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  • 6/20/2025
Transcript
00:00अलाख निरंजान, अलाख निरंजान, अलाख निरंजान
00:30अन्वास्त्रधन, जो चाहिए तुम्हे मिलेगा
00:34नहीं माता, हमारा एक नियम है, कि हम एक ही द्वार पर जाकर अलख जगाते हैं
00:41यदि उस द्वार से कुछ मिल जाए तो अच्छा है
00:45अन्यथा, उस दिम किसी दूसरे द्वार पर नहीं जाते
00:50हे भगवन, तो फिर भूखे ही रह जाओगे
00:54हाँ मैया, जैसी प्रभू की इच्छा
00:58नहीं नहीं बाबा, हमारे ग्राम से कुछ साथ हो भूखा चला जाए
01:02जज्जा की बात बन जाए
01:06बाबा, तुम ही ठहरो
01:11ऐसा जोगी मैंने कभी नहीं देखा
01:14काकी, आटा, चावल, दाल, गुड़गी यह सब कुछ ले लिया है, दो-चार दिन के लिए परयाप्त होगा
01:25बड़ी दिव्यात्म है न, तो लो यह भूमूल मोती की माला ही दे देती हूं
01:31विनम के लिए शमा करें भगवन, न, अपनी बालक के श्रिंगार में वैस्त थी
01:45जोगी हो गया माला माला

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