00:00मैंने हिम्मत जुटा कर उससे बात की और उसे नमस्ते कहा. उसने मुस्कुराते हुए जवाब दे. और हम दोनों ने कुछ सामान्य बाते की यह पहली बार था जब मैंने उससे सीधे बात की थी. उस दिन के बाद जब भी हमारी मुलाकात होती वह हमेशा मुस्कुराती और क�
00:30और मेरी लंबाई लगभक 6 फीट है यह घटना तब की है जब मैं 25 साल का था. उस वक्त हमारे घर के सामने एक गुरुदवारा था और वहां का सेवादार हमारे पडोस में रहता था. उसकी पतनी का नाम स्नेहा था और वहां बहुत ही शान्थ स्वभाव की महिला थी. उसक
01:00वहां घर के कामकाच के साथ-साथ गुरुदवारे में भी अपने पती की मदद करती थी. स्नेहा अपने बच्चों से बेहत प्रेम करती थी और उनकी अच्छी देखभाल करती थी. हमारे गाव में लड़कियों की जल्दी शादी हो जाती थी. स्नेहा की लंबाई 5.6 इंच
01:30वजन थोड़ा बढ़ गया था लेकिन उसका गोरा रंग और भरावदार शरीर उसे और आकरशक बनाता था. मैं दिन रात उसी को देखकर अपना समय बिताता था. सेवादार के घर की खिड़की हमारे घर की खिड़की के ठीक सामने थी जिससे उसे देखना मेरे लिए आसा
02:00कभी वहाँ घर के काम में यस्थ होती तो कभी बच्चों के साथ खेलती. उसकी हर गतिविधी को देखना मुझे अच्छा लगता था. धीरे-धीरे मेरे मेरे मन में उसके प्रती आकरशन बढ़ने लगा हालां कि मैं यह बात किसी को नहीं बताना चाहता था. एक दिन ऐसा ह
02:30उसकी सुन्दर्ता से नहीं बलकि उसकी सलता और व्यक्तित्व से भी प्रभावित हो रहा था. मुझे उससे बात करने की इच्छा होने लगी लेकिन मैं यह नहीं जानता था कि कैसे पहल करूँ. फिर एक दिन जब मैं घर लोट रहा था रास्ते में सनेहा मुझे बाजार स
03:00जब मैंने उससे सीधे बात की थी. उस दिन के बाद जब भी हमारी मुलाकात होती वह हमेशा मुस्कुराती और कुछ न कुछ बाते करती. समय के साथ हमारी बातची थोड़ी बढ़ने लगी लेकिन मैंने कभी उसकी सीमाओं का उलंगन नहीं किया. वह एक आदर्ष पत्नी
03:30आखिरकार मैंने खुद को समझा लिया कि उसकी खुशाल जिंदगी में मेरी कोई जगा नहीं थी और मुझे उसे दूर से ही सम्मान देना चाहिए. मैंने उसे देखना भी कम कर दिया और अपने काम में ध्यान लगाने की कोशिश की. जीवन धीरे-धीरे वापस सामान्य हो
04:00किसी कोने में दबी रही. मैंने खुद को व्यस्त रखने की कोशिश की और धीरे-धीरे मैंने नए दोस्त बनाएं और अपनी नौकरी में भी तरक्की पाई. लेकिन सनेहा की वो मुसकान उसकी सादगी और उसकी बाते कभी भूल नहीं सका. कुछ महीनों बाद मुझे पता
04:30मैंने महसूस किया कि चाहे जितनी भी दूरी हो सनेहा की यादे मेरे साथ रहेंगी. उसका चेहरा उसकी बाते और वह खिड़की से जाकता हर पल मेरे मन में हमेशा के लिए छप गया था. वह शहर छोड़कर चली गई लेकिन उसकी यादे मेरे दिल से कभी नहीं गई.
04:48मैंने कई बार खुद को यह कहकर समझाया कि यह एक ऐसा अधूरा पन्ना है जिसे मैं कभी पूरा नहीं कर पाऊंगा. उसकी खुशाल जिन्दगी में मैं कभी कोई दखल नहीं देना चाहता था और नहीं मैंने अपनी भावनाओं को जाहिर किया. उसके जाने के बाद मैंन
05:18किसी मुस्कान और उसकी सादगी याद आ जाती. वो एहसास मुझे हमेशा याद दिलाता रहा कि कुछ रिष्टे बिना किसी नाम के भी कितने खास होते हैं. अब मैं एक नई शुरुआत कर चुका हूँ. लेकिन सनेहा की यादे उसकी छवी मेरे दिल में हमेशा एक सुनेर
05:48कोने में बस्ता रहा. सनेहा के जाने के बाद मैंने जीवन में आगे बढ़ने का पूरा प्रयास किया. काम में खुद को व्यस्त रखा और नए लोगों से मिलकर जीवन की रफ्तार को थामने की कोशिश की. समय बीटता गया और मैंने धीरे-धीरे उस खिड़की से बाहर ज
06:18कुछ साल बाद मेरे माता-पिता ने मेरी शादी के बारे में बात शुरू की. मैंने सोचा कि अब वक्त आ गया है कि मैं अपनी जिन्दगी में एक नया अध्याय शुरू करूँ. मेरी शादी आरती से हुई जो एक बहुत ही समझदार और सहनशील महिला थी. आरती के साथ �
06:48पुरापन जो स्नेहा के जाने के बाद महसूस हुआ था वो शायद कभी खथ नहीं हो पाया. शादी के कुछ साल बाद मेरे और आरती के दो बच्चे हुए. मैं एक जिम्मेदार पती और पिता बन गया और जिन्दगी में एक नई दिशा मिल गई. लेकिन स्नेहा की यादे
07:18फिर एक दिन कई सालों बाद में एक पुराने दोस्त की शादी में गया. वहां अचानक मेरी नजर स्नेहा पर पड़ी. वो भीड में खड़ी थी लेकिन अब वह पहले से काफी बदल चुकी थी. उसके चहरे पर परिपकवता और अनुभव की एक अलग चमक थी. उसने मु
07:48आंखों ने एक दूसरे से बहुत कुछ कहा. हमने कुछ पलों के लिए बाते की. उसने बताया कि उसकी जिन्दगी भी आगे बढ़ चुकी है, बच्चे बड़े हो रहे हैं, और पती भी काम में यस्त रहते हैं. हम दोनों ने अपने अपने जीवन की कहानिया साजा की, ले
08:18अधूरी ही सही लेकिन वो हमें यह सिखाती हैं कि कुछ रिष्टे और भावनाएं हमें हमेशा बहतर इंसान बना कर छोड़ जाती हैं. सनेहा अब मेरी जिन्दगी का हिस्सा नहीं थी लेकिन उसकी यादे मेरे साथ थी. एक ऐसे एसास की तरह जो न कभी पूरा हुआ न क�
08:48प्रती समर्पित था. फिर भी उस मुलाकात के बाद मुझे लगा जैसे कुछ पुराने दरवाजे फिर से खुल गए हो. मैं सनेहा से फिर कभी नहीं मिला लेकिन उस दिन की बातचीत ने मुझे या एहसास दिलाया कि कुछ कहानिया सिर्फ यादों में ही जिन्दा रहती है
09:18आरती मेरी हर छोटी बड़ी बात समझती थी और हमारे बीच एक अटूट बंधन बन चुका था. बच्चों की परवरिश उनके स्कूल और भविश्य की चिंताओं में जिन्दगी तेजी से आगे बढ़ रही थी. सनेहा की यादे अब बहुत धुंधली हो चुकी थी. कभ
09:48मैं समझ चुका था कि वह एक ऐसा अध्याय था जिसे बंध करना जरूरी था ताकि मैं अपने वर्तमान में पूरी तरह जी सकूँ. एक दिन मैं अपने परिवार के साथ एक पार्क में टहलने गया. बच्चे खेल रहे थे और आरती मेरे साथ बैठी थी. उस वक्त अचानक
10:18अध्या था वह अध्वितिय था आरती का साथ बच्चों की हंसी और एक सुखी परिवार. उस दिन मैंने खुझ से वादा किया कि अब मैं पूरी तरह से अपने वर्तमान में जीऊंगा और उन सभी अधूरी कहानियों को वहीं छोड़ दूंगा जहां वे थी. बीते हुए
10:48जो हम अपने परिवार और प्रियजनों के साथ जीते हैं. अधूरी कहानियां भी अपने आप में पूरी होती हैं क्योंकि वे हमें वो सिखाती हैं जो शायद कोई पूरी कहानी कभी नहीं सिखा पाती. स्नेहा की यादों ने मुझे सिखाया कि प्यार और आकरशन के अलाव
11:18जीवन के हर अनुभव हर मुलाकात का एक विशेश महत्व होता है चाहे वा अधूरी हो या पूरी. स्नेहा की यादे अब मेरे जीवन का एक गहरा लेकिन शांत हिस्सा बन चुकी थी. ऐसी यादे जो कभी कभी दिल को छू जाती थी. लेकिन अब दर्द या बेचैनी नही
11:48मेरी जिन्दगी का केंद्र अब मेरा परिवार बन चुका था. आरती के साथ मेरा रिष्टा समय के साथ और भी मजबूत होता गया. हमने साथ में कई उतार्च धाम देखे और हर मुश्किल ने हमें और भी करीब ला दिया. बच्चे भी बड़े हो रहे थे और उनकी हंसी �
12:18फिर एक दिन एक अंजानी सी शांती के साथ मैं खुद को बैठा हुआ पाया सोचते हुए कि जीवन ने मुझे कितना कुछ सिखाया है. स्नेहा की वो मुलाकात उसका हंस्ता चहरा और पुरानी यादे अब मुझे किसी अधूरेपन का एहसास नहीं दिलाती थी, बलकि यह स
12:48परिवार अच्छे से हैं और वह अब अपने बच्चों की शादी की तयारियों में व्यस्त है. मुझे यह सुनकर खुशी हुई क्योंकि कहीं न कहीं मैंने हमेशा उसकी खुशाली की ही कामना की थी. उसकी जिन्दगी अपने रास्ते पर चल रही थी और मेरी अपनी. मैंन
13:18स्नेहा मेरे जीवन का ऐसा ही एक अध्याय थी जिसने मुझे जीवन रिष्टों और भावनाओं के माइने समझाए
13:25अब जब भी मैं उस खिड़की के पास से गुजरता जो कभी स्नेहा की जलक का गवाव बनी थी तो मैं हलके से मुस्कुरा देता
13:33वह खिड़की अब खाली थी लेकिन मेरे दिल में उसका एक खास स्थान हमेशा रहेगा
13:39अब मैं जान चुका था कि अधूरी कहानियां भी अपने आप में संपूर हो सकती हैं
13:45क्योंकि वे हमें वह एहसास और सीख दे कर जाती हैं जो हमें जीवन के हर पहलों को समझने में मदद करती हैं
13:52मैंने खुद से शान्ती स्थापित कर ली थी
13:56स्नेहा एक याद बन चुकी थी और मेरा वर्तमान मेरे परिवार के साथ था
14:01मैंने सीखा कि सची खुशी उन पलों में होती है जो हम जी रहे होते हैं
14:07और उन लोगों के साथ होती है जिने हम अपने दिल से अपनाते हैं