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00:00याद को रो वो शाम, जब बुद्ध को सपष्ट हो गया था कि अब जाना ही है, कहां को जा रहे हैं बुद्ध? बुद्ध जा रहे थे, युवा उत्सव की ओर, जिसमें देश भर के जवान लोग आते थे, खेल होते थे, किडाएं होती थी, प्रतिसपरदाएं होती थी, तो
00:30बीमारी है, और आगे निकले, लेओ, अब क्या दिख गया? लेओ, अर्थी चली चारी, आप पूछते हैं सार्थी से, ये भी होगा मेरे साथ, क्योंकि जब बुढ़ा मिला था, तो पूछे तो मैं भी बुढ़ा होंगा, सार्थी बोला, जी, आप भी, बुद्ध बोले है
01:00जी, आप भी, बुद्ध ने बोला, फिर ये उत्सव किसलिए मनाया जा रहा है, ये तो मुझे कहां ले जा रहे हो, ये नाच, ये रंग रोगन, ये खुशिया, ये क्रिडाएं, ये किसलिए हैं, अगर सब कुछ घूम फिर करके इस पर लोटाना है, तो हम फिर किसको धो�
01:30अपने साथ समय बिताया, बहुत खोज करी, तमाम जगों, परमथा, रगड़ा, और अंतत्त, जब उधत्त, उधित हुआ, तो गौर करना कि जंगल में नहीं रहना है, नगर नगर भी घुमे, राजधानियों में जाके घुमे, राजाओं से मिले, गाओ गाओं भी गए, �