अमूमन 70 साल की उम्र में लोग रिटायर होकर शांत जीवन बिताते हैं, लेकिन हैदराबाद की एक महिला इस उम्र में भी आस्तीन चढ़ाए खेतों में सक्रिय दिखती हैं. ये हैं के. हिमावती. इन्हें लोग प्यार से "सीड बॉल दादी" कहते हैं. नेशनल टेक्सटाइल कॉरपोरेशन में सहायक प्रबंधक पद से अवकाश लेने के बाद हिमावती एक-एक सीड बॉल के साथ उम्मीदों को आकार देती हैं. सीड बॉल लाल-काली मिट्टी, खाद और कोको पीट को मिलाकर बनाई जाती है. इनके अंदर पपीता, जामुन, नीम और आंवला के अलावा कई देशी और औषधीय बीज होते हैं. हिमावती बीज बॉल मुफ्त में बांटती हैं. इसके अलावा खुद भी उन्हें जंगल के किनारों, खाली जमीन और शहर के सार्वजनिक जगहों पर लगाती हैं. के. हिमावती ने सिर्फ तीन साल में हजारों बीज बॉल बांटे हैं. इनसे न सिर्फ हरियाली बढ़ रही है, बल्कि आने वाले कल के लिए सेहतमंद जीवन की उम्मीद भी परवान चढ़ी है.
00:00अमुमन सत्तर साल की उम्र में लोग रिटायर होकर शांत जीवन बिताते हैं, लेकिन हैदराबाद की एक महिला इस उम्र में भी आस्तीन चड़ाए खेतों में सक्रिय दिखती हैं।
00:13ये हैं के हीमावती, इन्हें लोग प्यार से सीट बॉल दादी कहते हैं।
00:19नेशनल टेक्स्टाइल कॉर्पोरेशन में साहयक प्रवंधक पत से अवकाश लेने के बाद हीमावती एक-एक सीट बॉल के साथ उम्मीदों को आकार देती हैं।
00:49सीट बॉल लाल काली मिट्टी, खात और कोको पीट को मिला कर बनाई जाती है।
01:11इनके अंदर पपीता, जामुन, नीम और आवला के अलावा कई देशी और औशिधे बीज होते हैं।
01:28इपड़ वंदल लोंचेस्टुना नो, चाला चेस्टुना नो, पर ये अरे न बरत डेल की, वाला मेरेज डेल की, लेकपते दूरं दूरंगे टेंपल केलतुना वहला की, अंदर वंटी इंट्रस्टुना वहला की.