00:00उखर्बों साल पहले ब्रह्मान में कैसों के आपसी तक्राव से विस्पोट हुए
00:05जिस से छोटे बड़े आग के गोले पैदा हुए
00:12सूरिभी वैसा ही गर्म कैस का कोला है
00:16ग्रह, उपक्रह, चांद वस सितारे बने
00:20धीरे धीरे प्रिथ्वी नाम के स्क्रह पर जीवानों उत्पन हुए
00:25जीवानों के आपसी अवरोधन से वनस्पती, पेड़ पौधे और जीव जन्तु तथा वन मानुश पैदा हुए
00:34जिन से सब है मानव का विधास हुआ
00:38ये लोग गर्म सर्थ मौसम से पचाव की खादर, अपना तन धगने के लिए पत्तों की पौशाक और सिर पर घास फूस की पगड़ी पहनने लगे, दलबार जैसे हथियार बनाए गए
00:55देखते ही देखते पत्तों की पौशाक कपड़ों में तब्दील हो गई
01:08फूलों की फुलवारी जैसा इसका भाई चारा
01:15युग युग अमर रहे, ये भारत देश हमारा
01:29फूलों की फुलवारी जैसा इसका भाई चारा
01:40ये भारत देश हमारा
01:51पूची परबत सुन्दर जरने छम छम छम हे बहते
02:08खुद्रत की इस काईमात को सोने किछिरिया कहते
02:17पूलों की पुलवारी जैसा इसका भाई चारा
02:47सिंधु घाटी की खुशाली की महक दूर दूर तक फैल गई थी
03:02यहां की धन संपत्ती वसंसाधनों को लूपने के इरादे से लगभग
03:10चार हजार बर्षपूर घुमंतु लुटेरे घुरसवार कवीले सिंधु घाटी की तरफ आए
03:18उनका मूल निवास मर्ध एशिया था जिसे यूरेशिया भी कहा जाता था
03:25अरे कुमार इंदर हम कहां आ गए गुरुदेव यह सिंधु घाटी है चलो इसे लूटते हैं चलो आओ
03:41बहादूर मूल निवासियों थाओं ने स्टक के मुकाबला किया
03:46लेकिन शातर ने चल कपड़ वधोखे बाजी से मूल निवासियों को हरा कर
03:56जो मूल निवासी बागी होके इन जंगलों में चुपे हैं उन्हें भी हम अपना गुलाम बना कर ही छोडेंगे
04:03उन्हें शूद्र अजूद पिशाच असुर और दानव जैसे अनेको नामों से पुकारा जाने लगा
04:12देख क्या रहे हो तुम अपनी पगड़ियां उतार कर यहां फैक दो
04:18हम अपनी पगड़ी नहीं उतारेंगे यह हमारी इज़ता और शान है
04:22मूर्ख गुलाम की शान सर पे पगड़ी दखने से नहीं मालक के जूते चाटने से होती है
04:32देख क्या रहे हो छीन लोने की पगड़ियां
04:37अब इनके हतियार वी छीन लो
04:54सुंदरी
04:59चलो
05:07जे नदियार वार जैटर ने
05:17हम गलाम हो गए हम सम गलाम हो गए
05:22परनाम महराज
05:28आपकी याग क्या अनसार
05:32उन सबकी पगड़ियां वे तलवार छीन ली है
05:38अब उनकी सुंदर सुंदर इस्त्रियों को भी छीन लाओ
05:43अपने अधिकार में रखो उनसे जो संतान पैदा होगी
05:49उन्हें अपनी सेना में भरती करेंगे
05:53फिर एक दिन ऐसा आएगा मून निवासी अर्थाथ
06:00शुद्र ही शुद्र से युद्ध करेगा युद्ध
06:04और हम राज करेंगे राज
06:08हमारी जंग इन दुष्टों के खिलाफ चलती रहेगी
06:13अब इन मूर्खों को शरीरिक खुलामी के साथ
06:23मांसिक खुलाम बनाने का समय आ गया है
06:27वो कैसे गुरुजी?
06:30कुमारिंद्र भगवान ने अपने मुख से ब्राम्मन
06:35बुजा से ख्षक्त्रिये और जांग से विश
06:41तथा पैर से चुद्रों को उत्पन किया है
06:47वाह!
06:50इस तरकीर से तो उनकी आने वाली पीडियां
06:54हमारी गुलाम बन कर रहेंगी
06:56हाहाहाहाहाहाहाहाहाहा
07:00कुछ स्वाभी मानी मोलने वासी
07:04जंगलों में छुप गए
07:06और लगातार ब्रामनों से संघर्ष करते रहे
07:09उन्हें आदिवासी जंगली आदी नाम दे दिये
07:13लंबे संघर्ष के चलते दैनिये हालात्व भुक्मरी से
07:18बच्चाव की खातर आदिवासियों में से
07:21बहुत से लोग गाउं की तरफ आने लगे
07:25उनको गाउं में घुसने से रोक दिया गया
07:28तथा उन पर जुल्मों सितम का कहर बरसाया गया
07:32वो लोग गाउं के दक्षिन की ओग
07:35गंदे पानी के तालाब के किनारे
07:37बुरे हाल में जीवन बसर करने लगे
07:39ब्रहमन ने अच्छूत आति शूद्र का नाम दिया
07:43जिन मूल निवासियों ने अपने भायों से कतारी करके
07:48बिना संघर्ष किये ब्रहमनों की गुलामी स्विकार कर ली
07:51उन्हें ब्रहमन ने गाउं में ही रहने दिया
07:54उन्हें दास बनाकर अपने रोजाना के कारे करवाने लगे। ये मूल निवासी जिनको ब्राह्मन छू सकता था, उन्हें छूत शुद्र कहा गया। ये लोग ब्राह्मनों से मिलकर अपने ही भाईयों पर अत्याचार करने लगे।
08:13महाराज, कुछ शुद्र अपने इच्छा से हमारे दास बनना चाते हैं। उन्हें क्या करें गुरुजी। उन्हें अपने घरों में प्रवेश्य होने दो। वो घर का काम करेंगे। उन्हें अपने बराबर मत बैठने देना। और अपना बचा हुआ भोजन ही खाने देना�
08:43वो हमारे दास है दास। अपनी सफाई से बचा हुआ पानी ही पीने देना। जो हमारी गुलामी सविकार ना करें महाराज।
08:56जो शुद्र बगावत करते हैं उन्हें भ्यानक से भ्यानक दंड देंगे। उनसे डरने की जुरूरत नहीं है।