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  • 6/3/2025
नेपाल में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई का एक और सीजन खत्म हुआ, और इसने फिर कई नई चुनौतियां पेश कीं। क्या माउंटेनियरिंग समुदाय बदलती स्थितियों को स्वीकार करने के लिए तैयार है या फिर भविष्य अनिश्चित ही है... पत्रकार उपेंद्र स्वामी की स्पेशल स्टोरी

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00:00शिखर तक के रास्ते पर लगी सीडियां, वरस्यां, हाटा लिग गई हैं, माउंट एवरेस्ट यानि दुन्या की सबसे उची चोटी पर चड़ाई का इस साल, यानि 2025 का अप्रेल मई की गर्मियों का सीजन आधिकारिक तोर पर समाप्थ हो गया है.
00:20तीन ही दिन पहले, यानि 29 मई को माउंटिनेरिंग कम्यूनिटी ने एवरेस्ट पर सबसे पहले चड़ाई की बहुत तरवी साल गिरमन आई थी.
00:32साल 1953 में इसी दिन एडमंड हिलेरी और तैंजिंग नौर्गे ने एवरेस्ट पर पहली बार कदम रखे थे.
00:42बेबाग भाषा के संडे ओफ बीट में आपका स्वागत है. देश, दुनिया में मची, उठापटक के बीच, आज बात हिमाले की और हिमाले जैसे ही विशाल वविकट पर्यावरन के मुद्दे की.
00:57इस साल नेपाल के परवतारोहन विभाग ने 57 देशों के 468 विदेशी परवतारोहियों को 8,849 मिटर यानि 29,032 फुट उंचे एवरेस्ट शिखर पर चड़ने के परिमिट जारी किये थे.
01:16जाहिर है कि तक्रीबन इतने ही नेपाली शेर्पा गाइड भी उनके साथ शिखर पर जाने वाले थे. इन में से कितने काम्याब रहे, इसका अकड़ा एकाद दिन में आएगा.
01:28हाला कि नेपाल टूरिजम के डारेक्टर हिमाल गौतम का कहना था कि इस साल नेपाल की तरफ से यानि एवरेस्ट के दक्षुनी सिरे से फुल 694 लोग चोटी पर पहुँचे.
01:45अब इन में 257 विडेशी परवतारोही, 9 नेपाली परवतारोही और 421 शेरपा वगाइड और रोपवे लगाने वाली टिमों के साथ लोग शामिल थे.
01:57वहीं एवरेस्ट के उत्तरी सिरे, यानि चीन की तरफ से कितने लोग गए, उनकी संख्या का पता नहीं.
02:03लेकिन उनकी अंदाजन संख्या जोड ली जाए, तो इस साल तकरीबन 800 लोग चोटी पर पहुँचे होंगे.
02:13अब नेपाल की तरफ से चड़ने वालों को नीचे आकर नेपाल के परवतारोण विभाग को अपने चड़ाई का और अपने द्वारा फैलाए गए सारे कचरे को इखटा करके उसे वापस ले आने का सबूत देना होता है.
02:31तभी उन्हें शिखर पर पहुँचने का अधिकारिक प्रमान पत्र दिया जाता है.
02:38इस साल हाथ से कम हुए, परवतारोईयों की जाने कम गई और मौसम की मार्स तीखी तो रही, लेकिन प्राण घातक नहीं बनी, लेकिन इसके बावजूद एवरेस्ट पर चड़ाई को लेकर बन रही चिंताएं कम नहीं हुई हैं, बलकि उनके नए आयाम ही सामने आये हैं.
03:08मई के बीच के दिनों में कई परवतारोई दुन्या की सबसे ओची चोटी पर पहुँचने में कामियाब रहे थे, लेकिन उसके बाद मौसम कई दिनों तक खराब रहा, और कई परवतारोईयों को नीचे के कैम्पों में या बेस कैम्प तक लोटना पड़ा.
03:26लोटने वाले इन परवतारोईयों में नेपाल के शेरपा कामी रिता भी थे, जो सबसे ज़्यादा बार एवरेस्ट पर चड़ने के अपने ही वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़ने की फिराग में थे.
03:37लियाजा आखरी के दिनों में फिरसी चड़ाई की मारा मारी रही.
03:42कामी रिता भी आखिरकार 27 मई को चोटी पर पहुँचे जो एवरेस्ट पर उनकी 31 वी चड़ाई थी.
03:51कि एवरेस्ट अभियान से जुड़े लोगों का कहना है इस साल एक ही दिन में सबसे जबादा लोग 18 मई को चोटी पर पहुँचे.
03:59हाला कि मौसम के लिया से चड़ाई के लिए इस साल का सबसे अच्छा दिन 27 मई का रहा.
04:06उसी दिन 55 साल के कामी रिता ने भी चड़ाई की.
04:10वैसे रिता के अलावा एक और परवता रोही ने चड़ाई का अपना ही विश्व रिकॉर्ड सुधारा है.
04:17और वह हैं ब्रिटेन के 51 साल के कैंटन पूल जिन्होंने किसी भी विदेशी यानि गैव नेपाली परवता रोही के चोटी पर पहुँचने के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ा और इस बार 19 वी बार चोटी पर वह पहुँचे.
04:35दरसल अब डर यही है कि एवरेस्ट की चड़ाही नए रिकॉर्डों और नए प्रयोगों की जमीन होते जा रही है. जिसके बारे में खुद कामी रिता कहते हैं कि परवता रोहन अब रोमांच के बजाए लगजरी और मनोरंजन का जरिया हो गया है.
04:52आधुनिक उपकरणों ने चड़ाई को आसान बनाया है और जलवायू परिवर्तन ने वहां के मौसम को विकट वर अनिश्चित और इन दोनों की होड़ ने कई सारे नए खत्रे पैदा किये हैं.
05:07कई परवतारोहियों का कहना था कि इस साल भी मौसम सबसे बड़ी बढ़ा रही। छे बार शिखर पर पहुंच के जैन जैन लामा का कहना था कि मौसम लगातार अनिश्चित सा होता जा रहा है।
05:21एक बार पुर्वानुमान कहता है कि अगले दिन मौसम भहुत अच्छा होगा। लेकिन चड़ाय कि इस सारी तयारी करने के बाद अगले दिन पुर्वानुमान के ठीक उलट मौसम विगर जाता है और हर घंटे खराब ही होता चला जाता है।
05:36शिखर पर पहुँचने के लिए अनुकूल मौसम के दिन जब कम हो जाते हैं तो एक ही दिन ज़्यादा लोग उपर तक पहुँचने के कोशिश करते हैं।
05:44हिलरी स्टेव के आगे शिखर तक एकी सेफ्टी रोप से जुड़े परवता रोही कतार में लगे रहते हैं जिसे एकसर एवरेस्ट ट्रैफिक जाम के तौर पर पुकारा जाता है।
05:56हर बार मौसम भी वहां पुर्मवानवान के ही अनुरूप काम नहीं करता। वह अपने चाल ढाल यकायक बदल भी लेता है।
06:18इसलिए अब या आवाज उठ रही है कि एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए केवल अनुभवी परवतारोईयों को ही पर्मिट मिले।
06:27नेपाल सरकार भी इस तरह का कानून लाने पर विचार कर रही है कि जिन परवतारोईयों ने पहले नेपाल में 7000 मिटर से उची कम से कम एक चोटी पर चढ़ाई कर रखी हो उन्हें ही एवरेस्ट पर चढ़ने का परमिट दिया जाए।
06:41वैसे तो मौनसून के बाद शरद सीजन में भी कुछ लोग एवरेस्ट पर चढ़ने की कोशिश करते तो हैं लेकिन उनकी संख्या कम ही होती है क्योंकि उस समय खतरा ज्यादा होता है।
06:54इस साल तो एक और जोखिम यह है कि इस शरद सीजन से नेपाल ने एवरेस्ट पर चढ़ाए के लिए परमिट की कीमत 11,000 डॉलर से बढ़ा कर 15,000 डॉलर यानि करीब 12.8 लाख रुपे कर दी है।
07:13हो सकता है कि बढ़ता खर्च भी एवरेस्ट चढ़ने वालों की संख्या को कम कर दे। और यह तो केवल परमिट की कीमत है। कुल खर्चा तो इसका तीन गुना या उससे भी जबा हो जाता है।
07:27पहली बार 1994 में एवरेस्ट पर चढ़ने वाले कामी रीता का यह भी कहना है कि परवतों पर बढ़ते जोखिम के कारण नेपाल में युवाओं में शेर्पा बनने का उत्साह कम होता जा रहा है।
07:42वह बताते हैं कि पहले जून के शुरून में कैम्प दो पर बर्फ रहती थी। लेकिन अब तो वह मई में ही पानी बैने रगता है जो कई बार जान लेवा हो जाता है।
07:56इसी तरह खुम्बू आइस फॉल के इलाके को भी बाद के दिनों में पार करना जोखिम भरा होता जा रहा है।
08:04कामी रिता हर साल चोटी पर जाते हैं और उनके जैसे शेरपाओं का अनुभव बाकी विदेशी परवतारोहियों के कामियाबी में एहम भूमिका निभाता है।
08:16कामी रिता एवरेस्ट के लावा दुन्या की बाकी उची चोटियों पर भी चड़ चुके हैं जैसे केटू, मनासलू वा लहोत से आदी। उनके पिता भी हिमाले के सबसे शुरुआती शेरपा गाइडों में से एक थे। लेकिन कामी रिता खुद अपने बच्चों को शेर
08:46तीन मौतों की जानकारी है, जिनमें एक भारतिये परवता रोही, सुब्रत भोष भी शामिल है। यह संख्या पिछले सालों की तुलना में कम है। कुछ लोग कहते हैं कि बहतर प्रसिक्षण, अच्छे उपकरण, ऑक्सिजन की उपलब्दता, अनुभवी गाइड और मौ
09:16वायू परिवर्तन, कम होती बर्फ और परवता रोहियों की अनुभव हींता ने भी जोड दिया है। इस बार भी कई लोगों को हवाई रेस्क्यू करना पड़ा है। हाला कि इनकी ठीक ठीक संख्या के बारे में कोई जानकारी मेपाल सरकार के तरफ से नहीं दी जाती। ल
09:46परवता रोहियों ने जैनौन गैस का इस्तमाल करके तेजी से शिखर पर पहुंचने का काम किया। इन लोगों ने लंदन से रवाना होने के पांचवे दिन ही एवरेस्ट के शिखर पर कदम रख लिये थे। लियाजा इन्होंने परवता रोहियों को एक और करत्रिम मदद
10:16परवता रोहन के शिखर में गंभीर बहस है। इन लोगों ने जैनौन थेरेपी के अलावा ब्रिटेन में हाइपॉक्सिक ट्रेनिंग की और ठीक उस समय नेपाल पहुंचे जब मौसम और रास्ता तेजी से शिखर पर पहुंचने के लिए पिलकुल माफिक था। इसी तरह
10:46बेस केंप से ही सप्लिमेंटरी ऑक्सिजन भी इस्तमाल की और शेरपाओं की दो टीम भी। जरमनी की अंजब लाका ने बिना करत्रीम ऑक्सिजन यानि जिशेरपा की मदद लिए एवरेस्ट के चोटी पर पाव रखे। उन्होंने 8000 मिटर से उची 12 चोटियों पर ऑक्सि
11:16का चरम माना जाता है। लेकिन यहां यह याद रखना जरूरी है कि वह दुन्या का सबसे संवेदन शीव इलाका भी है। बेहत नाजुक। उस पर विजय पाने के लिए उसकी शमताओं को चनौती देने में कोई समझदारी नहीं है। शुक्रिया।

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