Muharram 2025: मुहर्रम का महीना इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना होता है। यह महीना सिर्फ नया साल नहीं लाता, बल्कि लाता है ग़म, सब्र और इबादत का पैगाम। इस महीने की 9वीं और 10वीं तारीख – यानी तासुआ और आशूरा, बहुत अहम होती हैं। और इन दो दिनों में रोज़ा रखना सुन्नत और बहुत सवाब वाला माना गया है।
00:00महर्म का महीना इसलामी कलेंडर का पहला महीना होता है
00:06ये महीना सिर्फ नया साल नहीं लाता बलकि लाता है गम, सब्र और अबादत का पैकाम
00:10इस महीने की नवी और दस्मी तारिख यानी तासुआ और आशूरा बहुत एहम होती है
00:15और इन दोनों दिनों में रोजा रखना सुननत और बहुत सवाब वाला माना गया है
00:19तो ऐसे में चली आपको बताते हैं दोहजार पच्चिस में नौ और दस महर्म को रोजा कब रखना है आईए आपको बताते है
00:262025 का इसलामी नया साल 27 जून को शुरू हो चुका है और महर्म का चान 26 जून को दिख चुका है
00:34अब इस हिसाब से सबसे एहम दिन 10 महर्म यानी आशूरा है जो 6 जुलाई 2025 को पड़ेगा यानी रविवार का दिन होगा
00:41और उस से एक दिन पहले यानी 5 जूलाई को 9 महर्म का रोजा हो लेकिन सवाल यह कि ये दो दिन इतने खास क्यों है इन में रोजा क्यों रखा जाता है और इसकी फजीलत क्या है
00:50इसके लावा इन दोनों दिनों में शिया और सुन्नी मुसल्मान क्या करते हैं चलिए समझते हैं आसान भाशा में
00:56महरम सिर्फ इसलामी कैलेंडर का पहला महीना नहीं बलकि सबर, शहादत और इबादत का महीना है
01:01इस महीने के आखिरी दिनों में हुई थी हजरत इमाम हुसेन की शहादत
01:04जो इसलाम में सबसे बड़ी कुर्बानियों में से एक मानी जाती है
01:07तो चली अब जानते हैं रोजों की सही तारिख क्या है
01:09सबसे पहले बात करते हैं नौ महरम यानि तासुआ के दिन
01:13जो रोजा है वो पांच जुलाई को है यानि शनीवार को
01:16दस महरम के दिन यानि अशूरा वाले दिन रोजा रखा जाएगा 6 जुलाई 2025 को यानि रविवार को इन दोनों दिनों में रोजा रखना सुननत है और बहुत बड़ा सवाब भी मिलता है रोजा क्यों रखा जाता है ये भी जाल लेजे एक अधिस के मुताबिक जब नभी पा
01:46जो शक्स आशूरा का रोजा रखता है उसके पिछले साल के गुना माफ हो जाते हैं यानि सिर्फ एक दिन का रोजा पुरे साल की गलतियों को धो सकता है क्या इससे बड़ी नेमत हो सकती है रोजा एक दिन रखे या दो दिन हदिस में सला दी गई है कि 10 महरम के साथ 9 या 11 म
02:16जानी को याद करें इसके लाब आपको बता दें शिया मुस्लिम के लिए 10 महरम गम और मातम का दिन होता है इस दिन अज़त इमाम हुसेन की शहादत की याद में शिया समुदाय मातम करता है जलूस निकालता है राम तोर पर रोजा नहीं रखते हैं जबकि सुनी मुस्लिम �
02:46पिलाल इस वीडियो में इतना ही अगर आपको ये जानकारी पसंद आई हो तो इसे लाइक करें शियर करें और चैनल को सब्सक्राइब करना बिलकुल न भूलें