उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड सीमा पर टोंगिया और वन गुज्जर समुदायों को जंगल से जबरन बेदखल किया जा रहा है। बेबाक भाषा की स्पेशल ग्राउंड रिपोर्ट में पत्रकार भाषा सिंह ने सहारनपुर के बेहट में हुई जनसुनवाई में आए वन गुज्जर और टोंगिया समुदाय के दुख-दर्द को सरकारी गड़बड़ नीतियों के साथ जोड़ा
00:00नवश्कार दोस्तों मैं भाशा और आप देख रहे हैं बेबाग भाशा में स्पेशल रिपोर्ट जिसमें आज मैं आपको मिलवाने जा रही हूँ सुनवाने जा रही हूँ दो एहम समुदायों से टांगिया और वन गुजर ये दोनों शिवालिक पहाडों में बसते हैं उत
00:30को अंग्रेजों ने 1930 के करीब जंगलों को बसाने कल्टिवेशन करने के लिए पहाडों में ले गए और वहां जोग दिया आज उनहीं की वज़ा से जंगल बचे हुए हैं टांगिया और दूसरी तरफ वन गुजर टांगिया समुदाय जो मुख्यता हिंदू धर्म का पाल
01:00हैं और बचे हुए हैं लेकिन देखिए इन दोनों को ही बेदखल करने के लिए सरकारे कैसी साजिश कर रही हैं आप भी सोचेंगे सरकार ऐसा क्यों कर रही है पहली वजह मुनाफा कॉर्परेट के हवाले करने हैं उनको जंगल और दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश सरकार न
01:30फीसदी हिस्सा जहां बसते हैं 2000 वन गूजर परिवार और वहीं कांगिया समाज उसे कोई भी अधिकार नहीं है वे विधान सबा और लोकसबा के लिए जरूर चुनाव में वोटिंग कर सकते हैं लेकिन स्थानिय सरकार के निर्माण में यानि पंचायतों में उन्हें वो�
02:002022 के करीब उत्तरप्रदेश सरकार वन विभाग ने शिवालिक जंगल का 80-90 फीसदी हिस्सा सेना को दे दिया और वहां फाइरिंग रेंज बन गई है यानि सुबह से शाम तक सेना वहां प्रैक्टिस करती है
02:17अब देखिए यह एक मौका है और उसी के साथ साथ करोना काल करोना काल में आपदा को अफसर में किस तरह से बदला सरकारों ने और उनके दुखों का जो दस्तावेज है उसे जनसुनवाई ने हमारे सामने रखा
02:35सहारनपुर के बहट में जनता इंटर कॉलेज में जनसुनवाई का आयोजन किया All India Union of Forest Working People की सेकरेटरी रोमा ने
02:47इस जनसुनवाई में दूर दूर से आये वन गुजरों ने टांगिया समुदाय के लोगों ने अपने दुख को उधेड कर सिर्फ हमारे सामने ही नहीं रखा बलकि इस बात का भी प्रमार दिया कि योगी सरकार और उत्तराखंड की धामी सरकार किस तरह से इन दोनों समाज
03:17पर सुना जाना चाहिए रोमा को जो भारतिय वन जन श्रमजीवी यूनियन की भी नेता है और बहुत मुश्किल से अपनी पूरी टीम के साथ उन्होंने इस आयोजन को एक सफल अंजाम तक पहुचाया
03:31संसद ने लागू किया 2006 में उसकी एक तो बिल्कुल कोई लागू नहीं हो रहा है दूसरा जो कोरोना के टाइम पे लोगों को यहां पर जंगल में भरपूर ऑक्सीजन मेडिकली और हम लोग साइंटिफिकली भी देख रहे हैं कि कोरोना कोई कोई असर इन जंगलों में नह
04:01लोगों के जल जंगल जमीन हक हकूप पर डाका डालने की कोशिश किये उस वज़े से हम लोग ये सारा मामला कोट हाया था और पूरा जंगल आर्मी को दे दिया वन विभाग ने जंगल को उनको हैंड़ोवर कर दिया फारिंग रेंज के लिए और यह बता है कि यहां पर को
04:31तो जब वो रहते हैं तो आपने और आर्मी का काम है हम लोग आर्मी को बहुत रिस्पेक्ट करते हैं आर्मी का काम अपने लोगों के खिलाब थोड़ी जंग लड़ना है वो तो जो आप बॉर्डरस में अपना वो करते हैं तो कम से कम जहां रियाइशी लागे वहां पर क्
05:01और इसकी जो shells ये लोग करते हैं, जो firing rage में bomb किये, परिक्षन करते हैं, वो जंगल में बिखरे बिखरे रहते हैं, तो कई तो फूटते ही नहीं है, जब मवेशी जाते हैं चरने के लिए, या लोग जाते हैं पत्ती उठाने के लिए तो फूट जाते हैं, उससे बहुत accident हो र
05:31के बहुत सारे मामले थे, फिर कोविट का मामला था, कोविट के अंदर जो लोगों को किस तरह से दिक्कते हुई हैं, कम से कम 15-17 केसिस हम लोगों ने पेश किये, और लगबग हमने 100-500, 500 हम लोगों ने forms, जो है कोविट के दौरान लोगों की जो परिशानिया हुई उसको �
06:01और सुप्रीम कोट के भी लॉयर्स आये थे, उनसे भी बात करेंगे, और जो मामले थे कोट के, उसको हम लोगों ने लोकल कोट में उसको उठाएंगे
06:11इस जन सुनवाई में स्टार रही कैराना की सांसद इकरा हसन चौधरी, जो समाजवादी पार्टी की सांसद हैं और जिन्होंने मुझे बताया कि उनका वन गूजुरों की समस्या, टांगिया समुदाय की समस्या से बहुत पुराना संबंध है और उनके पिता और दागा द
06:41इसका मुझे ऐसास हुआ, क्योंकि जिस तरीके से सरकार ने जड़ाब दिया, तो उससे कुछ भी असर नहीं पड़ा, लेकिन हिम्मत नहीं हार दिया
06:50कई भार सरकार के पास ऐसी योज़नाय होती है, जो वो बना देते हैं, लेकिन उनका लाब ठाने के लिए, आप लोगों को वड़ी मुशकत और महनत करनी पड़ती है
07:02तो आप लोग भी इसमें आगे बढ़ेंगे, और हम लोग भी कितनी बार वो हमारे बात को दरकिनार करेंगे, हमें हिम्मत रखनी हैं, उम्मीद रखनी हैं, और यह जो एक जुटता है, इसको बना कर रखना है
07:17अभी हमारे पीज में, मुझे बहुत अच्छा लगा, जिस तरीके से एक फाइल बनाई गई, आपके जितनी भी समस्याएं थी, असान हो जाता है जब काह, तो हमारे लिए भी उस पर ध्यान देना, उसकी पैर्वी करना असान हो जाता है
07:35तो मैं धन्याद गरना चाहती हूँ, फिर से इस कारेतरम के आज़ों का, जुनों ने इतनी खुपसूर्ती से स्टाइल की तैयारी खरी, कि हम आपके समधान के लिए असानी से काम भरपाएंगे, आपके रह रहे हैं, अगर आप चले जाएंगे, तो इस हरकार को बख्त नह
08:05आपको जोना हमारी जरुगत खड़ेगी, हम लोग खड़े लेएंगे, आपकी लड़ाई, लड़ने के लिए आपके बीच में रहे हैंगे, आज जो भी सर्थ खाने का काम करता है, उसी पर सबसे पहले सरकार का प्रभू करता है, उससे बड़ी बाबुरी का को काम हो, तो �
08:35तब वाकरी लगा कि कैसे सरकार ने यह इलाका सेना को सौब दिया और कैसे उनकी जिन्दगियां तबाह हो रही हैं, नूर बता रहे थे कि किस तरह से उन्होंने अपनी बहू को खोया, बहू के पेट में जो बच्चा था उसे खोया और बड़े पैमाने पर नुक्सान हु�
09:05उसके बाद पांच मिट में थोड़ा वो अग्वे बड़ा, खुलमला के यह कि शे बंबतों जाकर के लेरे से कुछ दूरी पे भटे, और जो साथमा बंबता हमने वहां से भागणा मी शुरू कर रिया था, हमारे बच्चे भी भाग रहे थे, हम अपने पसू को भी बगा �
09:35एक गाएं के, दो बकरियों के और पांच भैसों के भी वो गोड़े की कत्तल लगी और उस लड़की के भी यहां से लगी, साथ मीने किया, पेट में गर्ब भी था, तो इस हलास से हम गुजर रहें, उसके बाद में भी फैरिंग बंद रही हुआ, पंदरा दिन तक फैर चल
10:05बोए कानूर और नीम फिल हाल तक भी बनावी, वोही जंगल आर्मी को अभिहास करने के लिए दिये जाते हैं, वोही जंगल फिर उसमें जो पितल डलती है, लुआ डलता जब वो बंपूड जाते हैं, फिर ठेकेदारों से उसका ठेका दिया जाता और उनसे पैसे लिया ज
10:35ये बड़े लंबे समय तक सीने में चुपता रहा, कि सरकार या तो हमें जीने का हग दे, या फिर यह बताए कि हमारी मौत का रास्ता क्या है, वही मीर अमजा जो वन गुजर के नेता हैं, उन्होंने बताया कि सरकार कैसे परेशान कर रही है, और कैसे जो रूट्स बने हु
11:05ने वो दस्ताबेज आज भी इस चीज की गवाई देते हैं कि आपके ये शिवालिक और ये पकडंडिया और ये परवास और माइग्रेशन और ये तोंगियाएं आपके रिहाईशी हुआ करती थी, अपने एक रिकोर्ड में फूल रूम से परदर्शित किये और एक एक ची
11:35जीवन और अपरामपारिक परिवेशों के से चणने के लिए बात्य करने के लिए मज्यूर हुई
11:41और उसी बात को दोहराया गुलाम नभी ने जो वन गूजुरों के नेता हैं और लंबे समय से इस मुद्दे को उठा रहे हैं अलग-अलग मंचों पर
11:53आज पसुके पिछे अपनी जिंडगी बराबात कर दी और आज भी उसे अस्तीजी में हम ढूम चल रहे हुँ और गुजर रहें लेकिन आज का दौज जो हमारे साथ गुजर रहा है बहुत अफ्सूस की बात है immens कि जिस जानवर तरिक फिछे अमने अपनी जुदगी वना
12:23जानवर पालना हमारा कर्तद है, हमारे पास सरकार का सबूत है, और एक दिन का नहीं है, तस दिन का नहीं है, कहीं सो साल का रेकॉर्ड और सबूत हमारे पास है कि हम जानवर को पालते हैं, आज कभी हमारे पे गाय का केस लग रहा है, आज कभी ये वारत के जितने आरसे सले ल
12:53और हमारी गाय अगर पैदल नहीं चल सकती
12:56तो उसको जब हम मेगरेट करके पहाड़ों के लिए चलते हैं
13:00तो हम अपनी गाड़ियों पे लाज लेते हैं
13:02क्योंकि हमें पता है हमारी गाय पैदल चलते नहीं कहुंचेगी
13:06और कोरोना समय में समुदाय पर क्या बीता टांगिया समाज की सुमन ने बहुत ही मुश्किल से अपनी आप बीती सुनाई
13:18और उनके बाद यह महिला जो नेता है उन्होंने बताया कि दरअसल कुरोना में सरकार ने आपदा को अफसर समझा और लोगों ने समझा कि संगठन क्यों जरूरी है
13:48करोना की समय का दर्द व्यान किया है वो आज भी उस चीज को भूली कि वो अकेला पन कैसा होता है और जब हमने एक बात पूछी कि जब हम मीटिंग कर रहे तो उसमे का कि संगठन क्यों जरूरी है तो उसमें बहुत करीब से गा कि करोना काल में जब देखा अकेला पन कि को
14:18कि मेरे बच्चे को उस समय पढ़ाई छूट की तो छूट की फिर काम के सुरू किया नाई का काम सिखाया या कुछ भी सिखाया पर वो आज भी कहने के लिए तो वो पांस साल चार साल पहले करोना का मुदग है पर उनकी जिंदगी में आज भी वो चीजे ठेरा हो है और यह
14:48रोमा ने भी हमें बताया था जो है एक पेड जो है फुल टाइम उनका क्या कहेंगे करमचारी वो गाइब है पिछले एक साल से और यह वन भिवाग बताई नहीं रहे कि उसको कहां गाइब किया यहां से उनको मेरट बेजा मेरट से वो गाइब हो गया उसके बाद आज तक
15:18मैं गाउपोटरी से आई हो मेरा रामन की ताया और माज अपने पापा की समस्या लेकर यहां पर आई है ति मेरे पापा पहले तो में वन भी भाग में काम करते थे परमनाट जैसी होगे में इपनी ड्यूटी कर रहे थे तो ड्यूटी पे भी आसान पूर लगी थी उनकी य
15:48कर रहे थे तो डेड़ मंतर जैसे काम कर रहे थे तो उने दो दिन के लिए पहले तो लखना भी जा लेकिन वहां से कौना काम करके तो में वापस आगे लेकिन फिर उसके बाद तीन चार दिन के बाद उन्हें फिर डाग लेके मेरेट भी जा लेकिन वहां से मेरेट जो चले
16:18जंगल को आबाद करने वालों की दावेदारी और यह ऐलान नहीं डरेंगे किसी से
16:34और यह देखना बहुत दिल्चस्प है कि किस तरह से यहां का जो पूरा पॉलिटिकल क्लास है
16:59वह इस जनसुनवाई टांगिया समाज और वन गुजरों के पक्ष में खड़ा है
17:06बेहट के चेर्मेन अबुर्रह्मान को भी सुनना जरूरी है कि वह बताते हैं कि किस तरह से यहां पर जो हिंदू-मुसल्मान डिवाइड चल रहा है
17:17उसकी एक कड़ी देश की पॉलिटिक से जुड़ती है
17:21आज हमें भी सुनके बहुत दुख हुआ कि विधायक जी ने प्रयास किया वहां सोलर लाइट देने का और वन विभाग वालों ने उन्हें लगवाने नहीं दिया
17:30पर हमें लगता है कि हमें और मजबूती के साथ लड़ाई लड़नी पड़ेगी और उन चीजों को उन अविलिबिल्टी को उने पूरा करना पड़ेगा
17:40सोलर जो लाइट की अविलिबिल्टी है वो विधायक जी पूरा कराएंगे और हम वहां खड़े होके लगवाने का काम करेंगे
17:45मैं बस इस देश के महौल को थोड़ा फील करता हूँ शरम मैसूस होती है कि हमारे देश जहां इतनी तीजी से और चीजों में आगे बढ़ रहा है और इन सोच में पीछे जा रहा है
17:56और यहां मॉब लिंचिंग के नाम पे किसी को भी मार दिया जाता है
18:01तो मुस्लिफ समुदाय में बहुत भै है डर है पर मैं अपने माननियें परदान मंतरी जी से मुख्या मंतरी जी से यही कहना चाहोगा
18:09कि आप इतनी बड़ी बड़ी बाते इतने वादे करते हैं कि आप इस समुदाय को जो 20-30% है इस देश में
18:17कि आप उनकी सुरक्षा के लिए कुछ नहीं कर सकते हैं और ना कुछ कह सकते हैं
18:21तो तो वही महसूस होता है कि हम लोग क्या इस देश में सुरक्षित हैं.
18:25जहां हम लोग अपना देश मानते हुए हर चीज इस देश के साथ खड़े हैं
18:30और इस देश के लिए हम लोगों ने बहुत कुर्भानिया भी दिए हमारे बड़ों बढ़ दिए
18:34और आज हमें जान जवानी पढ़ रही है सिर्फ मॉब लिंचिंग के नाम पे गाएं के नाम पे तो आज बहुत दुख की अविशे है और जो अलीगड में हो उसके लिए भी बहुत फील कर रहे हैं दुखी है बट क्या कर सकते हैं कुछ आपके माध्यम से कही सकते हैं और कहन
19:04नहीं होनी चाहिए तो मैं उसकी बीच में उन साथियों के पास गया मैंने कि क्या आपको भी दिक्कत है कि हम लोग 7 कट पे नमाज पढ़ें तो उन्होंने का हमें कोई दिक्कत नहीं है और हमारी जबबहुत पढ़े हैं तो हम नमाज पढ़वाने में आपके लिए
19:16रहेंगे तो मुझे जो लग रहा है सरकार ही सिर्फ हम में डिफरेंसेज हिंदु-मुस्लिम का करना चारी है और वही उनका राजनितिक
19:24मुझे लगता है कि जनता बिल्कुल भी एक दूसरे से लड़ना नहीं चाहती है और इस देश की तरक्की के लिए हिंदु-मुस्लिम को एक साथ रहने की बहुत जरूवत है
19:45यह तमाम स्वर अपने आप में बताने के लिए काफी हैं कि इस जन सुनवाई में गागर में सागर भरा है
19:55जो पूरा का पूरा पहाड और यहां बसने वाले दो समाज हिंदु और मुसल्मान एक दूसरे का हाथ पकड़ कर खड़े हुए हैं
20:05कि हम इन जंगल के रखवाले हैं हमी दावेदार हैं हमी रहनुमा हैं इन जंगलों के उन्हें बेदखल करने के लिए उस सरकार की साजिश चल रही है
20:16उसके खिलाफ यह जंसनवाई एक एहम आवाज बन करूँए तो है न दिल्चस्फ कहानी जंगल के इन दावेदारों की कि किस तरह से टांगिया समाज और वन गूजर वन गूजर जो पालते हैं जानवर जिन्हें देती है सरकार परमेट और जिनके ऊपर मुसल्मान होने की
20:46जंगल जमीन पर दावेदारी वर ठोक रहा है और दोनों का यह एलान है कि जंगल बचाना है तो तांगिया समाज और वन गूजरों दोनों को बचाना है शुक्रिया