दिदी वो बगिया नहीं है
39:14वो यूटरस होत कहलाता है
39:15और मेरे पास उसके लावा एक ब्रेन भी है
39:18शरीर में वही नहीं होता है
39:20यहाँ भी कुछ होता है न
39:22तुम मेरी पूरी हस्ती को
39:24मेरे यूटरस से ही बांध दोगी
39:25मेरी बगिया
39:28इसका ज्यागरे
39:29ये किसलिए ये किसलिए इसको तो लेकर कभी नहीं पूछते कि इस बगिया में फूल कब खिलेगा
39:42भई सहस्त्रार यहीं होता है वो जो दादी यह कभी पूछती नहीं कि ब्रहमरंदर कब खुलेगा
39:50जो आप चक्रों की बात करते हैं आखरी चक्र यहां होता है हाँ तो उसकी तो कोई नहीं पूछता कि आपके जीवन में वो पल कब आएगा जब मुक्ति पाओगे वो तो कोई नहीं पूछता बगिया में फूल खिलाने को पूरा जमाना तहीं आ रहे है
40:09खिला लो भगिया में फूल
40:16यह रही भगिया
40:17समझ में आरे ही बात MEDIA ये मुद्दा क्यों नहीं उठाता
40:27क्योंकि आप से मुद्दा मैं इसलिए उठा पा रहा हूँ क्योंकि सबसे पहले मैं
40:31क्लाइमेट अक्टिविस्ट नहीं हूँ
40:33मैं आपको गीता पढ़ाने आला शिक्षक हूँ
40:35मैंने आपको गीता नहीं पढ़ाई होती
40:37तो आप मेरी बाते सुन नहीं पाते
40:39चुकि आपने गीता पढ़ी है
40:47इसलिए आपका मन, आपका विवेक
40:49इस इस्तर पर आगया है
40:51कि आज मैं आपसे सच्चाई बयान कर रहा हूँ
40:53तो आप सुन पा रहे हो
40:54आप सजग हो पा रहे हो आपको बुरा नहीं लग रहा
40:57आम आदनी को ये बात बताओ वो उखड़ जाएगा
40:59लेकिन उखड़े तो उखड़े
41:01जब सब कुछ जलने ही जा रहा हो
41:06बरवाद होने जा रहा हो
41:07तो हम ये परवाद करें क्या
41:08कि सच्चाई से बुरा किसको लग जाएगा
41:10साहब आप कल बचोगे ही नहीं बुरा मानने के लिए भी
41:13आज मैं आपको थोड़ा बुरा मनवाए देता हूँ
41:18क्या पता इससे आप कल बच जाओ
41:20जा करके जितना हो सके इस बात को आगे बढ़ाईए
41:28प्रचार करिए बेख़ौफ हो करके
41:30क्या ऐसा डर रहे हो
41:31बात आ रही है समझ में
41:42जिस दिन आप इतने सारे हो जाओगे
41:46कि आपको सच बताया जाए
41:49आपको बुरा ना लगे और आपके पास तादाद भी हो
41:51उस दिन हर चैनल को हर अख़बार को
41:56मजबूर हो करके ये दिखाना पड़ेगा प्राइम टाइम पर
41:59आज वो नहीं दिखाते क्योंकि आम आदमी को ये दिखाओ
42:10तो आम आदमी चैनल बदल देगा
42:11मतलब साफ समझो
42:13ये दिखाना काम नहीं आएगा अगर इस से पहले गीता नहीं दिखाई है
42:19ये दिखाना काम नहीं आएगा
42:23क्योंकि ये जो सामग्री है हमने शुरुआत में कही ये सामग्री तो ओपन सोर्स है इंटरनेट पर उपलब्द है जाके देखो
42:30देखनी होती तो आम आदमी ने कपकी देख ली होती
42:33और जानबूज के नहीं देख रहा है क्योंकि उसके स्वार्थ और सुविधा पर आज आती है
42:39चैनल दिखाएगा तो चैनल बदल देगा
42:41निता अगर ये बाते बताएगा तो निता को बदल देगा
42:44कोई नेता भी कैसे बताएं, चुनावी घोषणा पत्र में आपने इन मुद्दों का उलेक सुना, नहीं सुना क्योंकि ये मुद्दे आपके लिए महरतपूर्ण नहीं है,
42:56क्योंकि आपके पास गीता नहीं थी आज तक, जिसके घर में उपनिशद आने लगेंगे,
43:03के गीता आने लगेंगे उसमें काबिलियत जग जाती है सच का सम्मान करने की सच कोई छोटी चीज नहीं होता बड़ी भारी चीज होता है हर आदमी सच की इज़त नहीं कर सकता
43:13जिसकी जिन्दगी जूट में चल रही है, उसके लिए सच सम्मान की नहीं खतरे की बात होता है, समझ में आ रही यह बात है, अब समझ में आ रहा है कि क्यों मैंने चुना है, कि किसी भी अन्य तरीके के एक्टिज्म की अपेक्षा मैं आप तक अध्यात्म लेकर आऊंगा, क्
43:43पचापाऊंगा। संस्था के यूट्यूब चनल पर आप देखते हैं, दो तीन वीडियो जब आएंगे समाजिक सरोकारों के, तो उसके तुरंत बाद आगे पीछे एक दो वीडियो गीता के आ जाएंगे, वो जरूरी है, क्योंकि गीता के बिना आप वो सब बाते नहीं सु
44:13वो बाते हैं, जो समाजिक सरोकारों किये, वैश्विक सरोकारी किये, दोनों चीजे एक साथ चलती है, और दोनों में पहले क्या आता है, दोनों में पहले अध्यात्मा आता है, देश में, समाज में, जब धर्म का पतन होने लगे, तो फिर हर तरह से आग लगती है, फिर प
44:43संत्वाणी आप तक आ गई है तो फिर अब आप एंकर से और टीवी चैनल से मीडिया से नेताओं से सवाल कर सकते हो कि असली मुद्दे कहा है भाई साव असली मुद्दे कहा है ये चटपटी चाट मत खिलाओ हमें असली मुद्दा बताओ
45:02ये बात स्पष्ट हो रही है या कुछ अभी अटकरा है आप देख रहे हो कि चुकि हमारे पास बहुत पुराने प्रिमिटिव पशुता भरे स्वार्थ हैं बेहोश स्वार्थ हैं इसलिए कोई हमसे सच बोलने का जोखी मिनी उठाता
45:24बोलो एक जानवर है एक जानवर है और वो लपक के जा रहा है फल की तरफ एक जानवर है मालो एक सांड है एक बंदर है कुछ भी है वो लपक के फल की तरफ जा रहा है आप उसके सामने आ करके उसे यथारत बताओगे कि ऐसे करके
45:45कि सुन, वो ऐसे लपकता हुआ आ रहा इधर से, और इधर फल रखे हुए हैं, आप ऐसे रास्ते में खड़े जाओगे कि हैर जा सांड, आज मैं तो यह सच्चा ही बताता हूँ, यह जो फल है न, यह बहुत गंदे तरीके से उगाया गया है, तमाम तरीके के इसमें गंदे �
46:15जानवर है स्वार्थ से भरा हुआ, स्वार्थ से भरे हुए जानवर को सच बताओगे तो सींग मारेगा, इसलिए टीवी आपको सच्चा ही नहीं बताता क्योंकि हम स्वार्थ से भरे हुए जानवर हैं बस, हमने कोई सच बताएगा, तो मार खाएगा, फिर सोचो न, कव�
46:45यह अमल है त्याग दे उसे ग्यान दोगे क्या क्योंकि वो जानवर है और उसके पास उसके शारिरिक स्वार्थ है यह रहा हमारा शारिरिक स्वार्थ बीच वाला
46:57जिसके पास शारिरिक स्वारत है उसे ग्यान नहीं दिया जा सकता
47:01किसी को अगर सच्चाई बतानी हो तो सबसे पहले उसे उसके भीतर की सच्चाई बताओ आत्म ग्यान दो
47:13आत्म ग्यान नहीं है अगर उसे उसकी सच्चाई नहीं पता अपने स्वार्थों की सच्चाई नहीं पता
47:19तो उसे फलों की सच्चाई बताने से नहीं होगा
47:22अगर हमें हमारे दिल की सच्चाई नहीं पता
47:25तो कोई आपको बताएगा भी कि आज प्रथवी कितनी जल रही है
47:29तो कुछ नहीं होने वाला
47:30प्रथवी की सच्चाई से हम इसी लिए मुझ चुराते हैं
47:34क्योंकि सबसे पहले हमें हमारी सच्चाई नहीं पता आत्म ग्यान नहीं है
47:38जो व्यक्ति इस सच का सामना करने में असमर्थ हो जाता है
47:47वो दुनिया की हर सच्चाई से फिर कायर की तरह बार बार मूँ चुराता है
47:54जो टुठ से ही बचरा है वो फैक्ट्स का सामना कैसे करेगा
47:57जो टुथ से ही बचरा है वो facts का सामना कैसे करेगा
48:03तो इसलिए हमें facts नहीं दिखाया जाता है
48:04हमें propaganda दिखाया जाता है
48:06TV पर, media पर, हर जगे जहां जहां पर
48:08संभव हो हमें हर जगे बस ब्योकूफ बनाया जाता है
48:11क्योंकि हम ब्योकूफ बनना चाहते हैं
48:13और ब्योकूफ बनना चाहते हैं
48:17बस शारिरिक और सामाजिक स्वार्थों की वजए से
48:21और वो स्वार्थ ऐसे नहीं है कि उसमें हमें कोई लाब होता हो
48:25बस ब्रहम है
48:26इसी को अध्यात्म बोलता है
48:28मोह, अध्यास, माया, विपर्ये
48:32माया है बस
48:36जहां तुम्हें लग रहा है कि तुम्हें कुछ मिल रहा है, वहां तुम्हें मिल कुछ नहीं रहा है, लुट ही रहा हो, पर भाव ऐसा है कि कुछ लाब हो रहा है, लुट लगातार रहा हो, और सच्चाई देखने को तयार भी नहीं, जो ये सच्चाई देखने को तयार हो ज
49:06आप कैसे जी रहे हो, आपके रिष्टे कैसे हैं, आप नौकरी कैसी कर रहे हो, आप पैसे किस तरह से कमा रहे हो, धर्म के नाम पर आप क्या कर रहे हो, दिन अपना कहां बिताते हो
49:15आप लोगों के लिए घड़ी बनवाई है
49:20वहार रखी हुई है
49:21उस घड़ी पे लिख दिया है बस ये देख लो कि दिन सारा जा कहां रहा है
49:25घड़ी है उस पे लिख दिया है
49:28बस ये देख लो कि दिन सारा जा कहां रहा है
49:31वो आपको लेगा बहुत सधारशी बात है
49:32मैं कह रहा हूँ वो आत्मग्यान का आखरी सूत्र है
49:34बस ये देख लो कि दिन सारा जा कहा रहा है
49:40जिसने ये देख लिया
49:41उससे अब आप सारी सच्चाईयां बयान कर सकते हो
49:44वो सुनेगा
49:44पर जो अपनी ही सच्चाई से मूँ चुराता है
49:47उसे तुम क्या ये बताओगे
49:48उस व्यक्ति की तो हस्ती की ही शुरुआज जूट से है
49:54उसे सच कैसे बताओगे
49:55कुछ आ रही है बात समझ में
50:04एक्टिविजम का ढोल बजाने से
50:08कुछ नहीं होगा
50:10क्योंकि जो बात पर्दे में हो उसको हट दिखाया जा सकता है पर्दा हटा के
50:15यहां कुछ पर्दे में है यह नहीं
50:17सब सारुजनिक है पब्लिक डोमेन की इनफॉरमेशन है बाभा
50:22सोते हुए को जगाया जा सकता है
50:29वो है ना जो आप लोगों को पोस्टर बहुत प्रिय है
50:34you are not missing the secret
50:36you are missing the obvious
50:38जो obvious बात है वो मिस कर रहे हैं
50:42क्योंकि जब काम भरा हो आँख में
50:46तब सच नजर नहीं आता है
50:49सच सामने खड़ा हो
50:50पर आँखों में काम ना भरी हो यह नो
50:52सच नजर नहीं आता
50:53hang dry clothes
51:03upgrade light bulbs
51:05और बहुत सारे हम पाखंडी है
51:08हमसे बड़ा कोई पाखंडी है क्या
51:09हम यह सब करके अपने आपको
51:12certificate दे देते है
51:13climate conscious होने का
51:15you know I live a climate conscious lifestyle
51:17सारे जो पुराने बल्ब्स थे
51:21वो हटा दिये
51:22हम नए ज्यादा एनरजी एफिशियंट बल्ब्स लेकर आए है
51:26मैं उखड गया था
51:33बंबई में आपको यादे कुछ साल पहले आरे वाले जंगल थे उनका कांड़ था था उनका कांड़ था था उनका काट जा था था
51:38उसी का तो ख्यार अब बहुत बड़ा रूफ हमें चत्तिजगर में देखने को मिल रहा है पर वो आज से कुछ साल पहले की बात है तो एक थी वो ट्लाइमित अक्टिविस्स थी तो उनका पेज था उसमें एक के बाद एक यह आ रहा था था कि जंगलों को बचाओ जंगलो
52:08तो बारार कह रही थी कटा ओ कटा और बहुत सारे लोग है वहां पर पहुंच करके धरने और दे रहा है बहुत अच्छी बात है जंगल पचाना है पेड़ों और वही जो पेज जिसमें एक के बाद एक उनकी पोस्ट थी
52:20उसी में नीचे एक पोस्ट थी ओओ...
52:23आप बात कर रहे हो जंगल को बचाने की और यहां पे आपने वो बच्चे की डाल दी है
52:39आप यह इन सब छोटे-छोटे सर्किल्स में से किसी एक सर्किल को एड्रस कर रहे हो
52:51और कहा रहे हो बहुत बुरा हो रहा है बहुत बुरा हो रहा है
52:54और यह जो बीच वाली चीज है इस पर आप बोल रहो congratulations
52:57इससे बड़ा पाखंड हो सकता है
53:00I am a climate activist who is congratulating somebody on getting another child
53:05आज बच्चा पैदा हो ना बधाई की बात है
53:09मैं नहीं कहा रहा हूं मातम मनाओ
53:13पर कम सिकम उसको बधाई का विश्य है तो मत ही समझो भई
53:17जिम्मेदारी की बात हो सकती है
53:19पर बधाई की बात तो मुझे आज नहीं दिखाई देती
53:23ये बात किसी शास्त्र में लिखी नहीं मिलेगी
53:28एक होता है धर्म और एक होता है काल धर्म
53:33ये काल धर्म है
53:35switch electric car to car free
53:44अभी तो वही है भी है पहले तो diesel car से electric पे आओ
53:48फिर electric से car free पे आओ उतना बचा लोगे
53:50उतना बचा लोगे
53:51ये लगपक वैसी इसी बात है कि
53:57वजन बहुत बढ़ गया था
54:00तो डॉक्टर ने बोला देखो
54:02बस दो फुलके और एक कटोरी चावल खाओगे तुम
54:05कितना दो फुलके एक कटोरी चावल
54:10थोड़ी सबजी थोड़ी दाल
54:11तो भाई ने क्या सवाल करा बोले हाँ ये सब बिलकुल खाएंगे
54:15ये खाने से पहले खाना है खाने के बाद
54:17ये वैसा ही है ये जो असली चीज़ है वो तो नहीं छोड़ेंगे
54:24बाकी छोटा मोटा बता दो खाने से पहले खाने के बाद
54:26हाइब्रिट ले आओ फिर आ गया वो वाश क्लोज इन कोल्ड वाटर वास्तों में ये जो है
54:40ये ठंडे देशों पर ज्यादा लागू होता है क्योंकि वहाँ उन्हें बहुत गरम करना पड़ता है
54:45तो ये वहाँ के लिए है
54:47मैं इन में से किसी भी छोटी चीज का दुश्मन नहीं हूँ
54:58हालनकि रिसाइकलिंग यहां फिर से आ गया
55:00वही रिसाइकलिंग जिसको लेकर के हम कितना चौड़े होते है
55:05मेरा जूता भी रिसाइकल्ड है, मेरी नाक भी रिसाइकल्ड है
55:09मेरी पत्मी भी रिसाइकल्ड है
55:12मेरा सब कुछ रिसाइकल्ड है
55:13कितनी हम अपने आपको शिष्ठता बता देते हैं
55:18मेरा सब कुछ रिसाइकल्ड है
55:19मैं ही पूरा रिसाइकल्ड हूँ
55:21मेरा विचार रिसाइकल्ड है
55:23मेरी तो आत्मा भी रिसाइकल्ड है
55:24सबकुष मेरा recycled और इसलिए मैं कितना अच्छा आदमी हो
55:27उस recycling की पस इतनी कीमत है देख लो
55:34कितनी कीमत है
55:35हाँ
55:43एक बच्चा बस एक बच्चा नहीं हो तो आपने एक बच्चा नहीं प्दा कर आपने एक शिंखला पेदा करिये बाबा
55:47वो बच्चा आप क्या करेगा
55:49हम मरने को तयार हैं
55:56जो हुआ था केदारनाथ में
55:58वो उसके बाद कई बार हो चुका है
56:00छोटे स्तर पर भारत में
56:03और बड़े विस्तर पर और जगहों में
56:06पाकिस्तान की बाढ़ आद कर लीजिए
56:08यूरोप में हीट वेफ चली है
56:17पुना नहीं है जहां भयानक आपदाएं
56:19नहीं आई है
56:20हर जगह हो रहा है
56:23और ये बस अभी जहाकी है
56:25असली वाला बाकी है
56:28लोगों तक
56:43तथ्य और सत्य ये दो चीज़े लेके जाईए
56:45तथ्य ये रहा
56:46और सत्य गीता उपनिश्यद दुनिया भर का सारा बोध साहित
56:50दुनिया भर की सारी संत्वाणी
56:52वो सत्य दो लोगों तक पहुचाएगी
56:55और तथ्य ये है
56:56ये दोनों लोगों तक पहुचाईए
56:59तब बात बनेगी
57:01बेख़ौफ हो कर डरना नहीं है
57:04डर के भी क्या कर लोगे?
57:06बचाई कितना समय है?
57:09न हमारे पास समय है न प्रत्वी के पास समय है
57:11डर डर के भी बिता लोगे तो क्या कर लोगे?
57:12जगत मद में चूर और
57:21चाल अड़ बड़ चल रहा
57:25मद उतारे बिना कहो
57:29जगत मद में चूर और
57:38चाल अड़ बड़ चल रहा
57:42मद उतारे बिना कहो
57:47जगत मद में चूर और
57:59जगत में चाल और

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