"मीठे बच्चे- यह मुरली तुम्हें अज्ञानता के अंधकार से निकाल ज्ञान के प्रकाश में ले जाने के लिए है। इसे सुनो, समझो और अपने जीवन में धारण करो!" – शिव बाबा
यह सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि परमात्मा के श्रीमुख से निकला अमृत है, जो आत्मा को शक्तिशाली बनाता है। मुरली वह मार्गदर्शक है जो हमें पुराने संस्कारों से मुक्त कर नई सतयुगी दुनिया का अधिकारी बनाती है। यह हमें सच्ची शांति, अटल सुख और निर्विकारी जीवन की ओर ले जाती है। ✨ मुरली सुनें, मनन करें और इसे अपने जीवन में धारण करें! ✨ 🌸 ओम शांति! 🌸
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आज की मुरली ओम शांति मुरली ओम शांति की मुरली आज का मुरली ओम शांति मुरली आज की ओम शांति आज की मुरली आज की मुरली मधुबन
00:00मुरली अम्रित की धारा है धारा जो देती दुखों से किनारा
00:11ओम शान्ती
00:26आईए सुनते हैं
00:29इकत्तीस मई दो हजार पच्चीस दिन शनिवार की साकार मुरली
00:33शिव बाबा कहते हैं मीठे बच्चे जब तक जीना है तब तक पढ़ना और पढ़ाना है
00:40खुशी और पद का आधार है पढ़ाई
00:42प्रश्न
00:45सर्विस की सफलता के लिए मुख्य गुण कौन सा चाहिए
00:49उत्तर
00:51सहनशीलता का
00:53हर बात में सहनशील बनकर आपस में संगठन बनाकर सर्विस करो
00:57भाशन आधी के प्रोग्राम लेकर आओ
00:59मनुष्यों को नीन से जगाने के लिए अनेक प्रबंध निकलेंगे
01:03जो तकदीरवान बनने वाले हैं
01:06वह पढ़ाई भी रूची से पढ़ेंगे
01:08गीत
01:09हमें उन राहों पर चलना है
01:11ओम शान्ती
01:13क्या विचार करके यहां मदुबन में तुम बच्चे आते हो
01:16क्या पढ़ाई पढ़ने आते हो
01:18किसके पास
01:19बाप दादा के पास
01:21यह है नई बात
01:22कब ऐसा भी सुना कि बाप दादा के पास
01:25पढ़ने जाते हैं
01:27सो भी बाप दादा दोनों इकठे हैं
01:29वंडर है ना
01:30तुम वंडरफुल बाप की संतान हो
01:33तुम बच्चे भी
01:34न रच्टा न रच्टा के आदी
01:37मध्य अंत को जानते थे
01:38अभी उस रच्टा और रच्टा को
01:40तुमने नंबरवार पुरुशार्थ
01:42अनुसार जाना है
01:43जितना जाना है और जितना जिसको
01:46समझाते हो उतनी खुशी
01:48और भविश्य का पद होगा
01:50मूल बात है
01:51अभी हम रच्टा और रच्टा के
01:54आदी मध्य अंत को जानते है
01:56सिर्फ हम ब्राम्मन ब्राम्मनियां ही जानते है
01:59जब तक जीना है
02:01अपने को निश्य करना है
02:03कि हम बीके है
02:05और शिव बाबा से वर्सा ले रहे है
02:07सारे विश्व का
02:09पूरी रीती पढ़ते हैं
02:11वह कम पढ़ते हैं
02:13वह बात अलग है, फिर भी जानते तो है ना, हम उनके बच्चे हैं, फिर प्रश्न उठता है पढ़ने अथ्वा न पढ़ने का, उस अनुसार ही पद मिलेगा, गोद में आया, निश्चे तो होगा, हम राजाई के हगदार बने, फिर पढ़ाई में भी रात दिन का फर्क पढ
02:43पढ़ाई नहीं चलती, समय होता है, तुमको तो जब तक जीना है, पढ़ना और पढ़ाना है, अपने से पूछना है, कितने को बाप रचैता का परिचे देते हैं, मनुष्य तो मनुष्य ही हैं, देखने में कोई फर्क नहीं पढ़ता, शरीर में फर्क नहीं, या अंदर �
03:13जाते हैं, अपनी दिल से सदयों पूछते रहो, हमारे में कितना फर्क है, वाप ने हमको अपना बनाया है, हम क्या से क्या बनते हैं, पढ़ाई पर ही मदार है, पढ़ाई से मनुष्य कितना उंच बनते हैं, वह तो सब अल्पकाल खशन भंगुर के मरतबे हैं, उनमें कु
03:43जिसकी तकदीर में है, उनकी दिल पढ़ाई में लगती है, औरों को भी, पढ़ाई लिए भिन भिन रीती पुरुशार्थ कराते रहते हैं, दिल होती है, उनको पढ़ा कर वैकुंट का मालिक बनाये, मनुष्यों को नीन से जगाने के लिए कितना माथा मारते रहते हैं, औ
04:13शिक्षा पर अटेंशन देना चाहिए, हर बात में सहनशील भी होना चाहिए, आपस में मिलकर संगठन कर भाशनों आदी के प्रोग्राम रखने चाहिए, एक अल्फ पर भी हम बहुत अच्छा समझा सकते हैं, उन्च ते उन्च भगवान कौन, एक अल्फ पर तुम दो घं
04:43तो नुकसान जरूर होता है, सारा मदार याद पर है, याद करने से एकदम हेविन में चले जाते हैं, याद भूलने से ही गिर पड़ते हैं, इन बातों को और कोई समझ न सके, शिव बाबा को तो जानते ही नहीं, भल कितना भी कोई भबके से पूजा करते हो, याद करते हो
05:13फाइदा तो कुछ भी हुआ नहीं
05:15दुनिया देखो किन बातों पर चल रही है
05:17तुम जैसे कि गन्ने का रस शुगर पीते हो
05:20बाकी सब मनुष्य छिलका चूसते है
05:22तुम अभी शुगर पीकर पूरा पेट भर आधा कल्प सुख पाते हो
05:27बाकी सब भक्ती मार्क के छिलके चूसते नीचे उतरते आते है
05:31अब बाप कितना प्यार से पुरुशार्त कराते है
05:34परंतु तकदीर में नहीं है तो अटेंशन नहीं देते
05:38ना खुद अटेंशन देते है ना औरों को देने देते है
05:42ना खुद अमरित पीते है ना पीने देते है
05:45बहुतों की ऐसी एक्टिविटी चलती है
05:48अगर पूरी रीती पढ़ते नहीं, रहम दिल नहीं बनते
05:52किसका कल्यान नहीं करते तो वह क्या पद पाएंगे
05:55पढ़ने और पढ़ाने वाले कितना उंच पद पाते है
05:59पढ़ते नहीं है तो क्या पद होगा
06:02वह भी आगे चल रिजल्ट का पता पढ़ जाएगा
06:05फिर समझेंगे बरोबर बाबा हमको कितना वार्निंग देते थे
06:09यहां बैठे हो, बुद्धी में रहना चाहिए
06:12हम बेहत के बाप पास बैठे है
06:15वह हमको उपर से आकर इस शरीर द्वारा पढ़ाते हैं
06:19कल पहले मुआफिक
06:20अब हम फिर से बाप के सामने बैठे हैं
06:24उनके साथ ही हमको चलना है
06:25छोड़ कर नहीं जाना है
06:27बाप हमको साथ ले जाएंगे
06:30यह पुरानी दुनिया भी नाश हो जाएगी
06:32यह बाते और कोई नहीं जानते
06:34आगे चलकर जानेंगे
06:36बरोबर पुरानी दुनिया खत्म होनी है
06:38मिल तो कुछ भी नहीं सकेगा
06:40यह बाते और कोई नहीं जानते
06:43टू लेट हो जाएंगे
06:44हिसाब किताब चुक्तु कर
06:46सबको वापिस जाना है
06:48यह भी जो सेंसिबल बच्चे हैं वही जानते है
06:51बच्चे वह जो सर्विस पर उपस्थित है
06:54माबाप को फॉलो करते है
06:56जैसे बाप रूहानी सेवा करते हैं वैसे तुमको करनी है
07:00कई बच्चे हैं जिनको यह धुन लगी रहती है
07:03जिनकी बाबा महिमा करते हैं, उन जैसा बनना है, टीचर मिलती तो सब को है, यहां भी सब आते हैं, यहां तो बड़ा टीचर बैठा है, बाप को याद ही नहीं करते, तो सुधरेंगे कैसे, नौलेश तो बहुत सहज है, 84 जन्मों का चक्र है, कितना सहज, परंतु कितना माथ
07:33यह मैसेज सब को देना है, अपनी दिल से पूछो, कहां तक मेसेंजर बना हूँ, जितना बहुतों को जगाएंगे, उतना इनाम मिलेगा, अगर जगाता नहीं हूँ, तो जरूर कहां सोया हुआ हूँ, फिर मुझे इतना उंच पत तो मिलेगा नहीं, बाबा रोज रोज कह
08:03चक्र तो फिर ना है, तमो प्रधान से सतो प्रधान बनना है, बाब को याद करो तो विकार निकल जाएंगे, सत्यूग में बहुत थोड़े होते हैं, फिर रावन राज्य में कितनी वृद्धी होती है, सत्यूग में नौ लाख फिर धीरे धीरे वृद्धी को पाएंगे,
08:33ड्रामा आनुसर यह चक्र फिरना ही है
08:36अब फिर तुम पवित्र-प्रवृत्तिमार के बन रहे हो
08:40बाप ही आकर पवित्र बनाते हैं
08:43कहते हैं मुझे याद करो
08:45तो विकर्म विनाश होंगे
08:46तुम आधा कल्प पवित्र थे
08:48फिर रावन राज्य में तुम पतित बने हो
08:51यह भी तुम अभी समझते हो
08:53हम भी बिलकुल वर्थ नौट अप पेनी थे
08:55अभी कितनी नौलेज मिली है
08:58जिससे हम क्या से क्या बनते है
09:00बाकी जो भी इतने धर्म है
09:03यह खत्म हो जाने है
09:04सब मरेंगे ऐसे जैसे जानवर मरते है
09:08जैसे बर्फ पड़ती है तो कितने जानवर पक्षियादी मर जाते है
09:12नैचरल कैलमिटीज भी आएंगी
09:15यह सब खत्म हो जाएगा
09:17यह सब मरे पड़े है
09:19इन आँखों से जो तुम देखते हो वह फिर नहीं होगा
09:23नई दुनिया में बिल्कुल ही थोड़े रहेंगे
09:26यह ज्यान तुम्हारी बुद्धी में है
09:28ज्यान का सागर बाप ही तुमको ज्यान का वर्सा दे रहे है
09:32तुम जानते हो सारी दुनिया में किचड़ा ही किचड़ा है
09:36हम भी किचड़े में मैले पड़े थे
09:38बाबा किचडे से निकाल अब कितना गुलगुल बना रहे हैं
09:43हम यह शरीर छोडेंगे आत्मा पवित्र हो जाएगी
09:46बाप सबको एकरस पढ़ाई पढ़ाते हैं
09:50परन्तु कईयों की बुद्धी बिलकुल जड़ है
09:52कुछ भी समझ नहीं सकते
09:54यह भी ड्रामा में नूद है
09:56बाप कहते हैं इनकी तकदीर में नहीं है
10:00तो हम भी क्या कर सकते हैं
10:02हम तो सबको एकरस पढ़ाते हैं
10:05पढ़ते नंबरवार हैं
10:06कोई अच्छी रीती समझ कर और समझाते हैं
10:09औरों का भी जीवन हीरे जैसा बनाते हैं
10:12कोई तो बनाते ही नहीं, उल्टा अहंकार कितना है, जैसे साइंस वालों को माइंड का कितना घमंड है, दूर दूर आसमान को समुद्र को देखने चाहते हैं, बाप कहते हैं, इससे कोई फाइदा ही नहीं,
10:28मुफ्त साइंस, घमंडी अपना माथा खराब कर रहे हैं, बड़ी बड़ी पगार उन्हों को मिलती है, सब वेस्ट करते रहते हैं, ऐसे नहीं कि सोनी दौरी का कोई नीचे से निकल आएगी, ये तो ड्रामा का चक्र है जो फिरता रहता है, फिर हम समय पर अपने महल जाकर ब
10:58वहां तो सोना बहुत रहता है, अभी तक भी कोई कोई तरफ सोने की पहाडियां बहुत है, परन्तु सोना निकाल नहीं सकते हैं, नई दुनिया में तो सोने की अथा खानिया थी, वह खत्म हो गई, अभी हीरे का दाम भी देखो कितना है, आज इतना दाम, कल पत्थरों मिस
11:28अपना घर छोड़े, पांच हजार वर्ष हुए हैं, जिसको मुक्ति धाम कहते हैं, भक्ति मार्ग में मुक्ति के लिए कितना माथा मारते हैं, परन्तु अभी तुम समझते हो सिवाए बाप के कोई मुक्ति दे नहीं सकते, साथ ले नहीं जा सकते, अभी तुम बच्चों की �
11:58विकर्म विनाश होंगे, बाप ने तुमको स्वर्ग का मालिक बनाया था ना, तुम मेरी शिवजेंती भी मनाते हो, कितना वर्ष हुआ, पांच हजार वर्ष की बात है, तुम स्वर्गवासी बने थे, फिर 84 का चक्र लगाया है, यह भी ड्रामा बना हुआ है, तुमको ये
12:28हम बाबा की शिमत पर बाबा की याद में रहकर औरों को भी आप समान बनाते है, जो कल्प पहले थे, वही बनेंगे, साक्षी होकर देखते रहेंगे, और पुरुशार्थ भी कराते रहेंगे, सदा उमंग में रहने के लिए रोज एकांत में बैठ कर अपने साथ बातें कर
12:58से मिले, शान्ती के लिए तो जाते हैं, परंतु शान्ती का सागर तो एक बाब ही है, दूसरे कोई पास यह वस्तु है नहीं, वैसे तुम बच्चों की बुद्धी में गूंजना चाहिए, रचता और रचना को जानना, यह है ग्यान, वह शान्ती के लिए, वह सुक के लि�
13:28स्वर्ग सोने का, नर्क पत्थरों का, अच्छा, मीठे मीठे सिकिल्धे बच्चों, प्रती मात पिता बाप दादा का याद प्यार और गूड मॉर्निंग, रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते, हम रूहानी बच्चों की रूहानी मात पिता बाप दादा को �
13:58आपसमान बनाने की सेवा के साथ-साथ साक्षी होकर हर एक के पार्ट को देखने का अभ्यास करना है।
14:05दो, बाप को याद कर अपने आपको सुधारना है।
14:09अपनी दिल से पूछना है कि मैं मैसेंजर बना हूँ, कितनों को आप समान बनाता हूँ।
14:15वर्दान
14:16श्रेष्ट पुरुशार्थ द्वारा फाइनल रिजल्ट में फर्स्ट नंबर लेने वाले उड़ता पंची भव।
14:46अम्मंद संपर्क द्वारा निरंतर महादानी बन, पुण्य आत्मा बन, दान पुण्य करते रहो।
14:53जब ऐसा श्रेष्ट हाई जम्प देने वाला पुरुशार्थ हो, तब उड़ता पंची भवन, फाइनल रिजल्ट में नंबर वन बन सकी।
15:01स्लोगन
15:02वृत्ति द्वारा वायू मंडल को पावरफुल बनाना यही लास्ट का पुरुशार्थ व सर्विस है।
15:09अविक्त इशारे
15:10रूहानी रॉयल्टी और प्यॉरिटी की परसनेलिटी धरन करो।
15:22रूहानी पर्सनेलिटी वाली आत्मा में अपनी एनर्जी, समय, संकल्प, वेस्ट नहीं गवाते, सफल करते हैं।
15:33ऐसी personality वाले कभी भी छोटी छोटी बातों में अपने मन बुद्धी को बिजी नहीं रखते हैं