पंख फैलाकर पूरी शान से नाचता हुआ मोर. है न ये एक खास और कभी-कभी दिखने वाली तस्वीर। इंद्रधनुष की तरह फैले इसके पंखों को देखने के लिए हर कोई बस खिंचा चला आता है.कर्नाटक में मंगलुरु के श्री अनंत पद्मनाभ सुब्रह्मण्य मंदिर में मयूरा नाम का ये मोर यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक अनोखा आकर्षण है.भले ही ज्यादातर मोर इंसानों से थोड़ा दूर ही रहना पंसद करते हैं..लेकिन मयूरा के साथ ऐसा नहीं है. मंदिर में मयूरा अजनबी नहीं है. हर साल करीब छह महीने ये मोर मंदिर को अपना आशियाना बना लेता है। मयूरा अपनी मौजूदगी से हर किसी का मन मोह लेता है.मंदिर आने वाले लोगों को अक्सर मयूरा को अपने पंख फैलाते और नृत्य करते हुए देखने का मौका मिलता है। उसकी मौजूदगी इस मंदिर को खास बना देती है. श्रद्धालुओं खासकर बच्चों को मयूरा का अंदाज काफी भाता है। वो तो बस इसे निहारते दिखते हैं.कई श्रद्धालुओं का मानना है कि मंदिर में मयूरा का आना खास मयाने रखता है क्योंकि ये मंदिर भगवान सुब्रह्मण्य यानी कार्तिकेय को समर्पित हैं और हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक उनका दिव्य वाहन मोर है.