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  • 6/2/2025
یہ دس بابوں پر مشتمل دلکش کہانی حضرت لعل شہباز قلندر کی عظیم الشان زندگی کے تمام اہم پہلوؤں کو محیط ہے۔ معجزاتی ولادت سے لے کر جوانی کی روحانی تلاش، مرشد بہاؤ الدین زکریا سے ملاقات، سخت ریاضتوں اور مجاہدوں، مشہور کرامات و معجزات (جیسے چہلم، ہرنی بننا، انگلی کاٹ کر دینا)، ان کی انسانیت نواز تعلیماتِ محبت و رواداری، اور آخری وصال تک کی مکمل داستان۔ یہ کہانی صرف ایک صوفی بزرگ کی سوانح نہیں، بلکہ فقر، سچی محبت، اور خدمتِ خلق کے وہ ابدی اصول ہیں جو آج بھی انسانیت کی رہنمائی کرتے ہیں۔

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Transcript
00:00कलंदन आजम, सक्चे आशिगन इलाही की दास्तान हैरत, लाल शहबाज कलंदर की सवाने हयात पर दस बाबोहे में मकमल कहानी
00:08बाब एक मीम एंजीम जे विलादत
00:12सिंध की धूप में डूबा हुआ कस्बा से भून शरीफ
00:16पाँच हिज्री, ग्यारा सो तीरत अलीस इस्वी की एक सुबह, घर-घर खुशी की लहर दौगई
00:23सेद इबराहीम कबीर अलदीम के घर एक चमकता हुआ सितारा तूटा, बेटे ने जनम लिया
00:30नाम रखा गया खुस्मान मरो नदी, लेकिन दिल तो पहले ही पुकार रहा था उशहबाज, अजीम बाज
00:38पैदाइश से ही नूरानी जल्वे, दूद पीते बच्चे के रोजे की अफवा है, ये कोई आम बच्चा ना था
00:45नन्ने उस्मान की आँखों में गहराई थी, जैसे काइनात के राज जानते हूं, वालिदेन को यकीन हो गया कि ये अल्लह की खास इनायत है, मस्तक्बिल का कलंदर पैदा हुआ है, बाब दो, जवानी की तलाश
01:00जवानी की दहलीस पर कदम रखते ही उस्मान के दिल में एक बेचीनी सी पैदा हुई, दुन्यावी तालीम से दिल ना लगा, किताबें तो पड़ें, लेकिन असल इल्म की तलाश थी, जो किसी मदरसे में ना मिलता, वो गल्यों की बजाय वीरानों, जंगलों और दरियाए
01:30मकसद नहयात किया है, इस बातनी बेकरारी ने इसे रिवायती रास्तों से हटा कर एक रुछानी सफर पर आमादा कर दिया
01:37बाब तीन, मुर्शिद की तलाश
01:40रू की पियास बजाने का वाहिद रास्ता एक कामल मुर्शिद की तलाश थी
01:46उस्मान ने सिंध के गोशे गोशे की खाक चानी
01:49दरदर की ठोकरें खाएं, कई नाम नहाद बज़र्गों से मिले, लेकिन दिल को करार ना आया
01:56आखिरकार, लाहुर के एक बज़र्ग शेख बहाओ अलदीन जिक्रिया मिलवली के बारे में सुना, जिनके इल्म वतकू के चर्चे थे
02:05उस्मान की बेचीन रू को जिस्तजू ने लाहुर पहुँचा दिया
02:09पहली मुलाकात ही दिल को लर्जा गई
02:12शेख जिक्रिया की गहरी निगाहों ने उस्मान के बातिन को चीर डाला
02:17यही वो हस्ती थी जिसकी उसे तलाश थी
02:21बैत का एहद हुआ और उस्मान से अलाल शेहबाज का रूहानी सफर शुरू हुआ
02:27बाब चार रूहानी रियाज़त
02:29मुर्शिद की बैत के बाद शेहबाज के लिए सख्त मुजाहदे का दौर शुरू हुआ
02:35शेख जिक्रिया ने उन्हें रियाज़त और अबादत के सख्त मराहिल से बुजारा
02:40लंबे लंबे चिलूई, चालसी, गहरी मुराकबे की हालतें, तहज़्ज़त की लंबी रातें और दुन्यावी खाहिशात पर मुकमल काबू पाना
02:51शेहबास ने बेमिसाल इस्तिकामत का मुजाहरा किया
02:54खाना पीना तक्रीबन तर्क कर दिया, नींद को काबू में किया
02:59जिस्म को ठका देने वाली मुशक्कतें की, लेकिन रूख को औरान भरने दी
03:04इन मुजाहिदों ने उनके अंदर के नफस को कुछला और रूको चमकाया, मुर्शिद की निगान करम उन पर हमेशा रही
03:11बाब पांच, खल्वत और जल्वत
03:14रूहानी तर्बियत के एक खास मरहले पर, मुर्शिद ने शहबास को खल्वत नशीनी का हुक्म दिया
03:21वो सेवन शरीफ के करीब एक बिरान गार अच्छूटी सी कुटिया में रहने लगे
03:27यहाँ दिन रात जिक्रन इलाही, मुराकबा और फिक्र में गुजारे
03:32कभी कभार ही लोगों से मिलते, और तब भी उनकी बातों में हिक्मत और मरिफत की किरने होती
03:38इस तवील अर्से की खल्वत ने उनके बातिन को पूरी तरह साफ कर दिया
03:43अल्ला से उनका तालुक गहरा से गहरातर होता गया
03:47इसके बाद वो दोबारा लोगों में आए, लेकिन अब वो खल्वत के नूर से जगमगाने लगे थे
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