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00:00नमस्ते दोस्तों मैं 30 साल की उम्र में विध्वा हो गई थी और अपने पती की मौत के बाद अकेले अपने घर में रहती थी विध्वा होते हुए भी अपने शरीर को काफी मेंटेन किया हुआ था एक दिन सुभाव वा उठकर रसोई में चाय बना रही थी कि हलकी बारिश हो
00:30उसने खिड़की बंद की और टीवी की आवास तेज कर दी मस्ती में उसने डांस करना शुरू किया और खुद को दीवार पर लगे बड़े आइने में देखने लगी मैंने ने काले रंग की नाइटी पहनी हुई थी और बेधरक डांस कर रही थी तभी दरवाजे की घंटी
01:00पाइर है सीमा के नाम से राधा को याद आया कि उसने कुछ दिं पहले ओनलाइन शौपिंग साइट से एक सूट बुक किया था उसने कहा हां सीमा मैं ही हूं लड़के ने साइन करने के लिए पेंदिया और पेंदेते समय उसकी उंगलियां राधा की उंगलियों को हलके से �
01:30डिसकाउंट चल रहा है
01:31राधा ने उसे ध्यान से देखा
01:34जो इमानदारी से डिसकाउंट बता रहा था
01:36उसने वह दो सो रुपए उसे वापस कर दिये
01:40थोड़ी देर बाद लड़के ने कहा थोड़ा पानी मिलेगा
01:44राधा ने दर्वाजा पूरा खोला
01:47और कहा तुम तो भीग गए हो अंदर आ जाओ
01:50उसने अपना सूट अलमारी में रखा
01:53और रसोई में पानी लाने चली गई
01:55उसने अपने दुपटे को अपनी छाती से अलग कर दिया था
01:59जब वह पानी लेकर आई तो लड़के की नजरे
02:03राधा के उभार पर जा टकराई
02:05लड़के की आँखे बड़ी हो गई
02:08और वह चुपचा पानी पीते हुए उसकी तरफ देखता रहा
02:12अचानक लड़के ने छींक दी
02:14राधा ने कहा तुम्हें तो सर्दी लग गई है
02:18और बारिश भी तेज हो रही है
02:20चाहो तो थोड़ी देर यहां रुख सकते हो
02:23तुम्हारे कपड़े भी काफी भी गए है
02:25राधा की बात सुनकर लड़के ने जिजगते हुए कहा
02:29अगर आपको कोई दिक्कत न हो तो मैं थोड़ी देर रुख जाता हूँ
02:33बारिश काफी तेज है
02:35राधा मुस्कुराई और बोली कोई बात नहीं आराम से बैठो
02:39मैं तुम्हारे लिए एक तॉलिया ले आती हूँ
02:43ताकि तुम खुद को सुखा सको
02:45राधा अंदर कमरे में चली गई और एक साफ तॉलिया लेकर आई
02:50उसने तॉलिया लड़के को दिया
02:53और कहां इसे ले लो तुम काफी भीग गए हो
02:55लड़का तॉलिया से अपना चहरा और बाल पहुंचने लगा
03:00इस दौरान राधा ने सोचा कि वहाँ खुद भी एक बार फिर से चाय बना लेती है
03:05वह रसोई की तरफ बढ़ गई और फिर से चाय बनाने लगी
03:10चाय बनाते समय राधा को अचानक महसूस हुआ कि घर में कोई और भी है
03:16और वह पिछले कई दिनों की अकेली जिन्दिगी से थोड़ा अलब महसूस कर रही थी
03:21उसने लड़के से पूछा तुम्हारा नाम क्या है
03:24लड़के ने जवाब दिया मेरा नाम अमित है
03:28राधा ने हंसते हुए कहां अमित तुम तो बहुत इमानदार निकले
03:32आजकल ऐसा कम देखने को मिलता है
03:36अमित ने भी हंसकर जवाब दिया जी काम इमानदारी से ही करना चाहिए
03:41राधा ने चाय तयार की और दोनों ने साथ बैट कर चाय पी
03:46इस बीच अमित ने धीरे-धीरे खुद को थोड़ा सहज महसूस करना शुरू किया
03:51वह राधा के घर की सजावट और उसकी गर्म जोशी भरी मेजबानी से प्रभावित था
03:57राधा ने महसूस किया कि अमित की आँखों में कुछ अलग था शायद उसकी मासूमियत या फिर उसकी सादगी जो उसे अजीब तरह से आकरशित कर रही थी
04:07चाय खत्म करने के बाद बारिश धीमी होने लगी थी और अमित उटकर जाने की तयारी करने लगा
04:14लेकिन जाने से पहले उसने राधा की ओर देखकर कहां आपका बहुत धन्यवाद आपने मुझे इतनी गर्म जोशी से घर के अंदर आने दिया
04:23राधा ने मुस्कुराते हुए कहां कोई बात नहीं अमित
04:27कभी भी जरूरत पड़े तो आ सकते हो
04:31अमित ने एक बार फिर धन्यवाद कहां और चला गया
04:35दर्वाजा बंद करने के बाद राधा कुछ देड़ तक वहीं
04:39खड़ी रही सोचती रही कि आज का दिन कुछ खास था कुछ आलग
04:43अमित के जाने के बाद भी उसका ख्याल राधा के मन में बना रहा
04:47जैसे कोई मीठी सी याद और वह सोचने लगी कि क्या ये सिर्फ एक सन्योग था या कुछ और
04:53अमित के जाने के बाद राधा कुछ बेचैन सी महसूस करने लगी
04:57वह सोचने लगी कि आखिर क्यों उसके जाने के बाद भी उसका ख्याल उसके मन में बार-बार आ रहा था
05:05अगले कुछ दिन राधा ने अपने रोज मर्रा के कामों में खुद को व्यस्त रखने की कोशिश की लेकिन उसके दिमाग में अमित की मासूमियत और उसकी आंखों की चमक बार-बार उभर करा रही थी
05:17कुछ दिनों बाद एक सुबह फिर दर्वाजे की घंटी बजी
05:21राधा ने दर्वाजा खोला तो देखा कि फिर वही कुरियर वाला अमित खड़ा था हाथ में एक छोटा पैकेज लिये हुए
05:29राधा ने चौकते हुए पूछा तुम फिर से
05:33अमित मुस्कुराया और कहा जी आज फिर एक पैकेज आपके नाम से आया है
05:38राधा ने पैकेज लिया और साइन करते हुए पूछा कैसे हुँ अमित
05:43सब ठीक चल रहा है
05:45अमित ने सिर हिलाते हुए कहा जी सब ठीक है
05:49बारिश फिर से होने लगी है और आज भी मैं भीग गया हूँ
05:54राधा ने उसे अंदर बुलाते हुए कहां अंदर आ जाओ मैं तुम्हारे लिए चाय बना देती हूँ
06:00वैसे भी आज मौसम बहुत अच्छा है
06:04अमित थोड़ा जिजका फिर अंदर आ गया
06:07राधा ने फिर से चाय बनाने के लिए रसोई की और कदम बढ़ाए
06:12चाय बनाते समय उसने महसूस किया कि वह अमित के साथ एक अलग तरह की सहजता महसूस कर रही थी जैसे वह उसे बढ़सों से जानती हो
06:21जब वह चाय लेकर आई तो उसने देखा कि अमित चुपचा बैठा था उसकी नजरे कभी कभी इधरुधर भटक रही थी
06:30लेकिन वहाँ बहुत शान्त था
06:32राधा ने चाय की ट्रे रखते हुए कहां तुम बहुत कम बोलते हो अमित
06:37ऐसा क्यों?
06:39अमित ने हलके से मुस्कुराते हुए जवाब दिया जी मैं ज्यादा बोलने वाला नहीं हूँ
06:44लेकिन जब आप से बात होती है तो मुझे अच्छा लगता है
06:48राधा उसकी सादगी पर मुस्कुरा दी
06:51दोनों चाय पीते पीते हलकी फुलकी बाते करने लगे
06:56इस दोरान राधा ने महसूस किया कि अमित में एक अलग तरह की सादगी और इमानदारी थी जो उसे लगातार आकर्शित कर रही थी
07:04कुछ समय बाद बारिश फिर से तेज हो गई और अमित जाने की तैयारी करने लगा
07:10राधा ने कहा अमित तुम चाहो तो थोड़ी देर और रुख सकते हो बारिश बहुत तेज हो रही है
07:16अमित ने मुस्कुराते हुए कहा नहीं राधा जी मुझे अब चलना चाहिए
07:21लेकिन अगर आपको कभी मेरी जरूरत हो तो आप मुझे बता सकती है
07:27राधा ने उसकी आँखों में कुछ खास देखा और कहा ठीक है अमित
07:32कभी भी जरूरत हो तो तुम भी आ सकते हो
07:35अमित के जाने के बाद राधा फिर से सोच में पड़ गई
07:40उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह सिर्फ एक सामान्य मुलाकात थी
07:45या उसके दिल में कुछ और ही चल रहा था
07:47लेकिन अब राधा के दिन थोड़े अलग थे
07:51जैसे उसकी जिन्दगी में कोई नया एसास आ रहा हो
07:54अगली कुछ हफ्तों में अमित का आना जाना बढ़ने लगा
07:58राधा को यह एहसास होने लगा था कि वह सिर्फ एक कुरियर वाला नहीं
08:04बल्कि उसकी जिन्दगी में कुछ खास बनता जा रहा था
08:07अमित का आना जाना अब राधा की जिन्दगी का हिस्सा बन गया था
08:24बैठा होता दोनों के बीच एक अनकहा सा रिष्टा बनने लगा था जो शब्दों से परे था लेकिन दिलों में गहराई से महसूस हो रहा था एक दिन अमित बिना किसी पैकेज के राधा के घर आया दर्वाजे पर खड़ा हुआ उसने संकोच के साथ कहा आज कोई कुरियर न
08:54गुरा नहीं लगता अमित अंदर आओ अमित अंदर आया और इस बार माहौल में एक अलकसी नजदी की थी दोनों के बीच की चुपी अब असज नहीं बलकि सुकून भरी थी राधा ने चाय बनाते हुए सोचा की शायद अब वह वक्त आ गया है जब उसे अपने दिल की ब
09:24जब वे चाय पी रहे थे राधा ने हलकी आवाज में पूछा अमित तुम इतना कम क्यों बोलते हो? क्या कभी तुम्हें ऐसा लगता है कि हम हम दोनों एक दूसरे को कुछ महसूस करते हैं?
09:35अमित ने राधा की ओर देखा उसकी आँखों में हलका सा संकोच और उच्सुकता थी
09:42कुछ पल के मौन के बाद उसने गहरी सांस ली और कहा राधा जी मैं आपको बहुत इज़त देता हूँ
09:49आपके साथ वक्त बिताना मेरे लिए बहुत खास होता है लेकिन मैं हमेशा सोचता हूँ
09:55कि कहीं मैं आपकी जिन्दगी में कोई परेशानी न बन जाओ
09:59राधा ने उसकी आँखों में देखा और कहा अमित तुम मेरी जिन्दगी में परेशानी नहीं
10:06बलकि एक सुकून बनकर आये हो।
10:08पिछले कुछ समय से मुझे ऐसा लगता है कि जैसे तुम्हारे बिना सब अधूरा है।
10:14अमित यह सुनकर चौक गया लेकिन उसकी आंखों में भी वही एहसास जलकने लगा।
10:20उसने कहा मैं भी ऐसा ही महसूस करता हूँ राधा जी।
10:36उसकी बात को बीच में काटते हुए कहां अमित जब दो दिल एक दूसरे को समझते हैं तो लोगों की परवाह नहीं करनी चाहिए।
10:44मैं जानती हूँ कि तुम सच्चे दिल से मेरे साथ हो।
10:48यही काफी है।
10:50यह सुनकर अमित की आंखों में भावनाओं का सैलाब उमड़ाया।
10:55उसने राधा का हाथ पकड़ लिया और बोला राधा जी अगर आप मेरे साथ हैं तो मैं किसी भी मुश्किल का सामना कर सकता हूँ।
11:04राधा ने उसके हाथ को सहलाते हुए कहा मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ अमित।
11:09उनकी यह बातचीज जैसे दोनों के बीच एक नई शुरुआत का संकेत थी।
11:15उस दिन से उनके बीच की दूरी खत्म हो गई।
11:19अब वे सिर्फ एक कुरियर वाले और एक ग्राहत नहीं थे बलकि दो दिल थे जो धीरे-धीरे एक दूसरे के करीब आ रहे थे।
11:27अमित का आना अब एक रूटीन बन गया था लेकिन अब वह सिर्फ काम के लिए नहीं बलकि राधा के साथ वक्त बिताने आता था।
11:35राधा भी अब अकेली नहीं थी उसकी जिन्दगी में फिर से रंग भरने लगे थे।
11:41दोनों के बीच एक ऐसी समझदारी और स्नेह पनप गया था जिसे किसी भी शब्द की जरूरत नहीं थी।
11:48समाज चाहे कुछ भी कहे राधा और अमित ने अपने रिष्टे को एक नया नाम दिया दो दिलों का ऐसा मिलन जो किसी सीमा या नियम से परे था।
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