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00:00एक किसान है दादा नहीं कमाता तो आदाधी से पहले की दिन है तब कैसे किसान होते थे जानते ही हो कैसे होते थे और भी दुलबर और भी गरीब और एक मंदिर है उसमें एक पंडित जी है वो किसान बस एक रुपया हर महीने ले जाकर के करांतिकारियों को समर्पित कर देता
00:30और घर धीर धेर करके जमीने खरीद रहे हैं और यह सब उनका भी अपना कारिकरम चल रहा है, बिटिया की शादी करनी है, किसान जानता ही नहीं है, वेद पुरान कुछ नहीं जानता, वो बस इतना जानता है कि किसी भी तरीके से, एक रुपया, और उसके लिए वो एक रु�