00:14राम अपना लक्ष प्राप्त करने के लिए बहुत कुछ सेना पड़ता है
00:28कई कठी नाईयों का सामना भी करना पड़ता है
00:32पर तुम कभी हार मत मानना और वही करना जो तुम करना चाहते हो
00:38तुम सभी भाईयों ने एक समान शिक्षा ली है
00:44पर तुम्हारा रुझान शस्त्र विद्या की तरफ अधिक है
00:49मैं चाहती हूँ कि तुम महारिशी विश्वा मित्र के आश्रम में जाओ
00:53मेरा आश्रवाद है कि तुम वहां से एक कुशल, योधा, ब्राहमन बन कर निकलोगे
01:19acompan लिए लाँ, अ कक्टाओえば इता आश्रम में जा मित्र का रहर आश्रम娘, लाल योधाद कर रहर autorhes है कि तुम में हूँ कि तुम महार आश्रम को ड़ूचर अश्रम में बन कर नचया विए, स्बस्तमित्क्त।
01:40झाल झाल
02:10झाल
02:40झाल
03:10छड़ना न चाहा
03:30छड़के निकल कर
03:33हमको तो जाना पड़ा
03:37जल के भीतर अगर कोई वस्तू है
03:51जल के भीतर अगर कोई वस्तू है तो अपने स्थान से दो अंगुल उपर दिखाई देती है।
04:09यदि तुम्हें उस वस्तू को लक्ष बनाना है तो जहां पर वो वस्तू दिखाई दे रही है उससे दो अंगुल नीचे अपने लक्ष को सादो।
04:19धनूर विद्या में द्रिष्टी भ्रम को सदे उध्यान में रखना चाहिए।
04:40कि बनूर को सिहान में रही है थे वहां स्बस्क्री