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  • 2 days ago
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Transcript
00:00सीरे ही काट सकते हैं, ख्वाब नहीं
00:02सलमा के आंगों में आसु हा जाता है, मगर वो कुछ नहीं कहती
00:05इसी रात सलमा खामोशी से अपने बेटे के बकसे के निचे से कुछ पेसे निकालती है
00:11वो पेसे जो दानिश ने इसकालर्शिप पाम बढ़ने के लिए रखे थे
00:16वो पेसे लेकर वो मेटर का टेउटर रखती है, खुद के लिए
00:22सलमा अगले छे माँ माल में काम भी करती है और रात को बढ़ाई भी
00:27दानिश को कुछ पता नहीं, पिर एक दिन सलमा मेटर का अम्तिहान देती है
00:31और जब रिजल आता है तो वो एग रेर से पास होती है, दानिश हिरान रह जाता है
00:37सलमा उसकी सामने आकर सिर्फ एक जुम्ला कहती है, अब मैं रसीद नहीं खुआब हु, खुआब काटूंगी और वो खुआब तुम्हारे नहीं मेरे भी है
00:46इस कहानी और उन माओ की है जो खामोशे से कुर्बानिया देती है
00:51ये उन औरतों की हमत की दास्तान है जो उमर के किसी भी मोड पर खाब देखने के हक रखती है
00:58अपने राए की इजहार लाजमी कमिन करें, साथ में हमरा योटूब का चेनल सबस्क्राइब करना मत बूलिए, तेंक्स पर वाचिंग, आला हाफिज
01:08हलो वीवर, सलमा एक मेहनती बेवा हतून है, जो अपने 18 साला बेटे दानिश के साथ रहती है
01:15वो शेहर के एक बड़े शापिंग माल में केश काउंटर पर काम करती है, दिन बर रसीदे कारती है, गाकों के ताने सुनती है, और शाम को तिकी हारी गर आती है
01:26दानिश एक अच्छा तालिबी इलम खौब देखता है, इंजिनीर बनने का, लेकिन समाच हमेशा मा बेटे के गुर्बत पर बात करता है
01:34एक दिन सल्मा की जिन्देगी बदल जाती है, एक अमीर खातून मदीहा बेगम माल में शापिंग करती है
01:42और केश काउंटर पर आतर किसी बात पर सल्मा को नीचा दिखाती है, तुम जिसे लोग बस रसीरे ही काट सकते हैं, खौब नहीं
01:51सल्मा के आंगों में आसु हा जाता है, मगर वो कुछ नहीं कहती, इसी रात सल्मा खामोशी से अपने बेटे के बकसे के निचे से कुछ पेसे निकालती है, वो पेसे जो दानिश ने इसका सकालर्शिप पाउम बढ़ने के लिए रखे थे, वो पेसे लेकर मेटर का टेउट
02:21और जिब रिजल आता है तो एक रेर से पास होती है, जानिश हरान रह जाता है, सल्मा उसकी सामने आकर सिर्फ एक जुमला कहती है, अब मैं रसीद नहीं खौब हूँ, खौब काटूंगी और वो खौब तुम्हारे नहीं मेरे भी है, इस कहानी

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