2006 मुंबई ट्रेन धमाकों में निचली अदालत द्वारा दोषी पाए गए सभी 12 अभियुक्तों को बांबे हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। निचली अदालत ने इनमें से पांच को फांसी और सात को उम्र कैद की सजा सुनाई थी, जिन्होंने निर्दोष होने के बावजूद 18 साल जेल में गुजारे, इनके परिवारों ने तोहमत व यातना झेली। लेकिन उन 189 लोगों को भी न्याय नहीं मिला जो धमाकों में मारे गए। आखिर कौन है दोषी? #news #newsanalysis #latestnews #dailynewsanalysis #newspaperanalysis #dailynewspaperanalysis #mumbaitrainblast #bombayhighcourt
00:00नमस्कार दोस्तों मैं आपकी दोस्त भाशा आप देख रहे हैं बेबाग भाशा यूट्यूब लाइव रोस्तामा जो बड़ी खबर है और जो मिसिंग हेडलाइन है वह यह है कि 2006 में मुंबई में जो धमाके हुए बम धमाके हुए ट्रेन में धमाके हुए
00:22जिसमें मारे गए लोग 189 लोग मारे गए और इस बम धमाकों का आरोप लगाया गया बारा लोगों पर बारा आरोपी तह किये गए
00:41कब की घटना है 2006 में हुए बम धमाके आज हम बात कर रहे हैं 2025 में आज की तारीख में बम धमाके एक हकीकत है
00:54189 लोगों का मारा जाना हकीकत है और जिन 12 लोगों को इस बम धमाकों के आरोप में गिरफतार किया गया उन्हें निर्दोश पाया जाना भी हकीकत है
01:10मुंबई हाई कोट ने इन 12 लोगों को बाइज़त बरी किया है लेकिन इन 12 लोगों ने अपनी जिन्दगी के 18 साल जी हाँ 18 साल जेल में काटे
01:28इनकी बेगुनाही 18 साल बाद साबित हुई और जिस आधार पर साबित हुई वह भी मैं आपसे चर्चा करूंगी लेकिन सबसे बड़ी बात है कि ये बम धमाके किये किसने
01:43और बेगुनाहों को फसा कर असली गुनाहगारों को बचाया किसने या सवाल कोई नहीं पूछ रहा है
01:51सब यह जरूर कह रहे हैं कि भाईया जो लोग मारे गए 189 लोग मारे गए इनके परिवार वाले आज परेशान है
02:00मैं भी इस बात से 100% सहमत हूँ कि वे परेशान हैं लेकिन उनसे जादा जिन लोगों ने जलालत और नफरत झेली
02:12वह 12 लोगों के परिवार उनकी कहानिया जो चीख चीख कर बोलते रहे कि हम बेगुना हैं और पुलिस ने हमें फसाया है
02:24क्यों पुलिस आखिर यह सवाल कब जवाब देगी सवाल का कि वह बेगुनाहों को फसा कर किस असली अपराधियों को बचाती है
02:37यह सवाल बुंबई धमाके में भी पूछा जाना चाहिए हाई कोट को पूछना चाहिए था ठीक उसी तरह से जैसे गुजरात
02:47अक्षरधाम यारे अक्षरधाम किस तरह का हंगामा मचा कहने की जरूरत ही नहीं है
02:55कि यहां हम जिन आरोपियों की बात करें वे सब मुसल्मान हैं यह 12 लोग जो जेल में गए अक्षरधाम वाले जो जेल में गई या इसके बीच की जो कहानी है
03:06अक्षरधाम बंधमा के इसलिए बहुत इंपोर्टन्ट है क्योंकि उस पर जो सुप्रीम कोट का फैसला आया वह उस दिन आया जिस दिन
03:162014 में देश के प्रधान मंत्री के तौर पर प्रधान मंत्री के तौर पर नरेन मोदी ने शपत ली उसी दिन यह फैसला आया कि अक्षरधाम में जो बंधमा के हुए थे
03:31छे लोग जो पकड़े गए थे फासी की सज़ा सुनाई गई थी वे सब बेकसूर थे अब आप सोचिए यह कनेक्शन और यह कनेक्शन मुंबई बंधमाकों में भी जो बारा लोग पकड़े गए पुलिस के द्वारा
03:5118 साल बादा थाबित होता है कि � THEY HAVE NO ROL NO ROL ध्यान से सुनिये अदालत ने क्या का अदालत ने बहुत सخ شब्दों में का है
04:02कि सही दोशियों को पकड़ना बहुत जरूरी है
04:07गलत लोगों को पकड़ कर आप असली गुनहगार को बचाते हैं
04:13लेकिन बहुत गहरे अफसोस और दुख और गुसे से मैं कह रही हूँ
04:18कि यह जो असली गुनहगारों को बचाने वाला सिस्टम है
04:22चाहे मुंबई पुलिस हो चाहे गुजरात पुलिस हो या बाकी हर जगह
04:27इनके खिलाफ कोई कारवाई नहीं होती कोई accountability नहीं होती है
04:33इस फैसले में भी कोई accountability नहीं है
04:36ना 189 लोगों को न्याय मिला और ना 12 बेगुनाहों को न्याय मिला
04:42और नयाय हो गया है
04:45तो ये जो एक बड़ा सवाल पूछा जाना चाहिए
04:48क्योंकि हमारे दिमाग में
04:51आज की तारीख में
04:532006 की तुल्ला में
04:552026-25 में
04:58जो हमने सफर किया हमारे दिमाग ने
05:00हमारी पॉलिटिक्स ने
05:02उसने मुसल्मानों को
05:04आतंकी के तौर पर
05:06स्टैबलिश किया है
05:07इसलिए इस तरह की एडिंग आती है
05:10भासकर इस तरह
05:12की हडिंग देता है
05:13उसे चिंता 189 लोगों की है
05:16लेकिन उसे चिंता
05:17इन 12 लोगों के बेगुनाही
05:20की
05:2018 साल जेल में
05:23गुजारने की चिंता नहीं है
05:25क्योंकि हम दरसल
05:27मान के बैठते हैं
05:29कि जो बड़े बम
05:31धमाके होते हैं आतंकी घटनाएं
05:33होती हैं सब होता है इन में कुछ
05:35लोग तो पिसी जाते हैं बेगुना
05:37हाँ लोग हैं तो क्या हुआ लेकिन
05:39बड़े पैमाने
05:41पर मुसल्मानों के खिलाफ
05:43कारवाई को हम
05:45जस्टिफाय करते हैं इसी लिए
05:47देखिए कल जबसे यह
05:49फैसला आया है जबसे
05:50तबसे
05:52जो पूरी की पूरी सोशल
05:55मीडिया पे भक्त ब्रिगेड है
05:57अंधों की ब्रिगेड है
05:59अंधभक्तों की ब्रिगेड है
06:00नफरती ब्रिगेड है
06:02वह सब
06:04पगला गई है कि अरे यह बारा मुसलमानों को आपने छोड़ दिया
06:09अब देश में क्या होगा कौन लोग हैं किसने बं प्लांट किया
06:13यह जिम्मेदारी किसकी थी यह जिम्मेदारी मुंबई पुलिस की थी
06:18जिसमें वो पूरी तरह से विफल रही और यहां पर उसे शरम नहीं आए
06:24कि वो हिस्तीफा दे और कहे कि हां हमसे गलती हुई हमने बे गुनाह को फसा कर
06:30असली गुनाहगारों को बाहर भगा दिया यह हम उन तक पहुच नहीं पाए
06:35कुछ तो कुछ हुआ होगा सवाल यह बहुत गंभीर है और इस दिशा में कोई भी गंभीर चिंतन नहीं हो रहा है
06:45महाराज की मुख्यमंतरी क्या कह रहे हैं कि वे बहुत दुख पहुच गया है उनको
06:50बहुत परिशान हो गया है देवेन फटनवीज जी आपको पता है क्यों परिशान हो गया है क्योंकि जब बारा बे गुनाह मुसल्मान थे वह छूट गए है
07:00असली परेशानी उनकी यह नहीं है कि मुंबई पुलिस ने असली गुनहगारों को क्यो नहीं पकड़ा 189 लोगों को न्याए क्यों नहीं मिला यह देवेन फदनवीस की चिंता नहीं है देवेन फदनवीस ने क्या कहा अपनी भक्त गणों की ट्रोल आर्मी को संतुष्ट करन
07:30अभी भी वहमान रहे हैं जबकि इतने दूद का दूद पानी का पानी करने की
07:36Bombay High Court में कोशिश की गई, तक पॉइंट टू पॉइंट पेश किये गए,
07:43बताया गया कि किस तरह से फरजी वाड़ा किया गया है, विटनेस में,
07:49जो लोग गवाही देते हैं, वह किस तरह के पेशेवर गवाहैं, यह भी बताया गया,
07:56किस तरह का torture दिया गया, यह भी बताया गया,
07:59पॉइंट टू पॉइंट रखा गया है कि किस तरह से टांगों को 180 डिगरी पर फैला कर मारा पीता गया,
08:07और यह 12 लोगों से कबूल नामा करवाया गया
08:11उनको किस तरह से प्रताडित किया गया यह जो ब्योरे हैं
08:17दरसल यह ब्योरे ऐसे हैं जो हमें आपको सबको पता हैं कि यह क्या ब्योरे होते हैं
08:22कैसे तंग किया जाता है कबूलवाया जाता है
08:26लेकिन यहाँ पर अच्छी बात यह है कि इन 12 लोगों की तरफ से जो वकील खड़े हुए थे बॉम्बे हाई कोट में
08:35वह एक ऐसे शक्स थे एक ऐसे शक्स हैं जस्टिस मुरली धर जो उडिसा हाई कोट के चीफ जस्टिस रहे हैं
08:47जो दिल्ली जहां पर हम बैठे हैं यहां के भी जज रहे हैं उन्होंने रिटायर्मेंट के बाद जब वकाला शुरू की तब बहुत सेंस्टिव केसे को लेना शुरू किया और ऐसा ही सेंस्टिव केस जिसको तकरीबन डेड मान लिया गया था केस यह है बॉम्बे हाई कोट क
09:17है और उसे पढ़ा जाना समझना बहुत जरूरी है क्योंकि यहां पर वह सीदे सीदे कहते हैं इस नॉट जस्ट थे एकुज़ बट इवन इस चिल्रेंट्स रिलेटिव गेट टेंटेड मिलाज्स इस सोसाइटी इस तू क्रूल तो देम नो वन विल ट्रीट थेम प्रॉप
09:47और जस्टिस मुरलीधर ने जिस तरह से इस पूरे मामले को साल भर पिछले एक साल से इस केस से जुड़े और एक साल के भीतर जो बहुत इंपॉर्टन तत्थे उन्होंने वो सारे तत्थे जो शुरू से कोट के सामने थे लेकिन जो हाई कोट का हाल है जो लोवर कोट का हा
10:17यह हमारी नियाय पालिका का हाल है, मैं सब के नाम पढ़ के आपको सुनाती हूँ अभी, यहाँ पर कोट पर जो भारी पड़ा पॉइंट, पुलिस उपायुक्त द्वारा लिये गए अभ्युक्तियों के बयान एक जैसे हैं, यानि सारे के सारे स्टेटमेंट्स कट एंड पे
10:47पॉपी पेस्ट है, पुलिस उपायुक्त इस उत्तर से संतुष्ट हो सकते हैं, लेकिन कोट को संतुष्ट नहीं होना चाहिए, तब आप देखिए कि यह जो एक बहुत इंपॉर्टन बात है, जो पांच वज़ें भासकरने गिनाई हैं और नीचे उज्वल निकम का बयान
11:17ऐसा नरेशन बिल्डप किया था, जिससे देश बर में नफरत फैली थी मनमोहन सिंग सरकार के खिलाफ, आपको याद दिला दो, जो बंबे में आतंकी हमला हुआ था ताज होटल पर, उसमें कसाब को बिर्यानी खिलाने का जूट बोलने वाला शक्स दैनिक भासकर का लीग
11:47चौकाने वाले फैसले से दुखी हूँ, 2006 में ट्रेन में हुए RDX बंबे स्पोर्ट को उसी तरीके से अंजाम दिया गया, जैसे मार्श 1993 में मुंबई में हुए सीरियल बंब दमाको को, लेकिन तब टाड़ा एक्ट नहीं था, इसलिए मामला पोटा के तहच चलाया गया थ
12:17क्या करोगे आप, क्योंकि जूट बोलना पेशे के आपके हिसाब से आपने बोल दिया कि मान मोहन सिंग बिर्यानी खिला रहे है कसा आपको देश बर में नफरत हो गई, बीजेपी ने उसे अपने एजेंडे में ले लिया, और इतने बड़े जूट के बारे में खुद ही �
12:47में जो बारा लोग बरी हुए हैं, उसमें मोहमद फैसल हैं, एम्तियाज सिद्दकी हैं, नावेद हुसेन हैं, आसिफ खान हैं और कमल अनसारी हैं, इसमें एक बात याद रखे कि इसमें से एक शक्स की मौत हो गई, जो प्राइम एक्क्यूस था इस मामले में, करोना के समय
13:17मारी माजिक शफीक, शेख मोहमद अली, साजिक मरगूब, मुजम्मिल, अताउर रहमान शेख, सुहेल महमूर शेख और समीर एहमद, तो अब आप देखिए कि यह जो बड़ी बात है, उसको लेकर आज इंडियन एक्स्पेस, टाइमस ओफ इंडिया, इन सब ने डीटेल मे
13:47है, creating false appearance of having solved a case, gives a misleading sense of resolution, this deceptive disclosure undermines public trust, मुंबई हाई कोट ने यह बात कही है, और यह बात अपने आप में बहुत दमदार है, कि आखिर किस तरह से और क्यों, इस तरह का जूट बोला गया और लगातार, इस तरह के जूट के आधार पर सारा का सारा
14:17case build up किया गया, times of India में इसे box लगाया गया है, आप देखिए, उसमें सीधे सीधे यह सवाल पूछा गया है, कि किस तरह से, यह सारा का सारा case, एक इतने बड़े जूट पर build up किया गया, लोगों को torture दिया गया, और उस torture के आधार पर, किस तरह से एक जो निर्दोश लोग थ
14:47दरसल दोशी है, अब देखिए, यहाँ पर scroll ने एक अच्छी story चापी है, वह story भी देखनी जरूरी है, उस story में एक बेटे की बात है, जिसके पिता को जब पकड़ा गया था, 2006 के बंधमाकों के मामले में, तब वह सिर्फ और सिर्फ 6 साल के थे, और यहाँ पर, अब्दु
15:17में 18 साल जिस आदमी ने जेल के पीछे मर मर के जिन्दगी गुजारी, वह कहां का रहने वाला है, मुंबई अपनी जिन्दगी में कहीं नहीं गया, सबसे बड़ी बात यह कि मुंबई में नहीं गया, और वह मधु बनी, यानि बिहार के नेपाल सीमा बॉर्डर पर रहने �
15:47यह इनके बेटे का कहना है, लेटर यह, कोट में भी इस मामले में गवाही हुई और यह प्रूफ किया गया कि he was not at all linked with the case, they knew I was innocent, men acquitted in 2006, Mumbai train, blast, rue over, years lost, इन्होंने कहा है कि किस तरह से मुझे फसाया गया,
16:073 weeks ago, Sajid Ansari got a break from prison, life for the first time in the 19 years, he was granted parole, 19 साल जेल में रहे, Sajid Ansari को, बेल पहली बार जिंदगी में मिली, अब आप सोचिये, यह कोई अभी आरोप था, सजा, इनको लोबर कोट ने सुनाई थी, लेकिन, जब हमारे देश में हत्या और बलातकार करने वाले आसाराम बापु को
16:37या फिर, राम रहीम को चुठकियों में parole मिलती है, इस शक्स को 19 साल बाद पहली बार parole मिली, ताकि अपनी पतनी का इलाज करा सके, और इसमें इन्होंने कहा कि, जिस समय यह घटना हुई थी, I am suddenly a free man, यह 2006 में 29 साल के थे, एक mobile repair shop चलाते थे, एक institute में train करते थे,
17:02an institute to train people in mobile repair, मीरा रोट पर, at the time, he had two cases against him, office claimed involved in the ban group,
17:13सिम्मी से इंका link established किया गया था, और फिर 11 जुलाई 2006 को जब 7 bum blast होते हैं, यह इंका शकल है, यह इंका statement है, आपको दिखाई दे रहा है,
17:26जिसमें इन्होंने कहा कि उनको detain किया गया, और फिर इनके परिवार को किन किस यातना से गुजणना पड़ा, उनकी पतनी उसमें pregnant थी,
17:36सारी के सारी चीजें होती हैं, और आज की तारीक में इन्हें रिहा किया जाता है, दूसरा मामला जो मैं आपको बता रही थी,
17:46जो पिता के बारे में बेटा बता रहा है, वह अब आप देखिए कि वह बिहार के रहने वाले,
17:54my father was taken away from me, बिहार के जो कमल अंसारी हैं, वह इतने fortunate नहीं थे,
18:022021 में कमल अंसारी died in नाकपुर central jail after covid इंको हो गया, और यह सीधे सीधे कहते हैं,
18:11इंके जो बेटे हैं, वह scroll को उन्होंने बताया कि वह 6 साल के थे, जब उनके पिता को ले लिया गया,
18:17और वह jail में ही मर गए, covid हो गया और वह लगातार बुहार लगाते रहे, और इन्होंने कहा कि वह जिंदगी में अपने train में कभी नहीं गए थे,
18:26मुंबई कभी नहीं गए थे, वह मधुबनी में थे, but my father never visited Mumbai, he was in Nepal at the time of the blast, his father worked as a tailor in मधुबनी, वह दरजी का काम करते थे,
18:39और क्योंकि मधुबनी नेपाल भारत की सीमा पर है, तो कभी कभी वह नेपाल भी काम करने जाते थे, और पुलिस ने इन पर रोप लगाया था, कि उन्होंने हतियारों की training पाकिस्तानियों से नेपाल में ली थी, और इस तरह से सारा का सारा हिसाब एक बार चलता है, अब �
19:09मत कीजे, 2006 में केंद्र और महराष्ट में सरकार किस की थी, आपको पता है, कॉंग्रेस की सरकार थी, और कॉंग्रेस के नेत्रित में वहां की जो पुलिस है, उसने इतनी बड़ी गरबड़ी, या यू कहें, जो दिमाग बैठा हुआ है, कि किसी भी मुसल्मान को पकड़ कर
19:39मुसल्मानों को पकड़ कर, मुसल्मानों को गुनागार बना दोगे, तो सब तरफ तुम्हारी वाहवाई होगी, कोई सवाली नहीं पूछेगा, कि ये मुसल्मान निर्दोश हैं, या असली में दोशी हैं, और इस तरह से, जो मुंबई पुलिस ने, उस समय कॉंग्रेस की
20:09वो सारे निर्दोश थे और यहां पर आप ध्यान से सुनिये, जो बॉम्बे हाई कोट के जो जज्ज है, अनिल किलोर और श्याम चंदॉक, उन्होंने क्या कहा,
20:21creating a false appearance of having solved the case by presenting that accused have been brought to justice, gives and misleading sense of resolution, the deceptive closers undermines public trust and falsely reassure society, while the reality is the true threat remains at large.
20:44यही बात हम कह रहे हैं, कि भाईया, इसमें सबसे बड़ी मुश्किल यह है, कि जो असली दोशी हैं, जिन्होंने बम लगाया, जिन्होंने 189 लोगों की जिन्दगी खाली, वे लोग नहीं पकड़े गए, यह ध्यान रखिए, यहां पर हमेशा यह सोचा कीजिए, कि जब �
21:14रहने के बाद, उसका एक पहलू यह है, कि जो असली में गुनागार हैं, जिन्होंने बम लगाया, जिन्होंने अतने लोगों को मारा, उन्हें या तो जान बूच कर पुलिस और सिस्टम बचाता है, या अपनी नाकामी छुपाने के लिए सिस्टम बचाता है, या सवाल, �
21:44देखिये, इसमें सीधी सीधी सी बात, जो दो तीन चीजे कही गई है, वो हमें हमेशा ध्यान रखनी चाहिए, और हर मामले में, जहां टॉर्चर का इस्तमाल होता है, जहां विटनेस का इस्तमाल होता है, यह ऐसा कहानी है, जो हर बॉलिवुड फिल्म में आती है, कि किस त
22:14आजीवन कारावास दिया, उसके सामने भी यही तत्थे थे, उसे दिखाई नहीं दे रहा था कि जो चश्मदीद गवा बनाए गए हैं, यहां पर एक टेक्सी ड्राइवर को चश्मदीद गवा बनाया गया, जिससे सौ दिन बाद, सौ दिन बाद गवाही देता है, कि हां म
22:44इनों में समेटा गया है, जहां पर उन्होंने कहा है, मैंने जो बताया, कि उनके पैर पूरी तरह से फार दिये गए थे, 180 डिगरी पर अलग कर दिये गए थे, पूरी जात उन्हें कुरसी के साथ बांद के रखा गया, और उनके शरीर पर, उनकी छाती पर कौकरोश दोड�
23:14कि तुम इसमें शामिल हो, very abnormal that a witness did not go to pillars over hundred days, no reason two taxi drivers who claim to have for it two accused should recollect faces after long time, क्या तमाशा है सोचिए, बाद में जब हम और आप यह सब सुनते हैं, तो लगता रही है तो दिखना ही चाहिए था, लेकिन lower courts को इसलिए नहीं दिखा, क्योंकि सामने मुसल्मान था,
23:42और मुसल्मान के बारे में, public में ही नहीं, पूरे system में एक नफरत भरी हुई है, कि जैसे ही आता है, bum blast है, आतंकी है, तो हम सोचते हैं, चाहे अक्षरधाम का bum blast हो, अक्षरधाम में धमाका हुआ हो, या यहां पर धमाका हुआ हो, सब में, अगर मुसल्मान कट घरे में ख�
24:12हमारा legal system है, मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ यह बात कह रही हूँ, कि legal system का जो bias है, जो पक्षपात पूर्ण रवईया है, उसकी कलई खोलता है, मुंबई हाई कोट का यह फैसला, क्यों से नहीं दिखाई दिया, कि पुलिस नहीं पूरा मामला, इन बारा, बेगुनाह, म�
24:42इन बारा लोगों की जो 18 साल की जिन्दगी जाया हुई, खराब हुई, परिवार तबा हुए, उसका गुनहगार कौन है, और उससे भी बड़ा सवाल, जो भक्तों को पूछना चाहिए, कि उन 189 लोगों को नियाय कौन मिलेगा, जैसे हमने उस समय कहा, no one killed Jessica, उसी तरह से �
25:12और गिरफतारी में सबसे पहले जो पुलिस थी, जिसने इन बेगुनाहों को पकड़ा, उनसे सवाल पूछना चाहिए, कि तुम्हारे पास असली गुनागार थे क्या, किसको तुम बचा रहे थे, आप भी सोचिएगा, कमेंट जरूर कीजेगा, और हमारे चैनल को सब्सक्