Skip to playerSkip to main contentSkip to footer
  • 6/4/2025
Part- 02 आपातकाल की पृष्ठभूमि, गुजरात और बिहार आंदोलन (POL--स्वतंत्र भारत में राजनीति--6--संवैधानिक व्यवस्था का सकंट )

Category

📚
Learning
Transcript
00:00नमस्कार में द्यार्तियों, मैं सुरेश भाटी आप सभी का आज की इस क्लास में एक बार फिर से हार्दिक स्वागत और अभिनंदन करता हूँ
00:06Students लोगतांत्रिक व्यवस्ता का संकर्ट जिसके अंतरगत हम लोग चर्चा कर सुके हैं
00:12किस प्रकार से इंद्रा गांधी जब 1971 में प्रधानमंत्री बनकर आई भारी वगमत से और उनके सामने बहुत सारी चुनोतियां उससा में खड़ी हो गए थी
00:21वो चुनोतियां जिनका सामना करना उनके लिए बड़ा कठिन काम था
00:26और इन ही सब चुनोतियों के कारण मजबूर होकर इंद्रा गांधी को 1975 में आंत्री का पात्काल की उत्गोशना करने पड़ी थी
00:35कौन-कौन सी चुनोतियां थी अब इन सभी चुनोतियों पर चर्चा कर चुके हैं विशेश रूप से आर्थिक संकट उससा में इंद्रा गांधी की सरकार पर भारी पड़ा था भारत पागिस्तान यूद नियुक्त तर उसके पस्चात बंगलादेशियों के सरणार्थिय
01:05इसराइल के बीच में विवाद खड़ा हो गया था कि अब विवाद खड़ा होने के कारण वहाँ जो तेल का प्रभाव दिखाई दिया उसका प्रभाव भारत की कीमतों पर भी दिखाई दिया अचानख भारत में भी महगाई विरुसकारी पड़ गी तो यह सब संकर चली �
01:35रहा पकड़ ली और अंदोलन इतना तिव्र हुआ कि दिल्ली तक पहुंच गया दिल्ली में लाखों की संख्या में लोग इखटे हो गए जैप्रकास नारायन ने संसब मार्च की गोष्णा की और इन सब विपरित परिस्टतियों में मजबूर होकर इंद्रा गांधी सरकार क
02:05कि स्तिफे का दबाव बनाना प्राइब किया एक किसुरों 75 को नामभीला मैदान ढिली में को
02:14कि अच्ञा इंद्यूर्ठों चेपी सभी सरकारी कर्मचारियों सेयंता पीलिस ne
02:18से सत्या गरह का आव प्र
02:20से सत्यागरह का आवान किया अर्थात सरकार के गलत निर्णय को सुविकार न करना तथा उनका विरूत करना
02:31देखिए जैपरकास नरायन तथा गैर कोंगरेसी पाइटियों ने इंद्रा गांधी पर इस्तिफ्य का दबाव बनाना प्रारम किया
02:38ये दबाव बनाये गया कि जो कुछ हो रहा है उन सबसे निपट पाने में इंद्रा गांधी असक्षम है इसलिए इंद्रा गांधी को त्याग पत्र दे देना चाहिए
02:482175 को रामविला मैदान में एक विशाल वैली का अयूजन किया गया
02:53मes
03:13कि उस समय जो कुछ वजर रहा था वो देज़ के लिए ठीक नहीं था और ऐसी स्थी में सरकार को त्याग पत्र क्ट्र देना चाहिए
03:20आपातकाल की उद्गोषना 25 1975 को इंद्रा गांधी ने राश्पती फकुरुदीं अली एमत से करकर कहकर अरुचे 352 के तहट राश्ट्रिया आपातकाल की उद्गोषना करवाई यहाँ आपातकाल रात्री के समय उद्गोषित करवाया गया
03:41इसका मतलब यह है कि जब 25 1975 को राम लीला गदान भर चुका था चारों तरफ लोग इखटा हो चुके थे इंद्रा गांधी सरकार को ऐसा लग गया था कि अब सब कुछ परिस्तितियां विप्रित जा चुकी है कंट्रोल में नहीं है मनब उनके हाथ में कुछ भी नहीं है ऐसी
04:11कि अपात्काल की उद्ढशना राश्रपती की द्वारख की जाएगी और झाल तक आपात्काल उद्ढशन करवाया गया था इस समय तक
04:21नियम या जो लिखा गया था समिधान में वो ये था कि प्रधान मंत्री की परामर्स पर राश्रपती आपातकाल की उद्गोष ना करेगा
04:29इंदिरा गांदी ने एज़ प्राइम मिनिस्टर परामर्स कर दिया और राश्रपती फकुरुदीन अली एहमद ने अपात्कार उद्गोशित कर दिया
04:38लेकिन बाद में समिधान में संसोधन करते हुए ये प्रावधान किया गया कि केवल आप मंत्री परामर्स दे और अपात्कार उद्गोशित कर दे ऐसा नहीं होगा पूरा मंत्री मंदल लिखित में आपको परामर्स करेगा तब ही आप अपात्कार के उद्गोशना कर पाएं
05:08कि उस समय रात्री काल में जब सब सोय वे थे
05:13सुबह जब उठे तो उन्हें पता चला किया रहे हम तो आपात्काल में हैं
05:18मतलब लोगों कोई पता ही नहीं चला कि आपात्काल उद्गोशित हो गया है
05:21सुबह सब कुछ बदल चुका है
05:23और रातरी कालब आपातकाल उद्गोशित कर दिया गया
05:27रात में ही समाचार पत्रों के दफ्तरों यानि के ओफिस की बिजली जो थी
05:33उसकी सप्लाई कट कर दी गई
05:35बिजली की सप्लाई से ले कट कर दी गई
05:37कि अगर आपातकाल उद्गोशित कर दिया गया
05:40और जो समाचार पत्र है वो प्रकाशित हो गए
05:42तो सब कुछ समाचारों के तुरू लोगों तक पहुँच जाएगा
05:46कि आपातकाल उद्गोशित हो चुका है
05:48जनता का आकरोश फिर सरकार उसका सामना नहीं कर पाएगी
05:52तो जन आकरोश को रोकने के लिए किसी को पता ही न चले
05:54इसलिए अखबारों की विजलीया कट कर दी गई
05:58उनकी सप्लाई कट कर दी गई
05:59ताकि वहां से समाचार पत्र परकाशित नहीं हो सके
06:02और वो आम जनता तक ना पहुंच सके
06:0526 जून की सुबह 6 बजेंदरा गांदी ने कैबिनेट की विशेस बैठक बुलाई
06:10तथा सभी मंतरियों को अपातकाल की उद्गोषना से अउगत करवाया
06:14मतलब मौनिंग में एक दिन बाद कैबिनेट को बुलाना
06:18फिर कैबिनेट के समक्स ये बात रखना कि आपातकाल उद्गोषित किया जा चुका है
06:22ये अपना आप पे एक बहुती अजीब सी बात थी
06:25मंतरियों तक से नहीं पूछा गया जिन्हें इसकी जानकारी नहीं थी
06:28और सुबह उन्हें ये बताया गया कि आत्रिक आपातकाल उद्गोषित किया जा चुका है
06:33अब मंतरि भी क्या करते हैं
06:35मंतरियों के लिए सब कुछ भले एक आश्चर चकित कर देने वाली घटना थी
06:39लेकिन प्रधान मंतरी के सामने सभी मंतरी नत्मस तक थे
06:42वो हां में हां मिलाने के अलावा ज्यादा कुछ नहीं कर सकते थे
06:46तो इस प्रकार से ये आपातकाल उद्गोषित किया गया
06:49आपातकाल के लिए जो परिस्तियां खड़ी हुई थी
06:52वो हमने पिछले चैप्टर में पड़ी थी
06:54कि जैप्रकास नाराएंड के द्वारा रास्ट्रगा भी आहवान किया गया था अंदोलन का
06:59सभी को दिल्ली पहुँचने के लिए कहा गया
07:02लाखों की संख्या में लोग दिल्ली पहुँच गए
07:04चाहँ तरफ से राम लीला मैदान जो था भड़ चुका था
07:10इंद्रा गांदी को ऐसा लगा कि अब बहुत मुस्किल है
07:13सब कुछ उनके हाथ से बाहर जाता जा रहा था
07:16क्योंकि जैप्रकास नाराएंड ने सभी से आवान कर दिया था
07:20जितने भी सरकारी कर्मचारी थे यहां तक कि पुलिस बल और सेना तक से यह अहवान किया गया था
07:25कि अब आप समीने आउग्या अंगलम की तरफ आजाईए सत्याग्रण की तरफ आजाईए आप सच्चाई को सरकार के सामने रखिए
07:32एसी स्थिति में विना अपातकाल के इंद्रा गांधी सरकार के समख से दूसरा कोई रास्ता नहीं था इन सब परिस्चतियों को कंट्रोल करने के लिए
07:42इसलिए 25 जून 25 जून 1975 यह वो दिन है जिस दिन इंद्रा गांधी सरकार के दूरा रात्री काल अपातकाल उद्गुशित किया गया सुबह 6 बजे केमिनेट को बताया गया सभी अकबारों की यह जा समचान पत्र छपते थे उनकी बिजली कट कर ली गई और यह सब कुछ कि
08:12चपेंगे इन 2-3 दिन तब विजली कट रहेगी दो-3 दिन बाद जब तक लोगों को पता चलेगा तब तक सारा माहौल जो है वो सरकार अपने पंक्षमें कर लेगी
08:21परिणाम क्या हो इस अपातकाल का आप इस अपातकाल की परिणाम में देखेंगे प्रेस सेंसर्शिप एक्ट लागू कर दिया गया क्या किया गया प्रेस सेंसर्शिप एक्ट जिसका मतलब होता है प्रेस में सरकार की अनुमति के बिना कुछ भी नहीं प्रकासित किया जा�
08:51के बिना कुछ भी कुछ भी कुछ भी प्रकाशित नहीं होगा
09:06सरकार के अनुमति के बिना कुछ भी प्रकाशित नहीं होगा
09:10इसको प्रेस सेंसर्शिप एक्ट कहा जाता है
09:12इंडियन एक्स्प्रेस तथा स्टेट्स में जैसे अकभारों ने प्रेस सेंसर्शिप का विरोध किया
09:17सिमिनार तथा मेंस्ट्रीम जैसी पत्रिकाओं ने सेंसर्शिप के पश्चार बंद होना सुईकार कर लिया
09:23देखें यहां पर आप देख रहे हैं कि दो समाचार पत्र जो है एक तो है इंडियन एक्स्प्रेस और एक है स्केट्स में इन दौनों ने तो प्रेस सेंसर्शिप का विरोध किया
09:33विरोध किस प्रकार से किया कि कुछ कॉलम खाली छोड़ दिये जाते थे खाली रहते थे खाली कॉलम में कुछ भी सरकार के अगिंस्ट में नहीं लिखा जाता था लेकिन जहां खाली कॉलम होता था उससे जनता को यह सोचने का मौका दिया जाता था कि यहां खाली क्यों छ
10:03बट मजबूरी में उस कानून की वज़े से नहीं कर पा रहा है ये कुछ एक तरीका अपनाए गया था इन दौनों ही अकबारों की द्वारा जबकि दो पत्रीकाएं एक तो आप देख पा रहे हैं सेमिनार है और दूसरी वेनिस्ट्रीम है इन दौनों ही पत्रीकाओं ने तो
10:33क्यों ही बंद हुजाते हैं प्र bounce होना सुविकार कर लीए इंसाम्न कॐश्टक है कौन कौन से पत्रिकाएं सेन्सरसिप अक्ट के पाश्चाओं बंद हो गई थी तो हाब बताएंगे सेमिनार मेनिस्ट्रीम और कौन कौन से समाचान पत्रों है प्रेश असे एक्ट का विर�
11:03पारंथ तथा पदमस्री से सम्मानित हिंदी लेखर फणिश्वर नाथ रेण। ने लोगतंत्र के दमन के विरोध में अपनी उपादियां लोटाई थी।
11:13देखें उपादियां लोटा कर उन्होंने विरोध प्रकट किया।
11:43लोटा कर चंता को एक संदेज दिया कि हम सर्कार के कारियों से खुश नहीं है।
11:48आरे से जिसे राष्टि स्वयम सेवक संग कहा जाता है तथा जमाते इसलामी संग्टनों को प्रतिबंदित कर दिया गया।
11:57इन पर बेन लगा दिया गया।
11:59किसी भी प्रकार के प्रदशन, घटना, रेली, इत्यादी पर प्रतिबंद लगा दिया गया।
12:06प्रदशन, भरताल, रेली।
12:12इस प्रकार की जो गटना होती हैं, सब पर प्रतिबंद लगा दिया गया।
12:15सरकार ने विपकसी दलों के नेताओं को बंदी बनाकर जेलों में डाल दिया।
12:19जितने भी विपकसी दलों सब को बंदी बनाकर जेलों में डाल दिया गया।
12:23कि अगया सरकार्ण ने निवारक नजर बंदी का भरपूर परियोग किया है निवारक नजरबंदी का भरपूर दूपयोग किया गया अघ्या नजरबंदी पहले आप इसको समझेजिए देखिए निवारक
12:50नजरबंदी निवाराप नजरबंदी जिसका उले किया गया है अनुछे 22-4 में इसके अंतरगत लिखा गया है कि अगर कोई घटना घटित होने वाली हो और उसे रोकना हो तो पूर्व में पूर्व मतलब घटना घटित होने से पहले ही उस व्यक्ति को आप बंदी बना सकते
13:20नयाईपालिका के समक्ष प्रस्तूत किये रख सकते हैं तीन महीने कम से कम उत्रगिक बीना प्रड87 मंत्री के नेत्रत्व में एक उचीस्तर कमेटी कौ सभई अपनी रिपोर्ट देगी यानिकि वुक रोकनी बढ़ है जा सकता है किसे कहते हैं निवारक नजरबं दिन कृ�
13:50बढों के खिलाब जो आधार त्यार किया वो था निवारक नज़रबंदी।
13:56ऐसे में अगर कोई न्याएपालिका के सामने जाएगा किसाब मेरा भाई है
14:02अभाक मेरे पिता जी ही मेरी माता जी है अभेटा सो कर सक्या
14:07कर लिया गया है तो न्याय पालिका के हाथ बंद जाएंगे न्याय पालिका उनको बंदी प्रत्यक्षी करण का अधिश नहीं दे सकती क्योंकि निवारक नजरबंदी एक्ट के अंदर बंदी बनाय गया है तो न्याय पालिका के सामने पेस करना जरूरी नहीं है बिना न्याय
14:37गिरफ्तार लोगों पर निवारक नजरबंदी एक्ट लागू किया गया
14:57जबकि निवारक नजरबंदी एक्ट का इस्पेशल तरीका है
15:01कब निवारक नजरबंदी को लागू किया जा सकता है
15:04किल परिस्तितियों में किया जा सकता है
15:06जिस उद्देशी से निवारक नजरबंदी बनाया गया था उसका दुर्पयोग हुआ
15:11सामाने ते निवारक नजरबंदी का प्रयूग किया जाता है
15:14ऐसे अपराद को रोखने के लिए जो राश्टर के विरुद्ध हो
15:18हलागि सरकार ने भी यह ही का था
15:20सरकार ने का कि यहां कि जो कुछ हो रहा था राश्ट विरोधी
15:23फूलिए जो कुछ हो रहा है लेंटुट धी था है यह जो
15:28म सोपोर्टर कर रही है और यह भारत में की
15:33भारत में अशांति फैला रहे हैं यह हिंसा पैला
15:37ये कहते हुए सरकार ने इन लोगों को बंदी बनाने का अदेश दे दिया
15:42लेकिन क्या वास्तों में ऐसा हो रहा था कि ये तो सब अपनी बातें मनवाने के लिए एक जुट हुए थे
15:50सरकार पर दबाव बनाने के लिए हुए थे सरकार से इस्तिफिय की मांग कर रहे थे तो आरोप यह लगाया गया और इस आरोप पर उन्हें गिरफता कर लिया गया था
15:59कि अपने उन्हें सुच्छ नियाले की समिधान पीठ ने उच नियाले के फैसले को उलिड दिया तथा सरकार की दलील माल लिए इसका आशाए यह था कि सरकार आपातकाल के दौरान नागरिक से जीवन और आजादी का अधिकार वापस ले सकती है इसके नागरिकों नहे पालि
16:291976 में 1976 टर सरकार के समिदान पीठ ने में उच नियाले के सकते खांके को लिए उच 요�eker लेए था पहले यहां पर आंप बताएंगे
16:43को आई कौर्ण के पैसले जो थे आ उच निया निया यह लेओ कि निर ने
16:54बुए हिख्टण अ रिब ने के निरोने के दिये गए थे जगाजेणग जगे उचनेयाले सब्सक्राइए ऑनफी स्टेट में थे जिन
17:01लोगों को बंधी बनाए गया था जब उनके घर시고 ने इस्टर्मकी दोरा को कहा गया थे सरकार जिलिक
17:20सुप्रीम कोट सरकार के पक्ष में था तो सुप्रीम कोट ने ये देखिया
17:251906 को सरोच नयाले की समिधान पीठ ने पीठ के उच नयाले के फैसलों को उलट दिया
17:31तथा सरकार की तलील माल ली इसका आसे यह था कि सरकार आपाथ काल के दौरान नागरिक से
17:38जीवन और आजादी का अधिकार वापस ले सकती है जीवन का अधिकार आप सभी जानते हैं कि अरुचेद 21 जो है
17:49वो आपको एक ऐसा अधिकार देता है जो कि किसी परशितिम आपसे चीना नहीं जा सकता
17:55और ये हैं जीवन की स्वतंतरता प्राण्व देहिक स्वतंतरता जीवन की स्वतंतरता जिसे प्राण्व देहिक स्वतंतरता कहा जाता है प्राण्व देहिक स्वतंतरता तो ये प्राण्व देहिक स्वतंतरता का जो अधिकार था वो सुप्रीम कोड के एक आदेश ने लोगो
18:25उनको अपातकाल के दौरान बिना किसी कारण के भी बंदी बना सकती है जैसा कि आप देख सकते हैं यह किया गया था निवारक नजरबंदी के तहट बिना किसी कारण के उनको बंदी बना लिया गया कारण सुप्रीम कोट या हाई कोट किसी भी न्यायपालिका के सामने नहीं �
18:55मतलब संसत से मानिएगा क्योंकि ये किंद्री विधायका है संसत का कारेकाल पांच वर्स से बढ़ाकर छे वर्स कर दिया इसका मतलब यह है कि अब देखें 1971 में चुनाव हुआ था
19:10पांच वर्स का कारेकाल पांच वर्स का कारेकाल पांच वर्स चुनाव होने चाहिए थे लेकिन एक वर्स बढ़ा दिया तो अब क्या हो जाएगा
19:25आँ 77 याणी कि अग्ला चुनाव आप उनिस सो 17 तर तक टाल सकते हैं से वर्स कर दिया इसके अतिरिफ्ट
19:35अपांच के दौरान चुनाव होंगों को एक साल तक स्थगित करने का प्रावधान भी किया गये तो अप बले आप 17 की उत्थातर तक
19:42बहुत सबसे अधिक विवादाजपत संसोधन कहा जाता है यह सबसे विवादाजपत संसोधन
20:06आज तक जितने संसोधन की ये गए हैं, ये सबसे विवादास्पद है, क्योंकि इसके माध्यम से समङ्धान के लगब त्रेपन अनुचे आर्टिकल, जिनको कही मैं कही से तोड़ा मरोडा गया, उन में संसोधन किया गया, एक साथ इतने सारे आर्टिकल्स में संसोधन करना,
20:36सबसे अधिक विवादास्पत समिधान संसोधन कहा जाता है कुछ रोग इसे मिनिक
20:51कॉंस्टिटूशन कहकर पुकारते हैं इसे लगुष समिधान कहकर पुकारते हैं क्योंकि एक नया समिधान बना डाला इसके मांथ्यम से
20:59तो यह बहुत बड़ी गटना थी सापातकाल के दोरा रहा अब आती हैं पर नक्सलवादी अंदोलन देखिए नक्सलवादी अंदोलन जो यह सब कुछ चल रहा था इसी दोरान गटिते गट्टा हैं क्योंकि एक तरफ तो सरकार विप्रित आतिक हालात से गुजर रही थी दे
21:29वह 1971 के जो परिस्तियां थी उसे पहले की है बात 1971 की परिस्तियों से नक्सलवादी अंदोलन का कोई विसेश संबन नहीं है बट पूर्वा में इंद्रा गांधी की सत्ता के खिलाफ यह अंदोलन जन्म ले चुका था यह क्या है जनासा समझने की जन्मतर देखिए इसके श
21:59पाइड़ी नक्सलवाडी एक शेत्र है यहां से अंदोलन की सुरुवात्वी थी इसलिए इसको नक्सलवादी अंदोलन का नाम दिया गया
22:121967 में इस आंदोलन का जन्म पॉंट, माक्षवादी विचारधारा के नेता, चारू मजूमदार इस आंदोलन के जन्म दाता थे, ये चारू मजूमदार जो थे, इन्होंने CPIML बनाई थी, क्या बनाई थी? CPIML, यानि कि Communist Party of India माक्षवादी लेनिनवादी और इसके माध्यम से
22:42सोसित मजदूर और किसान थे, उनके पक्ष में हुआ था, सरकार के अगेंस्ट था ये अंदोलन, सरकार जो की अमीरों को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी, और अमीर जो थे, वो गरीब और मजदूरों का सोसन कर रहे थे, इस्पेशली जमिदार, वर्ग, किसानों से मजदू
23:12लिता है, जिसे हम नक्षलवादी अंदोलन कहते हैं, नक्षलवादियों ने गुरिला परदत्ती से सरकार के वरुद हिंसात मग गटनाओं को अंजाम देना प्रारंब किया, नक्षलवादियों का प्रमुख लक्षित जमिदारों से जमीन चीन कर, किसानों को जमीनों का मा
23:42CPI ML, जिसे मार्चवादी लेडिनवादी कहते हैं, नाम से एक नए राजनितिक दल का गठन किया गया, नौ राज्जियों के 75 जिले नक्षलवाद से प्रभावित है, आज की इस्तिती है, कि इसमें लगबग 75 जिले हैं जो के प्रभावित है नक्षलवाद से, वर्तमान सम
24:12मदद चाहिए, वो चीन, नेपाल, मियनमार, बंगलादेश यहां से प्राप्थ हो रही है, यानि कि विदेशियों से प्रयोजित इस अंदोलन को हम कह सकते हैं, आपातकाल के संधर्वर में विवाद क्या थे, यह जना देखने की बात है, आपातकाल लागू करने के आवश
24:42शाह योग ने कहा कि यहां सरकार की अती है, यानि कि जो आपातकाल को गलत मानते हैं, वो क्या कहते हैं, कि जो संधान में प्रदत अधिकार है, इसका क्या किया गया, दुरुप्योग किया गया।
25:12गडबडी ऑन्तरिक अशांति या गडबड़ी क्या अधार पर क्या लग सकता है आपात काल की उद्गोशना की जा सकती है अब सोचिए कि क्या अंतरिक अशांति और आंतरिक गडबड़ी की कोई परिभाशा है कोई
25:29कि इसको मांत्रिक अशाम्ती कहांगे कि किसको मंत्रिक इॐबड़ी कहांगर- इन्गराई कि वरोध
25:48कि यह सब कुछ जो सविधान में लिखा गया था उसका दुर्प्योग था
25:53आपातकाल से लोकतांत्रिक व्यवस्था ठप हो गई
25:55देखें, लोकतांत्रिक व्यवस्था कैसे ठप हो गई
25:58बिलकुल सीधी सी बात है
26:00लोकतांत्र ठप
26:04कैसे ठप हुआ
26:07कि मौलिक अधिकार खत्रे में पड़ गये मौलिक अधिकार समाप्त निलम्मन हो गया उंका समाप्त कर दिये ले ले गया आपसे यहां तक जीवन जीने का अधिकार भी चीन लिया गया आपसे जो अनुछे 21 के अंतर का तुल्लेकित है इतना ही नहीं प्रेस सेंसर्शिप आप
26:37लागू किया गया यह भी जो आपका लोगतंत्र है उसे ठप करने वाला काम है लूगतंत्र को इससे भी रोक दिया गया समसे बड़ी चीज है कि विपक्ष पूरा जेलों में था बड़े नेता बड़े नेता जेल में और उन पर क्या रोप लगाया गया था देश द्रूप
27:07अनुछेद 22-4 के तहट निवारक नजरबंदी के अधार पर बड़े-बड़े नैताओं को जेल में डाल दिया गया था
27:30साह ऑव्यों ने कहां कि इस सरकार की अती थी आप सभी जानते हैं जय के इस अपातकाल की चाज के लिए कमिशन गठिध किया गया था
27:41एक आयोग गठिध किया था जिसे साह ऑव्यों कहा जाता है जो भूजब पूर्व नियाएगी शीरेट, जो यजी साह
27:50उनके अध्यक्सना में गठित किया गया था
27:53और आयोग ने ये माना कि इंद्रागांदी की सरकार ने इस समय जो कुछ किया था
27:59वो अती थी आपातकाल के दोराद अत्याधिक अती की गई थी
28:03क्या आपातकाल ज़रोरी था क्या वशक्ता थी इसकी ये भी एक प्रशन उठता है
28:09आपातकाल अंद्रूनी गढ़ड़ी के नाम पर लागू किया गया था
28:13और ऐसा पहली बार हुआ था और लास्ट बार हुआ था
28:17इससे पूर्व और इसके बाद कभी भी अंदरूनी गड़बडी या अंत्रिक शांती के नाम पर आपातकाल उद्गुशित नहीं गुआ था।
28:25सरकार का क्या तरक था आपातकाल के पक्ष में।
28:29आंदोलनकारी धर्णा, प्रदशन, बन, तोड़फोर, हत्या, हिंसा, इत्यादी का सहरा अपना रहे थे जो लोगतंतर के गुरुत था।
28:38ये सरकार की तरफ से अपना पक्ष रखा गया था कि जो आपातकाल उद्गुशित किया गया उसका कारण ये है कि जो अंदोलनकारी है, वो धर्णा कर रहे हैं, प्रदशन कर रहे हैं, तोड़फोर कर रहे हैं, आजजनी कर रहे हैं, बंद कर रहे हैं और ऐसे में लोगतंत
29:08ही है कि कंट्रोल प्रेशन से किया जाए यानि कि इसके लिए दबाव बनाया जाए उन पर और यह की तरीका था और वो था अपार्टकार
29:17सरकार के विचार विकासात्मक कारियों वा कानूनी विवस्ता के मार्ग में अंदोनन बाधा उत्पन कर रहा था यह पहला तरक दिया था सरकार ने और यह दूसरा तरक दिया है
29:28सरकार का कहना था कि जो सरकार विकासात्मक कारेक्रम लाना चाह रही थी, विकासात्मक कारेक्रम का मतलब है जो देश के अंदर गरीबी, वेरोजगारी, फैलिवी थी, गरीबी, वेरोजगारी, असिक्षा, यह जो थी प्रॉब्लम सिनको खतम करने के लिए सरकार विकासात्म
29:58गरी भी हटाएंगे और इसी नारे से चुनाव लड़ा अब जब सरकार गरीब हटाने के नाम पर अपने कारियर भावारी धरतल पर लागू कर रही थी उससमय अंदोलमकारियों ने उनके इन कारियों में बाधा उप्पन की और सरकार के पास अपातकार लागू करने के अला�
30:28बैटकर विरूद कीजिए वो भी तो एक तरीका है और संसद्विय तरीका तो वही है कि आपका विरूद
30:34वहां होना चाहिए शंसत के अंदर संसत के बाहर अब आएंगे आप संसत का घिराव करेंगे आप जनता को
30:41तो यह औसलस्द्य तरीका अन्लोक्तांत्रिक तरीका है इसका सरकार ने कहा ये गलत था
30:49सरकार को अपना सारा ध्यान रहताःतक राध्न कारियों पर पढ रही तlait सब्सक्राइब करोणे रही ह 벌써 सब्सक्रिकार
31:00सरकार विकास के कारियों पर ध्यान नहीं देेपा रही थी क्योंकि देश पूरा एक तरह
31:05से अशंत महोल में था कि ऐसी ह स्त花 कैसे विप्रफ्रस में कारियों फॉकर धिय
31:11इंद्रा गांधी ने जहिए आको चित्ठी लिखी ती तथा बताया कि संढ़कार के
31:18सरकार के विकासवादी कारियों के आंदोलनकारी और सम्विधानिक रास्ता अपना कर मुझे पत से हटाने का प्रयास कर रहे हैं
31:26सरकार के विकासवादी कारियों में बाधक अंधोलनकारी आँ समयधानिक रास्त अपनाकर मुझे पत्स से हटाने का प्रयास कर रहा है
31:47इंद्रा गांधी जो चिक्षी लिखी उसमें इस पस लिखा गया था कि वास्ताओं में ये जो अंदोलन कारी अंदोलन कर रहे हैं इनका मक्षर्थ इंद्रा गांधी को पद से हटाना है क्योंकि जब दूसरा
31:57तो तो चुनाओं में तो नहीं हटा पाए चुनाओं में तुद्रा गांधी जीत गई अब इंद्रा हटा होगा नारा कैसे पूरा होगा तो वह तरीका था चुनाओं के बाद जनता को अपने पक्ष में लेकर एक विद्रो बढ़काना और फिर निर्वाचित प्रधान मतरी क
32:27गतबंदन में सामिल थी अतरह CPI ने भी इस अंदोलन को अवैधानिक बताया यह तो सरकार ने अपनी तरफ से दिये थे अब CPI जो थी उसने भी अवैधानिक बताया
32:38कि पर जो आंदोलन हो रहा है यह भारत के रोग तो कर रहे हैं लेकिन इनको जो सयोग मिल रहा है वो मिल रहा है बाहर से कि यह जो आंदोलन है यह आंदोलन विदेशी सक्तियों से प्रायुजित है यह भारत को कमजोर करने के लिए भारत में असांती फैलाने के लिए पाकिस्
33:08यूज कर रहे हैं और यहां के लोग आंदोनन कर रहे हैं तो इसे अंतराश्ट्री साजिस करा दिया किसने एक्जाम में पूशन पूछा जा सकता है कि आंतरिक आपातकाल को
33:20आंतरिक आपातकाल को सही ठहराते हुए किस ने आंदोलन को विदेशी सक्तियों की साजिस करा दिया
33:29तो आपका उत्तर होगा CPI जो की कॉंग्रेस के साथ थी, कटवंदन में थी, सत्तारूर्दल के साथ थी
33:35उसने इस आरोग को कुछ इस प्रकार से बताया
33:38मध्यमबार की सांदोलन में सबसे बड़ी भूमी का निभा रहा है जो की परिवर्तन विरोधी है
33:45नोट, बाद में CPI ने आपातकाल को अनुचित बताया
33:51CPI ने खुद नहीं माल लिया बहुशी में चल करके
33:53यह जो आपातकाल था, यह गलत था, यह ठीक नहीं था
33:57क्योंकि उस समय तो CPI सत्ता में बैठी थी, विरोध करने ही सत्ती थी
34:01भाद में जब आप सत्ता से अलग हो गए तो आपने अपना कंडन कर दिया
34:07आपने बदार यह जन्ता को कि उस समय हम तो गलत थे, हमसे गलत बोला गया
34:11लेकिन हम वास्ता में आपातकाल के विरोधी थे उस समय ताकि वविश्य में आपातकाल के जो दाग थे, वो CPI पर न लगे
34:20इसलिए CPI ने अपने आपको इन दागों से दूद्य में कह दिया कि आपातकाल जो भी लगाया गया था वो अनुचित था, वो ठीक नहीं था
34:28अब देखे आपातकाल के विरोधीयों का तर्क, ये तो आपातकाल के पक्ष में जो सरकार ने तर्क दिया था, वो देखा हमने
34:38अब हम आपातकाल के विरोधीयों के तर्क की बात करेंगे, एक छोटे से ब्रिंच बेक के बात स्टार्ट करते हैं
34:58कि अपात्कल के विरोधियों का तर्ग क्या था पिसमें देखे जगा अलुचकों का मानना था कि सरकार की गलत नीतियों का विरोध करना जनता का अधिकार है अतह जनता गलत नहीं है
35:24क्या माना गया कि लोगतंतर ये अधिकार देता है आम जनता को कि जनता विरोध कर सकती है क्यों लोगतंतर का मतलब क्या है जनता के अंदर अंतिम सकती जहां जनता वो गलत लगे महां जनता विरोध कर सकती है
35:39आंदोलन ज्यादतर चेत्रों में अहिंसात्मक था कुछ चेत्रों में हिंसात्मक घटना घटित हुई थी जितको सरकार सामानी कानूनी प्रक्रिया से सांथ कर सकते थी
35:50देखिया अगर हम भी दो मिनिट के लिए यही सोच लेगे जो विरोधी सोच रहे थे
35:58कि आपकाल गलत था तो हमें भी गलत लगीगा क्यों लगेगा क्योंकि आप पूरा देश के अंदर हड़ जगे तो हिंसा नहीं बढ़की थी
36:07रहे दो भी कि उससे आसपास कुछ शेक लुए में जरूर भढ़की थी आप वहाँ पर सकती का प्रयोग कर सकते
36:16लेकिन आपने पूरा जो अंदोलन था उसे ही बल का प्रयोग करके उचल डा रहा है
36:23बल का प्रयोग मतलब आपका इतना बड़ा बल जिसमें आपने सब लोगों को वो रास्ता अपनाने से भी ग्यार कानू निगोसित कर दिया
36:33अगर आप ऐसा करेंगे तो आप कानूं का उलंगन कर रहे हैं तो आपने पूरी तरह से प्रतिबंदित कर दिया इन साथी चीजों को
36:48यानि कि आपने लोगों के आवाज को तबा दिया तो यह गलत था आप सांती पूर्वक तरीके से इस आंदोलन को रोक सकते थे
36:57आलोचकों के अनुसार देश में समविधानिक तंतर चल रहा था तह अपातकाल की कोई अवैशक्ता नहीं थी
37:03जब सब कुछ समिधान के अनुसार चल रहा है तो अपातकाल की जरूत पढ़ती है जब असमविधानिक हो और जो हम अंदोलन कर रहे थे
37:13यानि कि जो सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे, वो तो एक समिधानीक रास्ता लेकर चल रहे थे, समिधान उनको यह अधिकार दिया गया है, सरकार को सत्ता के जाने का खत्रा मैसूस हो रहा था, इसलिए अपातकाल लागू किया गया, जो आलोचक है इस अपातकाल के, वो
37:43के लिए तो सक्टा को बचाने के लिए आपातकाल का उपयोग किया गया था बलकि दुर्भयोग किया गया था
37:51इसक्ति क्या क्या हुआ थेमें सरकार का मानना था कि सरकार देश के विकास के लिए वी Compl���umba
37:59करना चाहती थी भूमी शुदार कारिकृम के दे ourselves कि यह न rise to
38:05अपातका चल रहा था, तो इंद्रा गांधी सरकार ने क्या क्या किया, इसमें आप देखें, भूमी सुधार, जो सुधार कारिक्रम था, सरकार का ये कहना था कि जब तक चार तरफ विरोध हो रहा था, तब तक ये संभब नहीं था कि हम इन सुधारों को लागू कर सकें, क्य
38:35पारिस्रमिक पर पुनर विचार करना, बंदुवा मजदूरी को समाप्त करना, सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंद जो थे, उनको कम करना, तो ये सारी चीज़े थी, सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंदों को घटाना, प्रतिबंद लगाना, क्योंकि ऐसा माला गया �
39:05वो कुछ ज़ादा ही सक्तियों का दुरूप योग कर रहे थे तो उनको भी कंट्रोल में लाना था तो ये कुछ ऐसे काम करने थे सरकार को सरकार आफातकाल के दौरा ने ये सब कुछ करना चाहती थी
39:15सरकार का तर्ग था कि अंदोलनकारी इन सुधारों को लागू करने के रास्ते में बादक बन रहे थे
39:22सरकार ने क्या तर्ग दिया कि अंदोलनकारी रास्ते में बादक बन रहे थे
39:27सरकार जो सुधार कड़ना चाहते कि वो सुधार को नहीं पा रहा था
39:31सामान्य कानून प्रकरिया के अंतरगत जब भी कुछ ऐसा प्लान लेकर सरकार जनता के सामने जाती
39:37सरकार को सुधारात्मक काम सुरू करती
39:39तो ये जो वेपक्स था, ये जो विरोधी थे
39:42जो बार-बार हरताल, धरना, प्रदर्शन, विरोध, नारे, जुलूश, रेलिया
39:49इस वकार की कारिक्रमों का सहरा ले रहे थे
39:51इससे ये सब कुछ करपाना संभू नहीं था
39:54तो एक ही तरीका बचा था और वो था कि अपात्काल लागू करके सब कुछ किया जाए
39:59क्या क्या हुआ अपात्काल के दौरान आप देखेंगे
40:02अपात्काल विरोधी तर्क, दो चीजे, सरकार के तरफ से तो वो तर्क दिया गया
40:08विरोधियों की तरफ से क्या तर्क दिया गया देखे जला
40:10सरकार ने जो कुछ वादे किये थे उन्हें पूरा कर्द पाने में विफल रही ये विरोधियों का क्याना था
40:18आपातकार के दोरान निवारक नजरबंदी याने की संवधानी प्रावधान थाई इसका दूर्पयोग किया गया
40:24निवारक नजरबंदी के बारे में हम विस्तारपूर्वक चर्चा कर चुके हैं
40:28अनुचेत 22 चार मूरले खित वह उपबंद है
40:31जिसके मादियम से किसी भी व्यक्ति को बिना अपराद किये
40:34अपराद करने से रोकने के लिए पहले ही गरफतार कर लिया जाता है
40:39जिसे नियाई पालिका के समक्स प्रस्तुप करने के आवश्यक्ता नहीं होती है
40:43इसे निवारक नजरबंदी कहा जाता है
40:46और इसी का दुरुपयोग सरकार के द्वारा बड़े पहमाने पर किया गया
40:50प्रमुत विपक्सी नेताओं को जेलों में डाल दिया गया
40:53तथा लगबग 676 नेताओं को बंदी बनाया गया था
40:57ये एक आंकड़ा है जो कि लिखित आंकड़ा है कि 676 नेताओं को बंदी बनाया गया था
41:02शाहायोग के अनुसा आरापातकाल के दोरान 1,11,000 लोगों को बंदी बनाया गया था
41:09जो कि बहुत बड़ी संक्या थी
41:23पर कुछ असमवेदानिक पाबंद्य अलागू की गई जो गलब थी दिल्ली के बिजली आपूर्ती मिगम के प्रबंदक को 26 1975 को रात दो बजे दिल्ली के लेटिनेंट गवर्णर एल जी का मौकिक आदेश मिला कर करनी थी
41:43दिल्ली के बिजली आपूर्ती मिगम के प्रबंदक को 26 1975 को रात दो बजे दिल्ली के लेटिनेंट गवर्णर यानि के लजी जिसको कहते हैं का मौकिक आदेश मिला और मौकिक आदेश क्या मिला मौकिक आदेश मिला कि बिजली कट करनी है सप्लाई कट करनी है
42:03यह बिजली कट जो की गई थी यह बिजली कट एक मौकिक आदेश के अधार पर की गई थी कोई लिखित आदेश भी नहीं आए था और वो भी
42:13यह बिजली की कट वति की गई खट गवर्नर का आधेश देटा है वहांके बिजली आपूर्ति निगम को प्रबंददख को फोन करता है
42:35और फोन करके वहाँ ये कहा जाता है कि आप बिजली की कतोती कीजी और की बिजली को कट कर दीजी
42:41इस दोरान संजय गांधी जो कि किसी राज़नितिक पद पर नहीं थे
42:45ने बड़े पेमाने पर नस्बंदी कारिक्रम चलाया था
42:48इसके अंतरकत लोगों को जबरन पकड़कर अस्पताल लाया गया तथा उनकी नस्बंदियां की वे ये देखिया अपादकाल के दोरान जो हुआ था
42:57यह सबसे गलत हुआ था कि आप जबरन नस्बंदी कर रहे हैं जलसंख्या कंट्रोल करने के लिए यह कौन सा तरीका है कि आप लोगों को जबरन उठा-उठा करके घरों से ला रहे हैं ऑस्पिटल में एडमिट करा रहे हैं उनके नस्बंदी के ऑपरिशन करके उनको फ्री
43:27जान्जे गांदी जो किसी पतपर मुझूद नहीं थे खिसी प्रशास्निक पतपर नहीं थे जहां से उनको आदेश देने का अधिकार हो फिर भी वह इस प्रकार के आदेश दे रहे थे क्योंकि वो प्रायम मिनिस्ट्र न्के पुत्र थे और उंने
43:39इस प्रकार से इस सक्ति का दुर्पियों करते हुए
43:42ना क्यों ये किया बलकि
43:44दिल्ली की जुगी जोपडियों को
43:46खतम कर दिया गया
43:48घटा दिया गया
43:49दिल्ली की
43:51जुगी जोपडिया
43:55जुगी जोपडियों
44:00को
44:02नस्ट किया गया
44:03आप जोगी जोपड़ें जो लोग रहते थे उन्हें मजबूर किया गया कि वो अपनी जोपड़ें छोड़ देबें कहीं भी जाकर बसे तो यह कुछ आती थी और समसे बड़ी चीज़ा जो जिलों बैठे तो लोगों को यातना है कि खुब दीदी थी अमाल भी आतना गया का
44:33आपातकाल लागो होने के पश्चाथ यह पाया गया यह देखा गया कि हमने आपातकाल को प्रैक्टिकल देख लिया हमने प्रयोतित तोर पर आपातकाल को देख लिया और आपातकाल के दोरान जो कुछ हुआ जनता में आपातकाल के पश्चाथ जब इलेक्शन हुए तो उ
45:03तो लोगतंत्र मजबूत हुआ, आप देखेंगे, आपात्काल के दोरान सरकारी अत्याचारों की पश्चात ऐसा लग रहा था कि भारत से लोगतंत्र समात्र हो जायेगा लेकिन विरोध लगाता और बढ़ता रहा,
45:141977 के चुनाव कॉंग्रेस को हराकर्द जनता ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत में लोगतंत्र की जड़े अत्यादिक मजबूत है, भारत की जनता ने नहीं सहिन किया आपात्काल को विरोध किया, मजबूर होना पड़ा सरकार को ठारा महीने के बीतर चुनाओ करवाने के लिए
45:44आंत्रिक अशान्ती तुर्टि पूर्ण था, जनता पार्टी सरकार ने समिदान में संसोधन कर आंत्रिक अशान्ती के इस्थान पर ससस्त्र विद्रोह शब्द को जोड़ा, क्या किया, एक नया सब्द जोड़ा गया, ससस्त्र विद्रोह, पहले क्या था आंत्रिक अशान्
46:14तो सभिदार में संसोधन किया गया गया और ये जो संसोधन किया गया था ये संसोधन कौन सा 어लता ये था चॉमालिस्वा संसोधन था और यहां पर सास्त्र शब्दों को जोड है
46:34इससस्त्र विद्रो हो तभी आपात्काल उद्गोसित हो सकता है केवल आंतरिक गड़बडी के नाम पर नहीं
46:40आपात्काल गोसित करने के लिए मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रपति को लिखित में प्रतिवदन देना होगा
46:46क्योंकि जो इंद्रा गांधी के द्वारा आपात्काल उद्गोसित करवाया गया था और कैबिनेट को भी सूबा बताया गया था
47:14एक आपात्काल बैठक बुला कर कैबिनेट को बताया गया कि आपात्काल उद्गोसित कर दिया गया है
47:20लेकिन इस प्रकार से आपात्काल उद्गोसित करने की प्रकरिया ही गलत थी जिसे बात में सुधार आगया
47:281978 में 44 समिधान संसुधन के माध्यम से क्या किया गया
47:34लिखित प्रतिवेदन देने पर जब कैबिनेट पूरा लिख करके देगा
47:39तब ही आपातकाल उद्गोशित होगा केवल प्रधानबंतरी के कहने मात्र से
47:43वो भी बर्बल या मौकी ग्रूप से कहने मात्र से अपातकाल जैसी उद्गोशना नहीं की जा सकती
47:49जिलका संबन्ध पूरे देश की पूरी व्यवस्था को बदलने से हो सकता है
47:55नागरिक अधिकारों के उलंगन से सबक मिला
47:59नागरिक अधिकारों के प्रति और अधिक जागरूप हुई आप जानते हैं कि अपातकाल के दोरान निवारक नजरबंदी का दुर्प्योग किया गया
48:11नागरिकां का अधिकारों का अनन हुआ हमाई पास जिवन जीने का लिव Idla की संपगान का जो अधिकार
48:19जिसे अंडल प्राण और दहीनि डंल स्वतनतर्त का अधिकार कहते हैं प्राण और ऊंसे चीना गया और या पालिक्र क씨 आऊ-पीशन
48:36सुप्रीम कोट ने उचन्यारे के फैसले को पलटते लिए कहा था केंद्रा गांधी सरकार के लिए
48:42ये सरकार को ये अधिकार है कि आपकाल के दोरा अनुचेद 21 के अंतरगत जो आपको अधिकार मिला हुआ है जो स्वतंतरता मिली भी है उस स्वतंतरता को भी सिमित किया जा सकता है उसे भी छीना जा सकता है
48:56बात में लगातार हमारे अधिकारों को लेकर के अधिक सचेत हुई
49:02जिससे की ऐसी कभी परिस्ति बन जाए तो न्याय पालिका से वो सतिचीनी नह जा सके
49:08लागरीक अधिकारों के उलंगन से सबक हो गया फिराता पुलिस वो प्रसासन से सरकार के दबाउ में काम किया
49:14पुलिस वो प्रशासन ने उस समय सरकार के दवाओं में काम किया था ये भी एक सबक था कि क्या पात्काल के दोरन प्रशासन इतना कमजोर हो जाता है कि उसे जो कुछ भी कहा जाए वो सब कुछ मानना पड़ेगा
49:30थैल प्रशासन को भी यह पता है कि नेताओं को बंदी बनाया जा रहा है जेलों में डाला जा रहा है मजबूर होकर के पुलिस को नोगों पर अच्याचार भी करने पड़ रहे हैं
49:44एक लाख ग्यारा हज्जार लोगों को जेलों में डाला गया,
49:48क्या ये सब कुछ ठीक था, क्या प्रशासन को नहीं पता था,
49:52प्रशासन में काम करने वाले भी तो इंसान ही थे,
49:55जिनको कानूनों और नियमों की जानकारी थी,
49:57जिनको पता था कि वो जो कर रहे हैं, वो ठीक है, अत्वा नहीं है,
50:01फिर भी उनको ये करना पड़ा क्योंकि ओर्डर्स थी उनके पास में,
50:04तो ये भी एक सबग मिला कि क्या इतना कुछ होना चाहिए था,
50:10क्या ये सब कुछ ठीक था,
50:11तो हमने कितना कुछ लेख लिया, आपातकाल से गटित होते हुए,
50:16अब आपातकाल के बात की राजनिती देखे जरा,
50:191977 के चुनाओं से पूर्व सरकार ने सभी बंदियों को रिहा कर दिया,
50:25विपक्स ने लोकतंतर बचाओं का नारा बुलंद किया,
50:29यहाँ पर विपक्स ने एक नारा दिया,
50:33क्या नारा दिया, लोकतंतर बचाओं,
50:34आप सभी जानते हैं, आपातकाल के दौरान पूरा विपक्स जिल में बैठा था,
50:38फिर जब चुनाओं करवाने थे,
50:41क्योंकि सरकार ने 18 महीने के आपातकाल में,
50:44अठारा माह का जो आपात था,
50:49अठारा माह के आपात में परिस्तितियां जो थी,
51:00परिस्तियों को अपने पक्ष में,
51:11करने की कोशिस की,
51:30इसे लिए ये आपात उद्गोशित किया गया,
51:34कि बहिए सब कुछ दिरे दिर हम अपने पक्ष में कर लेंगे,
51:36फिर चुनाओं करवाएंगे, जन्ता कुछ हो जाएगी,
51:39जन्ता हमें वोड़ देदेगी,
51:40लेकिन कि ऐसा ही हुआ ये भी हम देखेंगे
51:421975 से 1977 तक 18 मैने के आपातकाल ने
51:46लोग तंतर को अधिक मजबूत किया
51:48जनता को ये लगा कि जो कुछ हुआ है आपातकाल के दोरान
51:52वो ठीक नहीं हुआ है
51:53आप देख सकते हैं 1977 का जो चुनाव हुआ था
51:57वो चुनाव सब कुछ बयान कर रहा है
51:59देखिए
52:00मार्च 1977 में आपातकाल के पस्चाथ चुनाव करवाया गया
52:04ये चुनाव 18 मैने के बाद हुआ था
52:07विपक्स ने गटबंदन का जनता पारिटी के नाम से एक सरकार बनाई
52:13जनता पारिटी के नाम से एक दल बनाया
52:15जो था तो एक कहीं पारिटीओं का मिला जुरा मिक्षर
52:18जिसमें बहुत सारी पॉलिटिकल पारिटीज एक साथ में आई थी
52:21अनेक नेता कॉंग्रेस को छोड़ कर विपक्स में चले गए थे
52:25जनको लगा कि अब कॉंग्रेस जीतने वाली नहीं है
52:28चोड़ दिया कॉंग्रेस को विपक्स में चले गए गए
52:30कॉंग्रेस से अलग होकर बाबू जग्जीवन राम ने
52:33बाबू जग्जीवन राम जो कि खुद कॉंग्रेस के लीडर थे
52:37उन्होंने कॉंग्रेस पोर डेमोक्रेसी नाम से नया राजनितिक दल बनाया
52:42Congress for Democracy, एक political party थी, जो बाभू जग्जिवन राम के द्वारा खड़ी की गई थी, बाद में यह party जनता party में सामिल हो गई, पहले तो यह party के रूप में काम न कर रही थी, लेकिन जब गठ बंदन हुआ,
52:561997 का, तो समय कही party यहाँ पर एक जुठ हो गए थी, एक सामिल हो गए थी, चुनाओ का परिणाम देखिए जराप, Congress का सफाया हुआ, एक भी seat नहीं मिली, कहां कहां पर आप देखेंगे, बिहार, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाना, पंजाब, Congress ने जिन जिन राज्यों में
53:26कहीं ऐसे राज्ये थे, जहां पर Congress को बिल्कूल भी seat पराप्त नहीं हुई, महराज तूरी साव गुजराप्त में Congress कुछ seat पराप्त करने में सफल हुई, यानि कि अनेक राज्यों से हम कह सकते हैं, यहां पर जिन में एक भी seat नहीं मिली, यहां हम कह सकते हैं, अनेक राज्
53:56मात्रे के सीट प्राप्ट कर पाई और महारास्ट रोडी से और गुजरात में कॉछ सीटे प्राप्ट की यानि कि हम कह सकते हैं इज़त बचाना वह कॉंग्रेस यहां पर कर पाई थी
54:07विरासत कॉंग्रेस पाईटी पंडित नहरू के समय सभी को साथ लेकर चलने वाली पाईटी की रूफ में लोग प्रिय थी
54:151980 से कॉंग्रेस विभाजन के बाद कॉंग्रेस आर का नेतरत्व इनडरा गांधी ने किया तथा 1971 के चुनाओं में भारी जीत दर्ज कर कॉंग्रेस की उतरादीकारी पारिटी बनने का दावा किया था
54:281969 में जब कॉंग्रेस का विभाजन हो गया तो कॉंग्रेस आर का नित्रत्व इंद्रा गांदी के पास आया था
54:34और इंद्रा गांदी ने इसी कॉंग्रेस को कॉंग्रेस का उत्रादीकारी बताया था
54:38इंद्रागांदी के नेतरत्वों में कॉंग्रेस एक व्यक्ति के वर्चसों वाली पायटी के रूप में उभरी
54:42वहां कॉंग्रेस जो की एक समय में क्या हुआ करती थी
54:46सभी को साथ लेकर चलने वाली कॉंग्रेस वही कॉंग्रेस कौन सी पायटी की रूप में उभरी
54:51एक व्यक्ति की पायटी यानि की वन मैन आर्मी जो एक व्यक्ति चाहेगा पायटी उसी प्रकार से काम करेगी
54:591907 तक आते आते अन्ने पिछड़ावर गारक्षन का मुद्दा उभरने लगा मौरारजी सरकार मंडल आयोग का गठन किया गया था
55:07मौरारजी सरकार जब बनी थी तो उसने मंडल आयोग का गठन किया समिधान में आपातकाल के दोरां जो मनमाने शंसोधन किये गये थे उन्होंने समिधान की सुरक्षा के लिए न्यायपालिका को और अधिक जागरुख किया
55:21देखें यहाँ पर हम लोग बात करेंगे कि ये विरासत जो है ये विरासत क्या विरासत है की कॉंग्रेस जोकी एक समय में एक अलग ही प्रकार की पाय्टी हुआ करती थी
55:40जैसे सतरंगी पालिटी कहते थे
55:42जो सबको साथ लेकर चलती थी
55:44जिसमें सारी आइडियोलोजी एक साथ हुआ करती थी
55:46जिसमें सबकी बात सुनी जाती थी
55:48और मानी भी जाती थी
55:49वही कॉंग्रेस की उत्रादिकारी
55:52बंटी है कॉंग्रेस आ र, यानि की इंदरा गांदी वाली कॉंइस
55:55और वही कॉंग्रेस एक बदलेवे रूप में नजराती है
55:59यानि कि सब को साथ नहीं लेना है बलकि
56:01जो एक व्यक्तिचाहेगा यान की पारिटी का हैड जो चाहेगा
56:05वही party करेगी ये 1971 के पश्चाद देखा गया हिंद्रा गांदी ने जो decisions लिए उसमें किसी से पूछा नहीं गया बलकि एक तरह से मनमाने decision थे और आथ इसका example भी देख सकते हैं
56:19आपातकाल की उद्गोषना इसका सबसे बड़ा example है आपातकाल की उद्गोषना के समय मंत्री मंडल से थोड़ी पूछा गया था बलकि मंत्री मंडल को तो बताया गया था अगले दिन यह आपातकाल तो अचानक उद्गोषित कर दिया गया राश्पति को भी वर्बली कहकर क
56:49देखा परिणाम कि कई जगों से कॉंग्रेस पराजित हुई कई जगों से कॉंग्रेस पराजित हुई कई राज्यों में कॉंग्रेस एक एक सीट तक पहुँच गई और सेंटर के अंदर वे उसकी इस्तिति बहुत कमजोर हुए कुछ इंगरा गांधी अपनी सीट से चुना�
57:19इसमें जो जनता पार्टी चुनाओं लट रही थी उस पार्टी को भारी मिजूरटी मिली तो यहां से अभी कुछ बातें अधूरी रहेगी इस्पूरेंट्स हमारी जिस पर हम कल की क्लास यानि की अगली क्लास में चर्चा करेंगे
57:30जिसमें हम 1977 के चुनाओं के परिणाम के अंतरगत क्या इस्तिति उभर करके सामने आई थी
57:37कौन सी पार्टी ने कितनी सीटे प्राप्त की थी उस पर चर्चा करेंगे और साथ ही साथ हम चर्चा करेंगे इसके
57:44मिलते हैं नेक्स क्लास में तब तक के लिए आप सभी स्वस्त रहें मस्त रहें जहित

Recommended