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  • 5/11/2025
Transcript
00:00हर्ण हर्ण
00:11कर दके Π니
00:18शर्ण
00:28आम
00:29आम
00:35आम
00:37आम
00:42राम
00:44राम
00:46राम
00:47राम
00:48तब अपना अपना ध्यान माथे के मध्य पर केंद्रित करेंगे
00:55वहां पर एक जोती दिखेगी तब अपने अपने माथे के मध्य पर अपनी उंगली रखेंगे तो ध्यान केंद्रित होने लगेगा
01:05कि
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01:24कैसा रहा मेरा प्रहार मा
01:26है तो ये छल
01:34किन्तु रण नीती कहती है कि शत्रू के पराजय के लिए साम दाम दंड भेद सभी उचित है पुत्र तुम यशस्वी हो
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02:12श्त्रों के लिए
02:13शास्त्रों को विश्राम दो
02:16और शास्त्रों पर दियान दो
02:21किन्तु स्वामी संतान की सरवांगिन विकास के लिए
02:25शास्त्र शिक्षा भी तो आविशक है न?
02:28एक योद्धा के लिए शास्त्र शिक्षा परदान हो सकती है
02:32किन्तु एक ब्राम्मण के लिए नहीं
02:35एक प्रामण के लिए शास्त्र सम्मत पड़ता हो इस रेष्ट है
02:41पुत्र राम तुम यह क्या कर रहा हूँ
02:48रडुका इसका सिक्षा दिक्षा में तनिक भी मनने लगता है
02:55शास्त्रों में मगन रहता है शास्त्र अध्यन आश्यक है
03:02शास्त्रों माल आवा कर पड़ता हो पुता जी तब कंठेस्ट है मुझे
03:07अच्छा तो रिगवेद का स्वस्ति मंत्र सुनाओ
03:32पंच महाभूत तत्व के नाम बताओ
03:44धर्ति जल वायू अकाश अगनी और कायत्री मंत्र
03:54अम बूर्गु अस्वहा तत्वतर वरेन्यम भर्गो देवस्य दीमही दियोयोना प्रचो दयात्
04:04इसी प्रकार अप्यास कर तेरा पुत्र अविश्य पिता श्री किन्त पिता श्री मुझे शेश्टर विद्या में अधिक रूची है
04:25मैं उसे भी सीखना चाहता हूं
04:31शास्त्र जिंसा का मूल है
04:39और शास्त्र शांति का श्रोथ है पुत्र
04:48जwar CR इन्तु पिता श्री श्री श्री श्री का श्रोत हेना
04:58अच्छा
05:00वो कैसे?
05:04दुष्चों के मद्य शास्त्र का क्या कारी पिताश्री?
05:09उन्हें शान्ती का पार्ट के वे शास्त्र से ही सिखा जा सकता है
05:13एक ब्राम्बन को ऐसे विचा शोगा नहीं देते पुत्रा
05:20किन्तु पिताश्री मैं केवल वेत पार्टी ब्राम्बन बनका नहीं रहना चाता
05:25मैं चाता हूँ कि हर अन्याय का अंतो
05:28उसके लिए शास्त्र त्याग यदि शास्त्र भी उठाने पड़े
05:36तो ब्राम्बन क्या हर व्यक्ति को यहीं करना चालिए
05:50आप ये क्यों भूल जाते हैं कि राम कोई साधारन बालक नहीं है
05:55तुमने शास्त्रों का अध्यान कर लिया है
06:00तुम शास्त्र विद्या के लिए जा सकते हो

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