विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर (S Jaishankar) ने आपातकाल (Emergency) के 50 वर्ष पूरे होने पर भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा आयोजित मॉक पार्लियामेंट के उद्घाटन सत्र में कहा, "आज आप लोगों को समझना चाहिए कि ये सब क्यों हुआ? ये एक परिवार की वजह से हुआ, एक फिल्म है 'किस्सा कुर्सी का'... ये तीन शब्द बताते हैं कि आपातकाल की वजह क्या थी। जब एक परिवार, परिवार को देश से बड़ा समझता है, तो आपातकाल जैसी स्थिति पैदा होती है।" #Emergency #SJaishankar #GandhiFamily #Democracy #PoliticalHistory #FamilyVsNation #EmergencyReminder #CongressVsBJP #25JuneEmergency #Nationalnews #Hindinews #LatestNews #HindinewsLive #asianetnews #Todaynews #HindiSamachar #HindiNewsUpdate #ViralVideo #HindiLiveNews #BigNews #SamacharInHindi #national
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00:00जब परिवार को राश्टर से बड़ा मांते हैं तो इमर्जिंसी जैसे सिखना है आप सोचिए कि एक रात को पूरे हॉस्टल को पुलिस ने घेर लिया पुलिस जो है बंदू के साथ हॉस्टल में आती है और कमरे कमरे में घुसके जांस करा के लोगों को ले जा
00:19मैं कहुंगा कि एक किसम से पूल र एक्सराइश उठाए वो देश और सुसाइटी का मुराल कोड़ने का था
00:30मैं कहुँगा एक किसम से जो कहते ना अंग्रेजी में हमारे वे अफ किसम से हमारे वे उफ लाइफ को अटाउक किया जयता है
00:39तो आज आप लोगों को समझना चीज़ कि ये सब गौआ और क्यों हो ये एक परिवार के कारण
00:51जब आप बाहर जाएंगे एक फिल्म की पोस्टर है वहाँ किस्सा कुर्सी का ये तीन शब्न किस्सा कुर्सी का ये तोटल ही आपको बताता है कि एमर्जेंसी का कारण क्या था
01:06और जब एक परिवार सित्यवा जी ने कहा कि राश्टर के बारे में जो भावना जो है जब परिवार को राश्टर से बड़ा मांते हैं तो एमर्जेंसी जैसे सित्या आई कि ये एक बहुत बड़ा सब्सक्राइब
01:27कि अब कि फुरा मैं रोल बैक करता हूं 1975 होस्टल में थे और जब और कल ही मेरे साथ एक क्लास्मेट थे जो उस समय गिरिफतार के गए वो जेल गए वो मेंसे पूछ रहे थे कि भाई 50 साल हो गए हैं आपको याद है उस दिन क्या हुआ है
01:54अब नॉर्मल सुभाविक है कि हम लोग आपस में बात करेंगे तो उसमय बहुत कुछ हुआ पर अगर मेरे मन में दो तीन ऐसे घटनाएं एक ही आप ही सोचे आप में से खाफी लोग कुछ लोग तो युनिवर्स्टी में होंगे ना होस्टल में रहा होगा या रहते होंग
02:24को पुलिस ने गेर लिया और पुलिस जो है बन्दू के साथ होस्टल में आती है और कमरे कमरे में घुस기에 जांच करा के लोगों को ले जाती है रात को रात को क्यूं भाए लगता है और ये भाए दिलवाने का एक किसम से एकसेसियस था कि लोगों को दबा के रहते हमब है त
02:54आनक दर्वाजे पे और जब पुलिस वाले खटकट आते ना वो नहीं नार्मल नहीं होता तो अब लोगों को बुलाया गया एक कोई एक इंफॉर्मर जैसा आदमी था जो सर पे मास था किसी को यह कहता था किसी को वो कहता था और जिसका गलत इसारा था उसको उठा के लेगा
03:24सोचिये इसका इसका इंफाक्ट जो है इसका ट्रामा जो है उस यूनिवर्स्टी पे कितना भायन है अब यह राग की घट्टा जिन में भी एक घट्ना हूं कि स्टूडेंस अब लोग जेनियू के कैंपस में बैठे थे वो विंटर का मौसम था लोग मोंफली वेगरा संत्
03:54खुद पुलिस कमिशनर आये सुडेंट लीडर को पकड़के और वो भी गलत आदमी गलत आदमी को पकड़के गाड़ी में डालके अफरण के सबके साथ और उस समय एमर्जेंसी में अगर गलत आदमी को भी पकड़ते थे उसको छोड़ते नहीं थे
04:12तो यह आप समझे कि कोई भी कभी भी मैंने अब यह यह डेंजर का वातावरन था अनिश्चिता भय का था कि पतानी किसको उठाएंगे क्यों उठाएंगे गलती से भी उठा लिया तो क्या होगा और साथी साथ यह कहानिया आ रहे थी कि पुरानी दिल्ली में फाइरिंग ह
04:42कि लोग को पकड़ पकड़ कर क्योंकि सबका कुछ कोटा दिया जाता था तो नंबर भरने के लिए जबरदस्ती वैसे टौमी किया जाता था और मैं कहूंगा कि एक किसम से यह पूरा एक्सराइज जो था वो देश और सुसाइटी का मराल तोड़ने का था कि भाई हम शासन
05:12हमारे यहां पूरी ताकत सरकार की ताकत हमारे साथ है समयदान की हत्या हो गई है अब उसको भोली जाओ हम जो करना है हम करेंगे और आप जो है इसमें आपका कोई और चारा नहीं आपको सहरा ही यह मैसेज था है मैं तेज