00:00भारत के पहल एक तरह से वियतनाम के लिए राष्ट्रिय उच्छों बन गई, अब कल्पना की सरद्धा की कोई सीमा नहीं होती, वियतनाम के राष्ट्पती, उपप्रधान मंतरी, वरिष्ट मंतरी, हर कोई नत मस्तक था
00:17पिछले दिनों मुझे वियतनाम के बहुत से लोगों ने विभिन नमाद्यमों से अपने संदेश बेजे, इन संदेशों की हर पंक्ती में स्रद्धा थी, आक्मियता थी, उनकी भावनाए मन को छूने वाली थी, वो लोग भगवान बुद्ध के पवित्र आउशेश हों, रे
00:47वो किसी अपचारिक धन्यवाद से बढ़कर थे, साथियों, मुल रुप से भगवान बुद्ध के इन पवित्र आउशेशों की खोश, आंध्र प्रदेश में पालनाडु जिले के नागरजुन कॉंडा में हुई थी, इस जगह का बाउद धर्म से गहरा नाता रहा है, कहा
01:17अउशेशों को भारत से वियतनाम ले जाया गया था, वहांके नव अलग-अलग स्थानों पर इने जनता के दर्शन के लिए रखा गया, भारत के पहल एक तरह से वियतनाम के लिए राष्ट्रिय उच्छव बन गई, अब पल्पना कर सकते हैं, करीब 10 करोर लोगों की आब
01:47जो तस्वीरे और वीडियो मेंने देखे, उन्होंने एसास कराया कि स्रद्धा की कोई सीमा नहीं होती, बारिस हो, तेज धूप हो, लोग घंटों कतारों में खड़े हैं रहे, बच्चे, बुजूर्ग, दिव्यांग्जन, सभी भाव विभोर थे, वियतनाम के राष्ट्
02:17अस्तक था, इस यांत्रा के प्रति वहां के लोगों के में सम्मान का भाव इतना गहरा था, कि वियतनाम सरकार ने इसे बारा दिन के लिए और आगे बढ़ाने का आगरत किया था, और इसे भारत ने सहर्च स्विकार कर लिया, साथियों, भगवान बुद्ध के विचारों म