| Fatehpur Sikri | Buland Darwaza | वाकई अनारकली को इन्हीं दीवारों के पीछे चिनवाया था? (Ep-2)

  • 2 years ago
| Fatehpur Sikri | Buland Darwaza | वाकई अनारकली को इन्हीं दीवारों के पीछे चिनवाया था? (Ep-2)

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हिंदुस्तान के इतिहास की रूह में एक नाम बसता है. अपने वक्त में गुमनाम गलियों में पैदा हुआ वो नाम देश की सबसे बड़ी मुगलिया सल्तनत की चौधराहट पर छप गया था. फिर वो नाम गुमनाम हो गया. कहते हैं कि जलालुद्दीन अकबर ने उसे आगरे की किसी दीवार में चुनवा दिया था. पर अकबर एक चीज भूल गए थे. वो इश्क की रंगत में सराबोर नाम था. चुनवा देने से उसकी खुशबू हिंदुस्तान की मिट्टी में मिल हर जगह पहुंच गई. अनारकली. जिसकी जिंदगी एक तिलिस्म की तरह थी. कहां शुरू हुई, कहां खत्म कोई नहीं जानता. पर दीन-ए-इलाही मानने वाले बादशाह से ये उम्मीद नहीं थी. बादशाह ने भी कुछ तिलिस्म छोड़ रखा था.

पाकिस्तान के पंजाब सिविल सेक्रेटरिएट के पास एक ताजमहल के रंग का मकबरा है. इसे अनारकली का मकबरा कहा जाता है. क्या बादशाह को नाचीज की मुहब्बत के आगे झुकना पड़ा था? कुछ तो कहते हैं कि बादशाह ही अनारकली से प्रेम कर बैठा था।
अनारकली को इतिहासकारों ने अपने मन से खंगाला है. सस्पेंस, थ्रिलर, तिलिस्म, सांसों में भरा इश्क, जुनून हर उस चीज से अनारकली को नवाजा गया है, जिससे जिंदगी की कहानियां बनती हैं. हिंदुस्तान भी काबिलों का देश है. हर तरह से रिसर्च की गई है. हर एंगल खंगाला गया है. तो हर तरह की कहानियां भी बनी हैं. कमाल ये है कि अनारकली के बारे में हर कोई अपनी ही कहानी को मुकम्मल मानता है-
1. अनारकली का नाम नादिरा बेगम हुआ करता था. शर्फुन्निसा भी कहा जाता था. ईरान से आई थीं. व्यापारियों के कारवां में लाहौर तक. पर खूबसूरती इतनी थी कि वहीं से हल्ला हो गया. उस वक्त बादशाहों को किसी चीज का डर नहीं रहता था. इज्जत का भी. क्योंकि जनता के मन में इज्जत की जगह डर से काम चल जाता था. तो अकबर बादशाह के दरबार में नादिरा को तलब किया गया. और वहां उसे अनारकली नाम मिला।
2. अगर ये कहें कि अनारकली सिर्फ भारत की दंतकथाओं में विराजती है तो गलत होगा. पाक अखबार डॉन के हवाले से ब्रिटिश टूरिस्ट विलियम फिंच 1608 से 1611 तक लाहौर में रहे थे. फिंच के मुताबिक अनारकली अकबर की कई पत्नियों में से एक पत्नी थी. जिससे अकबर को बेटा भी था. दानियाल शाह. बाद में अनारकली के जहांगीर से इश्क की अफवाह उड़ी. जहांगीर अकबर का बेटा था जोधाबाई से. अकबर ने इस बात पर खफा होकर अनारकली को लाहौर किले की दीवारों में चुनवा दिया. बाद में जहांगीर ने उसी जगह एक खूबसूरत मकबरा बनवाया।
3. नूर अहमद चिश्ती ने अपनी किताब तहकीकात-ए-चिश्तिया में लिखा है कि अकबर के अनारकली से बेपनाह मुहब्बत होने की वजह से बाकी रानियां चिढ़ गई थीं. इसीलिए जब अकबर डेक्कन गया तो उसके खिलाफ षड़यंत्र होने लगा. वो बीमार पड़ी और मर गई. उसकी बांदियों ने सुसाइड कर लिया. क्योंकि अकबर की मुहब्बत का डर था।
4. सैयद अब्दुल लतीफ ने अपनी किताब तारीख-ए-लाहौर में लिखा है कि जहांगीर से इश्क के चलते ही अनारकली की जान गई. वो अकबर की बीवी थी. जहांगीर ने उसकी कब्र पर लिखवाया कि अगर मैं अपनी महबूबा को एक बार भी पकड़ सकता तो अल्लाह का शुक्रिया करता. कयामत तक. उस कब्र पर 1599 और 1615 साल की तारीखें हैं. कहते हैं कि मरने और कब्र के पूरे होने की तारीखें हैं.