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  • 2 days ago

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00:00यहां पर लड़के लड़कें से बात करने में विल्कुल हिच किचाते हैं
00:05एकदम गवराते हैं कि लड़कें लड़कें से बात मत करो जादा बात मत करो
00:08तो यहां पर यह से क्यों है
00:10पीन चार साल की उम्र के बाद से
00:14हर बच्चे को सवाल आने लग जाते हैं
00:17और उसको पूछने दिये जाने चाहिए
00:19पर यह बात पक्की है कि हम
00:21जैसे पैदा होते हैं ठीक वैसे ही नहीं बड़े होते
00:24उसमें समाज रंग भरता है
00:26जो करना करो जैसे उड़ना उड़ो
00:29मेरे अभिभावक मेरी दिंदगी में नहीं घुसे
00:31वह तुमसे कहते हैं वहाँ जो लोग रहते हैं गली में उस तरफ
00:35तुम गड़बर लोग हैं
00:37और तुम मान लोगे क्योंकि उन लोगों से तुम खुद तो कभी
00:40और जिसमें दुनिया देखी होती है
00:43खुब पढ़ा होता है भूमा होता है
00:45उसमें एक विशालता आजाती है और उदारता आजाती है
00:52जो इन चीजों का पालन कर रहे हैं ना
00:57उन्होंने वो सवाल कभी नहीं पूछा जो तुम पूछ रही होगे
01:00क्या कि ऐसा क्यों है इसलिए ऐसा है
01:05प्राणाम आचारी जी मैं
01:13नाइंफ स्टेंडर्ड में यहां देली स्कुल में तो тов मैं
01:18यहां का माहल अलक पाया यहां पर लड़के लड़कें से बात
01:22करने में विल्कुल हिच कि चाता है एकदम गब और आते कि लड़कें
01:25लड़कों को साथ केलने के लिए बोल दिया तो यह सिर्फ कुछी जगह पर होता है जैसे बारत में यह सिर्फ कुछी जगह पर है
01:53जैसे मेरी पुरानी स्कूल थी उसमें ऐसा कुछी नीता हम सब मिलकर रहते थे
01:58मिलकरी पढ़ते थे मिलकरी खेलते थे ऐसा कोई inner partiality नहीं थी तो यह यहाँ पर यहसा क्यों है
02:04यही तो पिटा लोक संस्कृते हैं न ऐसा ही है रिवाज परमपरा माहौल ऐसा ही चला आ रहा है
02:22जो इन चीजों का पालन कर रहे है न उन्होंने वो सवाल कभी नहीं पूछा जो तुम पूछ रही हो
02:32क्या कि ऐसा क्यों है इसलिए ऐसा है
02:38क्योंकि किसी ने कभी नहीं पूछा कि ऐसा क्यों है बस पालन कर लिया
02:42इसलिए जो है सुहे
02:45पूछी ले लोग
02:48कि जो मुझे बताया जा रहा है
02:50ऐसा आचरण करो
02:51ऐसा विचार ऐसा व्योहार रखो
02:54क्यों रखों?
02:58मना नहीं कर रहा है
02:58सिर्फ पूछ रहा हूं
03:01पूछ रही हूं
03:02लड़कियों को ले तो और जरूरी है कि पूछे
03:04क्योंकि ज्यादा उन्हीं को कहा जाता है
03:06ऐसे ऐसे
03:06पूछ रहे हैं समझा दीजिए
03:10मानेंगे बिलकुल मानेंगे
03:13बस समझा दीजिए
03:14तो चुकि कोई पूछने वाला नहीं होता
03:17तो जो चल रहा होता हो चल रहा होता
03:19अंधेरा क्यों है?
03:20तो अंधेरा तो होगा ही प्रकाश नहीं होगा तो अंधेरा होगा
03:25किसी वो कभी आपत्य हुई नहीं अंधेरे से इसलिए अंधेरा है
03:29आपत्य हो जाए तो पल भर में हट जाएगा अभी बटन दबादो हट जाएगा
03:34अभी सवाल पूछो के तो हो जाएगा
03:38वरना तो देखो
03:39पहले एक चलता था
03:43प्रेस टेबुला रासा
03:45अब वो उतना मानने नहीं रहा
03:49लेकिन फिर भी उस बात में कुछ दम है
03:51गयते थे कि
03:53एक खाली
03:55स्लेट की तरह या
03:57केनवास की तरह बच्चा पैदा होता है
04:00उसको कुछ पता होता नहीं हो
04:04यहाँ खाली है उसके दिमाग में
04:05जो डाल दोगे जैसे उसको संस्कारित कर दोगे
04:08वैसा हो जाएगा
04:08यह बात भूत विदान सम्मत नहीं है क्योंकि हम जानते है
04:12कि जब आप पैदा होते हो तो वृत्तियों के साथ पैदा होते हो
04:15ठीक है
04:16इन्ही वृत्तियों को लोकधर्म कहता है
04:18कि यह तुम्हारे पिछले जनमों के कर्मों से आ रही है
04:21वैदानत कहता है पिछले जनम की बात नहीं है
04:24यह प्रकृतिका
04:25पिछले जनम की रूह उख लाने की बीच में कोई जरूरत नहीं है
04:31पर यह बात पक्की है कि हम जैसे पैदा होते हैं ठीक वैसे ही नहीं बड़े होते
04:36उसमें समाज रंग भरता है
04:39हमारी स्लेट पर जो लिखावट होती है वो समाज की महावल परस्थितियों की होती है
04:46आप बहुत छोटे होते हो तो आप सवाल और नहीं कर सकते हो
04:51आपको कुछ बात बता दी गई मानना पड़ेगा
04:53दूसरे पर आप निर्भर भी हो और इतनी बुद्धी भी नहीं होती है कि सवाल
04:59पूछ भी पाओ पर जब थोड़े से बड़े हो जाओ जैसे बड़े हो गए हो
05:03मैं समझता हूँ तीन चार साल की उम्र के बाद से
05:10हर बच्चे को सवाल आने लग जाते हैं और उसको पूछने दिये जाने चाहिए
05:15यही अच्छी परवरिश है पेरिंटिंग
05:19और कुछ भी उसके खोपड़े में तो डालो ही मत कि वो जगह है
05:29वो जगह गंदी है वो जगह अच्छी है वो वाले जो वहाँ वाले वहाँ उस घर में
05:35जो लोग रहते हैं उनके घर मत जाना क्यों नहीं जाना यह सब मत करो
05:41बात करो
05:43चाइल्ड को ही करण निकलेगा ही निकलेगा
05:52अगर चाइल्ड को ही मानसिक रूप से पंगो कर दिया तो जो मैन है
05:58वो भी पाऊगे कि लाचार, पंगो दुर्भल ही पैदा हुआ है
06:09पस
06:10इह ही लोगों को कहीं और पर ओरिश मिली होती
06:13तुम्हारे महौल के स्कूल के लोग हैं
06:17तो उनका विवहर बिलकुल दूसरा होता
06:19इसलिए घूमना फिरना अच्छा होता
06:23इसलिए अपने गाओं, शहर, कस्बे से बाहर जाना
06:26देश का ब्रहमन करना
06:28इस्तितियान उमति दे तो विदेशों में घूमना
06:31अच्छी बात है
06:32मैं विदेशों में जाकर मज़े मारने के लिए
06:36नहीं कहरा हूँ कि अच्छी बात है
06:39महां जाके दरा लोगों को देखो तो
06:40और बहुत मामले में वो आप से बिलकुल
06:44विपरीद तरीके से जीते हैं
06:47और उनको भी पूरा भरोसा है कि उनका ही तरीका सही है
06:49तब पता चलता है कि मैं जैसे सोच रहा हूँ
06:55ऐसे सोचना जरूरी नहीं है
06:56इससे बिलकुल अलग सोचने वाले लोग भी हैं
06:59और वो भी जी रहे हैं
07:01यह नहीं कि उनकी बात सही ही है
07:03या मेरी बात गलत ही है
07:05बात यह है कि वो भी अपनी परिस्थितियों के बनाए हुए है
07:09और मैं भी परिस्थितियों के बनाए है
07:11वो अपनी परंपरा में विश्वास रखते हैं
07:14मैं अपनी परंपरा में विश्वास रखता हूँ
07:17तो ले दे करके दोनों ही
07:19जमूरे हैं, कटपुतली हैं
07:21वो
07:23अपने समाज और परंपरा और
07:25इतिहास अतीत के गुलाम है
07:27और मैं अपने समाज
07:29महौल अतीत का गुलाम हूँ
07:31ये सब जरा
07:33देखो तो पता चलता है
07:34बाहर नहीं भी जा पाओ तो
07:37दक्षिन घुमो
07:38हर्याना राजस्थान के हो
07:41तो बंगाल चले जाओ
07:42तो दुनिया देखो
07:44और जिस भी
07:47समुदाए, संपरदाए, पंथ,
07:49जात, इत्यादित से हो
07:50उससे बाहर घुलना मिलना
07:52तो बहुत बहुत ज्यादा जरूरी है
07:53बहुत ज्यादा
07:55हिंदू हो तो जाकर कि
07:59इसाईयों से मुसलमानों से बात करो
08:01और मुसलमान हो
08:03तो अपने ही
08:04वहां पर
08:05छोटे से दाइरे में मत रहु
08:09जाकर कि हंदूों से घुलो मिलो
08:10कुछ बाते पता चलती है
08:15तथ्य खुलते हैं, जब तथ्य नहीं
08:17खुलते तो क्या आ जाती हैं बताओ
08:18कल पनाए
08:19कुछ भी वहाँ पर छवी बना लोगे
08:22क्योंकि तथे तो पता ही नहीं
08:24और छवी नहीं भी बनाओगे
08:29तो कोई वाटसेप फॉरवर्ड आएगा
08:30उस पर यकीन कर लोगे
08:32कोई तुम से कहा देगा
08:34वहाँ जो लोग रहते ना गली में उस तरफ
08:36वो गड़बर लोग है
08:37और तुम मान लोगे क्योंकि उन लोगों से
08:40तुम खुद तो कभी
08:41मिले ही नहीं तो जो भी कोई बता देगा
08:44वो तुम मान लोगे
08:45और इसलिए पढ़ना
08:50बहुत जरूरी है
08:51ताकि हमारा जो सीमित परिवेश है
08:55उसके आगे क्या है
08:57पता चले बड़े अच्छे लेख़कों का काम यही होता है
09:01वो पूरी दुनिया आपको पन्नों में परोस देते हैं
09:07क्याते अच्छा ठीक है अभी
09:11चात्र है चात्रा है
09:13यह बहुत संसाधन नहीं है
09:15बहुत यात्रा नहीं कर सकते
09:16तो वो क्या करते हैं फिर अपनी यात्राओं के
09:19अब बोलगा से गंगा तक है
09:24बताओ किसकी है
09:25राहूल संक्रत
09:28अब पढ़ो उसको अब तुम तो नहीं जाने वाले
09:31रूस और पूरा वहां से तिबबत गए थे
09:33वो वहां से बहुत सारी पांडूलिपिया
09:34यह सब तुम नहीं करने वाले
09:36पर उनके जो पूरे
09:39मेमोयर्स हैं
09:41ट्रेवेलाग्स हैं
09:44उनको तुम पढ़ो तो
09:45पता चलता रहे ऐसा भी होता है
09:47अच्छा ऐसा भी होता है
09:49अच्छी किताबें
09:51और किसलिए होती है
09:52ताकि मन खुले
09:54वरना
09:56एक डबबा उसी डबबे में बैठे हो
10:00कूपमंडूक और टरा रहे हो
10:02और सोच रहे हो हमारी टर रहा हटी तो
10:04सत्ते है
10:07और जो जितने छोटे दाइरे में रहता है न
10:11उतना कटर हो जाता है
10:13वो अपनी धारणाओं के प्रते उतना आग्रही हो जाता है
10:17और जिसने दुनिया देखी होती है
10:19खुब पढ़ा होता है
10:21घूमा होता है
10:22उसमें
10:25एक विशालता आ जाती है
10:26और उदारता आ जाती है
10:28उसको पता होता है कि
10:32सत्ते तो यहां
10:34कुछ भी नहीं है
10:35भाई कुछ मेरे आग्रह है
10:38कुछ तेरे आग्रह है
10:40मैं यह नहीं कहूंगा कि मैं सच्चा हूँ
10:42और तू जूठा है
10:43मैं अबद यह कह दूँगा
10:44भाई यह मेरी परंपरा है
10:45जो मुझे अतीत से मिल गई
10:46वो तेरी परंपरा है
10:48जो तुझे तेरे अतीद से मिल गई ठीक है
10:50कोई बहुत ये
10:52गंभीर मुद्दा नहीं है जिस पे लडाई कर ली जाए
10:55मैं तेरे घर में पैदा हुआ होता तो
11:00तेरे जैसा होता और तू मेरे घर में पैदा हुआ होता तो
11:04तो इस पे हम क्या लड़ जाएं कि किसका घर सही किसका घर गलत
11:08ये तो सब समाज और संयोग की बात है
11:11संयोगों के पीछे लडाई नहीं करी जाती
11:12जिनके पास संसाधन हो
11:22अपने बच्चें को भी हो सके तो थो थो दूर की जगों पर पढ़ने भेजिये
11:27आरी बात समझ में
11:32बच्चों को नहीं भेज पा रहे हैं
11:36बच्चे बड़े हो गए हैं उनको कहीं कॉलेज औगरा में एडमिशन मिल रहा है
11:39और दो विकल्प हैं एक घर के पास वाला और एक
11:42500,000, 2000 किलोमीटर दूर वाले में भेजिये
11:46बच्चे का व्यक्तित तो बहतर निकलेगा
11:51नहीं तो घर घुसनू बना रहे हैं उसको
11:54और घुसे मत रही उसकी जिन्दगी में हैं पराटा खा लिया
12:01मैं आपके सामने बैठा हूँ आप लोग कई बार बड़ी बाते बड़ी बाते
12:14आचारी जीने ये करा, ये सोचा, ये करा, वो फोचा
12:19कैसे हुआ था, क्या हुआ था
12:21कुछ बहुत छोटी-छोटी बाते थी जो बड़े माहत्तोगी थी
12:26मेरी जिन्दगी में कोई घुसा नहीं
12:28कोई अनलाइटनमेंट औगरा नहीं, इतनी छोटी सी बात, क्या
12:34मेरे अभिभावक मेरी दिन्दगी में नहीं गुसे
12:40हाँ महौल उन्होंने पूरा बना कर दे दिया
12:45महौल बना हुआ है और जो करना करो जैसे उड़ना उड़ो
12:49मुझे कभी हुआ कि मुझे कोई सलाह चाहिए तो मैंने सलाह ले ली
12:57मेरे पिताजी गए हैं उनसे मेरी जो आखरी बाचीत हुई थी यहीं बोटस्थल में आये थे
13:03और उसके कुछ दिनों बाद चले गए वो आखरी बाचीत भी अध्यात्म को लेकर ही थी
13:08अब पुरान प्रतिवशा शुरू करने की सोच रहा था मैं याद है किसी को
13:17मैंने उनसे कहा था मैंने कहा कुछ जो महा पुरान है अठारा उसमें से बचे हैं
13:23तो सोच रहा हूँ गवा चला जाओंगा कुछ महीने लगाओंगा इनको पढ़ूँगा
13:28तो आखरी बाचीत भी पले
13:30एक दिन में खत्म करो ना उसमें है क्या
13:36एसा ही थे
13:47समझ रहे हैं नो क्या बोलना चाह रहे थे
13:51समझ रहे हैं बस वही आखरी बात थे
13:53वो नहीं आ रहे हैं ये करो वो करो
13:55मैंने पूछा कुछ तो बता दिया अच्छी बात
13:57डर मत जाया करो
14:02कि हम पेरेंट्स हैं और बच्चा हाथ से निकल रहा है
14:05ये अच्छी बात है अगर वो आपके हाथ से निकल रहा है
14:08उसके लिए अच्छी बात है और आपके लिए अच्छी बात ये होती है
14:13आपकी दृष्टी में कि वो आपकी मुठी में भिचा रहे है
14:16जो बच्चा आपकी मुठी में भिचा है न वो बुन्जाई बन जाएगा
14:20फ्रेम होता है कि बीज भले मेरा है पर उसको रोप दिया दाना पानी कर दिया
14:33अब उसकी जड़ें खुब गहरी जानी चाहिए
14:37ताकि उसकी टहनियां और उसका तना उचाई ले सके
14:44अब मैं ये थोड़ी करूँगा कि आ तु मेरे गमले में बैठ
14:48आ तु मेरे गमले में बैठ
14:52ने गमले में नहीं बैठूँगा मैं तुझे अब खुला मैदान दे दूँगा
14:55तु अपनी गहराई उचाई खुद अब नाप
14:58जा खूब हर दिशा में अपने हिसाब से तु अब
15:03अपने पंख पसार
15:06हम क्या करते हैं
15:10बेटी तुम ना इस गमले में रहना
15:14यहां सुरक्षित रहोगी बेटी
15:17वो बेटी गमले में रहेगी तो बेटी बस इतनी ही तुरेगी फिर
15:21उसे गमला नहीं चाहिए उसे क्या चाहिए
15:29उसे खुली जमीन चाहिए ताकि उचाक आश मिल सके
15:43लकीर का फकीर नहीं बनना है
15:51गीता ले ली ना अतीत से हो गया
15:55जो हाँ शिष्ठतम था वो हमने ले लिया
15:59शेश विशय अतीत के नहीं जरूरी नहीं है
16:09जो जरूरी था वो हमने ले लिया सर पे रखा है उसको
16:13यहां रखा है ले लिया
16:15और बाकी नहीं लेंगे
16:21यह उनिफॉर्म में कैसे है आज स्कूल था यहां भी तो टीचर है ना इसलिए

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