दक्षिणी कश्मीर में हिमालय की ऊंचाईयों पर अमरनाथ गुफा इन दिनों शिव भक्तों की श्रद्धा और आस्था का केंद्र है. यही वो जगह है जहां प्राकृतिक रूप से बर्फ का शिवलिंग बनता है. इसी जगह हर साल लाखों श्रद्धालु पूजा करने और भोलेनाथ का आशीर्वाद लेने के लिए लंबी यात्रा करते हैं. माना जाता है कि यहीं पर भगवान शिव ने देवी पार्वती को जीवन के सार तत्व के बारे में बताया था. दिलचस्प बात है कि जिस गुफा मंदिर में हिंदुओं की भारी आस्था है, उसकी खोज एक मुस्लिम चरवाहे ने की थी. बताया जाता है कि 19वीं सदी के मध्य में पहलगाम के बूटा मलिक ने गुफा मंदिर की खोज की थी. बूटा मलिक की सातवीं पीढ़ी के मलिक अफजल गुफा मंदिर की खोज के बारे में बताते हैं. बेशक बूटा मलिक के वंशज अब हाशिये पर हैं, फिर भी उन्हें अमरनाथ गुफा की खोज करने वाले अपने पूर्वज पर फख्र है. उन्हीं की बदौलत अमरनाथ गुफा हिंदुओं की आस्था का केंद्र बना है. हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा करने आते हैं. निश्चित रूप से वे इस परिवार के उस पूर्वज के आभारी हैं, जिन्होंने भगवान शिव से जुड़े अद्भुत गुफा मंदिर की खोज की थी. इस साल 38 दिन चलने वाली अमरनाथ यात्रा तीन जुलाई से शुरू हुई है. यात्रा नौ अगस्त तक चलेगी.
00:00दक्षणी कश्मीर में हिमाले की उचाईयों पर अमरनात कुफा इन दिनों शिव भगतों की शद्धा और आस्था का केंद्र है।
00:30जिस गुफा मंदिर में हिंदूों की भारी आस्था है उसकी खोज एक मुस्लिम चरवाहे ने की थी।
00:36बताया जाता है कि उनिस्वी सदी के मध्य में पहलगाम के बूटा मलिक ने गुफा मंदिर की खोज की थी।
00:42बूटा मलिक की साथवी पीड़ी के मलिक अफजल गुफा मंदिर की खोज के बारे में बताते हैं।
00:48जो हमारा बुटा मलिक साहब थी वो हिवाशा फोड़। वो वहाँ बेड़ बे क्रेंच चराता था पाड़ों में।
00:54तो उनको शंकर बगवान से फेस टू फेस मुलाकात भी हुई दर्शन भी हुआ था।
01:00तो वहाँ उनको सर्दी लगी, माइनिस टेंपरिचर वहाँ रहता है तो उसके बाइद उन्हें ने शंकर बगवान जी ने उनको एक कांगडी दी कश्मीरी कांगडी जब वो गर पहुँच गए वो गोल्डन में मेल्ट हो गई और एक पटा दिया था उनको लिके जबकि �
01:30मलिक परिवार का दावा है कि पहले वही सालाना यातरा का आयोजन करते थे साल 2000 में श्री अमरनाद जी श्राइन बोर्ड का गठन हुआ उन्हें अफसोस है कि बोर्ड के गठन के बाद से यातरा के आयोजन में उनकी भागिदारी नहीं रही
02:00वस्टायम में थोड़ा सिपा दो चार उता तो उमरनाद जाते है और चटवाला होता है चटवाला बस इतना ही और ताश्रदार सब बस कुछ परवाज ने जाता है उमरनाद में